नई दिल्ली, 1 अक्टूबर: उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने शनिवार को कहा है कि फैसले लेने में आम सहमति आधारित रुख ने 'ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन' (ओआईसी) यानी इस्लामिक सहयोग संगठन को बेकार बना दिया है और इसके परिणामस्वरूप यह संगठन 'अपनी प्रासंगिकता खो चुका है।' प्राप्त जानकारी के अनुसार, "माली और नाइजीरिया के पांच दिवसीय दौरे से लौटे अंसारी ने कहा कि आईओसी के सदस्य देशों ने द्विपक्षीय बातचीत में आतंकवाद की हमेशा निंदा की है। सब इस बात को मानते हैं कि कोई भी इसकी अनदेखी नहीं कर सकता, क्योंकि हर कोई इससे पीड़ित रहा है।"
अंसारी ने जम्मू एवं कश्मीर के उड़ी में हुए आतंकी हमले के मद्देनजर भारतीय सेना द्वारा नियंत्रण रेखा के उस पार आतंकियों के ठिकानों पर किए गए 'सर्जिकल स्ट्राइक्स' को उचित ठहराते हुए कहा कि भारत आतंकी हमलों को चुपचाप सह नहीं सकता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा, "भारत हमेशा आतंकी हमलों को बर्दाश्त नहीं कर सकता। उस पार आतंकियों के कुछ लांच पैड्स की पहचान की गई थी और उन्हें नष्ट किया गया।"
ओआईसी में अन्य देशों के अलावा अफगानिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात और बांग्लादेश जैसे देश भी हैं। यह अंतर्राष्ट्रीय समूह कश्मीर की स्थिति पर सर्वाधिक मुखर आलोचक है।
लेकिन व्यक्तिगत तौर पर इनमें से कई देशों ने उड़ी हमले की निंदा की है और भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक्स का समर्थन किया है।
उपराष्ट्रपति एक प्रतिनिधिमंडल के साथ पांच दिवसीय दौरे पर थे। इस प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल भी थे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि माली और नाइजीरिया दोनों देशों में आतंकवाद बातचीत का प्रमुख बिंदु था, क्योंकि दोनों देश बहुत गंभीर तरह की आतंकी गतिविधियों के शिकार रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सहयोग के लिए स्वास्थ्य, सौर ऊर्जा और कृषि जैसे कुछ नए क्षेत्रों की पहचान की गई।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि नाइजीरिया में बातचीत बहुत फलदायी रही और अक्षय ऊर्जा, सौर गठबंधन, आधारभूत सुविधाओं का विकास, कृषि, निर्माण, स्वास्थ्य, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को परस्पर सहयोग के लिए पहचान की गई है।
नाइजीरिया ने भारत के सफल अंतरिक्ष कार्यक्रम में भी रुचि दिखाई है।
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