बहामास पेपर्स: कालाधन रखने वालों में 475 भारतीयों के नाम

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नई दिल्ली, 23 सितम्बर: काले धन को लेकर एक अहम खुलासे में 'बहामास पेपर्स' में 475 भारतीयों, कंपनियों और ट्रस्टों के नाम सामने आए हैं, जिनका पंजीकरण करचोरी के लिए खास जगहों पर किया गया है। इनमें प्रमुख नाम वेदांता समूह के अनिल अग्रवाल का है। इसके बाद बैरन समूह के मूलचंदानी और फैशन टीवी इंडिया के प्रमोटर अमन गुप्ता का नाम है। यह खुलासा द इंडियन एक्सप्रेस अखबार ने किया है, जिसका कहना है कि इसे जर्मन समाचारपत्र सड्यूच जीटंग ने जारी किया है। इसे उसने खोजी पत्रकारों के अंतर्राष्ट्रीय संघ के साथ साझा किया है, जिसमें भारतीय समाचार पत्र भी शामिल है। 

अखबार ने कहा कि भारत से जुड़े 475 अभिलेख 1,75,000 से ज्यादा वैश्विक दस्तावेजों का हिस्सा है। इसमें कहा गया है कि यह खुलासा इस बात का संकेत नहीं है कि विदेशों में धन रखना या खाते रखना किसी प्रकार का गैरकानूनी काम है।

अनिवासी भारतीय, जो किसी दूसरे देश के नागरिक हैं, इस प्रकार की कंपनी रखने से वे किसी भारतीय कानून को नहीं तोड़ते हैं। बहामास कर नहीं चुकानेवालों के स्वर्ग के रूप में जाना जाता है। यह क्यूबा के उत्तर में अटलांटिक ओशन में 700 द्वीपों का समूह है। 

अभी पिछले खुलासों की जांच चल ही रही है, जब पानामा की एक लॉ कंपनी मोसेक फोंसेका के दस्तावेज लीक हुए थे। यह फर्म कंपनियों को विदेशों में कंपनी खोलने में मदद करती है। 

यह खुलासा ऐसे समय हुआ है, जब भारत सरकार ने काला धन रखने वालों और कंपनियों को 30 सितंबर तक उसका खुलासा करने और 45 फीसदी शुल्क चुकाकर उसे वैध (सफेद) बनाने की योजना लागू की है। 

अनिल अग्रवाल का नाम जिस ट्रस्ट से जोड़ा गया है, वह उसके निदेशक हैं। एक प्रवक्ता के हवाले से अखबार ने कहा हे, "ऑनक्लेव पीटीसी एक ट्रस्ट कंपनी है और यह अग्रवाल परिवार के ट्रस्ट के रूप में काम कर रही है। यह जानकारी आयकर अधिकारियों को दे दी गई है।"

अखबार ने कहा है कि रियल्टी से लेकर फार्मास्यूटिकल कारोबार चलानेवाले प्रसाद और प्रकाश निम्मागाडा का भी इसमें नाम है। प्रसाद के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) एक अन्य मामले में पहले से ही जांच कर रही है। उन्हें मई 2012 में गिरफ्तार भी किया गया और 17 महीने बाद उन्हें जमानत मिली है। 

द इंडियन एक्सप्रेस ने प्रसाद के हवाले से कहा, "मैं इस मामले पर फोन पर बात नहीं करूंगा। हम निजी रूप से मिल सकते हैं और इस पर बात कर सकते हैं। मैं आपको सबकुछ बताऊंगा।" हालांकि बाद में उनके कार्यालय में फोन करने पर तीन बार मिलने का समय देकर बाद में रद्द कर दिया गया। 

वहीं, चंडीगढ़ की हरभजन कौर और उनकी बेटी गुरजीत ढिल्लन का नाम बहामास में पंजीकृत वन सेंचुरी इंडस्ट्रीज से जुड़ा मिला है। हालांकि दोनों मां-बेटी ने इसकी जानकारी से इनकार किया। जबकि फिनलैंड की वॉटर ब्रैंड के अध्यक्ष अमन गुप्ता ने बताया कि वे अनिवासी भारतीय हैं और जिस कंपनी के बारे में बात की जा रही है, वह चालू नहीं है। 

वहीं, राजन मधु के मामले में जोकि फार्मास्यूटिकल क्षेत्र के गौतम थठानी के साले हैं और फैशन टीवी तथा 'एफ' ब्रांड का भारत में लाइसेंस रखते हैं और कुल 15 कंपनियों के निदेशक है, उन्होंने एक्सप्रेस के सवालों का जबाव नहीं दिया। उनका नाम बहामास से जुड़े पोलक्स कॉरपोरेट सर्विस में सामने आया है।

इसके अलावा अन्य तीन नाम हैं -गनपति रथीनम, सौमिक प्रसन्ना मुखर्जी, प्रबीर हर्षद तलाटी और नितिन वाशदेव मेरन। सभी ने किसी प्रकार के अवैध काम से इनकार किया है। नई दिल्ली के नरेश कुमार मोदी का नाम एक विदेशी कंपनी के निदेशक के रूप में सामने आया है। जब एक्सप्रेस ने उनसे संपर्क करना चाहा तो पता चला कि वह विदेश में हैं। 

मुंबई की मायरा डेलोरेस रेगो और दिल्ली के अशोक चावला का नाम एक अमेरिकी और ब्रिटिश कंपनी से जुड़ा सामने आया है। रेगो का कहना है जिस कंपनी से उनका नाम जुड़ा है, उसे वह बहुत पहले छोड़ चुकी हैं, जबकि चावला का कहना है कि उन्हें फंसाया गया है। वह कभी किसी विदेशी कंपनी के निदेशक नहीं रहे हैं। 

संजीव कपूर, जितेंद्र पी. पात्रा और सदात रफीक मुल्तानी के नाम दुबई के कबीर मूलचंदानी के साथ एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, जिन्होंने 90 के दशक में भारत में रंगीन टीवी आंदोलन को खड़ा किया था। 

कपूर का कहना है कि उनकी बहामास की कंपनी में महज न्यासिक हिस्सेदारी है, जिसे मूलचंदानी चलाते हैं। जबकि मुल्तानी का कहना है कि बहामास में उनकी कोई कंपनी नहीं है। वहीं, अखबार में पात्रा की प्रतिक्रिया के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है, अगर उन्होंने कुछ बताया हो तो। 
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