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मैं प्रधानमंत्री पद के लिए बढ़िया उम्मीदवार नहीं था लेकिन मैडम को मना नहीं कर सका: मनमोहन सिंह

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पूरा देश यह मानता है कि मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री पद के काबिल नहीं थे, उनके अन्दर प्रधानमंत्री वाला दम नहीं था, निर्णय लेने की ताकत नहीं थी, वे रिमोट कण्ट्रोल से ऑपरेट होते थे और रिमोट कण्ट्रोल सोनिया गाँधी के हाथों में था, कल मनमोहन सिंह ने खुद ही स्वीकार कर लिया कि मैं प्रधानमंत्री पद के लिए सही उम्मीदवार नहीं थे क्योंकि मुझसे भी बेहतर उम्मीदवार प्रणब मुख़र्जी थे, लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं थी, मैडम सोनिया ने मेरा नाम प्रधानमंत्री पद के लिए आगे बढाया, मैं उन्हें मना नहीं कर सकता था.

मनमोहन सिंह ने कहा कि 2004 में प्रणब मुख़र्जी प्रधानमंत्री पद के लिए बेहतर उम्मीदवार थे, उन्होंने अपनी सुपीरियरिटी का अनुभव भी किया होगा लेकिन उन्हें यह भी पता है कि मेरे पास हाँ करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था क्योंकि मैडम का निर्णय कोई टाल नहीं सकता था.

मनमोहन सिंह ने जैसे ही यह बात बोली, सभी कांग्रेसी नेता हंसने लगी, सोनिया गाँधी भी हंसने लगीं. इससे पहले प्रणब मुख़र्जी ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाने को सोनिया गाँधी की बढ़िया पसंद बताया था.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कल प्रणब मुख़र्जी की किताब 'Coalition Years' के तीसरे एडिशन के रिलीज कार्यक्रम में कई कांग्रेसी नेता और साथी दलों के नेता इकठ्ठे हुए थे. कार्यक्रम में सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी, बीएसपी नेता सतीश चन्द्र मिश्र भी पहुंचे थे.

रियल स्टेट को GST में लाकर सबसे बड़े भ्रष्टाचार पर MODI की नजर, कांग्रेस ने बताया 'डिजास्टर'

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आज भारत का कोई भी आम घर खरीदने का सपना भी नहीं देख सकता क्योंकि किसी बड़े शहर में घर खरीदना उसके लिए असंभव है. साधारण सैलरी में कोई भी आदमी घर नहीं खरीद सकता, इसके लिए या तो भ्रष्टाचार करना पड़ेगा या घोटाले करने पड़ेंगे.

ऐसा क्यों है कि आम आदमी घर खरीदने का सपना भी नहीं देख पा रहा है जबकि बड़े आदमी कई घरों के मालिक बन जाते हैं. इसका कारण है रियल स्टेट सेक्टर में कालाबाजारी, कमीशनखोरी और दलाली.

जब कोई व्यक्ति घर खरीदता है तो घर बेचने वाले मालिक, प्रॉपर्टी डीलर, रियल स्टेट एजेंट से मिलकर सौदा फिक्स करते हैं, घर का मार्किट प्राइस 10 लाख होता है तो खरीदारों से 20-30 लाख माँगा जाता है. जब खरीदार राजी हो जाता है तो उससे 10 लाख का चेक मांगते हैं और बाकी के 10-20 लाख रूपया कैश में मांगते हैं. सरकार को सिर्फ 10 लाख दिखाया जाता है जबकि 20-30 लाख रुपये कालेधन की दुनिया में चले जाते हैं, इनपर ना तो सरकार को टैक्स दिया जाता है और ना ही इन रुपयों को अर्थतंत्र में गिना जाता है, अगर सबसे बड़ा कालाधन कहीं है तो रियल स्टेट में.

अब मोदी सरकार रियल स्टेट सेक्टर को भी GST के दायरे में लाना चाहती है ताकि यहाँ पर भी कमीशनखोरी, दलाली और कालाधन का बाजार ख़त्म हो जाए. अगर ऐसा हो गया तो सभी प्रॉपर्टी डीलरों, कमीशन एजेंटों को GST नंबर लेना पड़ेगा और हर लेन-देन सरकार को दिखाना पड़ेगा. अभी तक प्रॉपर्टी एजेंट पैसा कमाकर छिपा देते हैं, कई प्रॉपर्टी डीलर हर महीना करोड़ों रुपये कमाते हैं लेकिन सरकार को टैक्स नहीं देते, कालाधन कमाते हैं, कालेधन से घर खरीदते हैं और बड़ी बड़ी गाड़ियों में घुमते हैं. गलत तरीके से कमाया हुआ कालाधन तिजोरी में छिपा देते हैं जिसकी वजह से सरकार को बहुत नुकसान होता है लेकिन अब मोदी सरकार की नजर इनकी काली कमाई पर पड़ चुकी है. 

वास्तव में मोदी सरकार 2022 तक सभी गरीबों को आवास देता चाहती है लेकिन यह तब तक नहीं होता जब तक रियल स्टेट को GST में लाकर यहाँ पर भ्रष्टाचार ख़त्म नहीं किया जाएगा. रियल स्टेट में आने के बाद प्रॉपर्टी के दाम कम होने लगेंगे, आम आदमी को सस्ते घर मिलेंगे, कुछ अपने आप घर खरीद लेंगे और कुछ मोदी सरकार बनाकर देगी, इस तरह गरीबों का सपना पूरा हो जाएगा.

कांग्रेस ने बताया डिजास्टर

मोदी सरकार के इस फैसले को कांग्रेस पार्टी ने डिजास्टर बताया है. ANI से बात करते हुए कांग्रेस नेता राजू बाघमारे ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और अरुण जेटली ने देश को गड्ढे में ढकेलने का पूरा प्रबंध कर दिया है. रियल स्टेट सेक्टर में पहले से ही मंदी चल रही है, अगर उसे GST में लाया गया तो डिजास्टर होगा.

फेसबुक पर मोदी की ताकत ख़त्म करने के लिए हैक कर लिए गए BJP के 2 बड़े ग्रुप, चीनी हैकरों पर शक

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सोशल मीडिया (फेसबुक और ट्विटर) 2014 चुनावों में मोदी और बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत थी. सोशल मीडिया पर मोदी के नाम का डंका बजता था लेकिन 2019 चुनाव से पहले मोदी की ताकत को ख़त्म करने का प्रयास किया जा था है. यह काम शुरू भी हो गया है.

फेसबुक पर बीजेपी समर्थकों के हजारों ग्रुप हैं, कई ग्रुपों में लाखों मेंबर हैं जो बीजेपी की लहर बनाए रखते हैं लेकिन अब इन ग्रुपों को एजेंडे के तहत या तो रिपोर्ट करके बैन कराया जा रहा है या इन्हें हैक करके इन्हें बंद कर दिया जा रहा है.

पिछले एक महीनें में बीजेपी के कई ग्रुप बंद हो चुके हैं और कई हैक हो चुके हैं. Vote 4 BJP और I HATE AAP PARTY बीजेपी समर्थकों के बड़े ग्रुप थे लेकिन दोनों ग्रुप को हैक करके एडमिन को हटा दिया गया. अब दोनों ग्रुप की सेटिंग बदलकर हैकर्स फरार हो गए हैं, अब ये ग्रुप किसी काम के नहीं रहे.

बीजेपी ग्रुपों को हैक करने का शक चीनी हैकरों पर जताया जा रहा है क्योंकि इनमें ऐसे लोगों को मॉडरेटर बनाया गया है जिनके नाम चीनी भाषा में हैं. आप खुद देखिये - 

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इसी तरह I HATE AAP PARTY को हैक कर लिया गया और ग्रुप के सभी एडमिन को निकालकर सेटिंग में चेंज कर दिया गया. अब दोनों ग्रुपों पर ना पोस्ट हो रही है और ना ही मेंबर जोड़े जा सकते हैं. जिस व्यक्ति ने ग्रुप को बनाया था उसे भी हटाकर उसकी कई वर्षों की मेहनत पर पानी फेर दिया गया.

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ग्रुप एडमिन ध्यान रखें ये बातें

जब ग्रुप बड़े हो जाते हैं तो उन्हें मैनेज करने के लिए कई लोगों को एडमिन बना दिया जाता है, इनमें हैकर भी घुस जाते हैं और एडमिन बनाने की मांग करते हैं, एडमिन बनाए जाने के बाद ये सबको हटाकर खुद एडमिन बन जाते हैं. एडमिन बनाने से पहले उनका बायोडाटा जरूर देखना चाहिए.

मोदी की नोटबंदी का समर्थन करने वाले अर्थशास्त्री को मिला नॉबेल प्राइज, विरोधी को मिला तंबोरा

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवंबर 2017 को रात 8 बजे 1000 और 500 के पुरानें नोटों को बंद करने का हिला देने वाला फैसला किया था. मोदी का यह फैसला दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा फैसला कहा जाता है, भारत की गति रुक गयी, हर आदमी बैंकों के आगे लाइन में खड़ा हो गया. हर कोई अपने पुरानें नोट जमा करके नए नोट लेना चाहता था, हर कोई पुरानें नोटों से छुटकारा पाना चाहता था. पूरी दुनिया मोदी के इस फैसले से हैरान हो गयी.

समझने वालों के लिए इशारा ही काफी था, हर समझदार आदमी समझ गया कि नोटबंदी से तिजोरी और तहखानों में जमा कालाधन बाहर निकल आएगा, सरकारी खजानें में पैसा आ जाएगा, रुका हुआ पैसा वापस अर्थव्यवस्था में आ जाएगा और धीरे धीरे इसका फायदा मिलना शुरू हो जाएगा.

शिकागो यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री और प्रोफेसर रिचर्ड एच थालर ने भी मोदी सरकार के इस फैसले की तारीफ की, उन्होंने फैसले के तुरंत बाद ट्विटर पर लिखा - मैं इस पॉलिसी का बहुत लम्बे समय से समर्थन करता हूँ, कैशलेस की तरफ जाने का पहला स्टेप है और भ्रष्टाचार ख़त्म करने का बढ़िया तरीका.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दो अर्थशास्त्री भारत में भी हैं, एक हैं मनमोहन सिंह और दूसरे हैं रघुराम राजन. मनमोहन सिंह 10 साल तक भारत के प्रधानमंत्री रहे जबकि रघुराम राजन तीन वर्षों तक RBI के गवर्नर गए. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत के दोनों ही अर्थशास्त्री मोदी सरकार की नोटबंदी की आलोचना कर रहे हैं और मोदी सरकार के इस फैसले के खिलाफ खूब बोल रहे हैं.

2017 के लिए अर्थशास्त्र में नॉबेल पुरस्कार के लिए रिचर्ड एच थालर रघुराम राजन का भी नाम भेजा गया था लेकिन पुरस्कार मिला नोटबंदी का समर्थन करने वाले अर्थशास्त्री रिचर्ड एच थालर को. विरोध करने वाले अर्थशास्त्री को तंबोरा मिला है. मतलब कुछ नहीं मिला है. दोनों ही अर्थशास्त्री अमेरिका की प्रतिष्ठित शिकागो यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं लेकिन एक कांग्रेस का भक्त है जबकि दूसरा पॉजिटिव पहल कर समर्थन करने वाला अर्थशास्त्री है.

राहुल गाँधी सिर्फ लिखा हुआ भाषण पढ़ते हैं, उन्हें इतिहास-भूगोल का ज्ञान नहीं: गिरिराज सिंह

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बीजेपी नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री (माइक्रो, स्माल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज) गिरिराज सिंह ने राहुल गाँधी का जमकर मजाक उड़ाया है. उन्होंने कहा कि राहुल गाँधी ऐसे नेता हैं जिन्हें भारत के इतिहास भूगोल का ज्ञान ही नहीं है.

गिरिराज सिंह ने कहा कि जिस तरह से फिल्म भिनेताओं को स्क्रिप्ट दे दी जाती है और वे पढ़ देते हैं उसी प्रकार से राहुल गाँधी को लिखा हुआ भाषण दे दिया जाता है और वे मंच पर खड़े होकर पढ़ देते हैं. उन्हें बाकी कुछ नहीं पता है, उन्हें यह भी नहीं पता होता कि वे क्या बोल रहे हैं, वे लिखा हुआ भाषण पढ़कर वापस लौट आते हैं.

उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के पास कोई मुद्दा नहीं है इसलिए दूसरे देशों को आधार बताकर बेरोजगारी के झूठे आंकड़े बता रहे हैं, मोदी सरकार ने सिर्फ मुद्रा योजना के जरिये 8-9 करोड़ लोगों के लिए रोजगार पैदा किया है, 8 करोड़ लोगों को लोन लेकर उन्हें स्वरोजगार करने का मौका दिया है.

आपको बता दें कि गुजरात चुनाव प्रचार में राहुल गाँधी बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहे हैं, उनका कहना है कि भारत में रोजाना 30 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलना चाहिए लेकिन सरकार सिर्फ 450 लोगों को रोजगार दे पा रही है.