मंहगा पड़ा कोर्ट के फैसले को साजिश बताना, मुश्किल में फंसे तेजस्वी यादव और मनीष तिवारी

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रांची: राजनीतिक पार्टियाँ राजनीतिक लाभ लेने के लिए कोर्ट पर भी आरोप लगाने से नहीं चूकतीं, आपने देखा होगा कि कुछ महीनों पहले जब कोर्ट ने राम रहीम के खिलाफ फैसला सुनाया था तो उसपर किसी ने भी सवाल नहीं उठाये थे, उस समय कोर्ट का फैसला सभी राजनीतिक पार्टियों को अच्छा लगा था क्योंकि यह फैसला बाबा के खिलाफ था लेकिन जब CBI कोर्ट ने ही लालू यादव के खिलाफ फैसला सुनाया तो राजनीतिक पार्टियों ने इसे साजिश बताया.

लालू यादव को रांची की विशेष CBI अदालत ने चारा घोटाले के दूसरे मामले में 23 दिसम्बर को दोषी ठहराया था, 4 जनवरी को उन्हें सजा सुनायी जाएगी. लेकिन अब उनके पीछे उनके बेटे तेजस्वी यादव, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और राजद नेता रघुवंश प्रसाद फंस गए हैं. इन लोगों ने इस फैसले को बीजेपी की साजिश बताया था.

तीनों नेताओं पर कोर्ट की अवमानना का आरोप लगा था और तीनों ही इस मामले में दोषी पाए गए हैं, कोर्ट जल्द ही इनके खिलाफ भी फैसला सुना सकता है.

तेजस्वी यादव का बयान

इस फैसले के खिलाफ तेजस्वी यादव ने कहा था कि बीजेपी और आरएसएस बिहार में लालू यादव को खतरे के रूप में देखती है, बिहार के लोग बीजेपी और नीतीश कुमार के खिलाफ अपना मन बना चुके हैं. आज के फैसले से साफ़ होता है बीजेपी और नीतीश कुमार लालू को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं और उन्हें जेल में डालना चाहते हैं. यह फाइनल निर्णय नहीं है, अभी आगे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट हैं. एक अन्य बयान में तेजस्वी यादव ने यह भी कहा था कि अगर लालू जी बीजेपी ज्वाइन कर लेते तो दोनों में भाईचारा होता और जेल की सजा ना मिलती.

मनीष तिवारी का बयान

इसके बाद कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने एक प्रेस वार्ता करके कोर्ट के फैसले के खिलाफ बयान दिया, उन्होंने कहा कि लालू जी इस केस के खिलाफ 1996 से लड़ रहे हैं, बीजेपी नेताओं ने इनके खिलाफ पटना हाई कोर्ट में PIL दाखिल की थी, इनके वकील यह केस लड़ने के काबिल हैं, मैं बीजेपी से पूछना चाहता हूँ कि सृजन घोटाले की जांच क्यों नहीं हो रही है.

रघुवंश प्रसाद का बयान

इस फैसले के खिलाफ रघुवंश प्रसाद ने कहा था की इस मामले में जगन्नाथ मिश्रा को छोड़ दिया गया जबकि लालू यादव को जेल में डाल दिया गया, अगर लालू जी JDU में होते तो उन्हें भी सजा नहीं मिलती.
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