खतरनाक चक्रव्यूह में फंस गए हैं बॉबी कटारिया, कैसे निकलेंगे बाहर, क्या है कानूनी तरीका, पढ़ें

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गुरुग्राम: गुरुग्राम के समाजसेवक बॉबी कटारिया बहुत बड़े चक्रव्यूह में फंस चुके हैं. पुलिस ने कम से कम उन्हें 5 साल तक जेल में रखने की तैयारी कर ली है लेकिन अगर बॉबी कटारिया के वकीलों ने सही ढंग से हाई कोर्ट और सेशन कोर्ट में केस की पैरवी की तो 3-6 महीनें में वह जेल से बाहर आ सकते हैं.

गुरुग्राम पुलिस ने काफी समय पहले से ही बॉबी कटारिया के लिए चक्रव्यूह तैयार कर लिया था. अगर बॉबी कटारिया ने इस चक्रव्यूह को समझ लिया होता तो वह जाल में ना फंसते लेकिन उन्होंने पुलिस को हलके में ले लिया. पुलिस ने उनके खिलाफ 29.8.2012 को ही धारा 379B के तहत FIR लिखकर रख ली थी जिसमें उनपर एक बुजुर्ग के कार की चाबी छीनने का आरोप लगाया था. मतलब यहाँ पर पुलिस भी फूंक फूंक कर कदम रख रही है.

टॉर्चर से बच सकता था बॉबी कटारिया, हुई चूक

बॉबी कटारिया को 24 दिसम्बर को रात 11 बजे गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद उसे 6 दिन पर रिमांड में लेकर कथित तौर पर थर्ड डिग्री दी गयी. यहीं पर बॉबी का घर वालों से गलती हो गयी. उन्हें तुरंत हाई कोर्ट पहुंचकर Writ Petition (आर्टिकल - 226 के अंतर्गत) दाखिल करनी चाहिए थी. अगर Writ Petition दाखिल हो गयी होती तो हाई कोर्ट की टीम आकर पुलिस थाने पर छापा मार देती और बॉबी कटारिया का टॉर्चर नहीं हो पाता लेकिन ऐसा नहीं किया गया.

बॉबी कटारिया के खिलाफ क्या है चक्रव्यूह

बॉबी कटारिया को लम्बे समय तक अन्दर रखने के लिए उसपर गुरुग्राम और फरीदाबाद पुलिस ने मिलकर 8 धाराएं लगाई हैं. इस वक्त वह फरीदाबाद जेल में धारा 386 (जबरन वसूली) तोड़ने के लिए जेल की सजा काट रहा है लेकिन अगर उसकी बेल ली गयी तो पुलिस उसे फिर से गिरफ्तार करके दूसरी धाराओं में जेल में भेज देगी.

बॉबी कटारिया पर ये हैं धाराएं

धारा 186: सरकारी काम में बाधा पहुंचाने की धारा है. इसमें तीन महीनें की सजा है लेकिन बैलेबल है, मतलब जमानत मिल सकती है.
धारा 323: पर्स चोरी का केस, इसमें एक साल की सजा है और यह भी बेलेबल है, जमानत मिल सकती है.
धारा 332: सरकारी मुलाजिम को दुःख पहुंचाने पर दर्ज होती है, इसमें तीन साल की सजा है और नॉन-बेलेबल है, मतलब तुरंत जमानत नहीं मिल सकती है.
धारा 353: ये भी सरकारी काम में बाधा डालने पर दर्ज होती है, जैसे किताब फाड़ देना, जन बूझकर तोड़ फोड़ करना. इसमें दो साल की सजा है और नॉन-बेलेबल है, मतलब तुरंत जमानत नहीं मिलती है.
धारा 379B: यह बहुत बड़ी धारा है, इसमें बॉबी कटारिया पर इल्जाम है कि वह एक बुजुर्ग की गाड़ी की चाभी छीनकर भाग गया था. पुलिस इस केस में खुद ही कहानी गढ़ लेती है, यह धारा पुलिस तब लगाती है जब आरोपी को लम्बे समय तक जेल में रखना होता है. इसमें 10 साल की सजा है और 25 हजार रुपये जुर्माना है. इसमें सेशन ट्रायल होता है. मतलब निचली कोर्ट में ही चलता है. हाई कोर्ट में इसकी पैरवी नहीं की जा सकती. इस केस में बॉबी को ज्यादा से ज्यादा समय तक रखा जा सकता है.
धारा 506: यह अपराध करने की कोशिश करने पर दर्ज होता है, इसमें 2 साल की सजा है लेकिन बेलेबल है, जमानत मिल सकती है.
हरिजन एक्ट (SC-ST): किसी दलित के खिलाफ जातिसूचक शब्द बोलकर गाली-गलौज करना, (6 महीनें से 10 साल की सजा), यह नॉन-बेलेबल है, मतलब तुरंत जमानत नहीं मिलती है.

चक्रव्यूह से कैसे निकलेंगे बॉबी कटारिया

बॉबी कटारिया के पैरोकारों को हाई कोर्ट में जाकर यह अपील करनी चाहिए कि उन्हें यह बताया जाय कि बॉबी कटारिया पर कितनी FIR दर्ज हैं, क्योंकि पुलिस उस पर केस पर केस दर्ज कर रही है, अगर उसे जमानत दिलाई जाएगी तो पुलिस दूसरे मामले में गिरफ्तार कर लेगी. ऐसे में सबसे पहले सभी दर्ज FIR की जानकारी मांगनी चाहिए. हाई कोर्ट में पुलिस को पूरी जानकारी देनी पड़ेगी.

उसके बाद यह पता करना चाहिए कि पुलिस ने उसे किस मामले में अरेस्ट किया है. अगर पुलिस ने 379B में अरेस्ट किया है और उसे छोड़कर अन्य मामलों को खारिज कराने के लिए हाई कोर्ट में क्वेशिंग (Quash Application) डालनी चाहिए ताकि जो फर्जी FIR हैं उन्हें एक के बाद एक करके रद्द किया जा सके. उसके बाद जिस धारा में बॉबी कटारिया को अन्दर किया गया है उसके खिलाफ भी Quash Application डालकर या तो उसे खारिज करवानी चाहिए या हाई कोर्ट से बेल ले लेनी चाहिए. 

मतलब पहले FIR की लिस्ट निकलवाओ ताकि पुलिस आगे कोई FIR दर्ज ना कर सके. उसके बाद यह पता करो कि पुलिस ने किस मामले में जेल में डाला है, उसके बाद उस FIR को छोड़कर पहले अन्य FIR को हाई कोर्ट से Quash Application के जरिये खारिज करानी चाहिए. उसके बाद सभी फर्जी FIR खारिज करने के बाद जिस मामले में जेल में बंद हैं उसके खिलाफ हाई कोर्ट से बेल लेनी चाहिए.
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