नई दिल्ली: इस देश में लाखों लोग हैं जो समोसे-पकौड़े बेचकर ना सिर्फ अपना गुजारा करते हैं बल्कि देशवासियों का पेट भी भरते हैं, मान लो, सभी पकौड़े, समोसे वाले अपना काम बंद कर दें तो लोग क्या खाएंगे, क्या आपने कभी सोचा है कि इसके बाद क्या होगा, ऐसे लोग अपने हुनर से कमाते हैं, कोई आदमी बहुत अच्छे समोसे-पकौड़े बनाता है तो वह IAS-PCS से भी अच्छी कमाई करता है, हर कोई इस घंधे से अपना गुजारा करता है, ऐसे में क्या इनकी तुलना भिखारियों से किया जाना सही है.
कांग्रेसी नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने समोसे-पकौड़े बेचने वालों की तुलना भिखारियों से कर दी है, उन्होंने मोदी के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के लॉजिक से अगर पकौड़ा बेचना जॉब है तो भीख माँगना भी जॉब है. इस तरह से तो हमें दिव्यांग लोग जो भीख मांगने को मजबूर हैं, उन्हें भी नौकरीपेशा मानना चाहिए।
कांग्रेसी नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने समोसे-पकौड़े बेचने वालों की तुलना भिखारियों से कर दी है, उन्होंने मोदी के बयान का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के लॉजिक से अगर पकौड़ा बेचना जॉब है तो भीख माँगना भी जॉब है. इस तरह से तो हमें दिव्यांग लोग जो भीख मांगने को मजबूर हैं, उन्हें भी नौकरीपेशा मानना चाहिए।
आपकी जानकारी के लिए बता दें, प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में एक इंटरव्यू में पकौड़ा बेचने को एक तरह का रोजगार बताया था. उन्होंने कहा था कि भारत में पकौड़े बेचने वालों को नौकरीपेशा नहीं मना जाता लेकिन वह भी एक तरह का जॉब है.5. Even selling pakodas is a 'job' said PM. By that logic, even begging is a job. Let's count poor or disabled persons who are forced to beg for a living as 'employed' people.— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 28, 2018
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