दोनों ने 11 सितम्बर को अमेरिका में भाषण दिया, एक ने बुराई की, दूसरे ने भारत सर ऊंचा कर दिया

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राहुल गाँधी ने अमेरिका में भाषण देने के लिए वही तारीख चुनी जिस तारीख को स्वामी विवेकानंद ने अमेरिका में ही भाषण देकर भारत का मस्तक ऊंचा कर दिया था. स्वामी विवेकानंद का वह भाषण आज भी दुनिया का सबसे आकर्षक और दमदार भाषण माना जाता है, आज भी उस भाषण की सालगिरह मानाई जारी है. कल विवेकानंद के उसी भाषण की सालगिरह थी और राहुल गाँधी ने भी इसी तारीख पर अमेरिका में भाषण दिया.

विवेकानंद और राहुल गाँधी के भाषण में यह अंतर था कि राहुल गाँधी ने अपने भाषण में सिर्फ भारत की बुराई की, ऐसा लग ही नहीं रहा था कि राहुल गाँधी भारत के नागरिक हैं ही नहीं. ऐसा लग ही नहीं रहा था कि राहुल गाँधी को अपने देश से रत्ती भर भी प्यार है. आप देखते हैं कि किसी और के घर में जाकर कोई भी इंसान अपने घर की बुराई नहीं करता, अपने गाँव की बुराई नहीं करता, अपने शहर की बुराई नहीं करता, अपने प्रदेश की बुराई नहीं करता और अपने देश की बुराई नहीं करता. अगर बिहार का कोई युवक महाराष्ट्र जाता है तो वह अपने राज्य की तारीफ करता है, अपने राज्य की बुराई नहीं सुन सकता और ना ही करता है.

अब आप राहुल गाँधी का भाषण देखिये, उन्होंने सिर्फ भारत की यानी अपने घर की बुराई की. उन्होंने कहा कि हमारे भारत में मुस्लिमों पर हमले हो रहे हैं, दलितों को मारा जा रहा है, लिबरल पत्रकारों को गोली मारी जा रही है, राईट विंग के लोगों ने हिंसा पैदा कर दी है, नफरत पैदा कर दी है, धर्मिल धुर्वीकरण हो रहा है, आतंकवाद बढ़ रहा है, सब कुछ बुरा ही बुरा हो रहा है.

अब आप स्वामी विवेकानंद का भाषण देखिये, उन्होंने अपने भाषण में सिर्फ भारत की तारीफ की थी, उस समय भी हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था, उससे पहले भी सैकड़ों वर्षों तक भारत मुगलों का गुलाम रहा था उसके बावजूद भी स्वामी विवेकानंद ने भारत की बुराई नहीं की. उन्होंने सिर्फ यह बताया कि हमारे भारत में अच्छा क्या है, हमारी ताकत क्या है, हम किस प्रकार से दुनिया से अलग हैं, हम किस प्रकार से प्रकृति से प्यार करते हैं, जानवरों से प्यार करते हैं, पेड़-पौधों से प्यार करते हैं, इंसानों से प्यार करते हैं. उन्होंने कहा था कि हम पूरे विश्व को अपना घर मानते हैं. पूरे विश्व के बारे में सोचते हैं. हमारे भारत में विविधता है, कई भाषाएँ हैं, कई बोलियाँ हैं, इतनी विविधता होने के बाद भी हम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं.

11 सितम्बर को विवेकानंद ने भारत की तारीफ करके हमारे देश का मस्तक गर्व से ऊंचा कर दिया था और इसी भाषण की वजह से उन्हें इतिहास में जगह मिली, लेकिन राहुल गाँधी ने 11 सितम्बर को अमेरिका में ही भारत की नाक कटा दी, अपने घर की ही बुराई कर दी.
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