सुषमा स्वराज का यह भाषण कांग्रेसियों की नींद उड़ाकर रख देगा, आनंद शर्मा को दिखा दिए दिन में तारे

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आज कांग्रेस पार्टी ने राज्य सभा में मोदी सरकार की विदेश नीति का मुद्दा उठाया लेकिन यह मुद्दा उठाना उनके लिये ही भारी पड़ गया क्योंकि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कांग्रेस पार्टी को इस कदर धोया है कि आज से पहले कांग्रेस की इतनी धुलाई कभी नहीं हुई होगी. कांग्रेस ने मोदी सरकार पर भारत और पडोसी देशों के बीच संबंध खराब करने के आरोप लगाए थे.

आप लोग 17 वर्षों तक नेपाल नहीं गए: सुषमा

सुषमा स्वराज ने कांग्रेस को जवाब देते हुए कहा कि नेपाल में भूकंप आया तो सबसे पहले भारत पहुंचा था, हम सारा सामान लगाकर ले गए और जब तक वहां के लोग व्यवस्थित नहीं हो गए तब तक हम काम करते रहे, उसके बाद जब डोनर्स कांफ्रेंस हुई तो हमने नेपाल को सबसे अधिक एक लाख बिलियन डॉलर की राशि हमने नेपाल को दी.

उन्होंने कांग्रेस को कहा कि इसके बावजूद भी आप कहते हो कि हम मित्र देश नहीं हैं और आप अपनी बात कर रहे हैं आनंद बाबू, 17 साल तक भारत का कोई भी प्रधानमंत्री नेपाल नहीं गया और उन 17 वर्षों में 11 साल आपकी सरकार थी. आप कह रहे हैं कि 2-3 जगह ब्लॉक्ड हो गया, आपके समय में कितना बड़ा ब्लॉक्ड हुआ था, राजीव गाँधी के समय में कितना बड़ा ब्लॉक्ड हुआ था, क्या याद है आपको, आप इतिहास उठाकर देख लीजिये.

उन्होंने कहा कि जिस नेपाल से आप संबंधों की बात करते हैं, 17 साल तक भारत का कोई प्रधानमंत्री वहां गया नहीं तब सम्बन्ध अच्छे और अब प्रधानमंत्री मोदी दो दो बार गए तो सम्बन्ध खराब.

आपकी सरकार में चीन ने किया तीनों जगह कब्ज़ा: सुषमा स्वराज

उन्होंने कहा कि आप श्रीलंका की बात कर रहे थे, आपने कहा कि हमने ग्वादर पोर्ट दे दी, कोलम्बो दे दी, हंबनडोटा दे दी, आप कहते हो कि तीनों जगह पर चीन ने पोर्ट बना लिया, लेकिन हम आपसे पूछ रहे हैं कि चीन से ये सब कब बनाया?

हंबनडोटा शुरू हुआ 2008 में और कम्पलीट हुआ 2011 में, उस समय कांग्रेस की सरकार थी, उसके बाद कोलम्बो का नंबर आता है, वह काम भी 85 फ़ीसदी चीन की लागत से स्टार्ट हुआ 2011 में और ख़त्म हुआ 2014 में, उस समय भी कांग्रेस की सरकार थी. इसके बाद आप बलूचिस्तान के ग्वादर की बात कर रहे हैं, बलूचिस्तान में इसका काम चाइना ने 2013 में सिंगापुर की कंपनी के साथ काम शुरू किया, अब आप बताओ आनंद भाई, उस समय किसकी सरकार थी, मैं आपसे ये पूछना चाहती हूँ. 

कांग्रेस है सभी समस्याओं की जन्मदाता: सुषमा स्वराज

इसके बाद कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा, मैंने ब्लेम नहीं किया था, मैं केवल चिंता प्रकट करना चाहता था, यह सुनकर सुषमा स्वराज ने कहा, आप क्यों चिंता कर रहे हो? आपको 2008 में फिक्र क्यों नहीं हुई, आपको 2011 में फिक्र नहीं हुई, आपको 2013 में फिक्र क्यों नहीं हुई, अगर आज कोई समस्या है तो उस समस्या के जन्मदाता आप हैं, आप आज हमारी विदेश नीति पर बोल रहे थे इसलिए आज आप जिन समस्याओं पर बोल रहे थे तो उन समस्याओं के जन्मदाता आप हैं, अगर हंबनडोटा की समस्या है, अगर कोलम्बो की समस्या है, अगर ग्वादर की समस्या है तो उन समस्याओं का जन्म आपके समय में हुआ इसलिए आज आप हमारी विदेश नीति पर मत बोलिए, आप हम पर ये आरोप मत लगाइए कि कि कोलम्बो, ग्वादर और हंबनडोटा हमने दे दिया. हमने तो हंबनडोटा को सुरक्षित कर दिया, अब हमने जो डील की है उसके बाद हमबंडोटा पर श्रीलंका का कंट्रोल रहेगा और सुरक्षा की चिंता चीन करेगा. हमने तो आपकी पैदा की गयी समस्या को ख़त्म किया है.

बंगलादेश और भूटान भारत के सबसे अच्छे दोस्त: सुषमा

इसके बाद सुषमा स्वराज ने बांग्लादेश के बारे में बोलते हुए कहा कि आज भारत बांग्लादेश का सबसे अच्छा दोस्त है. बांग्लादेश हर फैसले में भारत के साथ खड़ा है, भूटान की आप बात करते हैं, भूटान भारत का सबसे प्यारा दोस्त है, आनंद शर्मा जी, आप किन पड़ोसियों की बात कर रहे हैं. आप कहते हैं कि हमारे साथ कोई खडा ही नहीं, जरा तथ्यों को सामने रखकर बताइये कि हमारे सामने कौन खड़ा है और कौन नहीं खड़ा है.

पाकिस्तान से हमने रिश्ते अच्छे करने चाहे

आप पाकिस्तान की बात करते हैं, हमने शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तान को बुलाया था, वे आये भी थे और द्विपक्षीय बात भी हुई थी, मैंने हार्ट ऑफ़ एशिया कांफ्रेंस में भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से बात की थी, हमने हर संभव कोशिश की, प्रधानमंत्री मोदी इसीलिए अफ़ग़ानिस्तान से सीधा पाकिस्तान गए, 25 दिसम्बर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का जन्मदिन था, उन्होंने काबुल से बधाई दी, नवाज शरीफ ने कहा कि आप इधर से जा रहे हैं तो यहाँ भी आ जाइए, मोदी इसी वजह से वहां गए और पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की कोशिश की.

बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद पाकिस्तान से खराब हुए रिश्ते

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से रिश्ते खराब कब हुए, पठानकोट के बाद नहीं क्योंकि पठानकोट के बाद पाकिस्तान हमेशा डेनियल मोड में रहता था लेकिन पहली बार वह सहयोग के लिए राजी हुआ, हमारे रिश्ते तब बिगडे जब यहाँ पर बुरहान वानी का एनकाउंटर हुआ और वहां पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से उसे हीरो बता दिया. आप कहते हैं कि पाकिस्तान के साथ रोडमैप क्या है, अरे हमने तो रोडमैप बना दिया था, शांति का, दोस्ती का, स्थिरता का, समझौते का, ये हमारा रोडमैप था लेकिन रोडमैप एकतरफा नहीं चल सकता ना. हमारा रोडमैप तय है, आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं हो सकते. वे लोग जिस दिन आतंकवादी घटनाएं बंद कर देंगे उस दिन वार्ता शुरू हो जाएगी.

आप लोग चीन से जा मिले, हमसे पूछा तक नहीं

सुषमा स्वराज ने इसके बाद चीन पर जवाब देते हुए कहा - जहाँ तक डोकलम का सवाल है, 1962 में जब चाइना और भारत के बीच में बातचीत की स्थिति बनी तो अटल जी ने प्रधानमंत्री नेहरु को एक पत्र लिखा था कि सदन बुलाओ. उसके बाद पंडित नेहरु ने उनकी बात मानकर सदन बुलाया, काश आज के विपक्ष ने ये किया होता. मैं इस बात से बहुत दुखी हूँ कि सबसे बड़े प्रमुख दल के विपक्षी नेता ने चीन की स्थिति को जानने के लिए भारत के नेतृत्व से पूछने के बजाय चीन के राजदूत से मिलने चले गए. सुषमा स्वराज ने कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार आनंद शर्मा भी उस मीटिंग में मौजूद थे. 

सुषमा स्वराज ने आनंद शर्मा को फटकारते हुए कहा कि चीनी दूत से मुलाकत से पहले आपको भारत का दृष्टिकोण समझना चाहिए था और उसके बाद चीनी राजदूत को बुलाकर अपनी चिंता प्रकट करनी चाहिए थी कि हमारा तो ये पक्ष है.

उन्होंने कांग्रेस से नाराज होते हुए कहा, आपने हमारा पक्ष सुने बिना चीनी राजदूत से मिले, आपने जो किया सो किया लेकिन हमें बिना आपका इन्तजार किये बिना हमने सभी राजनीतिक दलों को बुलाकर चीन के बारे में सलाह मशवरा की.
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