4 अगस्त को चिट्ठी मिली, 5 अगस्त को योगी सरकार ने दे दिए पैसे, किसने की गद्दारी: पढ़ें

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गोरखपुर BRD मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत की सच्चाई अब साफ़ होती जा रही है. कल तक मीडिया चैनल इसमें योगी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे थे लेकिन मामले की तह पर जाने पर ऐसा लगता है कि यह मामला पूर्व सरकारों के भ्रष्टाचार का नतीजा है और अभी यूपी से भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी ख़त्म नहीं हुए हैं. योगी कितना भी सुशासन का दावा करनें लेकिन ये भ्रष्टाचारी उन्हें एक दिन भी कुर्सी पर नहीं देखना चाहते इसलिए इतनी बड़ी साजिश को अंजाम दिया गया है.

कल तक मीडिया चैनल और विपक्ष कह रहे थे कि योगी सरकार ने ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी को पैसे नहीं दिए इसलिए उसनें सप्लाई बंद कर दी और बच्चों की ऑक्सीजन की कमीं से मौत हो गयी, इस सम्बन्ध में अस्पताल द्वारा जारी की गयी चिट्ठी भी दिखा दी गयी लेकिन अब उस चिट्ठी की भी सच्चाई सामने आ गयी है.

जहाँ तक पैसे जारी करने की बात है तो योगी सरकार ने इसमें कोई लापरवाही नहीं दिखाई, ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी ने 1 अगस्त को अस्पताल को पैसे जारी करने के लिए चिट्ठी लिखी थी, अस्पताल ने 4 तारीख को वह चिट्ठी योगी सरकार को भेजी और योगी सरकार ने दूसरे ही दिन यानी 5 अगस्त को अस्पताल के बैंक अकाउंट में पैसे भेज दिए. अगर वो पैसे कंपनी को तुरंत ही मिल जाते तो ऑक्सीजन सप्लाई नहीं रुकती लेकिन अब पता चल रहा है कि मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल पैसे मिलते ही गायब हो गया और समय से कंपनी को पैसे नहीं दिए. पैसे ना मिलने की वजह से कंपनी ने 10 अगस्त को लिक्विड ऑक्सीजन बंद कर दी और बच्चे तड़पने लगे. इसके बाद अस्पताल ने ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम किया लेकिन दो घंटे की चूक में शायद 8-10 बच्चे ऑक्सीजन की कमीं से ख़त्म हो गए. वैसे उस अस्पताल में 18-20 बच्चे बीमारी से ही मरते हैं लेकिन मीडिया ने इस मामले को बिना समझे 60 बच्चों की ऑक्सीजन की कमीं से मौत की खबर दिखाकर बवाल बचा दिया.

इसमें साजिश यह है कि अस्पताल के प्रिंसिपल को कंपनी को तुरंत पैसे दे देना चाहिए था, अगर तुरंत देने में असमर्थ थे तो कम से कम इतना बता देते कि पैसे आ गए हैं हम आपको एक-दो दिन में दे देंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. यह भी खबर आ रही है कि पूर्व अखिलेश सरकार ने ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी को 8 साल का ठेका दिया था. अब यह भी जांच का विषय है कि अखिलेश सरकार ने इतने लम्बे समय तक ठेका क्यों दिया था, कहीं अखिलेश और ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी में कोई साठ-गाँठ तो नहीं है. कहीं इस मामले में कोई बड़ी साजिश तो नहीं है. इसकी CBI हो जाए तो शायद बड़े बड़े लोग फंस जाएंगे.
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