उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने आने के बाद 15 दिन तक जबरजस्त एक्शन दिखाया, हर तरफ अहरा तफरी मच गयी, सरकारी विभागों में भूचाल आ गया, हर कोई सुधरने लगा, हर किसी के अन्दर योगी का डर समा गया यहाँ तक कि पुलिस विभाग ने भी झाडू उठाकर दफ्तरों में साफ़ सफाई शुरू कर दी. 15 दिन तक ऐसा लगा कि योगी केवल 6 महीनें में यूपी को सुधार देंगे लेकिन उसके बाद योगी को पता नहीं क्या हो गया कि सभी एक्शन बंद होने लगे, धीरे धीरे फिर से यूपी में क्राइम का ग्राफ बढ़ने लगा, सरकारी दफ्तरों के कर्मचारी फिर से आलसी हो गए और कल गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में बहुत बड़ा काण्ड हो गए जिसमें अब तक 63 लोगों की मौत हो चुकी है.
गोरखपुर कांड ना होता अगर अस्पताल के अधिकारी जाग रहे होते, हॉस्पिटल में ऑक्सीजन के सिलेंडर ख़त्म हो गए थे लेकिन अधकारी सो रहे थे, अब 63 बच्चे इन्सेफेलाइटिस से ना मरे होते अगर समय से ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर दी जाती, अब 63 बच्चे मर गए हैं तो आनन फानन में ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर दी गयी है, अगर यही काम पहले कर दिया जाता तो इतने बच्चों की मौत ना होती.
63 बच्चों की मौत के बाद योगी आदित्यनाथ की बहुत आलोचना हो रही है, उन्होंने आनन फानन में आपातकालीन मीटिंग बुलाई है, गोरखपुर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि दंगा फसाद ना हो जाए, विपक्षी दलों को योगी सरकार के खिलाफ बड़ा मुद्दा मूल गया है और वहां पर पॉलिटिकल टूरिज्म शुरू होने वाला है.
विपक्षी दलों के मूंड को देखकर योगी ने भी एक्शन लेना शुरू कर दिया है, उन्होने स्वास्थय मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और एक अन्य मंत्री को तत्काल गोरखपुर जाने का आदेश दिया है साथ ही दोषी लोगों पर कार्यवाही करने का आदेश दिया है. अब देखते हैं कि इस मामले में क्या होता है लेकिन योगी सरकार जरूर मुसीबत में फंस गयी है और सरकार पर एक बड़ा दाग भी लग गया है क्योंकि अगर पहले से सावधानी बरती गयी होती तो शायद एक भी मौत ना होती.
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