अगर योगी भी अखिलेश की तरह शिक्षामित्रों के आगे झुक गए तो ‘2019 में मोदी की हार’ तय: पढ़ें क्यों

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उत्तर प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के शिक्षामित्रों की नियुक्ति रद्द होने के बाद बवाल मचा हुआ है, शिक्षा मित्र धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, कई लोग तो इस्लाम धर्म अपनाने की धमकी भी दे रहे हैं, आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षामित्रों के प्रतिनिधियों से मुलाकात ही और उनकी समस्याओं पर गौर करने का भरोसा दिया लेकिन अगर योगी आदित्यनाथ भी अखिलेश यादव की तरह शिक्षा मित्रों की मांगों के आगे झुक गए तो उत्तर प्रदेश की शिक्षा में वे कोई सुधार नहीं पर पाएंगे और जिस तरह का बंटाधार पिछले 17 वर्षों में शिक्षामित्रों के आने के बाद होता आया है वैसा ही बंटाधार जारी रहेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों ठहराया शिक्षामित्रों को अयोग्य

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शिक्षक बनने के लिए टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) पास करना जरूरी होता है लेकिन इन लोगों को 10वीं पास करने के बाद ही शिक्षामित्र बना दिया गया, पहले इन लोगों को 1500 रुपये पर रखा गया था, इन्हें केवल शिक्षकों की सहायता करने के लिए रखा गया था ताकि ये भी कुछ सीखें और जेब खर्च भी मिले लेकिन धीरे धीरे इन्होनें स्कूलों में पैर ज़माने के बाद अपना संघठन बना लिया जिसका नाम था 'शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन', इसके बाद ये लोग हर महीनें धरना प्रदर्शन करने लगे और अपनी सैलरी बढाने की मांग करने लगे.

मायावती सरकार में इनकी सैलरी सिर्फ 1500 रुपये मिलते थे, लेकिन धरना प्रदर्शन करके इन्होने अपनी सैलरी पहले 2000 उसके बाद 3500 करवा ली. इसके बाद ये लोग अखिलेश सरकार पर दबाव बनाने लगे और खुद को सहायक शिक्षक बनाने की मांग की. अखिलेश सरकार को भी वोट चाहिए थे इसीलिए उन्होंने 2015 में इन्हें सहायक शिक्षक का दर्जा देकर इनकी सैलरी 35000 कर दी, उसके बाद छठे वेतन आयोग के अनुसार इनकी सैलरी 40 हजार रुपये कर दी गयी.

शिक्षामित्रों को उत्तर प्रदेश में पढ़ाते हुए 15 साल हो गए हैं लेकिन आज तक उत्तर प्रदेश की शिक्षा में कोई सुधार नहीं आया, कोई सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाना ही नहीं चाहता, सिर्फ अति गरीब लोग ही अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाते हैं, शिक्षा मित्रों के आने के बाद सरकारी अध्यापकों ने स्कूलों में पढ़ाना छोड़ दिया और मौज मस्ती में रहने लगे, उन्होने सोचा कि जब शिक्षामित्रों को हमारी मदद के लिए रखा गया है तो हम क्यों पढाएं, अब हालत ये है कि वे लोग सैलरी तो लेते हैं लेकिन बच्चों को पढ़ाते नहीं हैं, यही नहीं हर स्कूलों में 2-3 शिक्षामित्र हैं, 40-40 हजार रुपये सैलरी ले रहे हैं लेकिन बच्चों को पढ़ाने में उनका मन नहीं लगता, ज्यादातर शिक्षामित्र धरना प्रदर्शन करने में बिजी रहते हैं, वे भी सरकारी अध्यापकों की तरह मौज मस्ती करते हैं.

यही सब देखकर सरकारी स्कूलों में ना तो बच्चे पढ़ना चाहते हैं और ना ही कोई माँ-बाप अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना चाहता है, मैं खुद उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूल में पढ़ा हूँ लेकिन आज अगर मुझे अपने बच्चे को सरकारी स्कूल में पढ़ाना हो तो मैं 10000000000 बार सोचूंगा और नहीं पढ़ाऊंगा.

अब देना होगा TET

इस वक्त उत्तर प्रदेश में 1.78 लाख शिक्षा मित्र हैं जिनमें से 66,655 लोग TET पास हैं, जिन्होंने TET पास कर रखा है वे तो शिक्षक बनें रहेंगे लेकिन जिन्होंने TET पास नहीं किया है उन्हें TET पास करने के लिए 2 मौके दिए जाएंगे, अगर इन दो मौकों में किसी ने TET पास कर लिया तो वह शिक्षक बना रहेगा लेकिन अगर कोई दोनों मौकों में फेल हो गया तो समझ लो वह बच्चों को पढ़ाने के काबिल नहीं है, ऐसे लोगों को शिक्षक पद से हटा दिया जाएगा.

योगी सरकार करना चाहती है शिक्षा में सुधार

पूर्व अखिलेश सरकार वोट के चक्कर में शिक्षा मित्रों की मांग के आगे झुक गयी थी और इन्हें सहायक शिक्षक पद पर नियुक्त कर दिया लेकिन ये लोग सैलरी तो लेते हैं लेकिन बच्चों को पढ़ाते नहीं हैं, इनके अन्दर बच्चों को पढ़ाने की योग्यता ही नहीं है तो पढाएंगे क्या, योगी सरकार शिक्षा में सुधार करना चाहती है, अब सभी कामचोर शिक्षकों पर डंडा कर दिया गया है, पहले ये लोग फ्री का खाते थे लेकिन अब उन्हें स्कूलों में आना पड़ रहा है, बच्चों को पढ़ाने के लिए कहा जा रहा है, अच्छा रिजल्ट माँगा जा रहा है, अब सबकी नींद उडी पड़ी है, इसीलिए प्राइमरी शिक्षक संघ ने भी शिक्षामित्रों के आन्दोलन को समर्थन दे दिया है, सब को कामचोरी की लत लग चुकी थी, सबको बैठकर फ्री का खाने की लत लग चुकी थी लेकिन अब हिसाब मांगा जा रहा है, बच्चों की हाजिरी पूछी जा रही है, सब का बायोडाटा बनाया जा रहा है, कामचोरों पर एक्शन की तैयारी हो रही है.

योगी झुक गए तो कुछ नहीं कर पाएंगे

अखिलेश यादव चाहते तो शिक्षा में सुधार कर सकते थे लेकिन उन्होने वोट के लिए शिक्षा मित्रों के आगे अपने हाथ जोड़ लिए और शिक्षा का बंटाधार होने दिया, नतीजा यह हुआ कि अखिलेश को शिक्षामित्रों ने तो वोट दिया लेकिन यूपी की जनता ने वोट नहीं दिया क्योंकि शिक्षा का बंटाधार करने वाले अखिलेश को जनता ने माफ़ नहीं किया, अगर योगी भी शिक्षामित्रों और भ्रष्ट व्यवस्था के आगे झुक गए तो योगी भी भी शिक्षा का बंटाधार होने से नहीं रोक पाएंगे और अगले चुनाव में यूपी के लोग इन्हें भी घर भेज देंगे.

अगर योगी झुक गए तो 2019 में मोदी की हार तय

एक बात और अगर योगी शिक्षामित्रों या भ्रष्ट शिक्षा व्यवस्था के आगे झुक गए और शिक्षा में कोई सुधार नहीं ला पाए तो 2019 में मोदी की भी हार तय है क्योंकि इसी भ्रष्ट व्यवस्था की वजह से यूपी की जनता ने बीजेपी को 72 सांसद दिए हैं, 72 सीटें बहुत होती हैं, अगर योगी काम नहीं कर पाए तो यूपी की जनता निराश हो जाएगी और योगी मोदी सबको सबक सिखा देगी.
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