अगर शुक्रवार के बजाय अन्य कार्य दिवस पर बाबा राम रहीम केस की होती सुनवाई तो ना होती हिंसा

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ऐसा लग रहा है कि बाबा राम रहीम को जेल भेजने के लिए बहुत बड़ी प्लानिंग की गयी थी और जान बूझकर उनकी सुनवाई का दिन शुक्रवार को निर्धारित किया गया था. अगर शुक्रवार के बजाय सोमवार, मंगलवार, बुधवार या बृहस्पतिवार को उन्हें सजा सुनाई जाती तो वकील नियुक्त करके सुप्रीम कोर्ट से जमानत ले लेते और उन्हें जेल ना जाना पड़ता लेकिन शुक्रवार को ढाई बजे उन्हें सजा सुनाए जाने की वजह से उनके पास सुप्रीम कोर्ट जाने का आप्शन ही नहीं था. अब उनके लिए दो दिन तक सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता बंद हो गया है क्योंकि शनिवार और रविवार को सुप्रीम कोर्ट में छुट्टी है. 

सजा सुनाने वालों ने एक और चालाकी की है. बाबा राम रहीम को साध्वी से रेप मामले में दोषी करार तो दे दिया गया है लेकिन उन्हें सजा नहीं सुनाई गयी है. अब 28 अगस्त यानी सोमवार को पहले पंचकूला कोर्ट लाकर सजा सुनाई जाएगी उसके बाद उन्हें जेल भेजा जाएगा लेकिन वे दूसरे दिन जमानत ले सकते हैं. कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि बाबा राम रहीम को आज ही सजा क्यों नहीं सुनाई गयी. दंगा तो वैसे भी हो रहा है. आखिर बाद का झमेला क्यों रखा गया.

ऐसा लगता है कि CBI कोर्ट ने बाबा के सभी रास्ते बंद करने के लिए उन्हें सजा सुनाने के लिए शुक्रवार का दिन तय किया ताकि बाबा राम रहीम सुप्रीम कोर्ट में जमानत की अर्जी ही ना दे सकें.

आपको बता दें कि अब बाबा राम रहीम के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का आप्शन है, वे रेप मामले की फिर से जांच के लिए याचिका दाखिल कर सकते हैं, अगर उन्होने अच्छा वकील कर लिया तो वे निर्दोष भी साबित हो सकते हैं क्योंकि उन पर रेप का आरोप लगाने वाली साध्वी ने सिर्फ चिट्ठी लिख कर आरोप लगाया था. उनपर रेप का ना तो कोई गवाह है और ना ही मेडिकल जांच में इसकी पुष्टि हुई है. अगर वकील तथ्यों के साथ अपनी बात रखे तो सुप्रीम कोर्ट में बाबा राम रहीम निर्दोष साबित हो सकते हैं. 

आपको बता दें कि जब साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित को आतंकवादी बताकर जेल में डाल दिया गया था तो मीडिया ने उस समय भी ऐसा ही बवाल मचाया था, जिस तरह से आज बाबा राम रहीम को बलात्कारी बाबा बताकर बवाल मचा रहे हैं. उस समय साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित को भी आतंकवादी बताया जा रहा था. अब आप खुद देखिये सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सही से सुनवाई कर रहा है तो लोग इन्हें निर्दोष मानने लगे हैं और दोनों को 9 साल बाद जमानत मिल गयी. भारत में मीडिया ट्रायल ने बहुत घिनौना रूप ले लिया है लेकिन बाद में सबकी पोल खुलेगी.
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