LTTE को जड़ से साफ़ करके श्रीलंका सो रहा चैन की नींद, पता नहीं मोदी कब छोड़ेंगे गाँधी-गिरी, Attack

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रायपुर, 25 अप्रैल: भारत की मोदी सरकार अटैकिंग मोड से बाहर निकलकर गांधी-गिरी पर उतर आयी है, ये पत्थरबाजों के खिलाफ गाँधी-गिरी कर रहे हैं, आतंकियों के खिलाफ गाँधी-गिरी और अब नक्सलियों के खिलाफ गाँधी-गिरी, ये सोचते हैं कि कश्मीर में विकास कर देंगे तो पत्थरबाज जिहादी सुधर जाएंगे ठीक इसी तरह से ये सोचते हैं कि नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़कें बनाकर और विकास करके नक्सली सुधर जायेंगे और इनके सामने आत्म-समर्पण कर देंगे लेकिन इनकी नीति विफल हो रही है.

मोदी सरकार अगर श्रीलंका से ही सीख ले तो बहुत कुछ कर सकती है, श्रीलंका में LTTE नामक आतंकी संगठन था जिसकी ताकत श्रीलंका की सेना के समान थी, LTTE और श्रीलंका की सेना में सीधी टक्कर होती थी, LTTE ने अपनी सेना बना रखी थी, उनके पास हेलीकॉप्टर से लेकर वारशिप तक सब कुछ था, साइबर अटैक में भी वे माहिर थे, हर चीज में उन्हें श्रीलंका की सेना जैसे ही महारत हासिल थी, उनकी सेना में लाखों आतंकी थे, LTTE और श्रीलंका की सेना के बीच लड़ाई 1983 से 2009 तक चली, 2009 में श्रीलंका की सेना को राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने आदेश दिया, वैश्विक कानून और मानवाधिकार को भूलकर श्रीलंका की सेना ने LTTE पर चढ़ाई करके एक तरफ से लाखों LTTE आतंकियों को साफ़ कर दिया, इस लड़ाई में हजारों नागरिक भी मारे गए लेकिन आतंकियों की एकतरफा सफाई से LTTE का समूल नाश हो गया और आज श्रीलंका में आतंकवाद ख़त्म है, वहां के नागरिक चैन की नींद सो रहे हैं.

अगर ताकत की तुलना की जाए तो नक्सलियों की ताकत LTTE की तुलना में कुछ भी नहीं है, LTTE के पास मानव बम तक थे, उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की जान मानव बम से ली थी, लेकिन 2009 में श्रीलंका ने ऐसा अटैक किया कि अपराजित माना जाने वाला LTTE का कमांडर प्रभाकरन ठोंक दिया गया और उसकी सेना का समूल नाश कर दिया गया, वहां भी ऐसी ही परिस्थिति थी, LTTE के आतंकी भी नक्सलियों की तरह जंगलों में रहते थे और उन्हें हर चीज में नक्सलियों से अधिक महारत हासिल थी लेकिन जब सेना को खुली छूट दी गयी तो उन्होंने एक तरफ से सफाई शुरू की और LTTE देखते ही देखते साफ़ हो गया.

उस युद्ध में लाखों लोग मारे गए, श्रीलंका सेना पर मानवाधिकार उल्लंघन और वैश्विक कानून को तोड़ने का आरोप लगाया गया लेकिन वह छोटा सा देश आज भी शान से खड़ा है, उसका ना तो मानवाधिकार आयोग वाले कुछ बिगाड़ पाए और ना ही UNSC वाले.

सोशल मीडिया पर करोड़ों बीजेपी समर्थक एक्टिव हैं, इन्हीं लोगों की अथाह मेहनत की वजह से लोकसभा चुनावों में बीजेपी की बम्पर विजय हुई थी और उसके बाद इन्हीं लोगों की वजह से आज तक बीजेपी की जीत का पहिया रुका नहीं है, लेकिन ये लोग मोदी सरकार से हमेशा एक्शन चाहते हैं, एक सैनिक के बदले 100 आतंकियों को ठोंकने की मांग करते हैं लेकिन आतंकियों, पत्थरबाजों और नक्सलियों पर कड़ी कार्यवाही करने और उन्हें ठोंकने के बजाय उनकी निंदा कर दी जाती है तो लोगों को गुस्सा भी आता है.

राजनाथ सिंह देश के गृह मंत्री हैं, उनके हाथों में सबसे बड़ी पॉवर है, CRPF, NSG उनके हाथ में हैं, खुफिया एजेंसियां उनके हाथ में हैं, इसके बाद भी सैनिकों की मौत पर वे हमेशा आतंकियों की निंदा करते हैं, जबकि सच आतंकी और नक्सली निंदा की भाषा समझते ही नहीं हैं.

अब भारत के लोग भी चाहते हैं कि मोदी सरकार मानवाधिकार और इंटरनेशनल लॉ को भूलकर नक्सलियों का एक तरफ से सफाई अभियान शुरू करे, हो सकता है कि इस अभियान में कुछ नागरिकों की भी जान जाए लेकिन रोज रोज मरने के बजाय अगर कुछ लोग मर भी जायेंगे तो कुछ नहीं होगा लेकिन सभी नक्सलियों को एक तरफ से ठोंका जाना चाहिए.
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