कोलकाता, 19 अप्रैल: महाभारत सीरियल के युधिष्ठिर और फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन गजेन्द्र चौहान जिन्हें आरएसएस का नेता भी बताया जाता है और जिसे पद से हटाने के लिए NSUI, कांग्रेस और वामपंथियों ने पूरी ताकत लगा थी, वे भी सोनू निगम के विरोध में उतर आये हैं, उन्होंने कहा है कि अगर धार्मिक आस्था को बरकरार रखने के लिए सोनू निगम को थोडा परेशानी झेलती पड़ रही थी तो झेल लेनी चाहिए थी, उन्हें इस तरह से ट्वीट करके लाखों-करोड़ों लोगों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए थी.
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि सोनू निगम ने जो ट्वीट किया है वह बहुत संवेदनशील है, लाखों-करोड़ों लोगों की भावनाओं से जुड़ा है, मेरा यह मानना है कि अगर किसी की धर्मिक आस्था को बरकरार रखने के लिए अगर हमें थोडा तकलीफ झेलनी पड़े तो झेल लेनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि सोनू निगम ने अपने ट्वीट में जिस भाषा का इस्तेमाल किया है वह थोड़ी सी अग्रेसिव है, उन्होंने कहा कि आजकल ट्वीट एक गपशप का माध्यम बन गया है, अगर उन्हें वाकई में कुछ तकलीफ थी तो उन्हें ट्वीट करने के बजाय कानून का सहारा लेना चाहिए था, हमारी सुप्रीम कोर्ट ने कुछ गाइडलाइन्स बनायी हुई हैं, हम उसके लिए कोर्ट जा सकते हैं. कानून का सहारा ले सकते हैं, पुलिस में जा सकते हैं, लेकिन इस तरह से इसे पब्लिक नहीं बनाना चाहिए था.
उन्होंने कहा कि जहाँ तक अजान का सवाल है, अजान मुसलमानों का हक है, पूजा हिन्दुओं का हक है, क़ुरबानी सरदारों का हक है, हर धर्म में लोगों की अपनी संवेदनाएं होती हैं जो धर्म से जुडी होती हैं, अगर मेरे धर्म के विषय में कोई कुछ कहेगा तो मुझे भी बुरा लगेगा.
गजेन्द्र चौहान ने कहा - सोनू निगम को अजान शब्द का इस्तेमाल करना ही नहीं चाहिए था, उनका संबंध लाउडस्पीकर से था, उन्हें लाउडस्पीकर से जो आवाज आ रही थी वो डिस्टर्ब कर रही है तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट के कानून के अनुसार पुलिस में जाना चाहिए था.
जानकारी के लिए बता दें कि सोनू निगम ने कल एक ट्वीट में कहा था कि वे मुस्लिम नहीं हैं फिर भी उन्हें अजान करके यानी लाउडस्पीकर में चिल्लाकर जगाया जाता है, इस धार्मिक गुंडागर्दी को कब तक बर्दास्त किया जाएगा, मंदिरों और गुरुद्वारों में भी ऐसा नहीं होना चाहिए, ये केवल गुंडागर्दी है बस.
अंत में गजेन्द्र चौहान ने सोनू निगम को सलाह देते हुए कहा कि ऐसे संवेदनशील विषय को वो पब्लिक ना करें तो बेहतर है क्योंकि लाखों करोड़ों लोगों की भावनाएं जुडी हुई हैं, उन्होंने निश्चित रूप से दुःख पहुंचा है, मेरे धर्म के बारे में अगर कोई कुछ कहेगा तो मुझे भी हर्ट होगा.
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि सोनू निगम ने जो ट्वीट किया है वह बहुत संवेदनशील है, लाखों-करोड़ों लोगों की भावनाओं से जुड़ा है, मेरा यह मानना है कि अगर किसी की धर्मिक आस्था को बरकरार रखने के लिए अगर हमें थोडा तकलीफ झेलनी पड़े तो झेल लेनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि सोनू निगम ने अपने ट्वीट में जिस भाषा का इस्तेमाल किया है वह थोड़ी सी अग्रेसिव है, उन्होंने कहा कि आजकल ट्वीट एक गपशप का माध्यम बन गया है, अगर उन्हें वाकई में कुछ तकलीफ थी तो उन्हें ट्वीट करने के बजाय कानून का सहारा लेना चाहिए था, हमारी सुप्रीम कोर्ट ने कुछ गाइडलाइन्स बनायी हुई हैं, हम उसके लिए कोर्ट जा सकते हैं. कानून का सहारा ले सकते हैं, पुलिस में जा सकते हैं, लेकिन इस तरह से इसे पब्लिक नहीं बनाना चाहिए था.
उन्होंने कहा कि जहाँ तक अजान का सवाल है, अजान मुसलमानों का हक है, पूजा हिन्दुओं का हक है, क़ुरबानी सरदारों का हक है, हर धर्म में लोगों की अपनी संवेदनाएं होती हैं जो धर्म से जुडी होती हैं, अगर मेरे धर्म के विषय में कोई कुछ कहेगा तो मुझे भी बुरा लगेगा.
गजेन्द्र चौहान ने कहा - सोनू निगम को अजान शब्द का इस्तेमाल करना ही नहीं चाहिए था, उनका संबंध लाउडस्पीकर से था, उन्हें लाउडस्पीकर से जो आवाज आ रही थी वो डिस्टर्ब कर रही है तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट के कानून के अनुसार पुलिस में जाना चाहिए था.
जानकारी के लिए बता दें कि सोनू निगम ने कल एक ट्वीट में कहा था कि वे मुस्लिम नहीं हैं फिर भी उन्हें अजान करके यानी लाउडस्पीकर में चिल्लाकर जगाया जाता है, इस धार्मिक गुंडागर्दी को कब तक बर्दास्त किया जाएगा, मंदिरों और गुरुद्वारों में भी ऐसा नहीं होना चाहिए, ये केवल गुंडागर्दी है बस.
अंत में गजेन्द्र चौहान ने सोनू निगम को सलाह देते हुए कहा कि ऐसे संवेदनशील विषय को वो पब्लिक ना करें तो बेहतर है क्योंकि लाखों करोड़ों लोगों की भावनाएं जुडी हुई हैं, उन्होंने निश्चित रूप से दुःख पहुंचा है, मेरे धर्म के बारे में अगर कोई कुछ कहेगा तो मुझे भी हर्ट होगा.
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