नई दिल्ली, 26 मार्च: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस वक्त एक तीर से दो दो शिकार कर रहे हैं, बड़े बड़े सम्मलेन दिल्ली से बाहर करा रहे हैं ताकि छोटे शहरों का भी विकास हो सके, बड़े बड़े सम्मलेन होने पर सम्मेलन स्थल, उसके आस पास के रोड और अन्य सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपये का खर्च आता है, दिल्ली में इस वक्त आम आदमी पार्टी की सरकार है, केजरीवाल से मोदी की बनती नहीं है, अगर बड़े बड़े सम्मलेन दिल्ली में होंगे तो मोदी सरकार को दिल्ली की सड़कें बनाने के लिए केजरीवाल सरकार को पैसा देना पड़ेगा, अरबों खरबों रुपये जब दिल्ली में खर्च होंगे तो कमाई केजरीवाल की होगी, इसका क्रेडिट भी केजरीवाल मार ले जाएंगे इसलिए मोदी दिल्ली में कोई सम्मलेन करवा ही नहीं रहे हैं।
अब बड़े बड़े सम्मलेन गोवा, चंडीगढ़ और वाराणसी में हो रहे हैं ताकि इन शहरों का विकास हो सके साथ ही टूरिज्म का बढ़ावा हो सके, इसी महीने में G-20 फ्रेमवर्क कार्य समूह की मीटिंग दिल्ली में होने वाली थी उसे शिफ्ट करके वाराणसी में अरेंज कर दिया गया, अगर दिल्ली में मीटिंग होती तो समेल्लन स्थल और आस पास के रोड बनाने, व्यवस्था खड़ी करने, इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने आदि के लिए मोदी सरकार केजरीवाल को पैसे देती, मोदी को इसका क्रेडिट भी नहीं मिलता, अब यही सम्मलेन वाराणसी में होगा तो केंद्र सरकार के पैसे से वाराणसी में रोड बनेंगे, कई अन्य चीजें बनेंगी, साफ़-सफाई होगी, इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण होगा, टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा, कई देशों से करीब 100 बड़े बड़े नेता आयेंगे, उनके इंतजाम में वाराणसी में अरबों रुपये खर्च करने पड़ेंगे, वाराणसी को आर्थिक लाभ होगा साथ ही विकास होगा।
ऐसा करके मोदी एक तीर से तो शिकार कर रहे हैं, पहला तो केजरीवाल को सबक सिखा रहे हैं और दूसरा इस पैसे को दिल्ली में ना खर्च करके छोटे शहरों में खर्च कर रहे हैं और अब इन शहरों का भी विकास करा रहे हैं, आप खुद ही सोच लीजिये, अगर अरबों रुपये दिल्ली में खर्च होते तो दिल्ली यानी केजरीवाल सरकार को लाभ होगा, अगर यही अरबों रुपये वाराणसी में खर्च होंगे तो बीजेपी सरकार और मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को लाभ होगा।
28-29 मार्च को वाराणसी में होगी G-20 कार्य समूह की बैठक
जी-20 फ्रेमवर्क कार्य समूह की दो दिवसीय तीसरी बैठक 28 और 29 मार्च को वाराणसी में आयोजित की जा रही है। वित्त मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि जी-20 फ्रेमवर्क कार्य समूह की बैठक आर्थिक मामले विभाग, वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा संयुक्त रूप से 28 और 29 मार्च को वाराणसी में आयोजित की जा रही है।
जर्मनी की अध्यक्षता वाले जी-20 कार्य समूह की पहली दो बैठकें पिछले वर्ष दिसम्बर में बर्लिन और इस वर्ष फरवरी में रियाद में आयोजित की गई थी।
कार्य समूह की 2009 में स्थापना के बाद से यह चौथा अवसर है, जब भारत इस बैठक की मेजबानी कर रहा है। इससे पहले भारत ने नीमराणा, राजस्थान (2012 में मैक्सिको की अध्यक्षता में), गोवा (2014 में जी-20 आस्ट्रेलिया की अध्यक्षता में) और केरल (2015 में जी-20 तुर्की की अध्यक्षता में) में जी-20 एफडब्ल्यूजी की बैठकों की मेजबानी की थी।
वाराणसी में होने वाली जी-20 कार्य समूह की बैठक में वर्तमान वैश्विक आर्थिक स्थिति और विकास संबंधी महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करने के लिए इस संगठन के देशों द्वारा अपनाए जाने वाले नीति-विकल्पों पर विचार किया जाएगा।
इस बैठक में एक महत्वपूर्ण मुद्दा जी-20 की समावेशी विकास कार्यसूची पर विचार करने संबंधी है। इसमें एक फ्रेमवर्क तैयार करने का प्रयास किया जाएगा, जो प्रत्येक राष्ट्र विषयक समावेशी विकास नीतियां तैयार करने में देशों की मदद कर सके।
जी-20 19 देशों और यूरोपीय संघ का समूह है, जो वैश्विक आर्थिक मुद्दों और अन्य महत्वपूर्ण विकास चुनौतियों पर विचार करता है। जी-20 फ्रेमवर्क कार्य समूह जी-20 समूह के बुनियादी कार्य समूहों में से एक है।
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