मुलायम सिंह ने साबित कर दिया, चालाकी में वे अभी भी अखिलेश के बाप हैं, फंस गए अखिलेश यादव: पढ़ें

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New Delhi, 3 January: अखिलेश यादव चालाकी दिखाकर और मुलायम सिंह यादव को कुर्सी से हटाकर सपा के मुखिया तो बन गए लेकिन मुलायम सिंह तो उनसे भी अधिक चालाक निकले। अब अखिलेश यादव मुलायम सिंह के चंगुल में बुरी तरह से फंस चुके हैं और हो सकता है कि समाजवादी पार्टी या समाजवादी पार्टी का निशान साइकिल उनके हाथों से छिन जाय। 

हुआ यह था कि कुछ दिन पहले मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव और राम गोपाल यादव को समाजवादी पार्टी से 6 साल के लिए निकाल दिया था, उसके बाद आजम खान मुलायम सिंह से मिले और उनसे प्रार्थना करके अखिलेश यादव और राम गोपाल यादव का सस्पेंसन रुकवा दिया। खबर फैल गयी कि अखिलेश और राम गोपाल यादव को फिर से पार्टी में ले लिया गया है। 

जब अखिलेश यादव और राम गोपाल यादव को पता चला कि उन्हें पार्टी में वापस ले  लिया गया है तो उन्होंने चालाकी से अपने आप से सपा का राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाकर अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया। उन्होंने सोचा कि जब एक बार अखिलेश यादव सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिए गए तो मुलायम सिंह उन्हें बार बार निकाल नहीं पाएंगे। 

लेकिन मुलायम सिंह ने गेंद अभी भी अपने पाले में रखी हुई थी, इन लोगों के सस्पेंशन की खबर केवल ट्विटर पर डाली गयी थे, कागज पर इनके सस्पेंशन को रद्द नहीं किया गया था, ऐसे में ये लोग अधिवेशन बुला ही नहीं सकते थे। मुलायम सिंह ने इस अधिवेशन को असंवैधानिक बताया है, उन्होंने कहा है कि जब राम गोपाल यादव पार्टी से सस्पेंड हैं तो वे सपा का अधिवेशन किस अधिकार से बुला सकते हैं। उन्होंने यही बात चुनाव आयोग के सामने रखी। 

आपको बता दें कि राम गोपाल यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव हैं और उनके ही नाम पर साइकिल चुनाव चिन्ह रजिस्टर है। 

अब या तो अखिलेश को अपने समर्थक विधायकों के साथ अलग पार्टी बनानी पड़ेगी, या मुलायम सिंह के साथ वापस आना पड़ेगा, अब दोनों के हाथों से अगले चुनाव में साइकिल चुनाव चिन्ह छिन जाएगा क्योंकि मुलायम सिंह अपनी जगह ठीक हैं। उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए दोनों को सस्पेंड कर रखा है और कागज पर उन्हें बहाल नहीं किया है ऐसे में अखिलेश और राम गोपाल साइकिल पर अपना दावा नहीं कर सकते। 
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