ममता बनर्जी बोलीं, 3 दिन के बाद मामला जस का तस नहीं हुआ तो इस्तीफ़ा देने के लिए तैयार रहें MODI

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नई दिल्ली, 27 दिसंबर: केंद्र सरकार द्वारा की गई नोटबंदी के मुद्दे पर कई विपक्षी पार्टियों ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा कि लोगों को हो रही परेशानी की वह जिम्मेदारी लें। विपक्षी पार्टियों ने मांग की कि अगर 50 दिनों की समय सीमा के अंदर नकदी की समस्या नहीं सुधरती है, तो प्रधानमंत्री इस्तीफा दें। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने आम आदमी को लगातार हो रही दिक्कतों के लिए मोदी को जिम्मेदार ठहराया, जबकि तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा कि हालात सुधारने के लिए उन्होंने खुद 30 दिसंबर तक की समय सीमा दी है और अगर इस दौरान नकदी की समस्या में सुधार नहीं हुआ, तो उन्हें इस्तीफा देना होगा।

ममता ने कहा कि नोटबंदी का फैसला अवैध और असंवैधानिक है। इसने 50 दिनों में देश को 20 साल पीछे धकेल दिया है।

उन्होंने कहा कि अगर संकट बरकरार रहा, तो मोदी को इस्तीफा देना होगा।

दोनों नेताओं ने राष्ट्रीय राजधानी स्थित कांस्टिट्यूशन क्लब में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। इसमें राष्ट्रीय जनता दल (राजद), द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), जनता दल-सेक्यूलर, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग तथा ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट के भी नेता मौजूद थे।

नोटबंदी के खिलाफ अभियान में शामिल कई महत्वपूर्ण साझेदार- जनता दल (युनाइटेड), वाम मोर्चा, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) तथा समाजवादी पार्टी (सपा) संयुक्त संवाददाता सम्मेलन से नदारद रही।

नोटबंदी को आजादी के बाद देश का सबसे बड़ा घोटाला बताते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को सवाल उठाया कि अगर हालात नहीं सुधरते हैं, तो नोटबंदी के 50 दिन बीतने पर क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस्तीफा देंगे?

ममता ने मोदी की दी हुई 50 दिनों की समय सीमा खत्म होने के दिन करीब आने का जिक्र करते हुए कहा, "मोदी, आपने 50 दिन मांगे थे, लोग रोजगार खो रहे हैं, भूख के कारण मर रहे हैं, फिर भी हालात सुधारने के लिए आपको समय दिया गया। अब 47 दिन बीत गए हैं, सिर्फ 3 दिन बचे हैं।"

उन्होंने कहा, "हम अगले तीन दिन और प्रतीक्षा करेंगे। लेकिन मोदी, अगर चीजें जस की तस रहती हैं, तो क्या आप जिम्मेदारी लेंगे और देश के प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा देंगे?"

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा कि नोटबंदी देश के गरीब लोगों पर एक हमला है और इससे सिर्फ बेरोजगारी बढ़ी है।

उन्होंने कहा कि किसानों, छोटे व्यापारियों और मजदूरों के पास कोई नकदी नहीं है।

ममता ने चुटकी लेते हुए कहा, "अमेरिका जैसी विकसित अर्थ्व्यवस्था में भी 40 प्रतिशत नकद हस्तांतरण होते हैं और मोदी कैशलेस इकोनॉमी की बात करते हैं। मोदी सरकार आधारहीन हो चुकी है और उसका चेहरा विद्रूप हो चुका है।"

उन्होंने यह भी कहा कि नोटबंदी की आड़ में अपने छिपे एजेंडे को आगे लाने की कोशिश में मोदी सरकार कमजोर हो गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा, "अगर सरकार कमजोर होती है तो देश कमजोर हो जाता है। नोटबंदी ने पूरे देश को अस्थिर कर दिया है। इस सरकार को हट जाना चाहिए, वरना लोग इसे बाहर फेंक देंगे।"

वहीं, डीएमके तथा राजद ने नोटबंदी के कदम को 'खौफनाक' व 'गरीब विरोधी' करार दिया।

डीएमके नेता तिरूची शिवा ने कहा कि नोटबंदी के कारण देश एक वित्तीय संकट से गुजर रहा है।

राजद के जयप्रकाश यादव ने कहा कि उनकी पार्टी शुरुआत से ही नोटबंदी का विरोध कर रही है और पार्टी अध्यक्ष तथा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने बिहार में जिला स्तर पर विरोध करने की योजना बनाई है।

यादव ने कहा, "नकदी रहित निराधार है। नोटबंदी गरीब विरोधी तथा लोक विरोधी है।"

इस बीच, उत्तराखंड के देहरादून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का पूरी तरह बचाव करते हुए कहा कि इस कदम का उद्देश्य देश से भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंकना है।
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