वित्तीय आंकड़े एक मंच पर साझा करें बैंक: CII

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नई दिल्ली, 25 दिसम्बर: देश के अग्रणी औद्योगिक मंडल CII ने रविवार को कहा कि नोटबंदी के कारण बैंकों में भारी मात्रा में धनराशि जमा हुई है जिसका उत्पादक उपयोग हो रहा है और बैंकों को चाहिए कि वे सुदृढ़ हुए अपने कारोबार के वित्तीय आंकड़े और अन्य जानकारियां सार्वजनिक करें जिससे कि कर्जदारों की विश्वसनीयता का मूल्यांकन किया जा सके और गैर निष्पादित संपत्तियों से बचा जा सके। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने एक बयान जारी कर कहा, "एक डिजिटल प्लेटफॉर्म को देश के वित्तीय संसाधनों से जुड़े आंकड़े सार्वजनिक करने के लिए विकसित किया जा सकता है, जो ऋण लेने वालों को बैंक की साख का मूल्यांकन करने और बैंकों को कर्जदारों की विश्वसनीयता के मूल्यांकन में मददगार साबित होगा।"

चंद्रजीत ने कहा, "इसमें आपूर्ति की पहचान, वित्तीय सूचनाएं, साख से संबंधित सूचनाएं और किसी कंपनी की संचालन प्रणाली से संबंधित सूचनाएं हो सकती हैं। इसकी मदद से बैंकों को कर्जदारों की श्रेणियों के आधार पर अनुकूल ब्याज दर नीति अपनाने में भी मदद मिलेगी।"

उन्होंने कहा, "मौजूदा प्रणाली में भी ये आंकड़े हैं, लेकिन ये आंकड़े विभिन्न सरकारी विभागों के पास हैं। इन सभी विभागों के आंकड़ों को डिजिटल अवसंरचना के जरिए एकजगह एकत्रित किया जा सकता है, जिससे बैंकों को विश्वसनीय कर्जदारों की पहचान करने में मदद मिलेगी। स्वाभाविक तौर पर यह एक ऐसी प्रणाली होगी जिससे बैंकों को गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) से बचने में मदद मिलेगी।"

सीआईआई ने यह भी सुझाव दिया कि विभिन्न स्रोतों से लघु एवं मध्यम उद्यमों (एसएमई) और कॉर्पोरेट से जुड़े आंकड़े प्रचुर मात्रा में बैंकों और कर्ज देने वाली अन्य संस्थाओं को उपलब्ध करवाया जा सकता है।
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