जन धन खाता धारक बेईमानों के चंगुल में ना फंसे और ना चालाकी दिखाएँ, वरना गए काम से

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नई दिल्ली, 4 दिसंबर: नोटबंदी के बाद हजारों कालेधन चोरों ने अपना धन सफ़ेद करने के लिए जन धन योजना के अंतर्गत खोले गए बैंक खाताधारकों की शरण में जा पहुंचे और उन्हें बहला फुसलाकर और कईयों को लालच देकर उनके खातों में लाखों रुपये जमा करवा दिया, ऐसे हजारों खाते देखे गए हैं जिसमे कालाधन जमा हुआ है, वैसे ये कानून के खिलाफ है लेकिन मोदी हर किसी को एक मौका जरूर देते हैं, इसलिए बैमानों के चंगुल में फंसे गरीबों को भी उन्होंने एक मौका दिया है, अगर लोग जिनके खातों में बेईमानों ने पैसे जमा करवाए हैं, वे सच बता देंगे तो बच जाएंगे और उनके खातों में डाली गयी रकम भी उनकी हो जाएगी लेकिन अगर उन्होंने चालाकी दिखाने की कोशिश की तो फंस जाएंगे, मोदी सरकार सभी खातों पर बारीकी से नजर रख रही है। 

प्रधानमंत्री जन धन खातों की जमा राशि में अचानक हुई वृद्धि से कई विसंगतियां उजागर हुई हैं। सरकार ने रविवार को इस तरह के खाताधारकों को चेतावनी दी है कि गत 8 नवंबर को हुई नोटबंदी के मद्देनजर उनके खातों में जमा राशि के दुरुपयोग की इजाजत उन्हें नहीं दी जाएगी। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, "आयकर विभाग देशभर में जन धन खातों में जमा कराई गई नकदी राशि में अचानक वृद्धि की जांच कर रहा है। इन खातों में कई विसंगतियां उजागर हुई हैं।"

विज्ञप्ति में कहा गया है कि जन धन खातों में ऐसे लोगों द्वारा करीब 1.64 करोड़ अघोषित रुपये जमा किए गए हैं, जिन्होंने खुद को आयकर सीमा से नीचे बताकर आयकर रिटर्न कभी नहीं भरा है। कोलकाता, आरा (बिहार), कोच्चि और वाराणसी में ऐसे लोगों के खातों का पता चला है।

बताया गया है कि बिहार में एक जन धन खाते में जमा 40 लाख रुपये जब्त किए गए हैं।

आगे कहा गया है कि पता लगाए गए अघोषित आय को आयकर अधिनियम 1961 के दायरे में लाया जाएगा। इसके अलावा अन्य कार्रवाइयां जांच के परिणाम के आधार पर होंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में आयोजित एक सार्वजनिक सभा में कहा था, "मैं जन धन खाताधारकों से कहना चाहता हूं कि उन्हें इस धन को नहीं निकालना चाहिए। अगर आपको कोई धमकी देता है तो मुझको लिखें। मैं पता लगाने की कोशिश कर रहा हूं कि यह धन आप तक कैसे पहुंच सकता है।"

वित्तीय समावेशन के तहत गत 25 नवंबर तक देशभर में 25 करोड़ जन धन खाते खोले जा चुके हैं।

अशरफ गनी ने कर डाली पाकिस्तान की बेइज्जती, 50 करोड़ डॉलर के दान को यह कहते हुए लात मात दिया

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अमृतसर, 4 दिसम्बर: आज हार्ट ऑफ़ एशिया के शुरुआती उद्बोधन में अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने पाकिस्तान की ऐसी तैसी कर डाली और उसके द्वारा आफर किये गए 50 करोड़ डॉलर के दान को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि भैया एक तरफ तो आप आतंकवाद फैला रहे हो और दूसरी तरफ दान दे रहो हो, अगर आप एक तरफ से आतंकवाद बढाकर हमारा नुकसान करना चाहते हो और दूसरी तरफ से मदद करना चाहते हो तो यह धन किस काम आएगा, यह तो बेकार ही होगा हमारे लिए इसलिए बेहतर यही है कि यह पैसा आप अपने यहाँ आतंकवाद के खात्मे में इस्तेमाल करें .

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए रविवार को स्पष्ट रूप से पाकिस्तान का नाम लिया। साथ ही कहा कि यदि पड़ोसी देश से आतंकियों को समर्थन मिलना जारी रहेगा तो आर्थिक सहायता की कोई भी राशि युद्ध से तबाह देश को मजबूत होने में मदद नहीं कर सकती। 

गनी की यह कठोर टिप्पणी अफगानिस्तान पर 6ठे मंत्रिस्तरी 'हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन-इस्तानबुल प्रक्रिया' में की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आतंकियों के खिलाफ सैन्य अभियान कुछ चुनिंदा आतंकियों को उनके ठिकानों से हटाने के लिए चलाए गए। 

गनी ने कहा, "पाकिस्तान में सरकार प्रायोजित अभयारण्य मौजूद हैं। तालिबान के एक अधिकारी ने हाल में कहा था कि यदि पाकिस्तान में उन्हें सुरक्षित पनाहगाह न मिले तो वे एक माह भी नहीं टिके रह पाएंगे।"

अफगानिस्तान के विकास पर आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेते हुए अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी ने यह बात कही। इस सम्मेलन में पाकिस्तान की विदेश नीति के वास्तविक प्रमुख सरताज अजीज भी हिस्सा ले रहे हैं।

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने युद्ध से तबाह अपने देश के पुननिर्माण के लिए 50 करोड़ डॉलर दान देने के पाकिस्तान की पेशकश के लिए पाकिस्तान को धन्यवाद दिया, लेकिन पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक सरताज अजीज को प्रत्यक्ष रूप से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, "जनाब अजीज, मैं आशा करता हूं कि महोदय आप इसका इस्तेमाल पाकिस्तान में आतंकियों एवं चरमपंथियों से लड़ने के लिए करेंगे।"

गनी ने भारत की पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले सीमा पार के आतंकवाद की चिंता को साझा किया और कहा कि दुनिया को इस बुराई से लड़ने की जरूरत है। 

उन्होंने कहा, "अफगानिस्तान में पिछले वर्ष सबसे अधिक संख्या में लोग हताहत हुए। यह अस्वीकार्य है। कुछ देश अब भी आतंकियों को सुरक्षित ठिकाना मुहैया करा रहे हैं।" 

राष्ट्रपति ने कहा कि वह पंजाब के इस शहर में आयोजित कार्यक्रम में आरोप-प्रत्यारोप के खेल में शामिल होना नहीं चाहते, जिसमें दक्षिण और मध्य एशिया और कई पश्चिमी देशों के नेता शामिल हैं। 

उन्होंने कहा कि वह आतंक के निर्यात को रोकने के लिए क्या किया जा रहा है, इस बारे में स्पष्टीकरण चाहते हैं। 

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उस पर आतंकवाद का समर्थन करने और उसके लिए पैसा मुहैया कराने को लेकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इससे पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र की शांति खतरे में पड़ गई है। 

उन्होंने कहा कि आतंकवाद को परास्त करने के लिए हम सभी को हर हाल में मजबूत सामूहिक इच्छाशक्ति दिखानी होगी। उन्होंने कहा कि शांति का समर्थन करना पर्याप्त नहीं है। इसका कठोर कार्रवाई से समर्थन अनिवार्य है।

मोदी ने कहा कि महज आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई पर्याप्त नहीं है। दुनिया को जो उनका समर्थन करते हैं, पनाह देते हैं और धन देते हैं उनके खिलाफ कार्रवाई करने की जरूरत है। 

इससे पहले गनी ने अफगानिस्तान के विकास के लिए भारत के बिना शर्त सहायता की सराहना की। उन्होंने कहा कि चाबाहार बंदरगाह का विस्तार भारत, ईरान और उनके देश के बीच क्षेत्रीय व्यापार और संपर्क के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। 

अफगानिस्तान के विकास में साथ देने के लिए राष्ट्रपति अशरफ गनी ने भारत की जमकर प्रशंसा की

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अमृतसर, 4 दिसम्बर: अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने रविवार को युद्धग्रस्त देश में आर्थिक विकास के लिए भारत के बिना शर्त सहयोग की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारत, ईरान और उनके देश के बीच मुख्य चाबहार बंदरगाह का विस्तार क्षेत्रीय व्यापार और संपर्क के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। गनी ने विशेष रूप से सलमा बांध के निर्माण में भारतीय सहयोग की बात की। इस बांध को आधिकारिक रूप से अफगान-भारत मैत्री बांध भी कहा जाता है। इसका उद्घाटन चार जून, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हेरात में गनी के साथ संयुक्त रूप से किया था। 

गनी ने कहा, "अफगानिस्तान में लोगों के जीवन में सुधार के लिए भारत का सहयोग पारदर्शी है।"

उन्होंने छठे मंत्रिस्तरीय हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया। इस सम्मेलन का शीर्षक 'हार्ट ऑफ एशिया कांफ्रेंस-इस्तांबुल प्रॉसेस ऑन अफगानिस्तान' है। इस सम्मेलन में दक्षिण और मध्य एशिया के साथ कई पश्चिमी देश भी हिस्सा ले रहे हैं। 

गनी ने कहा कि चाबहार बंदरगाह विकास परियोजना संपर्क और वाणिज्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। भारत और ईरान ने ओमान खाड़ी में बंदरगाह के नवीकरण के लिए 2016 में द्विपक्षीय समझौता किया था। इससे भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापार का वैकल्पिक मार्ग बनने की उम्मीद है।