अर्णब ने बताई 5 गलतियां, जिसके कारण सत्ता से हाथ धोने के कगार पर पहुंचे चुके हैं उद्धव ठाकरे

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महाराष्ट्र की राजनीति में बीते 72 घंटे से तूफ़ान मचा हुआ है, इस सियासी तूफ़ान में उद्धव ठाकरे के हाथ से महाराष्ट्र की सत्ता फिसलती हुई दिखाई दे रही है, बालासाहेब की पाठशाला में पले-बढ़े शिवसैनिकों ने ही उद्धव ठाकरे के खिलाफ विद्रोह कर दिया। लेकिन ऐसी स्थिति क्यों बनी? इसका कारण बताया है कि वरिष्ठ पत्रकार अर्णब गोस्वामी ने, अर्णब ने रिपब्लिक भारत पर अपने शो 'पूछता है भारत' में वो पांच गलतियाँ बताई जिसके कारण आज उद्धव ठाकरे के हाथ से सत्ता फिसल रही है. अर्णब ने कहा, उद्धव ठाकरे ने बीते ढाई सालों में बहुत सी गलतियाँ की, लेकिन पांच बड़ी गलतियाँ ऐसी हैं जिन्हें बताना बहुत जरुरी है.

अर्णब ने कहा कि उद्धव ठाकरे की पहली और सबसे बड़ी गलती यह है कि उन्होंने सत्ता के लिए हिंदुत्व की विचारधारा से समझौता किया। दूसरी गलती यह है कि पालघर में साधुओं के नरसंहार पर कड़ा एक्शन न लेना, अर्णब ने कहा, जब मैनें दो साल पहले पालघर में साधुओं के नरसंहार आवाज उठाई तो मेरे ऊपर एसिड अटैक हुआ था. लेकिन उद्धव ठाकरे ने कुछ नहीं किया। अर्णब ने कहा, उद्धव की तीसरी गलती यह है कि 'वाड्रा-कांग्रेस ने जब वीर सावरकर का खुलकर अपमान किया तब उद्धव ठाकरे खामोश रहे. कांग्रेस के खिलाफ शिवसेना का एक बयान तक नहीं आया. अर्णब ने कहा, वीर सावरकर का अपमान शिवसेना ने सत्ता के लिए सहन किया।

अर्णब ने गोस्वामी ने कहा, उद्धव ठाकरे की चौथी गलती यह है कि 'शिवसेना ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने का तो समर्थन किया लेकिन जब कांग्रेस ने 370 हटाए जाने का विरोध किया तब उद्धव ने चुप्पी साध ली, कुछ नहीं कहा, उनको लगा कुछ बोलेंगे तो सोनिया गांधी नाराज हो जाएंगी और कांग्रेस समर्थन वापस लेगी और सत्ता हाथ से चली जाएगी। अर्णब ने बताया कि उद्धव की पांचवी गलती यह है कि 'शाहीन बाग़ मॉडल के खिलाफ भी शिवसेना और उद्धव ठाकरे ने कुछ नहीं बोला। मुंबई में खुल्ला ऐलान हुआ कि देशभर में शाहीन बाग़ मॉडल लाएंगे लेकिन उद्धव ने कुछ नहीं कहा.

आपको बता दें कि महाराष्ट्र में ताजा सियासी हालात यह हैं कि उद्धव ठाकरे अपना सामान पैक करके मुख्यमंत्री आवास से निकलकर मातोश्री शिफ्ट हो चुके हैं वहीँ शिवसेना के कुछ और विधायक एकनाथ शिंदे के पास गुवाहाटी पहुँच गए हैं, फ़िलहाल अब उद्धव सरकार पर संकट के काले बादल चौतरफा मंडराने लगे हैं.

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