कृषि कानून के विरोध में कल किसान के वेश में छुपे दंगाइयों ने पूरी दिल्ली में जमकर आतंक मचाया, दंगाइयों ने तलवार के दम पर न सिर्फ लाल किले पर कब्जा किया बल्कि अपना झंडा भी लगा दिया, गणतंत्र दिवस पर दिल्ली पुलिस ने जो संयम दिखाया वो काबिलेतारीफ है..किसान की खाल ओढ़े दंगाई बेहरमी से पुलिस पर हमला करते रहे और पुलिस ने संयम दिखाते हुए सबकुछ सहा। अपनी जान जोखिम में डालकर दिल्ली पुलिस ने कथित किसान नेताओं के खतरनाक मंसूबों पर पानी फेर दिया।
दिल्ली में हुए हमले के बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत का खतरनाक मंसूबा सामने आया है, हिंसा के बाद राकेश टिकैत ने एक बयान दिया है, जिससे यह साबित होता है कि ये लोग किसानों की मौत पर राजनीति करने का प्लान बनाये थे….राकेश_टिकैत ने हैरान होकर कह रहा है – लाल किले पर इतने लोग चढ़ गए और पुलिस की एक गोली नहीं चली, ऐसा कैसे हो सकता है!
#राकेश_टिकैत हैरान होकर कह रहा है – लाल किले पर इतने लोग चढ़ गए और पुलिस की एक गोली नहीं चली, ऐसा कैसे हो सकता है !
यही तो चाहते थे कथित किसान नेता कि पुलिस गोली चलाये, इनकी योजना थी लोगों को मरवाने की, पर पुलिस ने खुद अपनी जान जोखिम में डाल दी पर इनका षड्यंत्र नाकाम कर दिया।
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) January 28, 2021
दरअसल राकेश टिकैत समेत कथित किसान नेता यही चाहते थे कि दिल्ली पुलिस गोली चलाये और इन्हें किसानों की मौत पर राजनीति करने का मौक़ा मिल जाए, इनके बयान से स्पष्ट हो जाता है कि इनकी योजना थी लोगों को मरवाने की, पर पुलिस ने खुद अपनी जान जोखिम में डाल दी पर इनका षड्यंत्र नाकाम कर दिया।
आपको बता दें कि भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के खिलाफ हत्या के प्रयास समेत कई गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ है, अगर अपराध सिद्ध हुआ तो राकेश टिकैट को कम से कम 10 साल की सजा हो सकती है…मिली जानकारी के मुताबिक़, राकेश टिकैत के खिलाफ 307 (हत्या का प्रयास), 147 (दंगा करने की सजा) और 353 (सार्वजनिक कर्तव्य को अपने कर्तव्य का निर्वहन करने से रोकने के लिए आपराधिक बल) सहित कई आईपीसी के तहत मामला दर्ज हुआ है। आईपीसी की धारा 307 में दोषी पाए जाने पर कठोर सजा का प्रावधान है. आम तौर पर ऐसे मामलों में दोषी को 10 साल तक की सजा और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।