दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल गिरगिट से भी ज्यादा तेज रंग बदलते हैं, इसको एक बार फिर उन्होंने ने साबित कर दिया, जी हाँ! दरअसल केजरीवाल सरकार ने कृषि बिल के विरोध में गुरुवार ( 17 दिसंबर, 2020 ) को सदन का विशेष सत्र बुलाया था, इस दौरान सदन में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के विधायकों ने कृषि कानून की कॉपी को फाड़ दिया और केंद्र सरकार से क़ानून वापस लेने की माँग की।
दिलचस्प बात यह है कि जिस कृषि कानून की कॉपी को आज मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने सदन में फाड़ा, उसी कानून को दिल्ली सरकार ने 23 नवंबर, 2020 को दिल्ली में लागू किया था, ऐसे में अब सवाल यह उठता है कि जब सदन में कृषि कानून की कॉपी को फाड़ना ही था तो लागू क्यों किया।
आपको बता दें कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 23 नवंबर, 2020 को दिल्ली में कृषि कानून को लागू कर दिया, बाकायदा गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया था, उसके बाद जब पंजाब के किसानों ने कृषि कानून के विरोध में आंदोलन शुरू किया तो केजरीवाल किसान हितैषी बन गए हैं।
देखो इस बंदे की हरकत। कुछ ही दिन पहले क्या कहा था और आज क्या किया। pic.twitter.com/8I1V6gZVR7
— Omkar Chaudhary 🇮🇳 (@omkarchaudhary) December 17, 2020
केजरीवाल के किसान हितैषी बनने के बाद जब यह मुद्दा उठने लगा कि आप तो दिल्ली में कृषि कानून को लागू कर चुके हो फिर किसान हितैषी बनने का नाटक क्यों कर रहे हो, इस पर जवाब देते हुए केजरीवाल ने कहा था कि ये तो तीनों (कृषि कानून ) केंद्र के कानून हैं, जिस दिन इन तीनों कानूनों पर राष्ट्रपति के दस्तखत हुए, उसी दिन ये तीनों कानून पूरे देश में लागू हो गए. ये किसी राज्य सरकार के ऊपर नहीं है कि वो लागू करेगी या नहीं करेगी।
अपने ही बयान से पलटते हुए केजरीवाल ने 17 दिसंबर, 2020 को सदन का विशेष सत्र बुलाया और कानून की कॉपी को फाड़ते हुए कहा कि हम ये कृषि कानून ख़ारिज करते हैं, अब केजरीवाल को इस बात का जवाब देने चाहिए जब कानून केंद्र सरकार के हैं तो दिल्ली सरकार को खारिज करने का अधिकार किसने दिया।