लखनऊ, 22 मई: वैश्विक महामारी कोरोना कोरोना वायरस संकट और लॉकडाउन के बीच शहरों से मजदूरों का गाँवों की तरफ पलायन जारी है। इस मुद्दे पर अब राजनीति भी शुरू हो गई है। बसपा अध्यक्ष मायावती लगातार कांग्रेस पार्टी पर हमलावर हैं। मायावती ने कहा की, इस समय प्रवासी मजदूरों की जो दुर्दशा हो रही है। उसकी असली कसूरवार कांग्रेस है।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी ( बसपा ) अध्यक्ष मायावती ने कहा, आजादी के बाद कांग्रेस के लम्बे शासनकाल के दौरान अगर रोजी-रोटी की सही व्यवस्था गाँव/शहरों में की होती तो इन्हें ( प्रवासी मजदूरों ) को दूसरे राज्यों में क्यों पलायन करना पड़ता?
1. आज पूरे देश में कोरोना लाॅकडाउन के कारण करोड़ों प्रवासी श्रमिकों की जो दुर्दशा दिख रही है उसकी असली कसूरवार कांग्रेस है क्योंकि आजादी के बाद इनके लम्बे शासनकाल के दौरान अगर रोजी-रोटी की सही व्यवस्था गाँव/शहरों में की होती तो इन्हें दूसरे राज्यों में क्यों पलायन करना पड़ता? 1/4
— Mayawati (@Mayawati) May 23, 2020
मयावती ने ट्वीट में लिखा- आज पूरे देश में कोरोना लाॅकडाउन के कारण करोड़ों प्रवासी श्रमिकों की जो दुर्दशा दिख रही है उसकी असली कसूरवार कांग्रेस है क्योंकि आजादी के बाद इनके लम्बे शासनकाल के दौरान अगर रोजी-रोटी की सही व्यवस्था गाँव/शहरों में की होती तो इन्हें दूसरे राज्यों में क्यों पलायन करना पड़ता?
एक अन्य ट्वीट में बसपा सुप्रीमों ने लिखा, वैसे ही वर्तमान में कांग्रेसी नेता द्वारा लाॅकडाउन त्रासदी के शिकार कुछ श्रमिकों के दुःख-दर्द बांटने सम्बंधी जो वीडियो दिखाया जा रहा है वह हमदर्दी वाला कम व नाटक ज्यादा लगता है। कांग्रेस अगर यह बताती कि उसने उनसे मिलते समय कितने लोगों की वास्तविक मदद की है तो यह बेहतर होता।
इसके बाद मायावती ने ट्वीट में लिखा, बीजेपी की केन्द्र व राज्य सरकारें कांग्रेस के पदचिन्हों पर ना चलकर, इन बेहाल घर वापसी कर रहे मजदूरों को उनके गांवों/शहरों में ही रोजी-रोटी की सही व्यवस्था करके उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की नीति पर यदि अमल करती हैं तो फिर आगे ऐसी दुर्दशा इन्हें शायद कभी नहीं झेलनी पड़ेगी।
मायावती ने एक और ट्वीट किया, जिसमें लिखा, बीएसपी के लोगों से भी पुनः अपील है कि जिन प्रवासी मजदूरों को उनके घर लौटने पर उन्हें गाँवों से दूर अलग-थलग रखा गया है तथा उन्हें उचित सरकारी मदद नहीं मिल रही है तो ऐसे लोगों को भी अपना मानकर उनकी भरसक मानवीय मदद करने का प्रयास करें। मजलूम ही मजलूम की सही मदद कर सकता है।