सिर्फ इस्लामिक स्टेट के लिए मरे जा जिहादी, ये नहीं देख रहे NAMO ने दवाएं कितनी सस्ती करा दी

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नई दिल्ली: एक समय था जब देश में MRP का खेल चलता था, 10 रुपये की दवाइयां 100 रुपये में मिलती थीं और 100 रुपये का इंजेक्शन 3000 से 5000 तक में मिलता था, दवाइयों के पत्ते में MRP 10 गुना अधिक लिखा जाता था, डॉक्टर कमीशन के चक्कर में अधिक MRP वाली दवाइयां लिखते थे और मरीजों को जमकर लूटा जाता था.

मोदी सरकार ने पिछले पांच वर्षों में MRP का खेल ख़त्म करवा दिया, GST कानून के बाद दवा कंपनियों ने पत्तों पर अधिक MRP लिखना बंद कर दिया क्योंकि उसी हिसाब से उन्हें टैक्स भी देना पड़ता है.

मोदी सरकार ने एक और अच्छा काम किया, देश भर में जन औषधि केंद्र खुलवा दिए जहाँ पर जेनेरिक दवाइयाँ काफी कम कीमत पर मिलती हैं. इससे बड़ी कंपनियों ने भी अपनी दवाइयाँ सस्ती कर दी हैं.

मोदी सरकार की इस योजना का लाभ सब को मिल रहा है, मोदी सरकार ने इसमें कोई धर्म नहीं देखा लेकिन देश के जिहादी अभी भी नरेंद्र मोदी से बेइंतहां नफरत करते हैं, उन्हें सस्ती दवाइयों से कुछ नहीं लेना देना, उन्हें तो भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना है इसीलिए पाकिस्तानी घुसपैठियों के समर्थन में देश में आग लगा रहे हैं और CAA कानून का विरोध कर रहे हैं.

इस वीडियो में देखिये, जम्मू कश्मीर के पुलवामा के रहने वाले गुलाम नबी किस तरह से मोदी सरकार की जन औषधि योजना से हर महीनें 9000 रुपये बचा रहे हैं. जिहादियों को भी इसका लाभ मिल रहा है लेकिन जिहादी फिर भी मोदी सरकार को पसंद नहीं करते।

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