नई दिल्ली: 15 अगस्त 1947 को हमारे देश के दो टुकड़े हुए थे – हिंदुस्तान और पाकिस्तान। कांग्रेस नेता जवाहर लाल नेहरू हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री बने जबकि मुहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान में राज-पाट सम्भाला।
कहने का मतलब ये है कि 1947 में ही हमारे देश में कांग्रेस की सत्ता शुरू हो गयी थी लेकिन 1 जनवरी 1948 को झारखण्ड के खरसांवा में बहुत बड़ा गोलीकांड हुआ जिसमें करीब 30 हजार आदिवासियों को गोलियों से भून दिया गया, उनकी गलती सिर्फ ये थी की उन्होंने खरसांवा का उड़ीसा में विलय का विरोध किया था। 1 जनवरी 1948 को जयपाल सिंह मुंडा ने प्रदर्शनकारियों की मीटिंग बुलाई लेकन वह खुद मीटिंग में नहीं पहुंचे। इसके बाद जब प्रदर्शनकारियों की भीड़ राजमहल की तरफ बढ़ रही थी तो आर्मी को गोली चलाने के आदेश दिए गए और देखते ही देखते 30 हजार आदिवासियों की लाशें बिछ गयीं।
खरसांवा हत्याकांड को आजादी के बाद का सबसे बड़ा हत्याकांड माना जा रहा है और आज ट्विटर पर इसकी बरसी मनाई जा रही है। ट्विटर पर खरसांवा हत्याकांड ट्रेंड में है और लोग मारे गए लोगों से सहानुभूति जता रहे हैं। स्थानीय लोगों ने आज नया साल मनाने से इंकार कर दिया है।