हाईकोर्ट के आदेश पर गुरुग्राम के सिविल हॉस्पिटल में हुआ बॉबी कटारिया का मेडिकल, CMO मौजूद

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गुरुग्राम: बॉबी कटारिया को 24 दिसम्बर को गुरुग्राम पुलिस ने अरेस्ट करके 6 दिन के रिमांड में लिया था. उसके साथ कथित तौर पर थर्ड डिग्री टॉर्चर किया गया था लेकिन उसका मेडिकल नहीं कराया गया और ना ही उसके घर वालों को मेडिकल रिपोर्ट सौंपी गयी. 

यह मामला अब पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पहुँच चुका है, उसके वकील राजविंदर सिंह बैंस ने बॉबी कटारिया के पत्र के आधार पर गुरुग्राम पुलिस पर टॉर्चर का आरोप लगाया और बॉबी कटारिया की सम्पूर्ण बॉडी की मेडिकल की मांग की ताकि उसके शरीर की आन्तरिक चोटों का पता लगाया जा सके और उसे टॉर्चर करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एक्शन लिया जा सके.

हाईकोर्ट के आदेशानुसाक आज गुरुग्राम के सिविल हॉस्पिटल में बॉबी कटारिया का मेडिकल परीक्षण किया गया, इस अवसर पर हाईकोर्ट के आदेशानुसार गुरुग्राम के CMO भी मौजूद थे. 

बॉबी कटारिया इस वक्त फरीदाबाद की नीमका जेल में बंद है, उसके खिलाफ फरीदाबाद में भी मामले दर्ज किये गए थे, अरावली स्कूल की प्रिंसिपल रीम रॉय ने उसके खिलाफ धमकी देने, जबरन वसूली का केस दर्ज कराया था, इसी मामले में उसे नीमका जेल में बंद किया गया है, इससे पहले गुरुग्राम पुलिस ने उसके खिलाफ मोबाइल चोरी और अन्य कई आरोप लगाकर 6 FIR दर्ज की और उसे 6 दिन की रिमांड में ले लिया.

बॉबी कटारिया ने पत्र के जरिये बताया है कि पुलिस रिमांड में उन्हें रात भर निर्वस्त्र रखकर मारा जाता था, उनकी टांगे फाड़ दी जाती थीं, उनके जाँघों पर एक एक क्विंटल का रोलर रखकर पैरों पर चलाया जाता था और उसपर एक दो पुलिस वाले बैठ जाते थे, उसके चेहरे पर पुलिस वाले थूकते थे और उसे चाटने के लिए बोलते थे, ऐसा ना करने पर पूरे परिवार को ख़त्म करने की धमकी देते थे, उसे लेडीज कपडे पहनाकर नाचने के लिए बोला जाता था, उसे दूर दूर से पुलिस वाले आकर पीटते थे और उसके शरीर पर थूक-कर चले जाते थे. उसके साथ हर तरह का टॉर्चर किया गया, जिसे उसनें सह लिया.

इतने खतरनाक टॉर्चर से बॉबी कटारिया के दिल में कई बार सुसाइड करने का विचार आया लेकिन उसके समर्थक और परिवार वाले उसकी आँखों में घूमने लगते थे इसलिए वह अपनी जान नहीं दे पाया.

अगर मेडिकल रिपोर्ट में टॉर्चर की बात साबित हो गयी तो गुरुग्राम पुलिस के कई अधकारियों पर मुसीबत आ सकती है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार पर्सनल खुन्नस निकालने के लिए किसी को टॉर्चर नहीं किया जा सकता, अगर कोई ऐसा करता है तो उसे कानूनी आतंकवाद कहा जाता है और ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जा सकता है.
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