पढ़ें, भीमा कोरेगांव युद्ध में ऐसा क्या हुआ था जिसकी वजह से आज दलित-मराठा भिड गए और बवाल हो गया

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पुणे: पुणे जिले के भीमा कोरेगांव में आज मराठा और दलितों के बीच जातिवादी हिंसा हुई जिसमें एक युवक की मौत हो गयी, कई अन्य घायल हो गए और कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया.

यह हिंसा और भी बड़ा रूप ले सकती थी अगर पुलिस मौके पर पहुंचकर हालात पर नियंत्रण ना कर पाती, एक समय दोनों समाजों के बीच युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी लेकिन पुलिस प्रशासन की चौकसी की वजह से हालात पर नियंत्रण कर लिया गया.

इस हिंसा में मारे गए युवक की जांच करने के लिए मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनावीस ने CID को आदेश दे दिया है. साथ ही पूरी घटना की न्यायिक जांच की मांग की है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने मृतक परिवार को 10 लाख रुपये की आर्थिक मदद का ऐलान किया है.

जानकारी के अनुसार यह हिंसा भीमा कोरेगांव युद्ध के 200 वर्ष पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम की वजह से हुई, दलित समाज ने इस मौके पर एक रैली का आयोजन किया था, जो मराठा समाज के लोगों को रास नहीं आया और देखने ही देखते इसनें बवाल का रूप ले लिया.

क्या है भीमा कोरेगांव युद्ध

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भीमा कोरेगांव युद्ध अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा के पेशवा के बीच हुआ था, यह युद्ध 1 जनवरी 1818 को लड़ा गया था जिसमें अंग्रेजों की विजय हुई थी, अंगेजों ने पेशवा के सामने जनरल जोसेफ के नेतृत्व में बड़ी सेना उतार दी थी जिसे देखकर मराठा लोगों ने अपने पैर पीछे हटा दिए, एक तरह से युद्ध में मराठा लोगों की हार हुई.

अंग्रेजों की सेना में भारत के ही महर दलित शामिल थे इसलिए भारत के दलित समाज के लोग इसे अपनी विजय मानते हैं, मतलब दलित लोग इसे मराठा समाज पर अपनी विजय मानते हैं, कल इस युद्ध के 200 वर्ष पूरे होने पर दलितों ने विजयोत्सव का आयोजन किया था जो मराठा लोगों को पसंद नहीं आया, ऐसा इसलिए क्योंकि वे इसे अपना अपमान समझ रहे थे, इसी बात को लेकर दोनों समुदायों में झड़प और हिंसा हुई जिसमें दलित समाज के एक युवक की मौत हो गयी.

इस घटना को लेकर दलितों ने महाराष्ट्र बंद बुलाया है, मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनावीस ने इसे सरकार के खिलाफ जातीय साजिश बताया है. कांग्रेस ने इसे बीजेपी के खिलाफ मुद्दा बना लिया है और हमेशा की तरह दलित समाज का पक्ष लिया है और आरएसएस-बीजेपी पर उन्हें दबाने का आरोप लगाया है.
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