लोग करने लगे बॉबी कटारिया को याद, अगर होता आजाद तो बजा देता लूटखोर एशियन अस्पताल का बैंड, पढ़ें

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फरीदाबाद: भगवान ना करे किसी के साथ ऐसा हो, लेकिन ज़रा सोचिये, अगर आपके परिवार का कोई व्यक्ति किसी प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती हो, अस्पताल वाले आपसे 18 लाख लूट लें और मरीज की जान भी ना बचे, तो आपकी मदद के लिए कौन आएगा. आप मदद के लिए किसकी तरफ देखेंगे. बॉबी कटारिया ऐसा युवक था जो ऐसे मामलों की खबर मिलते ही अस्पताल में पहुँच जाता था और उनके खिलाफ कार्यवाही करवाता था, दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल को उसनें इसी तरह से सीज करवाया था हालाँकि दिल्ली सरकार ने उसे फिर से चालू कर दिया.

अब ऐसा ही मामला फरीदाबाद के एशियन हॉस्पिटल में सामने आया है. फरीदाबाद स्थित एशियन हॉस्पिटल में बुखार से पीड़ित एक गर्भवती महिला की 22 दिन के इलाज के दौरान मौत हो गई. डॉक्टर इलाज के दौरान ना तो उस महिला को बचा पाए और ना ही पेट में पल रही 7 महीने की बच्ची को. मामला इतने पे नही थमा. अस्पताल वालों ने बुखार से पीड़ित महिला का 22 दिन के इलाज के दौरान 18 लाख रुपये से भी ज्यादा का बिल उसके परिजनों को थमा दिया. अब परिजन अस्पताल के खिलाफ जांच की मांग कर रहे हैं.

बॉबी कटारिया को याद करने लगे युवक

अब लोग फिर से बॉबी कटारिया को याद कर रहे हैं लेकिन बॉबी कटारिया प्रशासन और अमीर लोगों के खिलाफ जंग में हार गया और उसे जेल में बंद कर दिया गया.

एशियन की घटना के बाद लोग फिर से बॉबी कटारिया को याद कर रहे हैं, लोगों का कहना है कि अगर बॉबी कटारिया जेल के अन्दर ना होता तो वह जरूर एशियन अस्पताल में पहुँचता और उसके खिलाफ कार्यवाही करवा देता, गरीब को न्याय जरूर मिलता. कुछ लोग कह रहे हैं कि आज पूरे देश में बॉबी कटारिया जैसे समाजसेवकों की जरूरत है वरना गरीबों की मदद कौन करेगा.

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क्या है एशियन का मामला

रिपोर्ट के अनुसार नाचौली गाँव के रहने वाले सीताराम द्वारा अपनी 20 वर्षीय गर्भवती बेटी श्वेता को 13 दिसंबर को बुखार होने पर एशियन हॉस्पिटल में भर्ती कराया था. तीन चार दिन के इलाज के बाद डॉक्टरों ने बताया कि बच्चा महिला के पेट में मर गया है. ऑपरेशन करना पड़ेगा. डॉक्टरों ने शुरु में साढ़े तीन लाख रुपये जमा कराने को कहा. मृतक श्वेता के पिता सीताराम का आरोप है कि डॉक्टर ने रुपया जमा होने के बाद ही ऑपरेशन करने की बात कही और जब तक पैसे जमा नहीं कराए गए तब तक उसका ऑपरेशन नहीं किया.

इसके बाद इलाज के दौरान बिल बढ़ते बढ़ते 18 तक पहुँच गया लेकिन अस्पताल के डॉक्टर ना तो मेरी बेटी को बचा पाए और ना ही उसके पेट में पल रहे बच्चे को.

इससे पहले गुरुग्राम के फोर्टिस ने ऐसे ही एक मामले में एक बच्चे के परिवार से 15 लाख रुपये लूटे थे, इसके बाद मेदांता अस्पताल ने भी एक बच्चे के इलाज में 16 लाख लूटे थे, दोनों मामलों में बच्चे की जान नहीं बच पाई थी. अब फरीदाबाद में लूट का तीसरा मामला आया है. देखने पर ऐसा लगता है कि अस्पतालों की लूट रोकने में हरियाणा की सरकार नकारा है.
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