मोदीनगर थाना प्रभारी की शर्मनाक करतूत, अंतरराष्ट्रीय कवि अमित शर्मा के साथ थाने में की अभद्रता

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अमित शर्मा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं, देश विदेश में उन्होंने राष्ट्रवादी कविताओं के माध्यम से नाम सिर्फ अपना नाम कमाया है बल्कि देश का सर भी ऊंचा किया है, यही नहीं उनकी कविताओं ने लाखों युवाओं के दिलों में देशभक्ति और राष्ट्रवाद का जोश जगाने का काम किया है लेकिन आज उत्तर प्रदेश गाजियाबाद के मोदीनगर थाने के चौकी इंचार्ज नीरज कुमार सिंह ने बिना किसी गलती और अपराध के उनके साथ अभद्रता करके ना सिर्फ उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने की कोशिश की है बल्कि उनके स्वाभिमान पर भी हमला किया है. चौकी इंचार्ज इस इस शर्मनाक हरकत से अमित शर्मा बहुत दुखी हैं. उनकी गलती सिर्फ यही थी कि उनके भाई पर जानलेवा हमला हुआ था, अपराधी खुलेआम घूम रहे थे, पुलिस कोई कार्यवाही नहीं कर रही थी और वे थाने में पुलिस से उन्हें गिरफ्तार ना करने की वजह पूछने गए थे.

अमित शर्मा के भाई पर हुआ था जानलेवा हमला

आपको बता दें कि अमित शर्मा के छोटे भाई सुमित पण्डित पर 18/11/2017 की शाम मोदीनगर में जानलेवा हमला हुआ। वो मोदीनगर वाले मकान पर दादा जी का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने गया था, जिनका हाल ही में निधन हुआ था, संपत्ति पर क़ब्ज़ा ज़माने और  दहशत फैलाने के लिए स्थानीय गुंडों ने सुमित पण्डित पर जानलेवा हमला किया, गुंडों के साथ अमित शर्मा का एक निकट रिश्तेदार भी शामिल था। सुमित पण्डित पर हमले के बाद उनका मेडिकल कराया गया जिसके पश्चात पुलिस के संज्ञान में मामला आया और प्राथमिकी (FIR) दर्ज हो गई। 

अमित शर्मा ने बताया कि - मुझे जिस समय सूचना मिली उस समय मैं झाँसी रेलवे स्टेशन पर था। मैं तेरहवीं के समस्त संस्कार पूर्ण करने के बाद शाम की फ़्लाइट से इंदौर निकल गया था। क्योंकि मुझे मध्यप्रदेश और बुंदेलखंड की 5 दिवसीय साहित्यिक यात्रा पर रहना था। मैं अगर चाहता तो झाँसी से वापिस आ जाता। लेकिन मेरी तीन विधायकों, सुदर्शन न्यूज के प्रधान सम्पादक सुरेश चव्हाणके जी और स्वयं कोतवाल से भी बात हो गई और उन्होंने हर सम्भव कार्यवाही का आश्वासन दिया. थाना इंचार्ज ने उस समय कहा कि आप अपने कवि सम्मेलन कीजिए, यहाँ हम है सब संभाल लेंगे। 

अमित शर्मा ने बताया कि देश और धर्म हमेशा से मेरी प्राथमिकता है इसलिए मैंने कार्यक्रम करना उचित समझा। दोषियों के खिलाफ 323,504,506 धाराओं के तहत FIR हुई । जब मैं अपनी यात्रा खत्म करके घर पहुँचा तो सुमित का फोन आया कि भाई यहाँ आ जाओ। मुख्य आरोपी खुले घूम रहे है और पुलिस कोई कार्यवाही नही कर रही। ये मेरे भाई का मामला था मैं इसे ज़्यादा नही बढ़ाना चाहता था, इसलिए बिना एसपी या एसएसपी से मिले अपने साथ 7-8 सामाजिक और प्रतिष्ठित व्यक्ति लेकर मैं सीधा मोदीनगर थाने में पहुँच गया। वहाँ कोतवाल साहब उपस्थित नही थे, मैंने उन्हें फोन किया तो 15 मिनट में थाने में पहुँचने की बात कही। 15 मिनट बाद जब महोदय आए और मैंने FIR का संज्ञान लिया तो सीधे बोले की पुलिस उनके घर गई थी, लेकिन वो मिले ही नही। 

थाना प्रभारी ने किया अमित शर्मा का अपमान

इसके बाद अमित शर्मा ने कोतवाल से पूछा कि क्या मैं अपने मकान पर जा सकता हूँ जिसके सारे काग़ज मेरे पास है। तो उन्होंने 28 तारीख़ तक कुछ भी ना करने की धमकी दी और मुझसे ऐसे बात की जैसे मैं कोई ख़ूँख़ार अपराधी हूँ और मैंने अभी थाने में आत्मसमर्पण किया है । जीवन में पहली बार किसी ने मेरा इतना अपमान किया। मुझे इसका ज़रा भी बुरा नही लगा क्योंकि जिसकी जैसी सोच और संस्कार है उसका आचरण भी वैसा ही होता है। लेकिन एक गम्भीर बात मुझे अंदर तक कचोट रही है। जब तीन-तीन विधायकों की बात एक कोतवाल नही मान रहा, जिस चैनल में मैं एक बड़े कार्यक्रम को संचालित करता हूँ उसकी बात एक कोतवाल नही नाम रहा। तो फिर मैं ये पूछना चाहता हूँ कि अपराधियों के हौसले मज़बूत कैसे नही होंगे? 

अमित शर्मा को बर्दास्त नहीं हो रहा अपमान

अमित शर्मा आने बताया कि - मेरे साथ दुर्व्यवहार हुआ, जबकि मैं एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल पर बड़ा कार्यक्रम संचालित करता हूँ. मेरे साथ दुर्व्यवहार हुआ,  जब मैं देश के एक प्रतिष्ठित मानव अधिकार संगठन (मानव अधिकार युवा संगठन) का राष्ट्रीय प्रवक्ता हूँ। मेरे साथ दुर्व्यवहार हुआ, जब मैंने कानून की पढ़ाई की है और देश का पूरा कानून और संविधान जानता हूँ. मेरे साथ दुर्व्यवहार हुआ, जब मैं एक प्रखर राष्ट्रवादी कवि हूँ जिसे करोड़ों लोग सुनते है। मेरे साथ जब दुर्व्यवहार हुआ, जबकि मेरे खिलाफ आजतक भी कोई छोटे से छोटा मुक़दमा दर्ज नही है. मेरे साथ जब दुर्व्यवहार हुआ, जबकि आजतक मैंने शराब, सिगरेट या अन्य प्रकार के किसी व्यसन को छुआ तक नही।

मेरे साथ जब दुर्व्यवहार हुआ, जब मुझे इस राज्य के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, केंद्र और राज्य के ज़्यादातर मंत्री व्यक्तिगत रूप से जानते है और कवि सम्मेलनों के मंच पर मुझे सम्मानित भी कर चुके हैं। 

प्रतिष्ठित रचनाकार का हो रहा अपमान तो आम लोगों के साथ क्या होता होगा

अमित शर्मा ने बताया कि - इस देश में जब एक प्रतिष्ठित रचनाकार ही सुरक्षित नही है, तो मैं ये सोच रहा हूँ कि जो गरीब, किसान और मज़दूर गाँव में रहता है। जिसे रोज खाना है रोज़ कमाना है वो इस पुलिस प्रशासन से कितनी पीड़ा और कितना दंश सहता होगा? मेरे पास सारे साक्ष्य है, कि मैंने राज्य में भगवा लहराने के लिए कितने लोगों की बुराई ली। मुझे इसका जरा भी अफ़सोस नही है। लेकिन दुःख इस बात का है कि जिन लोगों ने ग़रीबों के मकानो पर क़ब्ज़ा किया हुआ है, तालाब की ज़मीन घेरी हुई है, जिस लोगों के नाम थाने की हिस्ट्रीशिटर लिस्ट में है वो आज पुलिस की आँखो के तारे है। जब पुलिस अचार संहिता में चार सड़क छाप बदमाशो को नही पकड़ पायी तो आम दिनो में कानून व्यवस्था की बात करना बेमानी है। 
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