पढ़ें, मोदी के जेम्स बांड अजित डोभाल की 'जासूसी की कहानी' जिसकी वजह से थर्राता है पाकिस्तान

Who is Ajit Doval, Why he called Modi James Bond, This article give complete information about NSA Ajit Doval
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New Delhi, 6 October: यह अजीत डोभाल की ही रणनीति है कि पाकिस्तान के आतंकवादियों को पहले भारतीय सीमा में प्रवेश करने के बाद ठोंक दिया जाता था लेकिन अब सीमा में घुसने से पहले ही वहां पर सर्जिकल स्ट्राइक करके उन्हें ठोंक दिया जा रहा है। मोदी सरकार ने आतंकवाद पर नो टॉलरेंस नीति अपनाई हुई है। भारत के सैनिकों को आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाही करने की खुली छूट दे दी गयी है। यह सब हो रहा है राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की रणनीति के कारण। इन्ही सब रणनीतियों के कारण अजीत डोभाल को मोदी का जेम्स बांड का जा रहा है। अजीत डोभाल की रणनीति की वजह से ही मणिपुर में सेना पर हमला करने वाले आतंकवादियों को म्यांमार में घुसकर मारा गया। डोभाल भारत के पांचवे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हैं। इससे पहले शिवशंकर मेनन भारत के NSA थे।
“अजीत डोभाल ने पाकिस्तान को खुल्ला चैलेंज देते हुए एक सेमिनार में कहा था ‘अगर तुम एक और मुंबई काण्ड दोहरओंगे, हम तुम्हारे मुह से बलूचिस्तान छीन लेंगे”
आइये जानते हैं अजीत डोभाल के बारे में:
पाकिस्तान में मुस्लिम बनकर रहे 7 साल
अजीत डोभाल की सबसे बड़ी कामयाबी ये हैं कि उन्होंने पाकिस्तान में मुस्लिम का भेष बनाकर 7 साल तक भारत के लिए जासूसी करते रहे। आज वे पाकिस्तान के चप्पे चप्पे से तो वाकिफ हैं ही, पाकिस्तानी आतंकी ठिकानो के बारे में भी उन्हें पूरी जानकारी है। इसी वजह से पाकिस्तान उनका सामना करने से डरता है।
आईपीएस अधिकारी रहे हैं डोभाल
अजीत डोभाल 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे हैं। वे उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में एक गढ़वाली परिवार के यहाँ 1945 में पैदा हुए थे और उन्होंने अजमेर के मिलिट्री स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। उन्होंने आगरा विश्व विद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया और पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस की तयारी में लग गए। उनकी मेहनत रंग लाइ और वे केरल कैडर से 1968 में आईपीएस के लिए चुन लिए गए। कुछ साल वर्दी में बिताने के बाद वे खुफिया विभाग में काम करने लगे और करीब 33 साल तक भारत के लिए जासूसी करते हुए बिता दिए। इस दौरान वे पाकिस्तान, जम्मू कश्मीर, पंजाब और पूर्वोत्तर राज्यों में तैनात होकर देश की रक्षा करते रहे।
मोदी ने दी है देश की रक्षा की सबसे बड़ी जिम्मेदारी
प्रधानमंत्री मोदी ने अजीत डोभाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाकर इनके सर पर देश की रक्षा की जिम्मेदारी डाल रखी है। चाहे पाकिस्तान को उसी की भाषा में जबाब देना हो, चाहे आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाही करना हो, चाहे चीन की रणनीति को फेल करना हो और चाहे पडोसी देशों से सम्बन्ध रखने हों, सभी चीजों के लिए रणनीति अजीत डोभाल ही तैयार करते हैं जिसपर प्रधानमंत्री मोदी मुहर लगाते हैं। आतंकवादी और देशद्रोही अजीत डोभाल के नाम से थर थर कांपते हैं। इनके दिल में आतंकवादियों के लिए कोई रहम नहीं है।
इंदिरा गाँधी ने भी इनकी प्रतिभा को पहचाना
ऐसा नहीं है कि अजीत डोभाल की प्रतिभा को प्रधानमंत्री मोदी ने ही पहचाना हो, इसके पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने भी इनकी प्रतिभा को पहचान कर इन्हें मान सम्मान दिया था।प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इन्हें महज 6 साल के कैरियर के बाद ही इंडियन पुलिस मेडल से सम्मानित किया था जबकि परंपरा के मुताबिक वह पुरस्कार कम से कम 17 साल की नौकरी के बाद ही मिलता था। इसके अलावा राष्ट्रपति वेंकटरमन ने भी अजीत डोभाल को 1988 में कीर्तिचक्र से सम्मानित किया। यह पुरस्कार भी देश के लिए एक मिशाल बन गया।
अजीत डोभाल में क्या है खास
अजीत डोभाल पहले ऐसे शख्स थे जिन्हें सेना में दिए जाने वाले कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था। अजीत डोभाल की कामयाबियों की लिस्ट में आतंक से जूझ रहे पंजाब और कश्मीर में कामयाब चुनाव कराना भी शामिल है। इनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन्होने 7 साल पाकिस्तान में एक मुश्लिम में भेष में गुजारे दिए। इन्होने हमेशा चीन, बांग्लादेश और पाकिस्तान की सीमा के उस पार मौजूद आतंकी संगठनों और घुसपैठियों की नाक में नकेल डाली है। अजीत डोभाल की पहचान सुरक्षा एजेंसियों के कामकाज पर उनकी पैनी नजर की वजह से बनी है।
अटल बिहारी सरकार को संकट से निकाल
अपनी सूझ बूझ की बदौलत अजीत डोभाल ने अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को संकट से निकाला था। 24 दिसंबर 1999 को एयर इंडिया की फ्लाइट आईसी 814 को आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया और उसे कांधार ले जाया गया। भारत सरकार एक बड़े संकट में फंस गई थी। ऐसे में संकटमोचक बनकर उभरे थे अजीत डोभाल। अजीत उस वक्त वाजपेयी सरकार में एमएसी के मुखिया थे। आतंकवादियों और सरकार के बीच बातचीत में उन्होंने अहम भूमिका निभाई और 176 यात्रियों की सकुशल वापसी का सेहरा डोभाल के सिर बंध गया था। अजीत डोभाल ने 1971-1999 के बीच करीब 15 हवाई जहाजों को हाईजैक होने से बचाया है। अजीत डोभाल ने सीमा के उस पार पनपने वाले आतंकवाद को काफी करीब से देखा है इसीलिए आज भी आतंकवाद के खिलाफ उनका रुख बेहद सख्त देखा जाता है।
कर चुके हैं जेम्स बांड को फेल करने वाले कारनामे
जेम्स बांड की तरह ही अजीत डोभाल पाकिस्तान में 7 साल तक मुस्लिम के भेष में जासूसी करते रहे। पाकिस्तान के खतरे से भारत को बचाते रहे। आतंकवादियों के मंसूबों को समझते रहे। जेम्स बांड तो फिल्मो में यह सब करते हैं लेकिन अजीत डोभाल ने सचमुछ में यह सब किया है। अजीत डोभाल ने ऐसे कई कारनामों को अंजाम दिया है जिसे जेम्स बांड सिर्फ फिल्मो में करते हैं।
भारतीय सेना के एक महत्वपूर्ण ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार के दौरान उन्होंने एक गुप्तचर की भूमिका निभाई और भारतीय सुरक्षा बलों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी उपलब्ध कराई, जिसकी मदद से सैन्य ऑपरेशन सफल हो सके, इस दौरान उनकी भूमिका एक ऐसे पाकिस्तानी जासूस की थी, जिसने खालिस्तानियों का विश्वास जीत लिया था और उनकी तैयारियों की जानकारी मुहैया करवाई थी।
जब 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान IC-814 को काठमांडू से हाईजैक कर लिया गया था। तब उन्हें भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार बनाया गया था। बाद में इस फ्लाइट को कंधार ले जाया गया था और यात्रियों को बंधक बना लिया गया था। लगातार 110 घंटे आतंकवादियों से नेगोसियेट करने के बाद इन्होने सिर्फ 3 आतंकवादियों को छोड़ा जबकि उन्होंने 40 आतंकवादियों को छोड़ने की मांग की थी।
कश्मीर में भी इन्होने उल्लेखनीय काम किया था और उग्रवादी संगठनों में घुसपैठ कर ली थी।उन्होंने उग्रवादियों को ही शांति रक्षक बनाकर उग्रवाद की धारा को मोड़ दिया था। इन्होने एक प्रमुख भारत विरोधी उग्रवादी ‘कूका पारे’ को अपना सबसे बड़ा भेदिया बना लिया था।
इसी तरह से अजीत डोभाल ने हजारो कार्यवाहियों को अंजाम दिया है और हमेशा देश को मुश्किलों से बचाते रहे हैं। इनका स्टाइल ही इन्हें जेम्स बांड से ऊपर रखता है। फर्क सिर्फ इतना है कि ‘जेम्स बांड सिर्फ फिल्मों में कारनामे करता है लेकिन अजीत डोभाल सच में सभी कारनामे करते हैं। भारत को इसीलिए गर्व है अजीत डोभाल पर।
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