भारत के ‘हाइड्रोजन बम परीक्षण’ के बाद भी ऐसे ही हायतौबा मची थी

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New Delhi: उत्तर कोरिया द्वारा हाइड्रोजन बम के परीक्षण के बाद पूरी दुनिया में तहलका मच गया है। आज यूनाइटेड नेशन ने आपातकालीन मीटिंग बुलाकर उत्तर कोरिया पर सभी तरह के आर्थिक प्रतिबन्ध लगाने का ऐलान किया है। कल सुबह 10 बजे हाइड्रोजन बम के परीक्षण के बाद आसपास के क्षेत्रों में भूकंप के झटके महसूस किये गए थे इसके तुरंत बाद उत्तर कोरिया के स्टेट टीवी चैनल ने हाइड्रोजन बम के परीक्षण की पुष्टि करते हुए बयान जारी किया। इस परीक्षण के बाद जहाँ उत्तर कोरिया में ख़ुशी की लहर दौड़ पड़ी वहीँ पर यूनाइटेड नेशन देशों में कोहराम मच गया। इसके बाद जापान और यूनाइटेड स्टेट ने यूनाइटेड नेशन देशों की मीटिंग बुलाने की अपील की।
यूनाइटेड नेशन महासचिव बान की मून ने परीक्षण की निंदा करते हुए कहा है कि उत्तर कोरिया द्वारा हाइड्रोजन बम का परीक्षण काफी परेशान करने वाला है। यह परीक्षण यूनाइटेड नेशन सिक्यूरिटी काउंसिल (UNSC) के शांति प्रयासों का उल्लंखन है। इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए पहले ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने अपील की है। उत्तर कोरिया ने परमाणु परीक्षण के लिए स्थापित किये गए अंतरराष्ट्रीय आदर्शों का गंभीर उल्लंघन किया है।
बता दें कि यूनाइटेड नेशन देशों – US, UK, फ़्रांस, चाइना और रूस ने भी हाइड्रोजन बम बना रखे हैं और इसी के दम पर वे दुनिया पर दादागिरी दिखाते हैं। सबसे पहले हाइड्रोजन बम का परीक्षण अमेरिका ने 1952 में किया। इस परीक्षण के बाद अमेरिका दुनिया में सबसे ताकतवर देश बन गया। अमेरिका की देखा देखी रूस ने भी 1953 में उससे भी ताकतवर हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया और रूस को अमेरिका से भी ताकतवर देश कहा जाने लगा। रूस के बाद उसी तकनीक से यूनाइटेड किंगडम, चीन और फ़्रांस ने भी हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया।
जब इन देशों के पास हाइड्रोजन बम हो गए तो इन्होने एक संगठन बनाकर दुनिया पर दादागिरी दिखानी शुरू कर दी और दूसरे देशों द्वारा शुरू किये गए परमाणु कार्यक्रमों का विरोध शुरू कर दिया। चीन ने भारत पर दादागिरी दिखानी शुरू कर दी जिससे भारत को भी हाइड्रोजन बम बनाने का दबाव पड़ा। इसके बाद भारत ने सीक्रेट मिशन के तहत परमाणु बम बनाना शुरू किया और 11 मई 1998 में अटल विहारी वाजपयी की सरकार में हाइड्रोजन बम का सफल परीक्षण किया। भारत सरकार ने किसी भी देश को इस परीक्षण की खबर तक नहीं लगने दी और जैसे ही परीक्षण किया गया, पूरी दुनिया में कोहराम मच गया।
उस समय भारत की भी इसी तरह से आलोचना हो रही थी जिस तरह से आज उत्तर कोरिया की हो रही है। यूनाइटेड नेशन ने भारत पर सभी तरह के आर्थिक प्रतिबन्ध लगा दिए जिसका खामियाजा अटल बिहारी वाजपेयी को भुगतना पड़ा और भारत के आर्थिक विकास को काफी नुकसान हुआ लेकिन उसका फायदा यह हुआ कि चीन ने हम पर दादागिरी दिखानी बंद कर दी। आज भारत चीन से भी तेज गति से विकास कर रहा है।
हाइड्रोजन बम के परीक्षण के बाद उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग ली को सनकी और क्रूर तानाशाह कहा जा रहा है लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा कि जब उत्तर कोरिया के पडोसी देश चीन और रूस हाइड्रोजन बम का डर दिखाकर उसपर दादागिरी दिखाएंगे तो उत्तर कोरिया भी हाइड्रोजन बम बनाकर अपनी रक्षा करेगा।
भारत के अलावा पाकिस्तान और इजराइल भी हाइड्रोजन बम रखने का दावा करते हैं लेकिन इजराइल ने आज तक किसी भी परमाणु बम का परीक्षण नहीं किया है और पाकिस्तान के परीक्षण में वो धार नहीं थी जो एक हाइड्रोजन बम में होनी चाहिए।
क्या होता है हाइड्रोजन बम
हाइड्रोजन बम परमाणु बम की तरह का ही एक परमाणु हथियार है लेकिन थर्मोन्युक्लियर प्रक्रिया के कारण इसकी स्पीड और मारक क्षमता परमाणु बम से दोगुनी हो जाती है। थर्मोन्युक्लियर प्रक्रिया में प्राइमरी नाभिकीय विखंडन से उत्पन्न हुई उर्जा को कंप्रेस और प्रज्वलित करके द्वितीय नाभिकीय विखंडन में बदल दिया जाता है। इसी वजह से परमाणु बम की अपेक्षा हाइड्रोजन बम की विस्फोटक क्षमता काफी बढ़ जाती है। परमाणु बम केमें केवल प्राइमरी नाभिकीय विखंडन से विस्फोट किया जाता है।
अगर सरल भाषा में कहें तो परमाणु बम वन स्टेज प्रक्रिया है तो हाइड्रोजन बम टू स्टेज प्रक्रिया है।
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