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होने लगी कार्यवाही, होने लगे खुलासे तो चुप बैठ गए अखिलेश यादव, अब कहीं खुद ना फंस जाएं: पढ़ें

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गोरखपुर कांड को यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जमकर भुनाने की कोशिश की, उन्होंने दूसरे ही दिन प्रेस कांफ्रेंस कर डाली और योगी सरकार का इस्तीफ़ा माँगना शुरू कर दिया. उन्होने घटना में दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग भी कर डाली. घटना के दो दिन तक अखिलेश सरकार लगातार इस मुद्दे पर बोलते रहे और सरकार को घेरते रहे लेकिन अब इस कांड पर कार्यवाही हो रही है और कई खुलासे हो रहे हैं तो अखिलेश यादव चुप बैठ गए हैं क्योंकि अब उन्हें डर है कि कहीं वे खुद इस कांड में ना फंस जाएं.

अब खबर आ रही है कि घटना के मुख्य अभियुक्त मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा उनके ख़ास आदमी हैं, यही नहीं Encephalitis विभाग के इंचार्ज और नोडल ऑफिसर डॉ कफील खान भी उनके और आजम खान एक ख़ास आदमी हैं और वे हमेशा योगी के खिलाफ बोलते रहे हैं. उनके कई ट्वीट भी आ चुके हैं जिसमें वे योगी और बीजेपी नेताओं के खिलाफ विवादास्पद टिप्पड़ी कर चुके हैं.

यह भी खबर आ रही है कि पूर्व अखिलेश सरकार में ही ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी के साथ 8 वर्षों का कॉन्ट्रैक्ट हुआ था और हॉस्पिटल के प्रिंसिपल खरीद कमेटी के अध्यक्ष हैं और विभाग के इंचार्ज कफील खान भी कमेटी के मेम्बर हैं. मतलब ये सारा खेल इन लोगों का किया हुआ है.

इससे भी चौंकाने वाली बात यह सामने आ रही है कि डॉ कफील खान का खुद का हॉस्पिटल है और वे सरकारी हॉस्पिटल से सिलेंडर चुराकर अपने अस्पताल में ले जाते हैं, इस मामले में प्रिंसिपल राजीव मिश्रा भी उनके साथ हैं. घटना के दिन भी वे अस्पताल के बच्चों को राम भरोसे छोड़कर अपने प्राइवेट क्लिनिक पर बैठे थे.

अब अखिलेश यादव देख रहे हैं कि उनके ही दोनों आदमी इस मामले में फंस गए हैं इसलिए वे चुप बैठ गए हैं. अब उन्हें ये डर सता रहा है कि कहीं ये लोग सिलेंडर घोटाले में मेरा नाम ना ले लें क्योंकि 8 साल का कॉन्ट्रैक्ट उन्होने दिया था. ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी से भी उनके रिश्ते निकल रहे हैं. कुल मिलकर अखिलेश यादव भी इस मामले में फंस सकते हैं.

खुलासा, 10 अगस्त को जब 23 बच्चे तड़पकर मर रहे थे तो अपने प्राइवेट अस्पताल में बैठे थे कफील खान

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गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त को सबसे अधिक 23 बच्चों की मौत हुई थी और उसी दिन ऑक्सीजन की सप्लाई रुकी थी, एक ऐसा खुलासा हुआ है जिसकी वजह से सब कुछ साफ़ हो गया है. डॉ कफील खान जो Encephalitis विभाग के इंचार्ज थे और हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट भी वही थे, मतलब पूरा पूरे हॉस्पिटल की जिम्मेदारी उस वक्त उन्हीं के कंधे पर थी क्योंकि प्रिंसिपल राजीव मिश्रा छुट्टी पर थे.

अब खुलासा यह हुआ है कि जब 10 अगस्त को ऑक्सीजन की सप्लाई रुक गयी और बच्चे तड़प तड़प कर मरने लगे तो उस वक्त डॉ कफील खान अपने क्लिनिक में बैठकर मरीजों को देखकर रहे थे और ऊपरी कमाई कर रहे थे. डॉ कफील की गैर-मौजूदगी में ऑक्सीजन सप्लाई रुक गयी, एडवांस में ऑक्सीजन सिलेंडर मौजूद थे लेकिन उन्हें लगाने में दो घंटे का समय लग गया और इस वक्त डॉ कफील खान मौजूद नहीं थे, अगर वे पहले से ही सिलेंडरों को फिट करके रखते तो लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होते ही सिलेंडर से ऑक्सीजन देने का काम शरू हो जाता और 23 बच्चों की जान बच जाती लेकिन डॉ साहब तो अपने क्लिनिक में पैसे कमाने में मस्त थे.

जब डॉ कफील को हादसे की जानकारी मिली तो वे भागे भागे मेडिकल कॉलेज आये लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, 23 बच्चे तड़प तड़प कर मर चुके थे. अगर डॉ कफील उस वक्त हॉस्पिटल में मौजूद होते और समय पर ऑक्सीजन सिलेंडर लगवा देते तो सभी बच्चे आज जीवित होते. 

अस्पताल में कम प्राइवेट क्लिनिक पर अधिक बैठते थे डॉ काफ़िल

डॉ कफील के बारे में खबर आ रही है कि ये सरकारी अस्पताल में कम लेकिन अपने प्राइवेट क्लिनिक पर अधिक बैठते थे. हादसे के दिन भी वे बच्चों को भगवान भरोसे छोड़कर अपने क्लिनिक पर बैठे थे. वे Encephalitis विभाग के नोडल ऑफिसर होने के बाद भी ऐसा गैर-कानूनी काम करते थे.

ऑक्सीजन सिलेंडर चुराने का भी आरोप 

डॉ कफील पर यह भी आरोप लग रहे हैं कि वे सरकारी अस्पताल से ऑक्सीजन के सिलेंडर चुराकर अपने निजी अस्पताल में ले जाते थे और सरकार से चोरी करते थे. उनकी प्रिंसिपल राजीव मिश्रा के साथ भी साठ-गाँठ थी, दोनों लोगों को ही इस हादसे के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है और दोनों लोगों को सस्पेंड कर दिया गया है. यही नहीं डॉ कफील मेडिकल कॉलेज की खरीद कमेटी के मेम्बर भी हैं इसलिए उन्हें ऑक्सीजन सप्लाई की स्थति के बारे में पूरी जानकारी थी लेकिन उन्होंने पूछने के बाद भी योगी को इस मामले में कोई जानकारी नहीं दी. योगी ने दो दिन पहले ही BRD मेडिकल कॉलेज का दौरा किया था और समस्याओं के बारे में जानकारी माँगी थी लेकिन डॉ कफील खान ने उन्हें कोई जानकारी नहीं दी.

इस डॉक्टर की पैसे कमाने की हवस ने ली 60 बच्चों की जान, हो गया गोरखपुर कांड का पर्दाफाश: पढ़ें

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पैसे कमाने की हवस बहुत बुरी होती है. जिस सरकारी अस्पताल के डॉक्टर की प्राइवेट क्लिनिक या नर्सिंग होम होता है उसके अन्दर पैसे कमाने की हवस इतनी बढ़ जाती है कि वो पहले मरीजों को इतना परेशान कर देते हैं कि मरीज उनसे पूछते हैं - डॉक्टर साहब अब क्या करें. इसके बाद डॉक्टर कहते हैं कि मरीज को मेरे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करा दो तब देखते हैं. इसके बाद मरीजों को मजबूर होकर डॉक्टर के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है और डॉक्टर उनसे मुंहमांगा पैसा लूटते हैं.

गोरखपुर कांड में भी यही मामला सामने आ रहा है. आप खुद समझ सकते हैं कि एक मेडिकल कॉलेज का इंचार्ज और सुपरिनटेंडेंट होने के बावजूद भी अगर डॉ कफील खान अपना नर्सिंग होम खोल रखे थे तो वे सरकारी अस्पताल में भर्ती बच्चों का किस कदर से ख्याल रखते होंगे. हमने खुद अनुभव किया है कि ऐसे डॉक्टरों का हमेशा ध्यान अपने नर्सिंग होम के मरीजों पर होता है क्योंकि वहां पर मरीजों के प्रति उनकी जिम्मेदारी अधिक होती है, अगर एक मरीज भी मर जाए तो लोग डॉक्टरों को मारने पीटने पर उतारू हो जाते हैं लेकिन सरकारी अस्पतालों में कोई मर जाए तो इतना डर नहीं होता.

कहने का मतलब ये है कि सरकारी अस्पताल में होने के बाद भी कफील खान का अपना नरसिंह होम था जिसका नाम था Medspring. इस नर्सिंग होम में बच्चों के भर्ती करने की सुविधा थी, यह अस्पताल 24 घंटे खुला रहता था और डॉ कफील खान ही मरीजों को देखते थे. मतलब जैसे ही उनके नर्सिंग होम में कोई मरीज आता था तो वे सरकारी अस्पताल की ड्यूटी छोड़कर अपने नर्सिंग होम में चले आते थे और सरकार अस्पताल के मरीजों को उनके हाल पर छोड़ देते थे.

एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि यह अस्पताल उनकी पत्नी के नाम पर था जो सिर्फ एक डेंटिस्ट हैं लेकिन यहाँ पर भी बच्चों में Encephalitis का भी इलाज किया जाता था, अस्पताल में ICU था और लगभग वही सुविधा दी जाती थी जो BRD मेडिकल के बच्चों के इलाज में दी जाती है. मतलब डॉ कफील खान सरकारी अस्पताल की सभी सुविधाएं अपने प्राइवेट अस्पताल में प्रदान कर रहे थे, यह भी हो सकता है कि सरकारी अस्पताल के मरीजों को जान बूझकर परेशान किया गया हो ताकि वे उनके नर्सिंग होम में भर्ती हो सकें. हो सकता है कि डॉ कफील खान ने जान बूझकर ऑक्सीजन की सप्लाई रुकवाई हो ताकि बच्चे मरने लगें और वे उन्हें अपने प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराकर खूब पैसा कमाना चाहते हों क्योंकि सरकारी अस्पताल में सिलेंडर गायब थे लेकिन उनके प्राइवेट अस्पताल में सिलेंडर मौजूद थे. कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि वे सरकारी अस्पताल के सिलेंडर चुराकर अपने अस्पताल में पहुंचा देते थे. घटना के दिन भी उन्होंने शायद सिलेंडर चुरा लिए हों क्योंकि वे खुद तीन सिलेंडर अपने प्राइवेट अस्पताल से लाए थे.

कुल मिलकर कहने का मतलब ये है कि 60 बच्चों की ये मौतें भ्रष्टाचार, पैसे कमानें की हवस और लालच का नतीजा लग रहा है और इस मामले की CBI जांच होनी चाहिए, हो सकता है कि पिछले साल अगस्त महीनें में 600 मौतें का भी खुलासा हो जाए, हो सकता है कि हर साल अगस्त महीनें में जो 600-700 मौतें होती हैं उसका भी खुलासा हो जाए.

गोरखपुर में जनसंहार बताने वाले पत्रकारों को योगी ने बताया फर्जी, लगाई जमकर फटकार, पढ़ें क्या कहा

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पिछले साल इसी महीनें में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में 600 से अधिक बच्चों की मौत हुई थी, उस समय यूपी में अखिलेश यादव की सरकार थी इसलिए किसी भी मीडिया चैनल ने इसे बड़ी खबर नहीं बनाया लेकिन इस साल योगी की सरकार है इसलिए 30 बच्चों की मौत के बाद ही मीडिया ने हाहाकार मचा दिया और उल्टी सीधी ख़बरें चलाकर देश को गुमराह करना शुरू कर दिया जबकि इस अस्पताल में रोजाना 18-20 बच्चों की मौत बीमारी की वजह से ही होती है.

जी न्यूज़ की पत्रकार रुबिका लियाकत ने तो अपन स्टूडियो में बैठकर इसे जनसंहार का नाम दे दिया. उन्होने योगी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि योगी सरकार ने बच्चों का नरसंहार कर दिया है. कई और न्यूज़ चैनलों ने भी भड़काऊ ख़बरें दिखाईं.

आज ऐसे पत्रकारों को योगी आदित्यनाथ ने फर्जी बता दिया. उन्होने इन पत्रकारों को फटकार लगाते हुए कहा कि तुम लोगों में थोड़ी सी भी शर्म है तो झूठी ख़बरें मत दिखाओ, देश को गुमराह मत करो, असली पत्रकार हो तो हॉस्पिटल में जाओ, वार्डों में जाओ और उसके बाद देखो कि वहां पर नरसंहार हुआ है या किसी की गलती से बच्चों की मौत हुई है. उन्होंने कहा कि इस तरह से झूठी ख़बरें दिखाकर आप लोग पत्रकारिता को बदनाम कर रहे हैं.

गोरखपुर में बच्चों की मौत के विलेन डॉ काफ़िल खान के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे: पढ़ें

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गोरखपुर में दर्जनों मासूम बच्चों की असमय मौत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक्शन शुरू हो गया है. आज उन्होंने गोरखपुर BRD मेडिकल कॉलेज का दौरा करके हॉस्पिटल के इंचार्ज काफ़िल खान को सस्पेंड कर दिया क्योंकि काफ़िल खान ही Encephalitis वार्ड के इंचार्ज थे और उन्हीं की देख रेख में बच्चों का इलाज चल रहा था, उन्हें सही समय पर ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने की रिपोर्ट देनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया और मासूम बच्चों को मरता हुआ देखते रहे.

अब तक इस बीमारी में पांच दिनों में 68 लोगों की मौत हुई है जिसमें से कम से कम 10-12 बच्चे ऑक्सीजन की कमीं से ख़त्म हुए है. अगर हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित ना हुई होती तो कम से कम 10-12 बच्चे आज भी जीवित होते और विभाग का इंचार्ज होने के नाते काफ़िल खान की ड्यूटी बनती थी कि वह सही समय पर ऑक्सीजन की कमीं की रिपोर्ट जारी करते लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया.

यह भी खबर आ रही है कि डॉ काफ़िल खान हॉस्पिटल के अलावा अपना क्लिनिक चलाते हैं और वहां भी काफी समय देते हैं. उन्होंने बहुत ही चालाकी से यह क्लिनिक अपनी पत्नी के नाम पर खुलवा रखा हिया लेकिन बैठते खुद हैं. यह भी हो सकता है घटना के दिन हॉस्पिटल में मौजूद ही ना रहे हों. वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकारी अस्पताल में काम करने के बाद प्राइवेट क्लिनिक चलाने पर पाबंदी है लेकिन काफ़िल खान सरकारी अस्पताल से अधिक समय अपने क्लिनिक पर देते हैं.

4 अगस्त को चिट्ठी मिली, 5 अगस्त को योगी सरकार ने दे दिए पैसे, किसने की गद्दारी: पढ़ें

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गोरखपुर BRD मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत की सच्चाई अब साफ़ होती जा रही है. कल तक मीडिया चैनल इसमें योगी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे थे लेकिन मामले की तह पर जाने पर ऐसा लगता है कि यह मामला पूर्व सरकारों के भ्रष्टाचार का नतीजा है और अभी यूपी से भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी ख़त्म नहीं हुए हैं. योगी कितना भी सुशासन का दावा करनें लेकिन ये भ्रष्टाचारी उन्हें एक दिन भी कुर्सी पर नहीं देखना चाहते इसलिए इतनी बड़ी साजिश को अंजाम दिया गया है.

कल तक मीडिया चैनल और विपक्ष कह रहे थे कि योगी सरकार ने ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी को पैसे नहीं दिए इसलिए उसनें सप्लाई बंद कर दी और बच्चों की ऑक्सीजन की कमीं से मौत हो गयी, इस सम्बन्ध में अस्पताल द्वारा जारी की गयी चिट्ठी भी दिखा दी गयी लेकिन अब उस चिट्ठी की भी सच्चाई सामने आ गयी है.

जहाँ तक पैसे जारी करने की बात है तो योगी सरकार ने इसमें कोई लापरवाही नहीं दिखाई, ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी ने 1 अगस्त को अस्पताल को पैसे जारी करने के लिए चिट्ठी लिखी थी, अस्पताल ने 4 तारीख को वह चिट्ठी योगी सरकार को भेजी और योगी सरकार ने दूसरे ही दिन यानी 5 अगस्त को अस्पताल के बैंक अकाउंट में पैसे भेज दिए. अगर वो पैसे कंपनी को तुरंत ही मिल जाते तो ऑक्सीजन सप्लाई नहीं रुकती लेकिन अब पता चल रहा है कि मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल पैसे मिलते ही गायब हो गया और समय से कंपनी को पैसे नहीं दिए. पैसे ना मिलने की वजह से कंपनी ने 10 अगस्त को लिक्विड ऑक्सीजन बंद कर दी और बच्चे तड़पने लगे. इसके बाद अस्पताल ने ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम किया लेकिन दो घंटे की चूक में शायद 8-10 बच्चे ऑक्सीजन की कमीं से ख़त्म हो गए. वैसे उस अस्पताल में 18-20 बच्चे बीमारी से ही मरते हैं लेकिन मीडिया ने इस मामले को बिना समझे 60 बच्चों की ऑक्सीजन की कमीं से मौत की खबर दिखाकर बवाल बचा दिया.

इसमें साजिश यह है कि अस्पताल के प्रिंसिपल को कंपनी को तुरंत पैसे दे देना चाहिए था, अगर तुरंत देने में असमर्थ थे तो कम से कम इतना बता देते कि पैसे आ गए हैं हम आपको एक-दो दिन में दे देंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. यह भी खबर आ रही है कि पूर्व अखिलेश सरकार ने ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी को 8 साल का ठेका दिया था. अब यह भी जांच का विषय है कि अखिलेश सरकार ने इतने लम्बे समय तक ठेका क्यों दिया था, कहीं अखिलेश और ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी में कोई साठ-गाँठ तो नहीं है. कहीं इस मामले में कोई बड़ी साजिश तो नहीं है. इसकी CBI हो जाए तो शायद बड़े बड़े लोग फंस जाएंगे.

योगी के खिलाफ बहुत बड़ी साजिश है गोरखपुर कांड, मीडिया भी बिक गया लेकिन सच आ गया सामने: पढ़ें

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ऐसा लगता है कि गोरखपुर कांड योगी सरकार के खिलाफ बहुत बड़ी साजिश है और मीडिया चैनल भी साजिशकर्ताओं के हाथों बिक गए हैं क्योंकि आज सुबह से मीडिया ने जिस तरह से TRP के लिए उल्टी सीधी ख़बरें दिखाईं और योगी सरकार को बदनाम करने की कोशिश की उसे देखकर लगा कि मीडिया और टीवी चैनल किसी अजेंडे के तहत ख़बरें दिखा रहे हैं. इन मीडिया चैनलों ने सच का इन्तजार भी करने की कोशिश नहीं की और उल्टी सीधी ख़बरें दिखाकर योगी सरकार, बीजेपी और मोदी को बदनाम करने लगे.

खैर अब सच सामने आ रहा है तो मीडिया की भी पोल खुल गयी है. मीडिया वालों का कहना था कि योगी सरकार ने BRD मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी को बकाया राशि नहीं दी जिसकी वजह से उसनें सप्लाई रोक दी और 65 बच्चों की मौत हो गयी इसलिए इस घटना के लिए योगी सरकार जिम्मेदार है, जी न्यूज़ जैसे मीडिया चैनलों ने तो इसे नरसंहार का नाम देकर योगी सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की.

आज योगी ने खुद बताया कि ऑक्सीजन सप्लायर ने पेमेंट में लिए 1 अगस्त को पत्र लिखा था, यह पत्र मेडिकल एजुकेशन के DG को 4 अगस्त को भेजा गया और 5 अगस्त को सरकार ने पैसे जारी कर दिए. जब हेल्थ शिक्षा विभाग ने पैसे जारी कर दिए और मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने कंपनी को पैसे नहीं दिए तो इसमें सरकार की गलती है या प्रिंसिपल की. इसीलिए प्रिंसिपल पर कार्यवाही की गयी है और उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है.

अखिलेश यादव और ऑक्सीजन सप्लायर के रिश्ते आए सामने

अगर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर कांड की सही से जांच की जाए तो इसमें अखिलेश यादव भी फंस सकते हैं क्योंकि आज स्वयं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव और ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी के बीच संबंधों का खुलासा किया है. कहा जा रहा है कि इस कंपनी के ऑक्सीजन सप्लाई रोकने से ही BRD मेडिकल कॉलेज में 65 बच्चों की मौत हुई है.

उन्होंने कहा कि सप्लायर की भूमिका की जांच करने के लिए हमें चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की है, वे एक हप्ते के अन्दर सप्लायर की भूमिका की जांच करेंगे क्यूंकि इस सप्लायर को 2014 में 8 वर्ष के लिए पिछली अखिलेश सरकार ने ठेका दिया था. हम सप्लायर की जांच कर रहे हैं और नतीजे आने के बाद आपको बताया जाएगा. हो सकता है कि सप्लायर के साथ मिलकर कुछ साजिश की गयी हो.

योगी ने अखिलेश यादव और अस्पताल में ऑक्सीजन बंद करने वाले सप्लायर के रिश्ते का किया खुलासा: पढ़ें

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अगर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर कांड की सही से जांच की जाए तो इसमें अखिलेश यादव भी फंस सकते हैं क्योंकि आज स्वयं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव और ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी के बीच संबंधों का खुलासा किया है. कहा जा रहा है कि इस कंपनी के ऑक्सीजन सप्लाई रोकने से ही BRD मेडिकल कॉलेज में 65 बच्चों की मौत हुई है.

अखिलेश यादव ने कहा कि अगर ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने से मौतें हुई हैं तो यह बेहद जघन्य अपराध है और इसमें सप्लायर की भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार के गठन के बाद ही इस बारे में सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि इमरजेंसी सेवाओं में कोई भी व्यवधान ना आने पाए, आवश्यक कार्यों में किसी भी तरह से पैसे की कमीं ना होने पाए और सभी मंत्रालय पहले से व्यवस्था सुनिश्चित करें.

उन्होंने कहा कि सप्लायर की भूमिका की जांच करने के लिए हमें चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की है, वे एक हप्ते के अन्दर सप्लायर की भूमिका की जांच करेंगे क्यूंकि इस सप्लायर को 2014 में 8 वर्ष के लिए पिछली अखिलेश सरकार ने ठेका दिया था. हम सप्लायर की जांच कर रहे हैं और नतीजे आने के बाद आपको बताया जाएगा.

उन्होंने सभी मीडियाकर्मियों से अनुरोध करते हुए कहा कि अगर हम सही तथ्यों को रख पाएंगे तो मानवता की बहुत बड़ी सेवा होगी और खासतौर से तब जब हम किसी संवेदनशील मुद्दे को उठा रहो हों. उन्होंने कहा कि आप लोग ख़बरें छापिये लेकिन अलग अलग आंकडें न दें और जनता को भ्रमित ना करें.

मैंने ही शुरू की थी Encephalitis के खिलाफ लड़ाई, किसी ने की होगी शरारत तो छोडूंगा नहीं: योगी

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आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर कांड पर सफाई देने के लिए प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि मैंने ही Encephalitis बीमारी के खिलाफ कई वर्ष पहले गोरखपुर में लड़ाई छेड़ी थी इसलिए मेरी सभी परिवारों के साथ संवेदना है, मैंने खुद मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार तीन बार BRD मेडिकल कॉलेज का दौरा किया है और हालात का जायजा लिया है. उन्होंने कहा कि इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा उसे बख्शा नहीं जाएगा.

उन्होंने कहा कि जो रिपोर्ट्स मीडिया में आयी है, आदरणीय मोदी जी भी इससे काफी चिंतित हैं और उन्होंने स्वयं इस पर चर्चा करते हुए मुझे इस बात के लिए आश्वस्त किया है कि उत्तर प्रदेश में स्वास्थय सेवाओं की मजबूती के लिए जो भी आवश्यकता होगी उसमें भारत सरकार मदद करेगी. मोदी ने स्वयं और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा जी ने परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल जी को यहाँ पर भेजा है और वे यहाँ पर आयी हैं.

उन्होंने कहा कि हमारी रिपोर्ट में जो बातें सामने आयी हैं उसे हमारे मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और आशुतोष टंडन जी आपके सामने रखेंगे लेकिन मैं बहुत विनम्रता पूर्वक आप लोगों के सामने आग्रह करता हूँ कि तथ्यों को सही परिपेक्ष्य में रखा जाय.

उन्होंने कहा कि मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ कि आज अलग अलग समाचार पत्रों में, अलग अलग चैनलों में लोग अलग अलग आंकडें बता रखे हैं, लेकिन सही आंकड़ें ये हैं - 
- 7 अगस्त को NISU में 4 मौत, Acute Encephalitis से 2 और Non Acute Encephalitis से 3 यानी कुल 9 मौतें हुई हैं.
- 8 अगस्त को NISU में 7 मौत, Acute Encephalitis से 3 और Non Acute Encephalitis से 2 यानी कुल 12 मौतें हुई हैं.
- 9 अगस्त को NISU में 6 मौत, Acute Encephalitis से 2 और Non Acute Encephalitis से 2 यानी कुल 9 मौतें हुई हैं.
- 10 अगस्त को NISU में 14 मौत, Acute Encephalitis से 3 और Non Acute Encephalitis से 6 यानी कुल 23 मौतें हुई हैं.
- 11 अगस्त को NISU में 3 मौत, Acute Encephalitis से 2 और Non Acute Encephalitis से 2 यानी 12 बजे तक कुल 7 मौतें हुई हैं लेकिन 12 बजे के बाद 4 मौतें और हुई हैं यानी कुल 12 मौतें हुई हैं.
- अब तक कुल 65 मौतें हुई हैं.

योगी ने कहा कि मौत के अलग अलग आंकडें देने से पहले यह जानना जरूरी है कि मौत के कारण क्या हैं. मैंने अपने दोनों मंत्रियों को यह जानने के लिए भेजा है कि क्या वास्तव में ऑक्सीजन की कमीं से यह मौतें हुई हैं. दूसरा मौत के सही आंकड़ें क्या हैं. तीसरा इसमें किसके स्तर पर लापरवाही हुई है.

योगी ने कहा कि इस मामले में हमने कल से ही एक्शन शुरू कर दिया था, जैसे ही यह ख़बरें समाचार पत्रों में आनी प्रारंभ हुई थीं हम लोगों ने उसी समय गोरखपुर के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से पूरे मामले की जांच करने के लिये कहा है.

योगी ने कहा कि अगर ऑक्सीजन सप्लाई बाधित हुई है तो उसमें सप्लायर की भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तर प्रदेश में हमारी सरकार के गठन के बाद ही इस बारे में सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि इमरजेंसी सेवाओं में कोई भी व्यवधान ना आने पाए, आवश्यक कार्यों में किसी भी तरह से पैसे की कमीं ना होने पाए और सभी मंत्रालय पहले से व्यवस्था सुनिश्चित करें.

उन्होंने कहा कि सप्लायर की भूमिका की जांच करने के लिए हमें चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की है, वे एक हप्ते के अन्दर सप्लायर की भूमिका की जांच करेंगे क्यूंकि इस सप्लायर को 2014 में 8 वर्ष के लिए पिछली सरकार ने ठेका दिया था और सप्लायर भी जांच के घेरे में है और उसके बारे में आपको बताया जाएगा.

उन्होंने सभी मीडियाकर्मियों से अनुरोध करते हुए कहा कि अगर हम सही तथ्यों को रख पाएंगे तो मानवता की बहुत बड़ी सेवा होगी और खासतौर से तब जब हम किसी संवेदनशील मुद्दे को उठा रहो हों.

उन्होंने कहा कि अगर ऑक्सीजन की कमीं की वजह से मौतें हो रही हैं तो यह एक जघन्य कृत्य है और मुझे लगता है कि हमारे स्वास्थ्य शिक्षा विभाग के जो डीजी हैं वो भी कल से गोरखपुर में हैं और वे कुछ समय के लिए गोरखपुर में रहेंगे भी, उन्होंने कुछ कार्यवाही की है और आगे भी अगर कोई दोषी पाया जाएगा तो उन्हें छोड़ने का प्रश्न ही नहीं बनता.

एक महीनें से BJP विधायक का टूटा हुआ है हाथ, रुबिका लियाकत उसे बोलीं 'तुम्हें शर्म आनी चाहिए'

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आज जी न्यूज़ की पत्रकार रुबिका लियाकत मर्यादा की सभी सीमायें लांघ गयीं. उन्हें उस बीजेपी विधायक पर भी दया नहीं आयी जिसका एक महीनें से हाथ टूटा हुआ है और वह अपाहिज बनकर अस्पताल में इलाज करा रहा है. हम बात कर रहे हैं बीजेपी विधायक राधा मोहन सिंह की. वह गोरखपुर से विधायक हैं लेकिन इस वक्त उनकी हड्डी टूटी हुई है और वे लखनऊ के एक अस्पताल में इलाज करा रहे हैं. वह इस वक्त चलने फिरने में भी असमर्थ हैं लेकिन रुबिका लियाकत चाहती थीं कि वे उड़कर गोरखपुर पहुँच जाँय और एक्शन शुरू कर दें.

BRD मेडिकल कॉलेज में बच्चों का मरना दुखद है और हो कुछ अस्पताल प्रशासन की भी लापरवाही सामने आ रही है लेकिन कोई अस्पताल अपने यहाँ पर मरीजों का नरसंहार नहीं कर सकता और ना ही कोई सरकार कर सकती है जैसा कि जी मीडिया की पत्रकार रुबिका लियाकत कह रही हैं, ये तो इस घटना को सीधा नरसंहार ही बता रही हैं.

रुबिका लियाकत तो इतना क्रोधित हो गयीं कि उस विधायक को भी अनाप शानाप बोलने लगीं जिसका हाथ टूटा हुआ है और वह एक महीनें से लखनऊ के अस्पताल में भर्ती है. जब राधा मोहन सिंह बोले कि रात में मैं दवा खाकर सो गया था तो रुबिका लियाकत बेशर्मी से बोलीं, इतने बच्चे मार डाले गए और आपको नींद कैसे आ सकती है. मैडम जी, जब लोग एंटीबायोटिक दवा खाकर लेटते हैं तो अच्छे अच्छे लोगों को नींद आ जाती है, आप की भी हड्डी टूट जाए और उसे सही करने के लिए एंटी-बायोटिक खिला दी जाए तो आपको भी नींद आ जाएगी. लगता है रुबिका लियाकत ने कभी एंटी-बायोटिक नहीं खाई है इसलिए इन्हें नहीं पता कि एंटी-बायोटिक खाने से नींद आ जाती है. इसके अलावा कभी कभी डॉक्टर हड्डी जोड़ने के लिए नींद की दवाइयाँ भी देते हैं उससे भी नींद आती है लेकिन रुबिका लियाकत ने उन्हें कहा कि 'आपको शर्म आनी चाहिए, आप रात में सो रहे थे'. ऐसा लगता है कि रुबिका लियाकत कल रात जाग रही थीं.

रुबिका लियाकत ने आज जो कुछ किया वह केवल TRP के लिए किया और मर्यादा की सभी सीमाएं लांघकर किया. ऐसा लग रहा है कि वो विपक्ष का एजेंडा लेकर आयी थीं. पिछले साल भी अगस्त महीनें में 600 बच्चे मरे थे लेकिन रुबिका लियाकत ने इसे नरसंहार का नाम नहीं दिया क्योंकि उस समय उन्होंने अपनी ऑंखें बंद कर रखीं थीं. यह भी हो सकता है कि अखिलेश सरकार ने उनकी खातिरदारी की हो.

अपनी असली औकात दिखा रहे ये पत्रकार, TRP बढ़ाने के लिए बच्चों की मौत को बता रहे नर-संहार, डूब मरो

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अपनी TRP बढाने के लिए टीवी न्यूज़ चैनल कुछ भी करने को तैयार हैं, ये नए नए शब्द गढ़ने की कोशिश करते रहते हैं, कभी कभी तो ये लोग इतना गिर जाते हैं कि इनकी नीयत में खोट दिखने लगता था. जी न्यूज़ की पत्रकार रुबिका लियाकत ने आज ताल ठोंक के कार्यक्रम में गोरखपुर की घटना को नर-संहार का नाम दे दिया. उन्होंने कहा कि गोरखपुर में योगी सरकार ने बच्चों का नरसंहार किया है क्योंकि ये घटना सरकार की लापरवाही से हुई है. उनकी बीजेपी नेताओं के साथ बहस भी हुई.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गोरखपुर के BRD अस्पताल में हर साल अगस्त महीनें में 500-600 बच्चों की मौत हो जाती है, ऐसा इसलिए क्योंकि इस अस्पताल में बहुत दूर दूर से बच्चे इलाज के लिए आते हैं, कई लोग तो नेपाल से आते हैं, अधिकतर बिहार और यूपी के ही होते हैं. इस अस्पताल में जो भी बच्चे आते हैं उनके बचने की उम्मीद बहुत कम होती है क्योंकि ये लोग हर जगह से थक हारकर और निराश होकर आते हैं इसीलिए यहाँ पर बच्चों की मौत ज्यादा होती है.

आपने देखा होगा कि इससे पहले पिछले अगस्त महीनें में भी 600 बच्चों की मौत हुई थी लेकिन जी न्यूज़ ने इसे नर-संहार नहीं बताया, उसके पहले 2014, 2015 में भी 600 से अधिक मौतें हुईं लेकिन जी न्यूज़ ने इसे नरसंहार नहीं बताया लेकिन इस वर्ष बीजेपी की सरकार है और 5 दिनों में 60 बच्चों की मौत हुई है तो इसे जी न्यूज़ ने नरसंहार का नाम दिया है और यह सब केवल अपनी TRP बढाने के लिए किया है ताकि उनकी ख़बरों पर अधिक लोगों का ध्यान जाए तो लोग योगी सरकार की आलोचना करें.

क्या होता है नरसंहार

रुबिका लियाकत को शायद पता नहीं है कि नरसंहार क्या होता है. नरसंहार में जिन्दा लोगों का सर धड़ से अलग कर दिया जाता है और जो लोग नरसंहार करते हैं वे बड़े बेरहम होते हैं. जी न्यूज़ वाले और रुबिका लियाकत शायद योगी को बेरहम समझते हैं और उनपर नरसंहार का आरोप लगा रहे हैं. इन्हें डूब मरना चाहिए क्योंकि ये पत्रकारी के लायक नहीं हैं.

योगी सरकार पर लगाया गंभीर इल्जाम तो इस बीजेपी विधायक ने रुबिका लियाकत को धो डाला: पढ़ें क्यों

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अपनी TRP बढ़ाने के लिए मीडीय भी गोरखपुर की बात को बात का बतंगड़ बनाने पर तुला है. बीजेपी समर्थक चैनल कहा जाने वाले जी न्यूज़ भी इसमें पीछे नहीं है. आज ताल ठोंक के डिबेट शो में शो की होस्ट रुबिका लियाकत ने योगी सरकार पर गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने इसे नरसंहार का नाम देते हुए बीजेपी विधायक राधा मोहन सिंह से कहा कि 33 बच्चों की हत्या हो गयी और आप सो रहे हो. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संवेदनहीन हैं. सरकार की लापरवाही से यह हादसा हुआ है.

इसके बाद राधा मोहन सिंह ने रुबिका लियाकत को करारा जवाब देते हुए कहा कि आप इस मामले टूल देकर गैर-जिम्मेराना व्यवहार किया है. हमारी सरकार सिस्टम में सुधार कर रही है और हमारे मंत्री ने बताया है कि इस बीमारी से पहले भी बच्चे मरते रहे हैं. यह बीमारी इन्फेक्शन की वजह से होती है और बच्चे गंभीर हालत में अस्पताल में आते है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री दो दिन पहले ही हॉस्पिटल पहुंचे थे, अगर उन्हें बताया जाता कि पेमेंट की वजह से ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी जाएगी तो 3 घंटे में ऑक्सीजन पहुँच दी जाती.

विधायक की टूटी है हड्डी, फिर भी रुबिका लियाकत ने की बदतमीजी

इसके बाद रुबिका लियाकत ने कहा कि आपकी विधानसभा में यह हादसा हो गया, आपको खुद पर शर्म आनी चाहिए. इसके बाद राधा मोहन सिंह ने कहा कि एक महीनें से मेरे हाथ की हड्डी टूटी हुई है और मैं लखनऊ के अस्पताल में अपना इलाज करा रहा हूँ, आपके अन्दर इतनी भी संवेदनशीलता नहीं है कि आप मुझसे इस तरह से बात कर रही हैं. आपको बता दें कि राधामोहन सिंह की सच में हड्डी टूटी हुई है लेकिन रुबिका लियाकत को उनके दर्द का तनिक भी ख्याल नहीं आया क्योंकि उन्हें तो अपने एजेंडे से मतलब था.

सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा, ऑक्सीजन की कमीं से नहीं हुई मौतें

उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ साथ सिंह ने आज गोरखपुर कांड पर सफाई देते हुए कहा कि बाबा रामदास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमीं की वजह से 60 बच्चों की मौत नहीं हुई है बल्कि हर साल अगस्त महीनें में इस अस्पताल में इन्सेफेलाइटिस बीमारी की वजह से 500-600 बच्चों की मौत होती हैं ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें बहुत गंभीर हालत में लाया जाता है.

उन्होंने बताया कि इन्सेफेलाइटिस बीमारी की वजह से इस मेडिकल कॉलेज में उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार और नेपाल के भी बच्चे आते हैं और सभी लास्ट स्टेज पर आते हैं. उन्होंने बताया कि जब 10 अगस्त को लिक्विड ऑक्सीजन कम हो गयी तो ऑक्सीजन सिलेंडर लगाकर काम चलाया गया और अभी भी ऐसे ही काम चलाया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि हर वर्ष अगस्त महीनें में अधिक बच्चों की मौत होती है, अगस्त 2014 में 587 बच्चों की मौत हुई, अगस्त 2015 में 680 बच्चों की मौत हुई, अगस्त 2016 में 587 बच्चों की मौत हुई. यह मौतें गंभीर हालत की वजह से हुई हैं, ऑक्सीजन की कमीं की वजह से एक भी मौत नहीं हुई. उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल में हर दिन करीब 17-18 मौतें होती हैं क्योंकि लोग लास्ट स्टेज पर अपने बच्चों को लाते हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 7 अगस्त को 9 बच्चों की मौत हुई, 8 अगस्त को 12 बच्चों की मौत हुई, 9 अगस्त को 9 बच्चों की मौत हुई और 10 अगस्त को 23 बच्चों की मौत हुई. मीडिया ने 7, 8, 9 अगस्त को बच्चों की मौत के बारे में कोई खबर नहीं छापी लेकिन 10 अगस्त को उन्होंने सभी मौतों को जोड़कर बड़ी खबर बना दी जिसकी वजह से देश के लोगों का इस पर ध्यान चला गया और योगी सरकार को बदनाम करने की कोशिश की गयी. मीडिया का एक तबका पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार है. इन्हें सिर्फ बड़ी खबर चाहिए.

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आप खुद देखिये, अखिलेश के समय में अगस्त में ही 600-700 मौतें होती थीं , अगर रोजाना का औसत निकालें तो 20 मौतें रोज होती थीं लेकिन मीडिया ने कभी भी बड़ी खबर नहीं बनाई  लेकिन योगी सरकार में एक दिन में 23 मौतें हुईं तो चार दिन की मौतों को एक साथ जोड़कर बड़ी संख्या दिखाकर बड़ी खबर बना दी गयी ताकि विपक्ष को योगी सरकार के खिलाफ मुद्दा मिल जाए.

गोरखपुर कांड में योगी सरकार को बदनाम करने की साजिश का हो गया खुलासा, पढ़ें क्या है साजिश

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उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ साथ सिंह ने आज गोरखपुर कांड पर सफाई देते हुए कहा कि बाबा रामदास मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमीं की वजह से 60 बच्चों की मौत नहीं हुई है बल्कि हर साल अगस्त महीनें में इस अस्पताल में इन्सेफेलाइटिस बीमारी की वजह से 500-600 बच्चों की मौत होती हैं ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें बहुत गंभीर हालत में लाया जाता है.

उन्होंने बताया कि इन्सेफेलाइटिस बीमारी की वजह से इस मेडिकल कॉलेज में उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार और नेपाल के भी बच्चे आते हैं और सभी लास्ट स्टेज पर आते हैं. उन्होंने बताया कि जब 10 अगस्त को लिक्विड ऑक्सीजन कम हो गयी तो ऑक्सीजन सिलेंडर लगाकर काम चलाया गया और अभी भी ऐसे ही काम चलाया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि हर वर्ष अगस्त महीनें में अधिक बच्चों की मौत होती है, अगस्त 2014 में 587 बच्चों की मौत हुई, अगस्त 2015 में 680 बच्चों की मौत हुई, अगस्त 2016 में 587 बच्चों की मौत हुई. यह मौतें गंभीर हालत की वजह से हुई हैं, ऑक्सीजन की कमीं की वजह से एक भी मौत नहीं हुई. उन्होंने बताया कि हॉस्पिटल में हर दिन करीब 17-18 मौतें होती हैं क्योंकि लोग लास्ट स्टेज पर अपने बच्चों को लाते हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 7 अगस्त को 9 बच्चों की मौत हुई, 8 अगस्त को 12 बच्चों की मौत हुई, 9 अगस्त को 9 बच्चों की मौत हुई और 10 अगस्त को 23 बच्चों की मौत हुई. मीडिया ने 7, 8, 9 अगस्त को बच्चों की मौत के बारे में कोई खबर नहीं छापी लेकिन 10 अगस्त को उन्होंने सभी मौतों को जोड़कर बड़ी खबर बना दी जिसकी वजह से देश के लोगों का इस पर ध्यान चला गया और योगी सरकार को बदनाम करने की कोशिश की गयी. मीडिया का एक तबका पैसे के लिए कुछ भी करने को तैयार है. इन्हें सिर्फ बड़ी खबर चाहिए.

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आप खुद देखिये, अखिलेश के समय में अगस्त में ही 600-700 मौतें होती थीं , अगर रोजाना का औसत निकालें तो 20 मौतें रोज होती थीं लेकिन मीडिया ने कभी भी बड़ी खबर नहीं बनाई  लेकिन योगी सरकार में एक दिन में 23 मौतें हुईं तो चार दिन की मौतों को एक साथ जोड़कर बड़ी संख्या दिखाकर बड़ी खबर बना दी गयी ताकि विपक्ष को योगी सरकार के खिलाफ मुद्दा मिल जाए.

गोरखपुर कांड की खबर सुनकर PM MODI को लगा सदमा, ना हाथ काम कर रहे ना मुंह: पढ़ें

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गोरखपुर कांड की खबर सुनकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गहरा सदमा लगा है. वे 63 बच्चों की मौत से वे इतनी दुखी हैं कि इस वक्त ना उनके हाथ काम कर रहे हैं और ना ही उनका मुंह काम कर रहा है. प्रधानमंत्री मोदी छोटी सी छोटी घटना पर ट्वीट कर देते हैं लेकिन इस घटना के बाद उन्होंने ना तो ट्वीट किया है और ना ही कोई बयान दिया है. आज उन्होने ट्विटर को हाथ भी नहीं लगाया है जिसका मतलब है कि उनके हाथ काम नहीं कर रहे हैं, उन्होंने कोई बयान भी नहीं दिया है जिसका मतलब है कि उनकी जुबान को भी लकवा मार गया है.

मोदी के बारे में यह खबर स्वयं केंद्रीय राज्य हेल्थ मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बतायी. उन्होंने कहा है कि मोदीजी इस घटना से बहुत दुखी हैं. वे ना तो किसी से बात कर रहे हैं और ना ही कुछ बोल रहे हैं. मैं जल्द ही हालात का जायजा लेने के लिए गोरखपुर जा रही हूँ. यह बहुत बड़ा हादसा है और केंद्र सरकार राज्य को हर संभव मदद करेगी.

आपको बता दें कि गोरखपुर में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमीं की वजह से पिछले 5 दिन में 63 बच्चों की मौत हुई है. इन बच्चों को इन्सिफैलिटिस बीमारी की वजह से गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया था लेकिन गैस सप्लाई करने वाली कंपनी ने अचानक गैस की सप्लाई रोक दी जिसकी वजह से हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी हो गयी और बच्चों की मौत होने लगी.

63 बच्चों की मौत के लिए योगी सरकार जिम्मेदार, लापरवाही से हुई मौतें: गुलाम नबी आजाद

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गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में 63 बच्चों की मौत से देश की राजनीति को गर्म कर दिया है, सभी विपक्षी नेता इन मौतों के लिए राज्य की योगी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. आज कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और राज बब्बर भी हालात का जायजा लेने के लिए गोरखपुर अस्पताल पहुंचे और इस कांड के लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया.

उन्होंने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार की लापरवाही दिख रही है क्योंकि कई दिन पहले से ही ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध कराने के लिए चिठ्ठी लिखी जा रही थी. सिलेंडर उपलब्ध कराने वाली कंपनी का 60 बकाया था, अगर राज्य सरकार ने वो बकाया चुका दिया होता तो सिलेंडर की सप्लाई ना रुकती और इतने बच्चों की मौत ना होती.

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार की चूक को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री और टेक्निकल और मेडिकल एजुकेशन मिनिस्टर को फ़ौरन इस्तीफ़ा देना चाहिए, इन लोगों को एक भी मिनट पद पर बने रहने का हक नहीं है. कांग्रेस नेता ने कहा कि बच्चों की मौत से उन्हें बहुत दुःख पहुंचा है.

15 दिन के बाद ढीले पड़ गए योगी आदित्यनाथ, इसलिए उनके गोरखपुर में हो गया इतना बड़ा कांड: पढ़ें

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उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने आने के बाद 15 दिन तक जबरजस्त एक्शन दिखाया, हर तरफ अहरा तफरी मच गयी, सरकारी विभागों में भूचाल आ गया, हर कोई सुधरने लगा, हर किसी के अन्दर योगी का डर समा गया यहाँ तक कि पुलिस विभाग ने भी झाडू उठाकर दफ्तरों में साफ़ सफाई शुरू कर दी. 15 दिन तक ऐसा लगा कि योगी केवल 6 महीनें में यूपी को सुधार देंगे लेकिन उसके बाद योगी को पता नहीं क्या हो गया कि सभी एक्शन बंद होने लगे, धीरे धीरे फिर से यूपी में क्राइम का ग्राफ बढ़ने लगा, सरकारी दफ्तरों के कर्मचारी फिर से आलसी हो गए और कल गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में बहुत बड़ा काण्ड हो गए जिसमें अब तक 63 लोगों की मौत हो चुकी है.

गोरखपुर कांड ना होता अगर अस्पताल के अधिकारी जाग रहे होते, हॉस्पिटल में ऑक्सीजन के सिलेंडर ख़त्म हो गए थे लेकिन अधकारी सो रहे थे, अब 63 बच्चे इन्सेफेलाइटिस से ना मरे होते अगर समय से ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर दी जाती, अब 63 बच्चे मर गए हैं तो आनन फानन में ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कर दी गयी है, अगर यही काम पहले कर दिया जाता तो इतने बच्चों की मौत ना होती.

63 बच्चों की मौत के बाद योगी आदित्यनाथ की बहुत आलोचना हो रही है, उन्होंने आनन फानन में आपातकालीन मीटिंग बुलाई है, गोरखपुर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि दंगा फसाद ना हो जाए, विपक्षी दलों को योगी सरकार के खिलाफ बड़ा मुद्दा मूल गया है और वहां पर पॉलिटिकल टूरिज्म शुरू होने वाला है.

विपक्षी दलों के मूंड को देखकर योगी ने भी एक्शन लेना शुरू कर दिया है, उन्होने स्वास्थय मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और एक अन्य मंत्री को तत्काल गोरखपुर जाने का आदेश दिया है साथ ही दोषी लोगों पर कार्यवाही करने का आदेश दिया है. अब देखते हैं कि इस मामले में क्या होता है लेकिन योगी सरकार जरूर मुसीबत में फंस गयी है और सरकार पर एक बड़ा दाग भी लग गया है क्योंकि अगर पहले से सावधानी बरती गयी होती तो शायद एक भी मौत ना होती.

UP में दो बहनों गुलशन और फिजा को बिस्तर पर सोते हुए पेट्रोल डालकर लगा दी आग: पढ़ें

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यूपी के बरेली से एक दर्दनाक खबर आयी है. दो सगी बहनों गुलशन और फिजा को रात में सोते वक्त कुछ लोगों ने बेड पर पेट्रोल डालकर जिन्दा जला दिया, दोनों बहनें अस्पताल में जिन्दगी और मौत के बीच झूल रही हैं. यह घटना बरेली के नवाबगंज इलाके की है.

गुंडों ने घर के दरवाजे को तोड़ दिया और लड़कियों के कमरे में घुस गए, दोनों युवतियां सो रही थीं, गुंडों ने पेट्रोल डालकर आग लगा दी जिसकी वजह से युवतियों को सँभलने का मौका ही नहीं मिला. कमरे में आग लगी देखकर युवतियों के परिजन जाग गए और आग बुझाकर उन्हें आनन फानन में अस्पताल पहुंचाया.

युवतियों में 18 साल की गुलशन की हालत बहुत खराब है जबकि 17 साल की फिजा भी 40 फ़ीसदी जल चुकी है. दोनों अस्पताल में जिन्दगी और मौत के बीच झूल रही हैं.

लड़कियों के परिजनों का कहना है कि जब हम सो रहे थे तो कुछ लोगों ने हमारी बच्चियों को जला दिया, हम नहीं जानते कि वे लोग कौन थे, हमारे उठने के बाद वे लोग भाग गए, फिजा ने भी बताया कि वह आरोपियों का चेहरा नहीं देख पाई. उनका ये भी कहना था कि हमारी किसी के साथ दुश्मनी भी नहीं थी. इस मामले में पुलिस ने अज्ञात हमलावरों पर FIR दर्ज कर ली है.

60 बच्चों की मौत से दहला उत्तर प्रदेश, कल कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद करेंगे अस्पताल का दौरा

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र और कर्मनगरी गोरखपुर में दर्दनाक हादसा सामने आया है. जिले के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में इन्सेफेलाइटिस की बामारी से करीब 60 बच्चों की मौत हो गयी है, पहले खबर आयी थी कि ऑक्सीजन की वजह से बच्चों की जान गयी है लेकिन यूपी सरकार ने हादसे पर सफाई देते हुए बताया कि इन्सेफेलाइटिस बीमारी की वजह से बच्चों की जान गयी है और इन लोगों की मौत पिछले 48 घंटों में हुई है.

हादसे ने कांग्रेस पार्टी को बीजेपी सरकार के खिलाफ एक और मुद्दा दे दिया है, कल कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद और राज बब्बर बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज का दौरा करके हालात का जायजा लेंगे. कांग्रेस पार्टी अब इस मामले में बीजेपी को घेरने का प्रयास करेगी.
आपकी जानकारी के लिए बता दें की इन्सेफेलाइटिस बीमारी में एकाएक दिमाग में सूजन आ जाती है जिसके बाद बचना मुश्किल हो जाता है. जिला अधिकारी ने बच्चों की मौत की पुष्टि कर दी है और सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं. जानकारी के अनुसार आज एकाएक 7 बच्चों की मौत के बाद यह घटना लोगों की नजरों में आ गयी और देखते ही देखते मीडिया में सुर्खियाँ बन गयीं.

मदरसा शिक्षा परिषद ने दिया सभी मदरसों को आदेश 'सब कोई फहराओ तिरंगा, सब कोई गाओ वन्दे मातरम'

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उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार के आने का असर दिखने लगा है क्योंकि उत्तर प्रदेश में पहली बार मदरसा शिक्षा परिषद ने राज्य के सभी मदरसों को आदेश दिया है कि आने वाले 15 अगस्त को सभी मदरसों में तिरंगा भी फहराएं और राष्ट्रीय गीत वन्दे मातरम का गायें.

मदरसा शिक्षा परिषद् के आदेश की बीजेपी ने तारीफ की है. बीजेपी नेता सत्यपाल सिंह ने कहा कि यह शुरुआत बहुत अच्छी है और इससे देश के मुसलमानों को एक सीख मिलेगी. उन्होंने कहा कि वन्दे मातरम नारे ने देश की आजादी में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी इसलिए देश के सभी नागरिकों को आजादी का जश्न मनाते हुए वन्दे मातरम जरूर गाना चाहिए.

उन्होंने यह भी कहा कि यह गीत देश के लोगों को यूनाइट करता है और मन में जोश पैदा करता है. उन्होंने कहा कि मदरसा शिक्षा परिषद् को यह शुरुआत बहुत पहले ही कर देनी चाहिए थी लेकिन कोई बात नहीं क्योंकि देर आये दुरुस्त आए. उन्होने कहा कि यह शुरुआत देश के युवाओं में देशभक्ति का जज्बा पैदा करेगी.

योगी के गढ़ गोरखपुर में बड़ा हादसा, अस्पताल में 30 बच्चों की मौत

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संसदीय क्षेत्र और कर्मनगरी गोरखपुर में दर्दनाक हादसा सामने आया है. जिले के बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में इन्सेफेलाइटिस की बामारी से करीब 30 बच्चों की मौत हो गयी है, पहले खबर आयी थी कि ऑक्सीजन की वजह से बच्चों की जान गयी है लेकिन यूपी सरकार ने हादसे पर सफाई देते हुए बताया कि इन्सेफेलाइटिस बीमारी की वजह से बच्चों की जान गयी है और इन लोगों की मौत पिछले 48 घंटों में हुई है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें की इन्सेफेलाइटिस बीमारी में एकाएक दिमाग में सूजन आ जाती है जिसके बाद बचना मुश्किल हो जाता है. जिला अधिकारी ने बच्चों की मौत की पुष्टि कर दी है और सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं. जानकारी के अनुसार आज एकाएक 7 बच्चों की मौत के बाद यह घटना लोगों की नजरों में आ गयी और देखते ही देखते मीडिया में सुर्खियाँ बन गयीं.