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योगी ने हिन्दुओं को नाराज करने वाले अखिलेश के सभी रुल किये ख़त्म, किया बड़ा ऐलान: पढ़ें

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लखनऊ: आज उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई धमाकेदार बयाना दिए हैं. वे लखनऊ में प्रेरणा जनसंचार एवं सिद्ध संस्थान के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने अखिलेश सरकार के उन सभी फरमानों को ख़त्म कर दिया है जिसकी वजह से राज्य के हिन्दू नाराज थे और इसी नाराजगी की वजह से अखिलेश को साफ कर दिया था.

अखिलेश सरकार ने उत्तर प्रदेश के सभी थानों में कृष्ण जन्माष्ठमी ना मनाने का आदेश दिया था. आज योगी ने अखिलेश के उस फरमान को रद्द करते हुए कहा है कि जब हमारे देश में लोग ईद पर सड़क पर नमाज पढ़ सकते हैं. एयरपोर्ट पर नमाज पढ़ सकते हैं तो हमारे पुलिसकर्मी थानों में कृष्ण जन्माष्टमी क्यों नहीं मना सकते. पुलिस वालों को भी धार्मिक आजादी होनी चाहिए. उन्हें भी ईश्वर में आस्था रखने का हक है. मैं तो यह मानता हूँ जो व्यक्ति जितना अधिक आस्थावान होता है उतना ही अधिक इमानदार होता है.

आपको बता दें कि अखिलेश सरकार ने कांवड़ यात्रा के दौरान डीजे और लाउडस्पीकर पर भी रोक लगा दी. आज योगी ने अखिलेश का वह फरमान भी रद्द करते हुए कहा कि यह कांवड़ यात्रा है कोई शव यात्रा नहीं, अगर लोग डीजे और लाउडस्पीकर नहीं बजाएंगे, नाचेंगे गाएंगे नहीं, ढोल नगाड़े नहीं बजाएंगे तो यह कांवड़ यात्रा नहीं बल्कि शव यात्रा लगेगी. हम पूर्व सरकार का यह फरमान भी कैंसिल करते हैं.

देश की आजादी के लिए मिटे थे सुभाष चंद्र बोस, लेकिन आजादी के दिन ममता के राज में मिला अपमान

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सुभाष चन्द्र बोस को भारत के सबसे बड़े स्वतंत्रता सेनानियों में से एक माना जाता है. यहाँ तक कि उन्हें महात्मा गाँधी से भी बड़ा स्वतंत्रता सेनानी कहा जाता है और अगर उनकी असमय मौत ना होती तो आजादी के बाद उनकी भूमिका कुछ और होती. उन्होंने देश को आजादी दिलाने के लिए आजाद हिन्द फ़ौज बनाई, अग्रेजों से लोहा लिया और उनकी मिट्टी पलीद करके रख दी. उन्होने देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया था लेकिन अब उनके ही राज्य में ममता बनर्जी की सरकार में उनका अपमान हो रहा है. 

कल आजादी के दिन उनका नमन किया जाना चाहिए था. उन्हें याद किया जाना चाहिए था. उनकी तारीफ की जानी चाहिए थी लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. तारीफ के बजाय उनका अपमान किया गया और वीरभूमि जिले में उनकी प्रतिमा पर कालिख पोत दी गयी. उन्होने सोचा भी नहीं होगा कि देश को आजादी दिलाने की उन्हें ये सजा मिलेगी.

सुभाष चन्द्र बोस के भतीजे और बीजेपी के बंगाल उपाध्यक्ष चन्द्र कुमार बोस ने इसका आरोप TMC के कार्यकर्ताओं पर लगाते हुए ममता बनर्जी को जमकर फटकार लगाई है. उन्होने कहा कि नेताजी का जान बूझकर अपमान किया गया है और यह सब TMC के कार्यकर्ताओं ने किया है.

चन्द्र बोस ने कहा कि यह बहुत अपमानजनक है. नेताजी को भारत के ही नहीं बल्कि एशिया के लोग भी अपना हीरो मानते हैं, उनके साथ यह घटना विशेष दिन पर हुई है. ममता बनर्जी को शर्म आनी चाहिए. हम उनसे इस घटना पर स्टेटमेंट की मांग करते हैं. उन्हें बताना चाहिए कि यह घटना क्यों और कैसे हुई, चन्द्र बोस ने आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए ममता बनर्जी को 24 घंटे का समय दिया है फिलहाल ममता बनर्जी की तरफ से इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है.

गोरखपुर कांड: हेल्थ मंत्री ने समय से दे दिए थे पैसे फिर भी बिहारी मरीज ने कर दी पुलिस में शिकायत

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गोरखपुर कांड में अब सब कुछ साफ़ हो गया है. लगभग पता चल चुका है की 65 बच्चों की असमय मौत कैसे हुई, पता चल चुका है कि BRD मेडिकल कॉलेज के प्रिसिपल राजीव मिश्रा, Encephalitis वार्ड के इंचार्ज डॉ कफील खान ने कमीशन के चक्कर में ऑक्सीजन सप्लायर की 66 लाख रुपये की पेमेंट रोक दी थी जिसकी वजह से कंपनी ने ऑक्सीजन रोक दी और बच्चों की मौत हो गयी.

इस मामले में यह भी साफ़ हो चुका है कि योगी सरकार ने कोई लापरवाही नहीं की क्योंकि उन्हें पेमेंट के लिए हॉस्पिटल की तरफ से 4 अगस्त को चिट्ठी मिली थी और उन्होने दूसरे ही दिन यानी 5 अगस्त को हॉस्पिटल के बैंक खाने में 2 करोड़ रुपये भेज दिए थे. पैसे मिलने के बाद भी प्रिंसिपल राजीव मिश्रा ने ऑक्सीजन सप्लायर को पांच दिन तक पैसे जारी नहीं किये और यही वजह 65 बच्चों की मौत का कारण बनी.

अब यह साफ़ हो चुका है कि योगी सरकार में स्वास्थय मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन की तरफ से कोई लापरवाही नहीं हुई थी इसके बावजूद भी कुछ मीडिया की पेड ख़बरों से प्रभावित होकर बिहार के एक व्यक्ति ने स्वास्थय मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन और प्रिंसिपल हेल्थ सेक्रेटरी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दी है.

बिहार के गोपालगंज के रहने वाले राजभर ने अपने बच्चे को BRD मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त को भर्ती कराया था लेकिन उसकी मौत हो गयी थी. राजभर ने अपने शिकायती पत्र में अपने बच्चे की मौत की वजह ऑक्सीजन सप्लाई बताया है और इसके लिए तीनों लोगों को जिम्मेदार ठहराया गया है. उन्होंने अपनी शिकायत में ना तो डॉ कफील खान का नाम लिखा है और ना ही राजीव मिश्रा का नाम लिखा है. उन्होने यह भी आरोप लगाया है कि उनके बच्चे का बिना पोस्ट-मार्टम किये लाश दे दी गयी.

सोनिया-राहुल को सांसद बनाकर पछता रहे हैं अमेठी-रायबरेली वाले, लगा रहे ‘लापता’ के पोस्टर: पढ़ें

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अमेठी की जनता ने बहुत ही अरमान पालकर राहुल गाँधी को अपना सांसद चुना था इसी तरह से रायबरेली वालों ने सोनिया गाँधी को अपना सांसद चुना था लेकिन दोनों जिलों के लोगों के अरमान टूट गए, अब दोनों जगह के लोग पछता रहे हैं और जनता को उनके गायब होने के पोस्टर लगाने पड़ रहे हैं.

पहले अमेठी की जनता राहुल गाँधी को ढूंढ रही थी, राहुल गाँधी छुट्टी मनाने अपनी नानी के यहाँ इटली तो चले गए लेकिन अमेठी में वे सिर्फ आधे घंटे के लिए जाते हैं और हाथ हिलाकर वापस आ जाते हैं, जब कई महीनों तक वे अपने संसदीय क्षेत्र नहीं गए तो लोगों ने उनके गायब होने के पोस्टर लगा दिए हालाँकि उसके बाद भी राहुल गाँधी अमेठी नहीं गए. अमेठी वालों ने पोस्टर में लिखा था - अमेठी के माननीय सांसद राहुल गाँधी अमेठी से लापता हैं जिसके कारण सांसद द्वारा कराए जाने वाले विकास कार्य ठप्प हैं. इनके व्यवहार से अमेठी की जनता ठगा महसूस कर रही है, अमेठी में इनकी जानकारी देने वालों को उचित पुरष्कार दिया जाएगा.

अब रायबरेली में सोनिया गाँधी के लापता होने के पोस्टर लगे हैं. पोस्टर में लिखा है - रायबरेली की सांसद सोनिया गाँधी रायबरेली से लापता हैं जिसके कारण सांसद द्वारा कराए जाने वाले विकास कार्य ठप्प हैं. इनके व्यवहार से आम जनता ठगा महसूस कर रही है, रायबरेली में इनकी जानकारी देने वालों को उचित पुरष्कार दिया जाएगा.

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गोरखपुर कांड में चौंकाने वाला खुलासा, सामने आया तीसरा नाम, जो ला सकता है भूचाल: पढ़ें

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गोरखपुर कांड में एक और आरोपी का खुलासा हुआ है जो आधिकारिक आरोपी तो नहीं है लेकिन परदे के पीछे सारा खेल उसी का है. इस आरोपी का नाम है पूर्णिमा शुक्ला जो मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा की बीवी हैं, राजीव मिश्रा भले ही कॉलेज के प्रिंसिपल और हॉस्पिटल के इंचार्ज हैं लेकिन हॉस्पिटल की चाबी पूर्णिमा शुक्ला के हाथों में रहती थी और पूर्णिमा शुल्क्ला के ऊपर बड़े सपाई नेता का हाथ था. अस्पताल में पूर्णिमा शुक्ला के नाम की इतनी दहशत है कि कोई भी स्टाफ उनके आगे चूं तक नहीं कर सकता. मतलब पूर्णिमा शुक्ला ही राजीव शुक्ला और डॉ कफील अहमद के साथ सबकुछ डील करती थीं.

हादसे में पूर्णिमा शुक्ला का क्या हाथ

अब तो सब कुछ साफ़ हो गया है कि योगी सरकार ने 5 अगस्त को ही हॉस्पिटल के बैंक अकाउंट में पैसे जारी कर दिए थे, इसके अलावा हॉस्पिटल के अकाउंट में 1.86 करोड़ रुपये पहले से ही थे. 2 करोड़ रुपये योगी सरकार ने भेजे तो यह रकम 3.86 करोड़ रुपये से ऊपर हो गयी. अगर राजीव मिश्रा चाहते तो यह पैसे ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली फर्म पुष्पा लिमिटेड को पहले ही दिए जा सकते थे लेकिन ऐसा जान बूझकर नहीं किया गया.

सप्लायर को पैसे ना देने की क्या वजह थी?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पुष्पा फर्म के ही BRD मेडिकल कॉलेज में 66 लाख रुपये बकाया थे जिसकी वजह से ऑक्सीजन सप्लाई रोकी गयी थी. अस्पताल के भ्रष्टाचारियों ने कंपनी को यह पैसे जान बूझकर नहीं दिए क्योंकि ये लोग कंपनी से पैसे देने के बदले मोटा कमीशन मांग रहे थे, ये कमीशन राजीव मिश्रा, पूर्णिमा शुक्ला और डॉ कफील खान मिलकर खाते थे. अगर ये लोग चाहते तो कंपनी को कम से कम इतना बता देते कि भाई आपके पैसे हमारे पास आ गए हैं, एक दो दिन बिल बनाने में लगेंगे और आपको पैसे पहुँच जाएंगे. आप ऑक्सीजन सप्लाई मत रोकना वरना बच्चे मर जाएंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया. ये लोग कमीशन मांगते रहे और उन लोगों ने कमीशन देने से इनकार कर दिया. ना ये मान रहे थे और ना ही वो लोग मान रहे थे, जब इधर के कमीशनखोरों ने अपनी जिद नहीं छोड़ी तो कंपनी वालों ने ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी.

डॉक्टर पूर्णिमा शुक्ला निकली महा कमिशनखोर

डॉ पूर्णिमा शुक्ला के बारे में खबर मिल रही है कि वे अस्पताल के बाहर सभी दुकानों से कमीशन और हप्ता लेती थीं, हर मेडिकल स्टोर से उन्हें कमीशन मिलता था, हर चाय वाला, हर समोसे वाला यहाँ अक की मूंगफली वाला भी उन्हें कमीशन देने को मजबूर था. उनकी इसी कमीशनखोरी ने 65 बच्चों की जान ले ली. 

तीनों मिलकर लूट रहे थे सरकार को

यह भी खबर मिल रही है कि अस्पताल में सरकार फ्री इलाज का दावा करती थी लेकिन ये लोग सरकारी सामानों को बेचकर खा जाते थे और मरीजों को अपने आप से बिस्तर, चद्दर, दस्ताने और अन्य सामान खरीदकर लाना पड़ता था. यही नहीं जहाँ से मरीज ये सब सामान खरीदते थे वहां से भी मैडम को कमीशन मिलता था.

लिक्विड ऑक्सीजन खरीद में भी जमकर कमीशनखोरी

आपको बता दें कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में लिक्विड आक्सीजन की उपलब्धता काफी आसान है और सिलेंडर के मुकाबले ये आक्सीजन काफी सस्ती भी होती है. यह भी खुलासा हो रहा है कि लिक्विड आक्सीजन सप्लाई के लिए टेंडर देने में जमकर कमीशनखोरी होती थी, मतलब जो अधिक कमीशन देता था उसे ही टेंडर मिलता था. 

10 अगस्त को तीनों खलनायक गायब थे 

आपको पता चल गया ना कि अस्पताल के खाते में 1.86 करोड़ रुपये पहले से ही मौजूद थे, योगी सरकार ने भी 5 अगस्त को 2 करोड़ रुपये भेज दिए, इस तरह से 5 अगस्त को ही अस्पताल के बैंक खाते में 3.86 करोड़ रुपये हो गए इसके बावजूद भी पुष्पा फर्म को 66 लाख रुपये बकाया राशि नहीं दी गयी क्योंकि कमीशन नहीं मिल रहा था. इन कमीशनखोरों की हरकत तो देखिये, ना तो इन लोगों ने पुष्पा फर्म को पैसे दिए और जब उसनें ऑक्सीजन सप्लाई रोक दी तो तीनों लोग वहां से भाग निकले. 10 जुलाई को ना तो डॉ कफील खान हॉस्पिटल में थे और ना ही डॉ राजीव मिश्रा हॉस्पिटल में थे. सब के सब अपनी जिम्मेदारी से भाग निकले और बच्चे तड़प तड़प कर मर गए. 

होनी चाहिए CBI जांच

अगर इस मामले की CBI जांच हो जाए तो और भी बहुत बड़े खुलासे हो सकते हैं और यह कांड पूरे देश की ऑंखें खोलने का काम कर सकता है. यह भी खुलासा हो सकता है कि इन लोगों ने अब तक कितना सरकारी खजाना लूटा है और कितने बच्चों की जान इनकी वजह से गयी है. यह भी खुलासा हो सकता है कि किस नेता की शह पर ये लोग इतने बड़े बड़े कांड करते थे और किस सपा नेता से इनके सम्बन्ध थे.

अभी अभी, चंडीगढ़ में स्वतंत्रता दिवस के कायक्रम में भाग लेने गयी लड़की के साथ रेप

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चंडीगढ़: चंडीगढ़ से एक हैरान करने वाली खबर आयी है. एक लड़की से रेप का मामला सामने आया है. आपको बता दें कि चंडीगढ़ पुलिस देश में सबसे सतर्क और तेज मानी जाती है लेकिन इसके बावजूद भी एक व्यक्ति से स्वतंत्रता दिवस के समारोह में भाग लेने गयी लड़की के साथ दिन दहाड़े रेप की घटना को अंजाम दिया.

रिपोर्ट के अनुसार पीड़ित छात्रा आठवीं कक्षा में पड़ती है. वह अपने स्कूल में स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए गयी थी. जब वह वापस लौट रही थी तो सेक्टर 23 स्थित चिल्ड्रन ट्रैफिक पार्क स्थित नाले के पास उसके साथ रेप हुआ. यह इलाका सूनसान है जिसकी वजह से घटना के बारे में लोगों को पता नहीं चला.

पीड़ित छात्रा के अनुसार रेप के आरोपी की उम्र करीब 40 साल के आसपास है. फिलहाल पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पाई है. पुलिस ने जांच शुरू कर दी है.

गोरखपुर कांड में सुधीर चौधरी ने कर डाली झूठी DNA एनालिसिस, सबसे बड़े विलेन को बना दिया हीरो

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सोशल मीडिया पर करोड़ों देशभक्त लोग जी न्यूज़ को बहुत ही देशभक्त चैनल समझते हैं और उनके पत्रकारों को भी देशभक्त और इमानदार समझते है, ऐसे लोग शायद जी न्यूज़ और DNA को पहले से नहीं जानते, जी न्यूज़ सिर्फ 3 वर्षों से देशभक्त बना है वो भी मोदी सरकार के आने के बाद, ऐसा इसलिए क्योंकि इन्होने देशभक्तों की भावनाओं को समझा, रिसर्च किया और देशभक्ति पर ख़बरें दिखाने लगे ताकि देशभक्त लोग सिर्फ इनका चैनल देखें.

लेकिन गोरखपुर कांड में जी न्यूज़ के पत्रकारों का मिजाज बदला बदला सा है. ये पत्रकार जमकर आलतू-फालतू ख़बरें दिखा रहे हैं और एक तरह से योगी सरकार पर हमलावर हैं. इससे भी बड़ी हैरानी की बात यह थी कि जी न्यूज़ के अखबार DNA की वेबसाइट पर ही डॉ कफील खान को हीरो बताने वाली खबर छपी थी. मतलब DNA वालों ने ही डॉ कफील खान को हीरो बताया था लेकिन डॉ कफील खान तो सबसे बड़े विलेन निकले, हैरानी तो इस बात की है कि सुधीर चौधरी DNA के चीफ संपादक हैं और वे शाम को सबकी DNA भी करते हैं. DNA मतलब डेली न्यूज़ एंड एनालिसिस.

गोरखपुर कांड में इनकी DNA गड़बड़ा गयी और इन्होने अनाप शनाप DNA एनालिसिस कर डाली. इन्होने विलेन को हीरो बता दिया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल भी कर दिया. लोगों को सुधीर चौधरी से ये उम्मीद नहीं रही होगी.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डॉ कफील खान ही गोरखपुर BRD मेडिकल कॉलेज के Encephalitis विभाग के इंचार्ज थे और हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट का काम भी यही संभाल रहे थे क्योंकि मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा छुट्टी पर चले गए थे. कल जाँच में पता चला कि जब हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमीं से बच्चे तड़प तड़प कर मर रहे थे तो डॉ कफील खान अपने प्राइवेट क्लिनिक में बैठे थे. जब बच्चे मरने लगे तो वे दौड़े दौड़े आये और नौकरी जाने के डर से दौड़ भाग करने लगे. वे फटाफट अपने प्राइवेट क्लिनिक से तीन सिलेंडर लाए और मीडिया को पैसे खिलाकर अपली तारीफ में ख़बरें छपवा दिया. मीडिया ने भी पैसे खाकर उन्हें हीरो बना दिया और जी न्यूज़ के बड़े अखबार DNA ने भी उन्हें हीरो बनाते हुए खबर छाप दी. 

आज पता चला कि डॉ कफील खान सरकारी अस्पताल से भी सिलेंडर चुराते थे और उसे अपने प्राइवेट अस्पताल में ले जाते थे. यही नहीं वे BRD मेडिकल कॉलेज की खरीद कमेटी के मेंबर थे इसके बावजूद भी उन्होंने ऑक्सीजन की कमीं को हलके में लिया और योगी सरकार को इसकी जानकारी नहीं दी. योगी दो दिन पहले ही BRD हॉस्पिटल पहुंचे थे और उन्होंने समस्याओं की जानकारी मांगी थी लेकिन डॉ कफील खान ने उन्हें इस बारे में नहीं बताया.

कुमार विश्वास ने भी डॉ कफील खान को ठोंक दिया सलाम, तो कपिल मिश्रा ने उनका बैंड बजा दिया: पढ़ें

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कल आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने भी बिकाऊ मीडिया की ख़बरों को सच मानकर गोरखपुर कांड के असली विलेन डॉ कफील खान को सलाम ठोंका था. उन्होने DNA की एक खबर पर विश्वास करके डॉ कफील खान को सलाम ठोंका था. DNA ने अपनी खबर में डॉ कफील खान को गोरखपुर कांड का हीरो बताते हुए कहा था कि डॉ कफील खान ने हीरो बनकर सैकड़ों बच्चों की जान बचा ली. कुमार विश्वास भी DNA की झूठी खबर को सच मान बैठे और डॉक्टर फकील खान को अच्छा सा सलाम ठोंक दिया.

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आज आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली में पूर्व जल मंत्री कपिल मिश्रा ने कुमार विश्वास का बंद बजा दिया. उन्होने कहा कि चंद वोटों की खातिर सलाम बजाने की जल्दी ना करें. पहले सच जानें. कहीं खलनायक हो नायक तो नहीं बना रहे आप.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि डॉ कफील खान ही गोरखपुर BRD मेडिकल कॉलेज के Encephalitis विभाग के इंचार्ज थे और हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट का काम भी यही संभाल रहे थे क्योंकि मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा छुट्टी पर चले गए थे. कल जाँच में पता चला कि जब हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमीं से बच्चे तड़प तड़प कर मर रहे थे तो डॉ कफील खान अपने प्राइवेट क्लिनिक में बैठे थे. जब बच्चे मरने लगे तो वे दौड़े दौड़े आये और नौकरी जाने के डर से दौड़ भाग करने लगे. वे फटाफट अपने प्राइवेट क्लिनिक से तीन सिलेंडर लाए और मीडिया को पैसे खिलाकर अपली तारीफ में ख़बरें छपवा दिया. मीडिया ने भी पैसे खाकर उन्हें हीरो बना दिया और जी न्यूज़ के बड़े अखबार DNA ने भी उन्हें हीरो बनाते हुए खबर छाप दी. 

आज पता चला कि डॉ कफील खान सरकारी अस्पताल से भी सिलेंडर चुराते थे और उसे अपने प्राइवेट अस्पताल में ले जाते थे. यही नहीं वे BRD मेडिकल कॉलेज की खरीद कमेटी के मेंबर थे इसके बावजूद भी उन्होंने ऑक्सीजन की कमीं को हलके में लिया और योगी सरकार को इसकी जानकारी नहीं दी. योगी दो दिन पहले ही BRD हॉस्पिटल पहुंचे थे और उन्होंने समस्याओं की जानकारी मांगी थी लेकिन डॉ कफील खान ने उन्हें इस बारे में नहीं बताया.

ऐसे विलेन को DNA वेबसाइट ने हीरो बना दिया और कुमार विश्वास जैसे लोग भी उनकी बातों में आ गए, लेकिन कपिल मिश्रा ने उनका अच्छे से बैंड बजा दिया.

इन दोनों आतंकियों को देखकर बोले लोग 'अबे ये टेररिस्ट हैं या रिक्शे वाले हैं', पढ़ें मजेदार कमेंट

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आज कश्मीर में एक नए आतंकवादी संगठन का नाम सामने आया. इस आतंकवादी संगठन का नाम है हरकत-उल-मुजाहिद्दीन. इस संगठन के दो आतंकी भी गिरफ्तार किये गए हैं. दोनों आतंकियों के पास से हथियार और कारतूस भी बरामद हुए. दो हैण्ड ग्रेनेड भी बरामद किये गए. दोनों आतंकियों को पुलिस को सौंप दिया गया है.

सोशल मीडिया पर जैसे ही लोगों को इन आतंकियों के पकडे जाने की खबर मिली, लोग खुश हो गए लेकिन आतंकियों को देखते ही लोगों का जोश ठंढा पड़ गया. लोगों ने सोचा होगा कि आतंकवादी हट्टे कट्टे होंगे और गबरू जवान होंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं था. इसके बाद लोगों ने ऐसे फनी कमेन्ट किये जिसे पढ़कर आप हंस पड़ेंगे.

एक ने कहा, अबे ये टेररिस्ट हैं या रिक्शे वाले हैं. दूसरे ने कहा - इनको कुछ खिलते पिलाते नहीं हो क्या तुम लोग. तींसरे ने कहा - खाए पिए को तो भारतीय सेना ने जहन्नुम में भेज दिया है, अब यही बचे हैं. पांचवे ने कहा कि इनसे अच्छे तो हमारे यहाँ के स्मैकिये हैं. एक अन्य ने कहा कि इनको ठोंक देना चाहिए क्योंकि कोर्ट में कुछ गद्दार बैठे हैं जो इन्हें छुड़वा लेंगे.

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पीटे गए जाट आन्दोलन के लीडर यशपाल मालिक तो लोग बोले 'हरियाणा को जला रहा था, बढ़िया हुआ'

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हरियाणा से एक बड़ी खबर आ रही है. जाट आन्दोलन के अगुवा यशपाल मालिक की जमकर धुनाई हुई है. वे घायल हो गए हैं. उन्हें धुनने वाले कोई और नहीं जाट लोग ही हैं. यह घटना फतेहाबाद जिले के समैण गाँव की है. मीटिंग के दौरान जाट नेताओं के दो ग्रुपों में टकराव हो गया जिसमें अखिल भारतीय जाट आरक्षण समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक समेत करीब 8-10 लोगों को चोटें आयी हैं.

रिपोर्ट के अनुसार यह घटना खाप नेता सूबे सिंह समैण के गांव समैण की है, जहां आज दोपहर जाट नेताओं के बीच टकराव हुआ. आरोप है कि जनसभा में पहुंचने के बाद समैण गुट के लोगों ने लाठी-डंडों से हमला कर दिया। इसके बाद जाट नेता यशपाल मलिक समेत 8-10 लोग घायल हो गए।

यशपाल मलिक का कहना है कि उन्होंने जनसभा में बाहरी लोगों के आने की सूचना पुलिस को दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसी का नतीजा है कि 30-40 बाहरी लोगों ने उन पर हमला कर दिया।

इस घटना की खबर जैसे ही सोशल मीडिया पर फैली, कई लोगों ने खुशी भी जताई. लोगों ने कहा कि यशपाल मलिक हरियाणा का माहौल खराब कर रहा है. इसका मकसद हरियाणा के जाटों का माल समेटना है. एक अन्य ने कहा कि - लो भैया हरियाणा जलाने वाले यशपाल मलिक की हो गयी धुलाई, आग लगाने वाला अब खुद धुल गया. कई अन्य लोगों ने इस पिटाई कांड की तारीफ की.

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बिकाऊ मीडिया ने इसे बना दिया था हीरो, अगर खुलासा ना होता तो शायद बना देते भारत रत्न का दावेदार

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देश के बिकाऊ मीडिया की पोल एक बार फिर से खुल गयी हैं क्योंकि बिकाऊ मीडिया ने गोरखपुर कांड के बाद आनन फानन में उसे ही हीरो बना दिया जो इस कांड का विलेन है और जिसकी वजह से दर्जनों बच्चों की जान गयी है. बिकाऊ मीडिया ने पैसे खाकर गोरखपुर कांड के असली विलेन डॉ कफील खान को हीरो बना दिया था, उसके बारे में कहा जा रहा था कि इसनें ही सैकड़ों बच्चों की जान बचाई, इमरजेंसी में सिलेंडर का इंतजाम किया और बच्चों को ऑक्सीजन दी.

अब पता चल रहा है कि डॉ कफील खान सरकारी अस्पताल के ऑक्सीजन के सिलेंडरों को चुराकर उसे अपने निजी अस्पताल में ले जाते थे और वही चोरी के 3 सिलेंडर वह उस दिन वापस लाकर हीरो बन गए. अगर वे सरकारी सिलेंडरों को चुराकर अपने क्लिनिक में ना ले जाते तो अस्पताल में ऑक्सीजन की कमीं ही ना होती और इतने बच्चों की जान ही ना जाती.

अगर डॉ कफील खान की पोल ना खुलती तो बिकाऊ मीडिया ने जिस तरह से उसे हीरो बनाया था, शायद अब तक उसे भारत रत्न का दावेदार भी बना दिया जाता.

गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त को सबसे अधिक 23 बच्चों की मौत हुई थी और उसी दिन ऑक्सीजन की सप्लाई रुकी थी, एक ऐसा खुलासा हुआ है जिसकी वजह से सब कुछ साफ़ हो गया है. डॉ कफील खान जो Encephalitis विभाग के इंचार्ज थे और हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट भी वही थे, मतलब पूरा पूरे हॉस्पिटल की जिम्मेदारी उस वक्त उन्हीं के कंधे पर थी क्योंकि प्रिंसिपल राजीव मिश्रा छुट्टी पर थे. डॉ कफील खान उस दिन सरकारी अस्पताल में ड्यूटी देने के बजाय अपने क्लिनिक पर बैठे थे.

होने लगी कार्यवाही, होने लगे खुलासे तो चुप बैठ गए अखिलेश यादव, अब कहीं खुद ना फंस जाएं: पढ़ें

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गोरखपुर कांड को यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जमकर भुनाने की कोशिश की, उन्होंने दूसरे ही दिन प्रेस कांफ्रेंस कर डाली और योगी सरकार का इस्तीफ़ा माँगना शुरू कर दिया. उन्होने घटना में दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की मांग भी कर डाली. घटना के दो दिन तक अखिलेश सरकार लगातार इस मुद्दे पर बोलते रहे और सरकार को घेरते रहे लेकिन अब इस कांड पर कार्यवाही हो रही है और कई खुलासे हो रहे हैं तो अखिलेश यादव चुप बैठ गए हैं क्योंकि अब उन्हें डर है कि कहीं वे खुद इस कांड में ना फंस जाएं.

अब खबर आ रही है कि घटना के मुख्य अभियुक्त मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल राजीव मिश्रा उनके ख़ास आदमी हैं, यही नहीं Encephalitis विभाग के इंचार्ज और नोडल ऑफिसर डॉ कफील खान भी उनके और आजम खान एक ख़ास आदमी हैं और वे हमेशा योगी के खिलाफ बोलते रहे हैं. उनके कई ट्वीट भी आ चुके हैं जिसमें वे योगी और बीजेपी नेताओं के खिलाफ विवादास्पद टिप्पड़ी कर चुके हैं.

यह भी खबर आ रही है कि पूर्व अखिलेश सरकार में ही ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी के साथ 8 वर्षों का कॉन्ट्रैक्ट हुआ था और हॉस्पिटल के प्रिंसिपल खरीद कमेटी के अध्यक्ष हैं और विभाग के इंचार्ज कफील खान भी कमेटी के मेम्बर हैं. मतलब ये सारा खेल इन लोगों का किया हुआ है.

इससे भी चौंकाने वाली बात यह सामने आ रही है कि डॉ कफील खान का खुद का हॉस्पिटल है और वे सरकारी हॉस्पिटल से सिलेंडर चुराकर अपने अस्पताल में ले जाते हैं, इस मामले में प्रिंसिपल राजीव मिश्रा भी उनके साथ हैं. घटना के दिन भी वे अस्पताल के बच्चों को राम भरोसे छोड़कर अपने प्राइवेट क्लिनिक पर बैठे थे.

अब अखिलेश यादव देख रहे हैं कि उनके ही दोनों आदमी इस मामले में फंस गए हैं इसलिए वे चुप बैठ गए हैं. अब उन्हें ये डर सता रहा है कि कहीं ये लोग सिलेंडर घोटाले में मेरा नाम ना ले लें क्योंकि 8 साल का कॉन्ट्रैक्ट उन्होने दिया था. ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी से भी उनके रिश्ते निकल रहे हैं. कुल मिलकर अखिलेश यादव भी इस मामले में फंस सकते हैं.

खुलासा, 10 अगस्त को जब 23 बच्चे तड़पकर मर रहे थे तो अपने प्राइवेट अस्पताल में बैठे थे कफील खान

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गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में 10 अगस्त को सबसे अधिक 23 बच्चों की मौत हुई थी और उसी दिन ऑक्सीजन की सप्लाई रुकी थी, एक ऐसा खुलासा हुआ है जिसकी वजह से सब कुछ साफ़ हो गया है. डॉ कफील खान जो Encephalitis विभाग के इंचार्ज थे और हॉस्पिटल के सुपरिंटेंडेंट भी वही थे, मतलब पूरा पूरे हॉस्पिटल की जिम्मेदारी उस वक्त उन्हीं के कंधे पर थी क्योंकि प्रिंसिपल राजीव मिश्रा छुट्टी पर थे.

अब खुलासा यह हुआ है कि जब 10 अगस्त को ऑक्सीजन की सप्लाई रुक गयी और बच्चे तड़प तड़प कर मरने लगे तो उस वक्त डॉ कफील खान अपने क्लिनिक में बैठकर मरीजों को देखकर रहे थे और ऊपरी कमाई कर रहे थे. डॉ कफील की गैर-मौजूदगी में ऑक्सीजन सप्लाई रुक गयी, एडवांस में ऑक्सीजन सिलेंडर मौजूद थे लेकिन उन्हें लगाने में दो घंटे का समय लग गया और इस वक्त डॉ कफील खान मौजूद नहीं थे, अगर वे पहले से ही सिलेंडरों को फिट करके रखते तो लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होते ही सिलेंडर से ऑक्सीजन देने का काम शरू हो जाता और 23 बच्चों की जान बच जाती लेकिन डॉ साहब तो अपने क्लिनिक में पैसे कमाने में मस्त थे.

जब डॉ कफील को हादसे की जानकारी मिली तो वे भागे भागे मेडिकल कॉलेज आये लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, 23 बच्चे तड़प तड़प कर मर चुके थे. अगर डॉ कफील उस वक्त हॉस्पिटल में मौजूद होते और समय पर ऑक्सीजन सिलेंडर लगवा देते तो सभी बच्चे आज जीवित होते. 

अस्पताल में कम प्राइवेट क्लिनिक पर अधिक बैठते थे डॉ काफ़िल

डॉ कफील के बारे में खबर आ रही है कि ये सरकारी अस्पताल में कम लेकिन अपने प्राइवेट क्लिनिक पर अधिक बैठते थे. हादसे के दिन भी वे बच्चों को भगवान भरोसे छोड़कर अपने क्लिनिक पर बैठे थे. वे Encephalitis विभाग के नोडल ऑफिसर होने के बाद भी ऐसा गैर-कानूनी काम करते थे.

ऑक्सीजन सिलेंडर चुराने का भी आरोप 

डॉ कफील पर यह भी आरोप लग रहे हैं कि वे सरकारी अस्पताल से ऑक्सीजन के सिलेंडर चुराकर अपने निजी अस्पताल में ले जाते थे और सरकार से चोरी करते थे. उनकी प्रिंसिपल राजीव मिश्रा के साथ भी साठ-गाँठ थी, दोनों लोगों को ही इस हादसे के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है और दोनों लोगों को सस्पेंड कर दिया गया है. यही नहीं डॉ कफील मेडिकल कॉलेज की खरीद कमेटी के मेम्बर भी हैं इसलिए उन्हें ऑक्सीजन सप्लाई की स्थति के बारे में पूरी जानकारी थी लेकिन उन्होंने पूछने के बाद भी योगी को इस मामले में कोई जानकारी नहीं दी. योगी ने दो दिन पहले ही BRD मेडिकल कॉलेज का दौरा किया था और समस्याओं के बारे में जानकारी माँगी थी लेकिन डॉ कफील खान ने उन्हें कोई जानकारी नहीं दी.

इस डॉक्टर की पैसे कमाने की हवस ने ली 60 बच्चों की जान, हो गया गोरखपुर कांड का पर्दाफाश: पढ़ें

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पैसे कमाने की हवस बहुत बुरी होती है. जिस सरकारी अस्पताल के डॉक्टर की प्राइवेट क्लिनिक या नर्सिंग होम होता है उसके अन्दर पैसे कमाने की हवस इतनी बढ़ जाती है कि वो पहले मरीजों को इतना परेशान कर देते हैं कि मरीज उनसे पूछते हैं - डॉक्टर साहब अब क्या करें. इसके बाद डॉक्टर कहते हैं कि मरीज को मेरे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करा दो तब देखते हैं. इसके बाद मरीजों को मजबूर होकर डॉक्टर के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है और डॉक्टर उनसे मुंहमांगा पैसा लूटते हैं.

गोरखपुर कांड में भी यही मामला सामने आ रहा है. आप खुद समझ सकते हैं कि एक मेडिकल कॉलेज का इंचार्ज और सुपरिनटेंडेंट होने के बावजूद भी अगर डॉ कफील खान अपना नर्सिंग होम खोल रखे थे तो वे सरकारी अस्पताल में भर्ती बच्चों का किस कदर से ख्याल रखते होंगे. हमने खुद अनुभव किया है कि ऐसे डॉक्टरों का हमेशा ध्यान अपने नर्सिंग होम के मरीजों पर होता है क्योंकि वहां पर मरीजों के प्रति उनकी जिम्मेदारी अधिक होती है, अगर एक मरीज भी मर जाए तो लोग डॉक्टरों को मारने पीटने पर उतारू हो जाते हैं लेकिन सरकारी अस्पतालों में कोई मर जाए तो इतना डर नहीं होता.

कहने का मतलब ये है कि सरकारी अस्पताल में होने के बाद भी कफील खान का अपना नरसिंह होम था जिसका नाम था Medspring. इस नर्सिंग होम में बच्चों के भर्ती करने की सुविधा थी, यह अस्पताल 24 घंटे खुला रहता था और डॉ कफील खान ही मरीजों को देखते थे. मतलब जैसे ही उनके नर्सिंग होम में कोई मरीज आता था तो वे सरकारी अस्पताल की ड्यूटी छोड़कर अपने नर्सिंग होम में चले आते थे और सरकार अस्पताल के मरीजों को उनके हाल पर छोड़ देते थे.

एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि यह अस्पताल उनकी पत्नी के नाम पर था जो सिर्फ एक डेंटिस्ट हैं लेकिन यहाँ पर भी बच्चों में Encephalitis का भी इलाज किया जाता था, अस्पताल में ICU था और लगभग वही सुविधा दी जाती थी जो BRD मेडिकल के बच्चों के इलाज में दी जाती है. मतलब डॉ कफील खान सरकारी अस्पताल की सभी सुविधाएं अपने प्राइवेट अस्पताल में प्रदान कर रहे थे, यह भी हो सकता है कि सरकारी अस्पताल के मरीजों को जान बूझकर परेशान किया गया हो ताकि वे उनके नर्सिंग होम में भर्ती हो सकें. हो सकता है कि डॉ कफील खान ने जान बूझकर ऑक्सीजन की सप्लाई रुकवाई हो ताकि बच्चे मरने लगें और वे उन्हें अपने प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराकर खूब पैसा कमाना चाहते हों क्योंकि सरकारी अस्पताल में सिलेंडर गायब थे लेकिन उनके प्राइवेट अस्पताल में सिलेंडर मौजूद थे. कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि वे सरकारी अस्पताल के सिलेंडर चुराकर अपने अस्पताल में पहुंचा देते थे. घटना के दिन भी उन्होंने शायद सिलेंडर चुरा लिए हों क्योंकि वे खुद तीन सिलेंडर अपने प्राइवेट अस्पताल से लाए थे.

कुल मिलकर कहने का मतलब ये है कि 60 बच्चों की ये मौतें भ्रष्टाचार, पैसे कमानें की हवस और लालच का नतीजा लग रहा है और इस मामले की CBI जांच होनी चाहिए, हो सकता है कि पिछले साल अगस्त महीनें में 600 मौतें का भी खुलासा हो जाए, हो सकता है कि हर साल अगस्त महीनें में जो 600-700 मौतें होती हैं उसका भी खुलासा हो जाए.

गोरखपुर में जनसंहार बताने वाले पत्रकारों को योगी ने बताया फर्जी, लगाई जमकर फटकार, पढ़ें क्या कहा

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पिछले साल इसी महीनें में गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में 600 से अधिक बच्चों की मौत हुई थी, उस समय यूपी में अखिलेश यादव की सरकार थी इसलिए किसी भी मीडिया चैनल ने इसे बड़ी खबर नहीं बनाया लेकिन इस साल योगी की सरकार है इसलिए 30 बच्चों की मौत के बाद ही मीडिया ने हाहाकार मचा दिया और उल्टी सीधी ख़बरें चलाकर देश को गुमराह करना शुरू कर दिया जबकि इस अस्पताल में रोजाना 18-20 बच्चों की मौत बीमारी की वजह से ही होती है.

जी न्यूज़ की पत्रकार रुबिका लियाकत ने तो अपन स्टूडियो में बैठकर इसे जनसंहार का नाम दे दिया. उन्होने योगी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि योगी सरकार ने बच्चों का नरसंहार कर दिया है. कई और न्यूज़ चैनलों ने भी भड़काऊ ख़बरें दिखाईं.

आज ऐसे पत्रकारों को योगी आदित्यनाथ ने फर्जी बता दिया. उन्होने इन पत्रकारों को फटकार लगाते हुए कहा कि तुम लोगों में थोड़ी सी भी शर्म है तो झूठी ख़बरें मत दिखाओ, देश को गुमराह मत करो, असली पत्रकार हो तो हॉस्पिटल में जाओ, वार्डों में जाओ और उसके बाद देखो कि वहां पर नरसंहार हुआ है या किसी की गलती से बच्चों की मौत हुई है. उन्होंने कहा कि इस तरह से झूठी ख़बरें दिखाकर आप लोग पत्रकारिता को बदनाम कर रहे हैं.

गोरखपुर में बच्चों की मौत के विलेन डॉ काफ़िल खान के बारे में कई चौंकाने वाले खुलासे: पढ़ें

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गोरखपुर में दर्जनों मासूम बच्चों की असमय मौत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक्शन शुरू हो गया है. आज उन्होंने गोरखपुर BRD मेडिकल कॉलेज का दौरा करके हॉस्पिटल के इंचार्ज काफ़िल खान को सस्पेंड कर दिया क्योंकि काफ़िल खान ही Encephalitis वार्ड के इंचार्ज थे और उन्हीं की देख रेख में बच्चों का इलाज चल रहा था, उन्हें सही समय पर ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने की रिपोर्ट देनी चाहिए थी लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया और मासूम बच्चों को मरता हुआ देखते रहे.

अब तक इस बीमारी में पांच दिनों में 68 लोगों की मौत हुई है जिसमें से कम से कम 10-12 बच्चे ऑक्सीजन की कमीं से ख़त्म हुए है. अगर हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित ना हुई होती तो कम से कम 10-12 बच्चे आज भी जीवित होते और विभाग का इंचार्ज होने के नाते काफ़िल खान की ड्यूटी बनती थी कि वह सही समय पर ऑक्सीजन की कमीं की रिपोर्ट जारी करते लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया.

यह भी खबर आ रही है कि डॉ काफ़िल खान हॉस्पिटल के अलावा अपना क्लिनिक चलाते हैं और वहां भी काफी समय देते हैं. उन्होंने बहुत ही चालाकी से यह क्लिनिक अपनी पत्नी के नाम पर खुलवा रखा हिया लेकिन बैठते खुद हैं. यह भी हो सकता है घटना के दिन हॉस्पिटल में मौजूद ही ना रहे हों. वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकारी अस्पताल में काम करने के बाद प्राइवेट क्लिनिक चलाने पर पाबंदी है लेकिन काफ़िल खान सरकारी अस्पताल से अधिक समय अपने क्लिनिक पर देते हैं.

इस कवि ने चीन-पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए, बाजारों से चाइना गंदगी भगाओ, चीन ख़त्म हो जाएगा

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चीन लगातार भारत को युद्ध की धमकी दे रहा है जबकि चीन भारत में ही बिजनेस करके पैसे कमाता है और उन्हीं पैसों से अपनी सेना को पालता है. चीन शायद भूल गया है कि अगर भारत से उसके सामानों का इस्तेमाल बंद कर दिया तो उसका पेट भरना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि चीन आर्थिक रूप से भारत पर निर्भर हो चुका है.

कल फरीदाबाद में एक काव्य समारोह में एक कवि ने चीन के छक्के छुड़ा दिया और चीन को सबक सिखाने का रास्ते भी बता दिया. कवि ने जबरजस्त कविता सुनाई, आप भी पढ़ें - 

शत्रुओं के हौसलों को पस्त करने के लिए शूर सैनिकों के हौसले बुलंद कर लीजिये 
पाकिस्तानी चीनी लोगों ने बनाया गठजोड़, खूनी गठजोड़ टूटे ये प्रबंध कीजिये
चाइनीज गन्दगी से भरे हैं बाजार सारे, देश में ये पहले दुर्गन्ध दूर कीजिये 
ड्रैगन को सबक सिखाने के लिए पहले चाइनीज माल का प्रयोग बंद कीजिये
भारत वासी भूल ना जाना, 1962 का अपमान, बचा लो अपना हिंदुस्तान
बचा लो अपना हिंदुस्तान, बचा लो अपना हिंदुस्तान

धुंवाधार कविता, कवि बोला 'अब्दुल्ला और हिजबुल्ला ने कश्मीर को समझ रखा है अब्बा का रसगुल्ला'

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कल फरीदाबाद में एक कविता समारोह में कवियों ने रंग जमा दिया. इस समारोह में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और कई अन्य बीजेपी नेता मौजूद थे और कविता सुनकर सभी ने जमकर तालियाँ बजायीं. कवि सुधीर ने मोदी की तारीफ करने के साथ साथ 2019 में वापसी के लिए कविता के माध्यम से सन्देश भी दिया जिसपर बीजेपी नेताओं ने काफी उत्साह दिखाया.

पढ़ें, कविता के बोल, जिसपर बजीं तालियाँ


मोदीजी मोदीजी, मोदीजी, मोदीजी 
GST का रुल चला तो सारी दुनिया रो दी जी, 
एक बार आतंकवाद का भी कर दो उपचार, 
2019 में होगी फिर से जय जयकार, तुम्हारी होगी जय जयकार.
मोदीजी मोदीजी, मोदीजी, मोदीजी 
तीन तीन प्रदेशों की खटिया तुमने उठवा दी. 
(एक तिहाड़ वाला, एक उत्तर प्रदेश वाला और एक जिसकी उत्तर प्रदेश में खटिया उठ गयी थी).
जीजा, साले, दीदी, बुआ गुल्लक सबकी तुडवा दी
कैशलेस कर मायापतियों की भी चुटिया कटवा दी 
लालूजी की लालटेन तो गौशाला में टंगवा दी
DNA की जांच रिपोर्ट में निकला भ्रष्टाचार
अमति शाह ने मौका पाते ही कर लिया शिकार 
तुम्हारी हो गयी जय जयकार, मोदीजी मोदीजी, मोदीजी, मोदीजी 
एक बार आतंकवाद का भी कर दो उपचार, 
इन चीनी चूहों से फ़ौरन बंद कर दो व्यापार
साढ़े तीन जिलों में बैठे हैं लश्कर और हिजबुल्ला
कश्मीर को समझ रहे हैं ये अब्बा का रसगुल्ला
जिनके पैरोकार बने आजाद नबी और अब्दुल्ला 
लाल चौक दे रहा चुनौती दिल्ली को खुल्लम खुल्ला
एक बार आतंकवाद का भी कर दो उपचार, 
2019 में होगी फिर से जय जयकार, तुम्हारी होगी जय जयकार.
मोदीजी मोदीजी, मोदीजी, मोदीजी 



4 अगस्त को चिट्ठी मिली, 5 अगस्त को योगी सरकार ने दे दिए पैसे, किसने की गद्दारी: पढ़ें

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गोरखपुर BRD मेडिकल कॉलेज में हुई बच्चों की मौत की सच्चाई अब साफ़ होती जा रही है. कल तक मीडिया चैनल इसमें योगी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे थे लेकिन मामले की तह पर जाने पर ऐसा लगता है कि यह मामला पूर्व सरकारों के भ्रष्टाचार का नतीजा है और अभी यूपी से भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी ख़त्म नहीं हुए हैं. योगी कितना भी सुशासन का दावा करनें लेकिन ये भ्रष्टाचारी उन्हें एक दिन भी कुर्सी पर नहीं देखना चाहते इसलिए इतनी बड़ी साजिश को अंजाम दिया गया है.

कल तक मीडिया चैनल और विपक्ष कह रहे थे कि योगी सरकार ने ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी को पैसे नहीं दिए इसलिए उसनें सप्लाई बंद कर दी और बच्चों की ऑक्सीजन की कमीं से मौत हो गयी, इस सम्बन्ध में अस्पताल द्वारा जारी की गयी चिट्ठी भी दिखा दी गयी लेकिन अब उस चिट्ठी की भी सच्चाई सामने आ गयी है.

जहाँ तक पैसे जारी करने की बात है तो योगी सरकार ने इसमें कोई लापरवाही नहीं दिखाई, ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी ने 1 अगस्त को अस्पताल को पैसे जारी करने के लिए चिट्ठी लिखी थी, अस्पताल ने 4 तारीख को वह चिट्ठी योगी सरकार को भेजी और योगी सरकार ने दूसरे ही दिन यानी 5 अगस्त को अस्पताल के बैंक अकाउंट में पैसे भेज दिए. अगर वो पैसे कंपनी को तुरंत ही मिल जाते तो ऑक्सीजन सप्लाई नहीं रुकती लेकिन अब पता चल रहा है कि मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल पैसे मिलते ही गायब हो गया और समय से कंपनी को पैसे नहीं दिए. पैसे ना मिलने की वजह से कंपनी ने 10 अगस्त को लिक्विड ऑक्सीजन बंद कर दी और बच्चे तड़पने लगे. इसके बाद अस्पताल ने ऑक्सीजन सिलेंडर का इंतजाम किया लेकिन दो घंटे की चूक में शायद 8-10 बच्चे ऑक्सीजन की कमीं से ख़त्म हो गए. वैसे उस अस्पताल में 18-20 बच्चे बीमारी से ही मरते हैं लेकिन मीडिया ने इस मामले को बिना समझे 60 बच्चों की ऑक्सीजन की कमीं से मौत की खबर दिखाकर बवाल बचा दिया.

इसमें साजिश यह है कि अस्पताल के प्रिंसिपल को कंपनी को तुरंत पैसे दे देना चाहिए था, अगर तुरंत देने में असमर्थ थे तो कम से कम इतना बता देते कि पैसे आ गए हैं हम आपको एक-दो दिन में दे देंगे. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. यह भी खबर आ रही है कि पूर्व अखिलेश सरकार ने ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी को 8 साल का ठेका दिया था. अब यह भी जांच का विषय है कि अखिलेश सरकार ने इतने लम्बे समय तक ठेका क्यों दिया था, कहीं अखिलेश और ऑक्सीजन सप्लायर कंपनी में कोई साठ-गाँठ तो नहीं है. कहीं इस मामले में कोई बड़ी साजिश तो नहीं है. इसकी CBI हो जाए तो शायद बड़े बड़े लोग फंस जाएंगे.

योगी के खिलाफ बहुत बड़ी साजिश है गोरखपुर कांड, मीडिया भी बिक गया लेकिन सच आ गया सामने: पढ़ें

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ऐसा लगता है कि गोरखपुर कांड योगी सरकार के खिलाफ बहुत बड़ी साजिश है और मीडिया चैनल भी साजिशकर्ताओं के हाथों बिक गए हैं क्योंकि आज सुबह से मीडिया ने जिस तरह से TRP के लिए उल्टी सीधी ख़बरें दिखाईं और योगी सरकार को बदनाम करने की कोशिश की उसे देखकर लगा कि मीडिया और टीवी चैनल किसी अजेंडे के तहत ख़बरें दिखा रहे हैं. इन मीडिया चैनलों ने सच का इन्तजार भी करने की कोशिश नहीं की और उल्टी सीधी ख़बरें दिखाकर योगी सरकार, बीजेपी और मोदी को बदनाम करने लगे.

खैर अब सच सामने आ रहा है तो मीडिया की भी पोल खुल गयी है. मीडिया वालों का कहना था कि योगी सरकार ने BRD मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी को बकाया राशि नहीं दी जिसकी वजह से उसनें सप्लाई रोक दी और 65 बच्चों की मौत हो गयी इसलिए इस घटना के लिए योगी सरकार जिम्मेदार है, जी न्यूज़ जैसे मीडिया चैनलों ने तो इसे नरसंहार का नाम देकर योगी सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की.

आज योगी ने खुद बताया कि ऑक्सीजन सप्लायर ने पेमेंट में लिए 1 अगस्त को पत्र लिखा था, यह पत्र मेडिकल एजुकेशन के DG को 4 अगस्त को भेजा गया और 5 अगस्त को सरकार ने पैसे जारी कर दिए. जब हेल्थ शिक्षा विभाग ने पैसे जारी कर दिए और मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने कंपनी को पैसे नहीं दिए तो इसमें सरकार की गलती है या प्रिंसिपल की. इसीलिए प्रिंसिपल पर कार्यवाही की गयी है और उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है.

अखिलेश यादव और ऑक्सीजन सप्लायर के रिश्ते आए सामने

अगर उत्तर प्रदेश के गोरखपुर कांड की सही से जांच की जाए तो इसमें अखिलेश यादव भी फंस सकते हैं क्योंकि आज स्वयं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अखिलेश यादव और ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी के बीच संबंधों का खुलासा किया है. कहा जा रहा है कि इस कंपनी के ऑक्सीजन सप्लाई रोकने से ही BRD मेडिकल कॉलेज में 65 बच्चों की मौत हुई है.

उन्होंने कहा कि सप्लायर की भूमिका की जांच करने के लिए हमें चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की है, वे एक हप्ते के अन्दर सप्लायर की भूमिका की जांच करेंगे क्यूंकि इस सप्लायर को 2014 में 8 वर्ष के लिए पिछली अखिलेश सरकार ने ठेका दिया था. हम सप्लायर की जांच कर रहे हैं और नतीजे आने के बाद आपको बताया जाएगा. हो सकता है कि सप्लायर के साथ मिलकर कुछ साजिश की गयी हो.