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धौनी ने कई बार मुझे टीम से बाहर होने से बचाया: कोहली

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नई दिल्ली, 7 जनवरी: भारतीय एकदिवसीय और टी-20 टीम के नए कप्तान विराट कोहली ने अपने पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी की तरीफ करते हुए शनिवार को कहा कि धौनी ने उन्हें कई बार टीम से बाहर होने से बचाया। धौनी ने बुधवार को सभी को हैरान करते हुए एकदिवसीय और टी-20 टीम की कप्तानी से इस्तीफा दे दिया।

दौनी के इस्तीफा देने के बाद टेस्ट टीम के कप्तान कोहली को टी-20 और एकदिवसीय टीमों की कप्तानी भी सौंप दी गई।

कोहली ने कहा है कि करियर के शुरुआती दौर में धौनी ने उनका साथ दिया और उनकी काबिलियत पर भरोसा जताया।

बीसीसीआई की आधिकारिक वेबसाइट पर शनिवार को कोहली के हवाले से कहा गया है, "उन्होंने मुझे शुरुआती दौर में मार्गदर्शन दिया और मुझे मौके भी प्रदान किए। उन्होंने मुझे एक खिलाड़ी के तौर पर निखरने के लिए अच्छा खासा समय दिया। कई बार उन्होंने मुझे टीम से बाहर होने से भी बचाया और इसलिए हमारे बीच एक दूसरे के प्रति सम्मान है।"

कोहली ने कहा, "जाहिर सी बात है, उनकी कमी पूरी करना मुश्किल है। जब भी आप एम. एस. धौनी के बारे में सोचते हैं तो पहला शब्द कप्तान जहन में आता है।"

उन्होंने कहा, "आप धौनी को किसी और रूप में सोच भी नहीं सकते। मेरे लिए वह हमेशा मेरे कप्तान रहेंगे क्योंकि मैंने अपना करियर उन्हीं की कप्तानी में शुरू किया था।"

कोहली ने धौनी को लेकर अपनी रणनीति भी जाहिर की है। कोहली चाहते हैं कि धौनी ऊपरी क्रम में अपनी शैली में बल्लेबाजी करें।

उन्होंने कहा, "मैं जानता हूं कि वह किस तरह के इंसान हैं। अगर मैं उनसे कहूंगा कि आप कहां बल्लेबाजी करना चाहते हैं तो वो कहेंगे की जहां तुम मुझे बल्लेबाजी पर भेजना चाहते हो, लेकिन मैं उन्हें ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी करते हुए देखना चाहता हूं।"

नए कप्तान ने कहा, "मैं चाहता हूं कि वह अपने खेल का आनंद लें। अगर वह ऐसा करते हैं और अपने शुरुआती करियर की तरह बल्लेबाजी करते हैं तो टीम को मजबूती मिलेगी।"

धौनी ने दिसंबर, 2014 में टेस्ट से अचानक संन्यास की घोषणा कर दी थी। धौनी के बाद कोहली तभी से टेस्ट टीम की कमान संभाल रहे हैं। उनके कप्तान रहते टीम ने लगातार पांच श्रृंखलाएं अपने नाम कीं और दोबारा टेस्ट में शीर्ष दर्जा हासिल किया।

कोहली का कहना है कि वह आगे रहकर टीम का नेतृत्व करने में विश्वास करते हैं।

उन्होंने कहा, "अतिरिक्त जिम्मेदारी मिलने से मैंने हमेशा सोचा है कि आपके पास किसी भी पल आराम करने का मौका नहीं है।"

कोहली ने कहा, "इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में भी 60-70 के पार जा कर अपना विकेट खोना आसान था, लेकिन इसके बाद मैंने जब कप्तानी संभाली तो मुझे अहसास हुआ कि मुझे उदाहरण पेश करने हैं और मुझे अपनी टीम से अच्छा प्रदर्शन करने के लिए कहने से पहले खुद करना है।"

भारत को इंग्लैंड के खिलाफ तीन एकदिवसीय और तीन टी-20 मैचों की श्रृंखला खेलनी है जिसका पहला एकदिवसीय मैच 15 जनवरी को पुणे में खेला जाएगा। 

धोनी ने वनडे और टी-20 में टीम इंडिया की कप्तानी छोड़ी, एक खिलाडी के तौर पर खेलते रहेंगे

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मुंबई, 4 जनवरी: भारतीय क्रिकेट को दुनिया का सिरमौर बनाने वाले दुनिया के सफलतम कप्तानों में शुमार महेंद्र सिंह धौनी ने बुधवार को एकदिवसीय और टी-20 टीमों की कप्तानी से भी हटने की घोषणा कर दी। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने बुधवार को एक बयान जारी कर इसकी घोषणा की।

धौनी इंग्लैंड के खिलाफ आगामी एकदिवसीय और टी-20 श्रृंखलाओं में टीम की कमान नहीं संभालेंगे, हालांकि वह टीम में चयन के लिए उपलब्ध रहेंगे।

बीसीसीआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राहुल जौहरी ने एक बयान में कहा है, "सभी क्रिकेट प्रशंसकों और बीसीसीआई की तरफ से मैं महेंद्र सिंह धौनी का भारतीय क्रिकेट को दिए उनके शानदार योगदान के लिए शुक्रिया अदा करता हूं। उनकी कप्तानी में भारत ने क्रिकेट में नई ऊंचाईयों को छुआ।"

धौनी भारत के इकलौते ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने आईसीसी के सभी आयोजनों में टीम को जीत दिलाई है। धौनी की कप्तानी में भारत ने 2007 में टी-20 विश्व कप और 2011 में 50 ओवरों के विश्व कप का खिताब हासिल कर इतिहास रचा, और 2013 में चैम्पियंस ट्रॉफी पर भी कब्जा जमाया।

धौनी की अगुआई में भारत पहली बार टेस्ट में नंबर-1 की कुर्सी पर बैठा।

बीसीसीआई ने एक वक्तव्य जारी कर धौनी के हवाले से कहा, "दौनी ने बीसीसीआई को सूचित किया है कि वह एकदिवसीय और टी-20 टीमों की कप्तानी से हटना चाहते हैं। हालांकि वह इंग्लैंड के खिलाफ आगामी एकदिवसीय और टी-20 श्रृंखलाओं के लिए उपलब्ध रहेंगे और सीनियर चयन समिति को इससे अवगत करा दिया गया है।"

बीसीसीआई की सीनियर चयन समिति इंग्लैंड के खिलाफ आगामी श्रृंखला के लिए टीम का चयन करने के लिए शुक्रवार को बैठक करने वाली है।

एकदिवसीय में धौनी ने कुल 199 मैचों में टीम का नेतृत्व किया। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फिनिशर माने जाने वाले धौनी ने टीम को कप्तान रहते कुल 110 मैचों में जीत दिलाई जबकि 74 मुकाबलों में उन्हें हार मिली। चार मुकाबले टाई और 11 मैचों का कोई परिणाम नहीं निकला। कप्तान रहते हुए एक बल्लेबाज के तौर पर भी धौनी कामयाब रहे। उन्होंने कप्तान रहते एकदिवसीय में 54 का औसत और 86 के स्ट्राइक रेट से 6,683 रन बनाए।

वह विश्व क्रिकेट में सबसे ज्यादा एकदिवसीय मैचों में कप्तानी करने में तीसरे नंबर पर आते हैं। उनसे ज्यादा आस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग और न्यूजीलैंड के स्टीफन फ्लेमिंग ने एकदिवसीय मैचों में कप्तानी की है।

धौनी को क्रिकेट इतिहास में करिश्माई कप्तान भी कहा जाता है। क्रिकेट के मैदान पर उन्होंने कई बार ऐसे जोखिम उठाए जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।

धौनी को पहली बार कप्तान की जिम्मेदारी 2007 में दी गई थी। उनकी पहली परिक्षा ही काफी मुश्किल थी। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने पहली बार टी-20 विश्व कप कराने का फैसला किया। धौनी ने इस विश्व कप से अपनी कप्तानी की शुरुआत की और भारत को विजेता बनाकर स्वदेश लौटे।

टी-20 विश्व कप के बाद ही उन्हें एकदिवसीय टीम की कमान भी सौंपी गई।

उन्होंने 72 टी-20 मैचों में टीम की कमान संभाली और 41 जीत टीम को दिलाई और 28 हारों का सामना किया। एक मैच टाई और दो मैचों का परिणाम नहीं निकला। वह टी-20 में सबसे ज्यादा मैचों में कप्तानी करने वाले खिलाड़ी हैं। टी-20 में कप्तान रहते उन्होंने 122.60 के स्ट्राइक रेट से 1112 रन बनाए। टी-20 में वह बिना अर्धशतक लगाने के बाद सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज भी हैं। टी-20 में उनका सर्वोच्च स्कोर नाबाद 48 है।

पांच साल बाद उन्होंने भारत को एक बार फिर विश्व विजेता बनाया। भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश की संयुक्त मेजबानी में खेले गए 50 ओवरों के विश्व कप में भारत ने धौनी के कप्तान रहते ही जीत हासिल की। भारत ने 28 साल बाद इस विश्व कप पर कब्जा जमाया था। 2015 में हुए विश्व कप में धौनी भारत को सेमीफाइनल तक ले गए।

धौनी की कप्तानी में ही भारत ने अब तक खेले गए छह टी-20 विश्व कप में हिस्सा लिया और धौनी की कप्तानी में भारत दो बार विश्व कप के फाइनल तक पहुंचा। एक बार टीम विजेता बनी तो 2014 में उपविजेता। 2014 के फाइनल में उसे श्रीलंका ने मात दी।

पिछले साल भारत की मेजबानी में हुए टी-20 विश्व कप में भी भारत ने सेमीफाइनल में जगह बनाई, जहां उसे वेस्टइंडीज के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

धौनी ने कप्तानी में अपनी सफलता इंडियन सुपर लीग (आईपीएल) में भी जारी रखी। उन्होंने इस समय निलंबित चल रही चेन्नई सुपर किंग्स को दो बार आईपीएल का विजेता बनाया जबकि चार बार उपविजेता बनी। चेन्नई ने धौनी के कप्तान रहते हर साल आईपीएल के सेमीफाइनल में जगह बनाई।

धौनी ने दिसंबर, 2014 में टेस्ट से संन्यास ले लिया था। धौनी ने 60 टेस्ट मैचों में टीम की कमान संभाली जिसमें 27 में उन्हें जीत और 18 में हार मिली जबकि 11 मैच ड्रॉ रहे। 

सुप्रीम कोर्ट से अब नहीं लड़ेंगे अनुराग ठाकुर, बोले, अब अपने रिटायर जजों से ही चलवा लो BCCI

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नई दिल्ली, 2 जनवरी: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को लोढ़ा समिति की अनुशंसाओं को लागू करने पर अड़ियल रुख अपनाए हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय शिर्के को बाहर का रास्ता दिखा दिया। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी. एस. ठाकुर, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की पीठ ने दोनों शीर्ष अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए उनके खिलाफ एक नोटिस भी जारी किया, जिसमें उनसे पूछा गया है कि उन पर झूठी गवाही देने और अदालत की अवमानना का मुकदमा क्यों न चलाया जाए?

अदालत ने यह भी कहा कि माफी न मांगने पर अनुराग को जेल भी जाना पड़ सकता है।

अदालत का फैसला आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद अनुराग ने कहा, "भारत में पूरी दुनिया की अपेक्षा कहीं अधिक प्रभावशाली खिलाड़ी हैं। मेरे लिए यह व्यक्तिगत लड़ाई नहीं थी। यह लड़ाई खेल संगठन को स्वायत्तता दिलाने की है। मैं किसी भी अन्य नागरिक की तरह सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करता हूं।"

लेकिन, उन्होंने देश की शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों पर निशाना साधा। ट्विटर पर पोस्ट किए अपने वीडियो संदेश में उन्होंने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को लगता है कि सेवानिवृत्त हो चुके न्यायाधीशों के मार्गदर्शन में बीसीसीआई बेहतर काम कर सकता है। मैं उन्हें अपनी शुभकामनाएं देता हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि उनके मार्गदर्शन में भारतीय क्रिकेट का भला होगा।"

अनुराग ने कहा, "बीसीसीआई देश में सबसे व्यवस्थित खेल संघ है। भारत के पास सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट अवसंरचना है और बीसीसीआई की मदद से राज्य क्रिकेट संघ इनकी बहुत अच्छी तरह देखरेख कर रहे हैं।"

अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) से बीसीसीआई में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की नियुक्ति को बोर्ड के कामकाज में सरकारी हस्ताक्षेप के तौर पर पेश करने वाली सिफारिशी चिट्ठी मांगने को लेकर 'झूठी गवाही' देने के बाद से ही अदालत अनुराग और शिर्के से नाराज थी।

पीठ ने अंतरिम व्यवस्था के तहत बीसीसीआई के वरिष्ठतम उपाध्यक्ष को बोर्ड का अध्यक्ष और संयुक्त सचिव को बोर्ड का सचिव नियुक्त किया है।

सर्वोच्च न्यायालय ने एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम और जाने-माने वकील फली नरीमन को उन लोगों के नाम सुझाने के लिए कहा है, जो एक प्रशासक के नेतृत्व में काम करने वाली समिति में शामिल हों। यह समिति बीसीसीआई के संचालन का कामकाज देखेगी।

शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 जनवरी की तिथि निर्धारित की है। इसी दिन बीसीसीआई अंतरिम बोर्ड की घोषणा होगी। न्यायालय ने कहा कि वह उसी दिन प्रशासक की नियुक्ति का आदेश भी जारी करेगा।

अदालत ने यह भी कहा कि लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने को लेकर अड़ियल रुख रखने वाले बीसीसीआई के अधिकारियों और बोर्ड से संबद्ध राज्य क्रिकेट संघों के अधिकारियों को अपना पद छोड़ना होगा।

सर्वोच्च न्यायालय ने बीसीसीआई और इससे संबद्ध राज्य संघों के अधिकारियों को लोढ़ा समिति की सिफारिशों को मानने के संबंध में प्रतिबद्धता देने को भी कहा।

अनुराग के साथ सचिव पद से हटाए गए शिर्के ने कहा, "मेरे पास कहने के लिए कुछ नहीं है। बीसीसीआई में मेरा काम खत्म हो गया है। अगर सर्वोच्च न्यायालय ने मुझे हटने के लिए कहा है, तो ठीक है। आशा है कि नया प्रबंधन बोर्ड का संचालन सही तरीके से करेगा। बोर्ड की स्थिति पर अब और अधिक आंच नहीं आएगी।"

सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए न्यायमूर्ति लोढ़ा ने कहा, "इन सिफारिशों को लागू करने का फैसला 18 जुलाई को सुनाया गया था। बीसीसीआई इस फैसले को लागू करने के लिए बाध्य थी, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। इसलिए, ऐसे परिणामों का सामना करना पड़ रहा है।"

उन्होंने कहा, "सिफारिशों को लागू किया जाना चाहिए था, लेकिन अब यह हो गया। समिति ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष तीन रिपोर्ट पेश की। इसके बावजूद सिफारिशों को लागू नहीं किया गया।"

बीसीसीआई के पूर्व कोषाध्यक्ष किशोर रूंगटा ने कहा, "यह लोढ़ा समिति की सिफारिशों को नहीं मानने का नतीजा है।"

बीसीसीआई के कामकाज की लगातार आलोचना करते रहने वाले भारत के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि भारतीय क्रिकेट सही रास्ते पर लौट आएगा। मैं इस फैसले से संतुष्ट हूं।"

डीडीसीए मामले की जांच करने वाले न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल ने भी इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा, "ठाकुर और शिर्के को सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को नहीं मानने का परिणाम भुगतना पड़ा है।"

जब तक BCCI में कांग्रेसी थे तो सुप्रीम कोर्ट ने कुछ नहीं किया, BJP वाले आये तो उन्हें हटा दिया

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नई दिल्ली, 2 जनवरी: अनुराग ठाकुर बीजेपी के दिग्गज देना माने जाते हैं और वे जब से BCCI के सचिव बने उन्होंने BCCI की सफाई शुरू कर दी, उन्होंने सबसे भ्रष्ट BCCI अध्यक्ष एन श्रीनिवासन को पूरी तरह से साफ कर दिया और उन्हें ICC चेयरमैन पद से भी हटवा दिया, उन्होंने धीरे धीरे कांग्रेसी नेताओं को BCCI से साफ़ कर दिया, इससे पहले शरद पवार, एन श्रीनिवासन जैसे कांग्रेसी नेताओं ने BCCI पर कब्ज़ा जमा रखा था लेकिन तब तक ना तो कोई लोढ़ा कमेटी बनी और ना ही सुप्रीम कोर्ट ने किसी को बाहर निकाला लेकिन जैसे ही बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर BCCI के अध्यक्ष बने, सुप्रीम कोर्ट नींद से जाग उठा और हाथ धोकर अनुराग ठाकुर के पीछे पड़ गया और उनके साथ साथ BCCI सचिव अजय शिर्के को पद से हटा दिया।

अब सवाल यह उठता है कि क्या अनुराग ठाकुर ने BCCI को केवल तीन-चार महीने में ही लूट लिया? क्या BCCI में भ्रष्टाचार अनुराग ठाकुर ने ही फैलाया? कांग्रेस के समय लोढ़ा कमेटी इतनी एक्टिव क्यों नहीं हुई? सुप्रीम कोर्ट ने कभी कांग्रेस नेताओं को पद से क्यों नहीं हटाया?

खैर बात कुछ भी हो लेकिन अनुराग ठाकुर ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय से उनकी यह व्यक्तिगत लड़ाई नहीं थी और क्रिकेट के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उसी तरह बनी रहेगी। उल्लेखनीय है कि सर्वोच्च न्यायालय ने क्रिकेट प्रशासन में सुधार के लिए शीर्ष अदालत द्वारा गठित लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने में उनकी असफलता के कारण अनुराग और बोर्ड के सचिव अजय शिर्के को बर्खास्त कर दिया।

अदालत का फैसला आने के बाद अनुराग ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो साझा की है, जिसमें उन्होंने कहा है कि बीसीसीआई देश का सबसे व्यवस्थित खेल संगठन है और क्रिकेट को स्वायत्तता दिलाने की लड़ाई लड़ रहे थे।

अनुराग ने कहा, "मुझे भारतीय क्रिकेट की सेवा करने का सम्मान मिला। इतने वर्षो में भारतीय क्रिकेट प्रशासन और प्रदर्शन के तौर पर अपने सर्वश्रेष्ठ दौर में पहुंची। बीसीसीआई देश में सबसे व्यवस्थित खेल संघ है, जिसमें सभी प्रक्रियाएं परिभाषित हैं। भारत के पास सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट अवसंरचना है और बीसीसीआई की मदद से राज्य क्रिकेट संघों इनकी बहुत अच्छी तरह देखरेख कर रहे हैं।"

भाजपा नेता अनुराग ने कहा, "भारत में पूरी दुनिया की अपेक्षा कहीं अधिक प्रभावशाली खिलाड़ी हैं। मेरे लिए यह व्यक्तिगत लड़ाई नहीं थी। यह लड़ाई खेल संगठन को स्वायत्तता दिलाने की थी। मैं किसी भी अन्य नागरिक की तरह सर्वोच्च न्यायालय का सम्मान करता हूं।"

उन्होंने आगे कहा, "सर्वोच्च न्यायालय को लगता है कि बीसीसीआई सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के अधीन बेहतर काम कर सकती है, तो उन्हें मेरी शुभकामनाएं हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि भारतीय क्रिकेट उनके मार्गदर्शन में भी अच्छा करेगा।"

बीसीसीआई के दोनों शीर्ष अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए शीर्ष अदालत ने उनके खिलाफ एक नोटिस भी जारी किया है, जिसमें उनसे पूछा गया है कि इन पर झूठी गवाही और अदालत की अवमानना का मुकदमा क्यों न चलाया जाए?

सर्वोच्च न्यायालय ने एमिकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम और जाने-माने वकील फली नरीमन को उन लोगों के नाम सुझाने के लिए कहा है, जो एक प्रबंधक के नेतृत्व में काम करने वाली समिति में शामिल हों। यह समिति बीसीसीआई के संचालन का कामकाज देखेगी।

शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 19 जनवरी की तिथि निर्धारित की है। इसी दिन बीसीसीआई अंतरिम बोर्ड की घोषणा होगी। न्यायालय ने कहा कि वह उसी दिन प्रबंधक की नियुक्ति का आदेश भी जारी करेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग को BCCI अध्यक्ष पद से हटा दिया

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नई दिल्ली, 2 जनवरी: सर्वोच्च न्यायालय ने लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने को लेकर सालभर से ज्यादा समय से चल रहे मामले में सोमवार को अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सचिव अजय सिर्के को पद से हटा दिया। देश की शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में ही अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने को लेकर अड़ियल रुख अपनाए बीसीसीआई के खिलाफ तीखे तेवर अपनाते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने ठाकुर को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। उनसे पूछा गया है कि उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मामला क्यों न चलाया जाए?

गौरतलब है कि क्रिकेट प्रशासन ने सुधार के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित लोढ़ा समिति की कुछ सिफारिशों को अपनाने को लेकर बीसीसीआई अड़ियल रुख अपनाए हुए था। इनमें अधिकारियों की उम्र, कार्यकाल, एक राज्य एक वोट जैसी सिफारिशें शामिल हैं।