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जिस प्लेन में एयर इंडिया के कर्मचारी को 25 चप्पल मारा था, आज उसी में सफ़र करेंगे रवींद्र गायकवाड़

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नई दिल्ली: पिछले महीने 23 मार्च को रवींद्र गायकवाड़ ने एयर इंडिया के कर्मचारी को 25 चप्पल मारा था जिसके बाद एयर इंडिया ने उनके उडनें पर बैन लगा दिया था, अब ये बैन पुनः हटा लिया गया है और आज फिर रवींद्र गायकवाड़ उसी फ्लाइट में सफ़र करने वाले हैं जिसमें उन्होंने एयर इंडिया कर्मचारी को 25 चप्पल मारा था और फ्लाइट से उसे उठाकर फेंकने की मात की थी.

रवींद्र गायकवाड़ ने पुणे से दिल्ली (AI 852) में सोमवार को टिकट बुक कराया है, हालाँकि उन्होएँ रविवार को अपना टिकट बदलकर ओपन करवा लिया है जिसका मतलब होता है कि वह कोई और फ्लाइट भी पकड़ सकते हैं, हो सकता है कि वे उस एयर इंडिया कर्मचारी का सामना ना कर पायें जिसे उन्होंने पीटा था इसलिए उन्होंने अपना विकल्प ओपन रखा है.

वैसे इस घटना का कुछ फायदा भी हुआ है, सबसे पहला फायदा तो रवींद्र गायकवाड का हुआ है, उनका फ्री में पूरे देश में प्रचार हो गया, बच्चा बच्चा उनका नाम जान गया, मीडिया अब उनके पीछे पीछे भागता है, उनकी एक बाईट लेने के लिए पत्रकार पागल हो जाते हैं.

दूसरा फायदा यह हुआ है कि सांसद गायकवाड़ और एयर इंडिया कर्मचारियों दोनों के व्यवहार में परिवर्तन आ जाएगा, एयर इंडिया के कर्मचारी किसी सांसद अब बदतमीजी नहीं करेंगे, हमेशा उनके दिमाग में 25 चप्पल याद रहेगा.

जानकारी के लिए बता दें कि संसद बिजनेस क्लास में सफ़र के हकदार होते हैं लेकिन 23 मार्च को रवींद्र गायकवाड़ जिस फ्लाइट में सफ़र कर रहे थे उसमें बिजनेस क्लास की सीटें थी ही नहीं, यात्रियों की अधिक संख्या को देखते हुए बिजनेस क्लास की सीटें हटा दी गयी थीं और इसी बात को लेकर चप्पलकाण्ड हुआ था लेकिन अब उस फ्लाइट में एयर इंडिया से वापस बिजनेस क्लास की 6 सीटें लगा दी हैं, मतलब एयर इंडिया भी चप्पलकाण्ड से कुछ सीखी है.

भगवान ने मेरे नाम पर कलंक लगाने से बचा लिया, मुझे केजरीवाल से अलग कर दिया: अन्ना हाजरे

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मुंबई, 8 अप्रैल: सामाजिक कार्यकर्त्ता अन्ना हजारे बहुत खुश हैं क्योंकि उनकी इज्जत पर दाग लगने से बच गया, अन्ना हजारे केजरीवाल के गुरु माने जाते हैं, अगर आज अन्ना हजारे केजरीवाल के साथ होते तो उनके नाम पर भी कलंक लग जाता लेकिन वे भगवान को लाख लाख धन्यवाद दे रहे हैं कि उन्हें केजरीवाल से अलग करके उनके नाम पर कलंक लगने से बचा दिया.

अन्ना हजारे ने कहा कि शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में केजरीवाल के भ्रष्टाचार और घोटाले देखकर मैं अन्दर से बहुत दुखी हूँ, अरविन्द भ्रष्टाचार की लड़ाई में मेरे साथ थे, मुझे नौजवान और पढ़े लिखे केजरीवाल से बहुत उम्मीदें थीं, मुझे लगता था कि केजरीवाल जैसे युवा नेता भारत को भ्रष्टाचार मुक्त कर सकते हैं लेकिन मेरा विश्वास टूट गया, केजरीवाल सभी सिद्धांत भूल गए, सभी नियम कायदे भूल गए और भ्रष्टाचार में डूब गए.


अन्ना हजारे ने कहा कि मैं भगवान का शुक्रगुजार हूँ कि मैं केजरीवाल से तभी अलग हो गया था जब उन्होंने राजनीतिक पार्टी का संगठन किया था, जब केजरीवाल मुख्यमंत्री बने तो मेरी कभी उनसे मिलने की इक्षा भी नहीं हुई. जब केजरीवाल मेरे साथ थे तो बड़ी बड़ी बातें करते थे, सिद्धांतों पर चलने का दावा करते थे लेकिन सत्ता मिलने के बाद वे सभी सिद्धांत भूल गए.

चप्पलमार सांसद रवींद्र गायकवाड़ के नाम ने टिकट बुक कराकर उनकी खूब बेइज्जती करा रहे हैं लोग

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मुंबई, 7 अप्रैल: एयर इंडिया कर्मचारी को चप्पल से पीटने के मामले में शिवसेना सांसद रविद्र गायकवाड़ द्वारा संसद में खेद जताने के अगले दिन शुक्रवार को एयर इंडिया ने एक बार फिर उनका टिकट रद्द कर दिया। विमानन कंपनियों से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, गायकवाड़ ने 17 अप्रैल को दिल्ली से मुंबई के लिए और 24 अप्रैल को मुंबई से दिल्ली के लिए टिकट बुक कराया था, लेकिन दोनों टिकटों को रद्द कर दिया गया।

हालाँकि रवींद्र गायकवाड़ ने अपनी तरफ से बयान जारी करके कहा है कि उन्होंने कोई टिकट बुक कराया ही नहीं है, कुछ लोग मेरी और शिवसेना की छवि खराब करने के लिए खुद से ही टिकट बुक करा रहे हैं. उन्होंने कहा कि संसद का सत्र 13 अप्रैल को ख़त्म हो रहा है तो मैं 17 और 24 अप्रैल को टिकट क्यों कराऊंगा.
ऐसा लगता है कि शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड़ की बेइज्जती कराने के लिए कुछ लोग उनके नाम से टिकट बुक कर रहे हैं, क्योंकि जब उनके नाम से टिकट बुक किया जाता है तो एयर इंडिया रवींद्र गायकवाड का नाम देखकर टिकट रद्द कर देती है, देखते ही देखते यह खबर मीडिया में सुर्खियाँ बन जाती है और रवींद्र गायकवाड की बहुत बेइज्जती होती है.

फिलहाल खबर आ रही है कि सिविल एविएशन मंत्रालय के आदेश पर एयर इंडिया ने रवींद्र गायकवाड पर से बैन हटा लिया है.

135 मरीजों की मौत, सख्त हुआ बॉम्बे हाईकोर्ट, अब ख़त्म होगा हड़ताली डॉक्टरों का रजिस्ट्रेशन

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मुम्बई, 24 मार्च: डॉक्टरों द्वारा लगातार स्ट्राइक से महाराष्ट्र सहित कई प्रदेशों के मरीजों का हाल बेहाल हो गया है, अब तक 135 मरीजों की बेमौत मौत हो चुकी है अगर डॉक्टर हड़ताल ना करते तो अब तक 135 लोग जिन्दा होते, अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नावीस के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी हड़ताली डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की तैयारी कर दी है, माना जा रहा है कि सबका रजिस्ट्रेशन रद्द करके उन्हें परमानेंटली घर बैठा दिया जाएगा।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज महाराष्ट्र एसोसिएशन आया रेजिडेंट डॉक्टर्स (MARD) को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि आप कोर्ट में कुछ और बात करते हो लेकिन हार जाकर अपने सुर बदल लेते हो, आप हमें एफिडेविट में यह लिखकर दो कि हड़ताली डॉक्टरों पर कार्यवाही से आपको कोई ऑब्जेक्शन नहीं है। आज ही MARD को एफिडेविट देना है जिसके बाद डॉक्टरों पर कार्यवाही शुरू हो जाएगी।

MRD ने बाद में एफिडेविट जमा करते हुए कहा कि अब हम हड़ताल में शामिल नहीं हैं, कल 8 बजे तक सभी डॉक्टर ड्यूटी पर आ जाएंगे, अगर ना आयें तो सरकार कार्यवाही कर सकती है।

इससे पहले डॉक्टरों की जिद देखकर मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नावीस को भी गुस्सा आ गया, उन्होंने कहा - अब बहुत हो चुका, हमने डॉक्टरों को जितना मनाना था मना लिया, हमने उनकी हर मांगें मान लीं, अगर इसके बाद भी जनता को परेशानी हुई तो हम डॉक्टरों को माफ़ नहीं करेंगे।

देवेन्द्र फड़नावीस ने कहा, हमने बहुत संयम बरता लेकिन हम कितना संयम रखें, लोगों को लग रहा है कि बीमार मर रहे हैं और सरकार कुछ नहीं कर रही है, उन्होंने कहा, जो लोग डॉक्टर को मारते हैं और जो लोग मरीजों को मारते हैं उनमें क्या फर्क है। 

माना जा रहा है कि अगर डॉक्टरों ने इसके बाद भी हड़ताल जारी रखी तो महाराष्ट्र सरकार उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर देगी, एक बार रजिस्ट्रेशन रद्द करने पर डॉक्टर ना घर के रहेंगे ना घाट के, इसके बाद वो ना तो डॉक्टरी कर पायेंगे और ना कम्पाउण्डर बनने के लायक रहेंगे, और ना ही अपना क्लिनिक खोल पाएंगे। 

बहुत हो चुका, अगर अब जनता को परेशानी हुई तो हम डॉक्टरों को माफ़ नहीं करेंगे: देवेन्द्र फडनावीस

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मुम्बई, 24 मार्च: डॉक्टरों द्वारा लगातार स्ट्राइक से महाराष्ट्र सहित कई प्रदेशों के मरीजों का हाल बेहाल हो गया है, सैकड़ों मरीज बेमौत मारे जा चुके हैं, महाराष्ट्र सरकार कई बार हडताली डॉक्टरों के साथ बातचीत कर चुकी हैं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नावीस ने स्वयं डॉक्टरों से कई बार बातचीत की और उनकी मांगों को मंजूर कर लिया उसके बाद भी कुछ डॉक्टर मानने को तैयार नहीं हैं। 

डॉक्टरों की जिद देखकर मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नावीस को गुस्सा आ गया है, उन्होंने कहा - अब बहुत हो चुका, हमने डॉक्टरों को जितना मनाना था मना लिया, हमने उनकी हर मांगें मान लीं, अगर इसके बाद भी जनता को परेशानी हुई तो हम डॉक्टरों को माफ़ नहीं करेंगे।

देवेन्द्र फड़नावीस ने कहा, हमने बहुत संयम बरता लेकिन हम कितना संयम रखें, लोगों को लग रहा है कि बीमार मर रहे हैं और सरकार कुछ नहीं कर रही है, उन्होंने कहा, जो लोग डॉक्टर को मारते हैं और जो लोग मरीजों को मारते हैं उनमें क्या फर्क है। 

माना जा रहा है कि अगर डॉक्टरों ने इसके बाद भी हड़ताल जारी रखी तो महाराष्ट्र सरकार उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर देगी, एक बार रजिस्ट्रेशन रद्द करने पर डॉक्टर ना घर के रहेंगे ना घाट के, इसके बाद वो ना तो डॉक्टरी कर पायेंगे और ना कम्पाउण्डर बनने के लायक रहेंगे, और ना ही अपना क्लिनिक खोल पाएंगे। 

AI अफसर बोला 'मोदी से करूँगा शिकायत’ तो सैंडिल उतारकर पीटने लगे शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड

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नई दिल्ली, 23 मार्च: आज शिवसेना के सांसद रवींद्र गायकवाड़ ने एयर इंडिया के एक कर्मचारी को चप्पलों से पीट दिया, पूछने पर उन्होंने मीडिया को बता भी दिया कि हाँ उन्होंने एयर इंडिया के स्टाफ को 25 बार सैंडिल से पीटा है, मैं उसे उठाकर प्लेन से बाहर भी फेंकने वाला था लेकिन ऐसा नहीं किया।

रवींद्र गायकवाड महाराष्ट्र के उस्मानाबाद से शिवसेना सांसद हैं, उन्होने बताया कि एयर इंडिया के कर्मचारी ने मेरे साथ बदतमीजी की थी, मुझे गालियाँ थी, मैं शिवसेना का सांसद हूँ, मोदी का सांसद नहीं हूँ कि कोई भी गाली दे दे और मैं चुप होकर सुनता रहूँ, जब उसनें मेरे साथ बदतमीजी की तो मैंने उसे 25 सैंडिल उठाकर मारा।

जानकारी के अनुसार शिवसेना सांसद रवींद्र गायकवाड़ और एयर इंडिया स्टाफ में बीच मनचाही सीट को लेकर झगडा हुआ, सांसद का टिकट बिजनेस क्लास का था लेकिन उन्हें इकॉनमी में बैठने के लिए कहा गया जिसके बाद वे भड़क गए, इसके बाद एयर इंडिया का अफसर भी तेज तेज आवाज में बोलने लगा, इसके बाद सांसद ने अफसर से कहा कि आप अपना ब्लड प्रेशर मत बढ़ाइए। इसके बाद अफसर ने कहा कि मैं मोदी से शिकायत कर दूंगा। मोदी का नाम सुनते ही शिवसेना सांसद और नाराज हो गए और सैंडल उठाकर अफसर को पीटना शुरू कर दिया।

एयर इंडिया कर्मचारी का नाम सुकुमार है, पीते जाने के बाद उसका चश्मा टूट गए, उन्होंने सांसद रवींद्र गायकवाड पर FIR दर्ज कराने की मांग की है, एयर इंडिया ने घटना की जांच शुरू कर दी है। 

ठरकी बेटे ने माँ की इज्जत पर डाल दिया हाथ, थाने में बोला ‘दोष मेरा नहीं बल्कि शराब का है'

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पुणे, 22 मार्च: पुणे से एक शर्मनाक खबर आयी है जिसके अनुसार एक 39 साल के ठरकी बेटे ने अपनी माँ के ही दामन पर हाथ डाल दिया और उसके साथ अश्लील हरकत करने की कोशिश की हालाँकि माँ ने हिम्मत दिखाकर बेटे के सर पर बर्तन उठाकर दे मारा, बर्तन की चोट से उसका बेटा अपना सर पकड़कर बैठ गया और महिला ने पुलिस थाने में जाकर शिकायत कर दी। 

58 वर्ष की पीड़ित महिला ने पुलिस थाने में अपनी शिकायत में कहा है कि उसका बेटा ड्राइवर है, सोमवार 20 मार्च को वह डिनर कर रही थी तो उसका बेटा घर पर आया, उस वक्त उसने दारु पी रखी थी, घर पहुँचने ही उसनें माँ के सामने अपने कपडे उतार दिए और नग्न खड़ा हो गया, इसके बाद माँ ने उसे कपडे पहनने के लिए कहा लेकिन वह माँ की तरफ बढ़ने लगा, उसनें माँ के साथ अश्लील हरकत शुरू कर दी, इतने में महिला को एक बर्तन दिखा, उसनें बर्तन उठाकर अपने बेटे के सर पर दे मारा, इसके बाद महिला पुलिस थाने की तरफ भागी और शिकायत दर्ज करा दी। 

पुलिस वाले तुरंत महिला के साथ उसके घर आये लेकिन उस वक्त आरोपी नशे में बेहोश था, पुलिस वालों ने सुबह तक इन्तजार किया, होश आने के बाद उसे गिरफ्तार करके थाने लाया गया, थाने में पुलिस ने उससे घटना के बारे में पुछा तो उसने कहा - सर मैं दारु के नशे में था इसलिए पता नहीं चला, मुझे माफ़ कर दो, दोष मेरा नहीं बल्कि शराब का है। 

जानकारी के अनुसार आरोपी दो बच्चों का बाप है लेकिन उसकी पत्नी उसकी गलत हरकतों की वजह से उसके साथ नहीं रहती।

मुंबई में 27 साल की महिला से 3 लोगों ने किया गैंगरेप

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मुम्बई, 17 मार्च: मुम्बई से एक शर्मनाक खबर आयी है, खबर के अनुसार एक 27 वर्ष की महिला से तीन लोगों ने गैंगरेप किया है। यह घटना पाइधोनी इलाके की बतायी जा रही है, गैंगरेप के बाद महिला की तवियत खाफी खराब है, उसे अस्पताल में भारती कराया गया है। पुलिस ने FIR दर्ज करने के बाद इस घटना में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है,तीसरे की तलाश जारी है।

घटना के बाद पीडिया का मेडिकल टेस्ट कराया गया जिसमें रेप की पुष्टि हो गयी, उसके बाद पुलिस ने FIR दर्ज करके आरोपियों के पीछे लग गयी और दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया। 

रानी पद्मावती को बदनाम करने वाली फिल्म पद्मावती के सेट को कोल्हापुर में जलाकर किया गया ख़ाक

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कोल्हापुर, 15 मार्च: इतिहास से छेड़छाड़ करके चित्तौड़ की महारानी पद्मावती को बदनाम करने वाली संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती के सेट पर आज कोल्हापुर में भी हमला हुआ है, 50-60 लोगों ने फिल्म के सेट पर पहुंचकर हमला कर दिया, इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए फिल्म के सेट को आग से जलाकर ख़ाक में मिला दिया, इससे पहले जयपुर के सेट पर भी हमला किया गया था और डायरेक्टर संजय लीला भंसाली की कुटाई भी हुई थी हालाँकि यहाँ पर किसी को मारा पीटा नहीं गया।

जानकारी के अनुसार रात दो बजे के आसपास प्रदर्शनकारियों ने सेट पर पहुंचकर पेट्रोल बम फेंके जिसकी वजह से आग लग गयी, सेट को जलाकर ख़ाक कर दिया, सूटिंग स्थल पर भारी सुरक्षा इंतजाम किये गए थे इसके बावजूद भी यह घटना हुई, पुलिस ने आरोपियों की जांच शुरू कर दी है।

भंसाली पर रानी पद्मावती का अपमान का आरोप

लोगों का कहना है कि संजय लीला बंसाली ने उस महारानी पद्मावती का अपमान किया है, उस महारानी पद्मावती के इतिहास के साथ खिलवाड़ किया है जिन्होंने अपनी जान देकर हिन्दुओं को मिटने से बचाया है, उन्होंने कट्टर मुग़ल मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी की दासता स्वीकार करने के बजाय 16 हजार महिलाओं के साथ जौहर किया था, जलती चिता में कूदकर अपनी जा दे दी थी, उन्होंने ऐसा इसलिए किया था ताकि हिन्दू महिलाएं मुस्लिम राजाओं की दासी बनने के बजाय अपनी जान देना अधिक पसंद करें ताकि मुस्लिम जिहादी हिन्दू महिलाओं की इज्जत से खिलवाड़ ना कर सकें और हिन्दू धर्म ख़त्म होने से बचाया जा सके। 

कौन थीं पद्मावती

पद्मावती चित्तौड़ की महारानी थी, वह एक पतिव्रता महिला थीं, किसी गैर मर्द के बारे में सोच भी नहीं सकती थी, पद्मवती का विवाह चित्तौड़ के महाराजा रतन सिंह के साथ हुआ था, वह देखने में बहुत ही खूबसूरत थीं, उनकी खूबसूरती की खबर एक दिन दिल्ली के कट्टर मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी को मिली, वह किसी भी कीमत पर महारानी पद्मावती को हासिल करना चाहता था, इसके लिए उसने चुत्तौड़ पर हमला कर दिया, लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया, राक्षस बन गया, उसने महाराजा रतन सिंह को भी ख़त्म कर दिया, उसने महारानी पद्मावती से शादी का ऑफर दिया लेकिन महारानी पद्मावती ने राक्षस अलाउद्दीन खिलजी से शादी करने के बजाय महल की 16 हजार अन्य महिलाओं के साथ अपनी जान दे दी। 

अब आप खुश सोचिये, जो महारानी पद्मावती अपने साहस और वलिदान के लिए जानी जाती थीं, जिन्होंने अपने स्वाभिमान, अपने आन बान शान और अपनी इज्जत बचाने के लिए अपनी जान दे दी, अगर पद्मावती ऐसा ना करती तो मुस्लिम जिहादी हिन्दू महिलाओं से शादी करके और मुस्लिम बच्चे पैदा करके धीरे धीरे हिन्दू धर्म ख़त्म कर देते, उन्हीं महारानी पद्मावती को संजय लीला भंसाली ने अपनी फिल्म में एक राक्षस प्रवित्ति के शासक अलाउद्दीन खिलजी की प्रमिका के रूप में  दिखाया है। 

ऐसा करके संजय लीला भंसाली ने हिन्दू धर्म और हिन्दू संस्कृति पर तमाचा मारा है, उन्होंने ऐसा सिर्फ पैसा कमाने और TRP हासिल करने के करने के लिए किया है। कल उन्हें करणी सेना के लोगों ने थप्पड़ मारा, राजपूत संजय लीला भंसाली से काफी नाराज है। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें थप्पड़ के बजाय जूते से मारने की सलाह दे रहे हैं। 

लाल सलामियों के लिए बुरी खबर, अब जेल में उम्र बिताएगा उनका सरदार साईंबाबा

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मुंबई, 8 मार्च: नक्सलियों को लाल सलामियों के लिए बुरी खबर है क्योंकि उनके सरदार दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जी.एन. साईंबाबा को महाराष्ट्र की एक अदालत ने मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। गढ़चिरौली सत्र न्यायालय ने व्हीलचेयर के सहारे चलने वाले साईंबाबा साहित कुल पांच लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, जबकि एक अन्य अपराधी को 10 वर्ष की जेल दी गई है।

दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध रामलाल आनंद कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे साईंबाबा निलंबित थे। उन्हें मई, 2014 को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था।

अभियोजन पक्ष ने दावा किया था कि साईंबाबा के पास से बरामद दस्तावेजों, सीडी और पेन ड्राइव से प्रतिबंधित संगठन 'भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)' से जुड़े दस्तावेज पाए गए थे।

अदालत ने सजा सुनाते हुए कहा, "आरोपियों ने हिंसा फैलाने, कानून-व्यवस्था भंग करने और केंद्र तथा राज्य सरकारों के प्रति विद्रोह भड़काने की साजिश रची।"

अदालत ने अपने फैसले में आगे कहा है, "आरोपियों पर जो आपराधिक साजिश रचने के आरोप लगाए गए हैं, उसके पक्ष में उनके पास से नक्सली साहित्य पाया गया। इसे प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) और इसके पितृ संगठन 'रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट' (आरडीएफ) के सदस्यों और अन्य लोगों के बीच वितरित किया जाना था, जिसका उद्देश्य हिंसा भड़काना और कानून-व्यवस्था भंग करना था।"

न्यायाधीश एस.एस. शिंदे ने 47 वर्षीय साईंबाबा को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत सजा सुनाई और साईंबाबा सहित उनके साथियों को आतंकवादी संगठन का सदस्य होने और वामपंथी विद्रोहियों को सहयोग देने का दोषी पाया।

शिवसेना को BMC में बिना शर्त समर्थन देगी BJP, नहीं लेगी कोई भी पद

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मुंबई, 4 मार्च: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहन्मुंबई महानगर निगम के मेयर पद की रेस से खुद को अलग कर लिया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शनिवार को यह घोषणा की। फडणवीस ने कहा कि भाजपा, शिवसेना को समर्थन देने को तैयार है, लेकिन कोई पद नहीं लेगी, चाहे वो उप मेयर का पद हो, नेता प्रतिपक्ष का पद हो या किसी भी समिति के चेयरमैन का पद हो।

फडणवीस ने यहां पत्रकारों से कहा, "अगर उन्हें समर्थन की जरूरत पड़ेगी तो भाजपा समर्थन देने के लिए तैयार है।" उन्होंने कहा कि हम समर्थन देने के बाद भी पहले वाले रूख पर कायम रहेंगे और कोई भी भ्रष्टाचार सहन नहीं करेंगे।

भाजपा के रेस से हटने के साथ ही बीएमसी चुनाव में सर्वाधिक 84 सीटें जीतने वाली शिवसेना का आठ मार्च को होने वाले चुनाव में मेयर पद हासिल करना तय हो गया है।

शिवसेना ने भी भाजपा के कदम की सराहना की है। राज्य के परिवहन मंत्री सेना के नेता दिवाकर राउते ने कहा कि भाजपा ने मुंबई वासियों के जनादेश को स्वीकार किया है।

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता राजू वाघमारे ने कहा कि इसकी उम्मीद पहले से की जा रही थी, क्योंकि भाजपा और शिवसेना के बीच यह सब पहले से तय था।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (रांकापा) के प्रदेश अध्यक्ष सुनील टटकरे ने कहा कि भाजपा का यह कदम चौंकाने वाला नहीं है, क्योंकि भाजपा नहीं चाहती थी कि शिवसेना केंद्र और राज्य की उसकी सरकार से समर्थन खींच ले।

इस बीच फडणवीस ने कहा है कि भाजपा के पार्षद 'पारदर्शिता के सैनिक' का कार्य करेंगे और बीएमसी प्रशासन पर निगरानी रखने का काम करेंगे।

फडणवीस ने कहा, "हम एक तीन सदस्यीय समन्वय समिति का गठन करेंगे, जो हर तीन महीने पर बीएमसी की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने से जुड़ी अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।"

फडणवीस ने महाराष्ट्र के लोकायुक्त से मुंबई के लिए विशेष तौर पर एक उपायुक्त नियुक्त करने का आग्रह भी किया, ताकि नगर निगम प्रशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।

BMC में शिवसेना को समर्थन देने पर कांग्रेस में मतभेद

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मुंबई: बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनाव में किसी को भी बहुमत न मिलने के बाद महापौर पद के लिए शिवसेना को समर्थन देने के मुद्दे पर कांग्रेस में शनिवार को गंभीर मतभेद उभर कर सामने आया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव तथा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुरुदास कामत ने बीएमसी में शिवसेना को किसी भी तरह के समर्थन के प्रति 'कड़ा विरोध' जताया है।

कामत ने एक बयान में कड़े शब्दों में कहा है, "हम दोनों भगवा पार्टियों से उनकी विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ लड़ते रहे हैं और अगर हमने उनके साथ गठबंधन का प्रयास किया, तो जनता हमें कभी माफ नहीं करेगी।"

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, "मैंने अपनी राय से कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को भी अवगत करा दिया है। बीएमसी में शिवसेना के समर्थन के लिए मैं किसी भी चर्चा पर कड़ा विरोध जताता हूं, चाहे वह गठबंधन के लिए हो या अप्रत्यक्ष समर्थन के लिए हो।"

उन्होंने कहा है कि शिवसेना तथा भाजपा अपनी समस्याओं का समाधान खुद करें और इस प्रक्रिया में "दोनों दलों को और सत्ता की उनकी भूख को बेनकाब किया जाए।"

कामत का विरोध ऐसे समय में सामने आया है, जब एक दिन पहले शुक्रवार को महाराष्ट्र कांग्रेस में कथित तौर पर इस तरह की चर्चा हुई है कि यदि बीएमसी महापौर पद के लिए शिवसेना-भाजपा में समझौता नहीं हो पाता है, तो इस पद के लिए शिवसेना का समर्थन किया जाना चाहिए।

वहीं, कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष अशोक चव्हाण तथा पार्टी के वरिष्ठ नेता नारायण राणे मुद्दे पर पहले ही अपना मत जाहिर कर चुके हैं।

चव्हाण ने कहा, "क्या शिवसेना कोई शत्रु है? नहीं, राजनीति में कोई शत्रु नहीं होता, यह मेरा विचार है।"

उन्होंने हालांकि कहा कि कांग्रेस किसी चीज का वादा नहीं कर रही है और आगे के घटनाक्रम पर पैनी नजर बनाए हुए है।

चव्हाण ने कहा, "हमें यह बात ध्यान में रखनी होगी कि शिवसेना का भाजपा के साथ महाराष्ट्र और केंद्र में भी गठबंधन है। अगर वे सरकार से बाहर निकलते हैं, तो हम आगे विचार कर सकते हैं। पहले उन्हें तय करने दीजिए।"

उल्लेखनीय है कि 227 सीटों वाले बीएमसी में शिवसेना 84 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जबकि भाजपा ने इससे मात्र दो सीटें कम यानी 82 सीटों पर जीत दर्ज की है।

कांग्रेस 31 सीटें जीतकर तीसरे स्थान पर है, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने नौ, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने सात, समाजवादी पार्टी (सपा) ने छह सीटें जीती हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने दो सीटें, एक स्थानीय पार्टी ने एक सीट, जबकि निर्दलीयों ने पांच सीटें जीती हैं।

शिवसेना को चार निर्दलीय पार्षदों का भी समर्थन है, जिनके नामों की घोषणा कर दी गई है। वहीं भाजपा भी चार निर्दलीय पार्षदों के समर्थन का दावा कर रही है, जिनके नाम उसने नहीं बताए हैं।

BMC में शिवसेना ने अपनी हार पर मनाई ख़ुशी, फोड़े पटाखे

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मुंबई: मुंबई में शिवसेना को भले ही सबसे अधिक सीटें मिली हों लेकिन एक तरह से शिवसेना की हार हुई है क्योंकि इससे पहले 2012 के BMC चुनावों में शिवसेना को 89 सीटें मिली थीं लेकिन 2017 के चुनाव में सिर्फ 84 सीटें मिलीं, मतलब पांच सीटें छिन गयीं और इसे हार ही कहा जाएगा। उदाहरण के लिए अगर आप 100 रुपये किसी चीज में लगाओ और आपको 90 रुपये ही मिलें तो आप उसकी ख़ुशी कभी नहीं मनाओगे, आप ख़ुशी तब मनाओगे जब 100 के 110 मिलें लेकिन यहाँ तो शिवसेना को 89 के बदले 84 सीटें ही मिलीं उसके बाद भी शिवसेना ने ख़ुशी मनाई, मिठाई बांटीं और पटाखे भी फोड़े। 

शिवसेना ने क्यों मनाई अपनी हार की ख़ुशी

शिवसेना ने यह ख़ुशी अनजाने में मनाई क्योंकि शुरुआत में शिवसेना के पक्ष में बहुत तेजी से नतीजे आने शुरू हो गए थे, एक समय जब बीजेपी की केवल 30 सीटें थीं तो शिवसेना 65 पर पहुँच गयी थी, कई शिवसैनिक इसके बाद जोश में आ गए और उन्होंने सोचा कि अब बहुमत आना निश्चित है, कुछ ने तो यह भी कहा कि अब हमें बीजेपी की जरूरत ही नहीं पड़ेगा, छोटे मोटे की बात छोडो, शिवसेना सांसद संजय राउत ने खुद कहा कि उन्हें बीजेपी की जरूरत नहीं पड़ेगी समर्थन देने के लिए और भी पार्टियाँ हैं। 

इसके बाद शिवसैनिकों ने ढोल पीटना शुरू कर दिया, बीजेपी को बुरा भला और घमंडी बोलना शुरू कर दिया, कुछ शिवसैनिक तो बीजेपी को चिढ़ाने के लिए दादर में एक बीजेपी नेता के घर पहुँच गए और उसके घर के बाद ढोल पीटना शुरू कर दिया, वे लोग बीजेपी वालों को चिढ़ाने लगे लेकिन उन्हें पुलिस ने भगा दिया, कई जगह बीजेपी और शिवसैनिकों ने झड़प भी हुई। 

जब शिवसेना 92 पर पहुंची तो बीजेपी की सीटें केवल 65 थे, शिवसेना को लग रहा था कि वह बहुमत के नजदीक पहुँच जाएगी, उन्होने आतिशबाजी शुरू कर दी, मिठाइयाँ बांटनी शुरू कर दी, बधाई सन्देश शुरू हो गए, इसके बाद अचानक अंतिम समय में बीजेपी ने तेज गति से दौड़ लगानी शुरू, बीजेपी की सीटें बढ़ती गयी और शिवसेना की कम होने लगी, देखते ही देखते बीजेपी 82 पर पहुँच गयी और शिवसेना घटकर 84 पर आ गयी। 

शुरुआत में शिवसेना वाले बीजेपी को चिढा रहे थे लेकिन बीजेपी ने ऐसी दौड़ लगाईं कि शिवसेना के करीब पहुँच गयी। फाइनल रिजल्ट में शिवसेना की हार हुई थी क्योंकि 2012 की तुलना में शिवसेना को 5 सीटें कम मिलीं थी वहीँ बीजेपी को 2012 की तुलना में 50 सीटें अधिक मिलीं। 2012 में बीजेपी केवल 32 सीटें जीत पायी थी। 

मतलब शिवसेना ने बहुमत मिलने का सपना देखकर ढोल पीटा, ख़ुशी मनाई, मिठाइयाँ भी बांटी, बीजेपी को चिढाया भी लेकिन अंत में पांच सीटें हार गयी।

इससे राजनीतिक पार्टियों को ये सीख मिलती है कि जब तक फाइनल रिजल्ट ना आ जाए, ना ख़ुशी मनानी चाहिए, ना ढोल पीटने चाहिए और ना ही मिठाई बांटनी चाहिए। ऐसा ही काम बीजेपी ने बिहार में विधानसभा के नतीजे के वक्त किया था, जैसे ही बीजेपी ने अपनी जीत होते देखी पटाखे फोड़ने शुरू कर दिए लेकिन उसके बाद बीजेपी की बुरी तरह से हार हुई थी। 

नोटबंदी का विरोध करने के बाद भी मुंबई में क्यों आगे रही शिवसेना, पढ़कर हैरान रह जाएंगे आप

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मुंबई: आपने देखा होगा कि कांग्रेस हमेशा से ही नोटबंदी का विरोध कर रही है, सभी चुनावों में नोटबंदी को मुद्दा बना रही है, इसका परिणाम यह हो रहा है कि कांग्रेस सभी चुनाव हार रही है, कांग्रेस नोटबंदी का जितना अधिक विरोध करती है उतनी ही बुरी तरह हारती है, अब आप खुद देखिये कल महाराष्ट्र निकाल चुनाव के नतीजे आये तो कांग्रेस हर जगह से साफ हो गयी। 10 निकायों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हो गया। 

कांग्रेस की तरह ही शिवसेना ने भी नोटबंदी का विरोध किया था, चुनाव प्रचार में शिवसेना और उसके अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने नोटबंदी को मुख्य मुद्दा बनाया था और मोदी के खिलाफ जमकर जहर उगला था उसके बावजूद भी शिवसेना मुंबई में सबसे अधिक सीटें जीत गयी। आइये बताते हैं कि शिवसेना की जीत के पीछे क्या कारण था। 

सबसे पहले तो जान लीजिये कि शिवसेना एक क्षेत्रीय पार्टी है और राज्यवाद की राजनीति करती है, यानी मराठी मानुष की राजनीति करती है। शिवसेना की जीत का सबसे बड़ा कारण यह था कि उन्हें कट्टर मराठियों का वोट मिला। उदाहरण के लिए थाणे में शिवसेना की जीत इसलिए हुई क्योंकि वहां पर मराठा वोटर सबसे अधिक थे। शिवसेना कुल 131 सीटों वाले ठाणे नगर निगम पर पहले भी शिवसेना का ही कब्ज़ा था और इस बार भी शिवसेना की ही जीत हुई। यहाँ पर बीजेपी को सिर्फ 23 सीटें मिलीं जबकि एनसीपी को 34 सीटें मिलीं। बीजेपी को सबसे कम सीटें मिलता इस बात का सबूत है कि यहाँ पर मराठा पॉलिटिक्स हावी रही और इन लोगों ने नोटबंदी को नहीं देखा। पर महाराष्ट्रियन हिंदुओं की जनसँख्या करीब 80 फ़ीसदी है जबकि 17 फ़ीसदी मुस्लिम हैं। मुस्लिम 17 फ़ीसदी हैं इसलिए तीन सीटें असद्दुदीन की पार्टी AIMIM ने भी जीत लीं। 

अब आइये, मुंबई की बात करते हैं, यहाँ पर सभी धर्मों, सभी जातियों और सभी राज्यों के लोग रहते हैं लेकिन यहं पर महाराष्ट्रियन हिंदुओं यानी मराठा मानुषों की जनसँख्या 42 फ़ीसदी है जबकि गुजराती हिंदुओं की जनसँख्या 19 फ़ीसदी है इसके अलावा 20 फ़ीसदी मुस्लिम हैं।

यहाँ पर मराठा लोगों की जनसँख्या भले ही 42 फ़ीसदी है लेकिन ये लोग बड़े शहर में रहने के कारण कट्टर मराठी या क्षेत्रवादी नहीं हैं, वैसे भी बड़े शहरों में रहने वाले लोग क्षेत्रवाद नहीं देखते हैं। इसलिए यहाँ पर मराठा लोगों ने बीजेपी को भी वोट दिया और शिवसेना को भी वोट दिया। 

शिवसेना के लिए मुम्बई में जीत के सबसे बड़े फैक्टर बनें हार्दिक पटेल जिन्हें शिवसेना ने चुनाव से ठीक पहले गुजरात में शिवसेना का मुख्यमंत्री उम्मीदवार बना दिया जबकि उनकी ना उम्र है और ना ही कोई अनुभव। शिवसेना ने ऐसा करके बहुत बड़ा राजनीतिक गेम खेल दिया। 

हार्दिक पटेल के पीछे शिवसेना का गेम प्लान

हार्दिक पटेल को सोची समझी रणनीति के तहत शिवसेना में लाया गया है, गुजरात में पटेलों की जनसँख्या 15 फ़ीसदी है यानी करीब 1 करोड़। मुम्बई में 19 फ़ीसदी गुजराती आकर बस गए हैं यानी करीब 20 लाख गुजराती रहते हैं जिनमें से करीब 30 फ़ीसदी यानी 6 लाख पटेल हैं। इन्हीं 6 लाख पटेलों का वोट पाने के लिए हार्दिक पटेल को शिवसेना में लाया गया था और इसका लाभ भी मिला। गुजरात के पटेल पिछले कुछ समय से एंटी बीजेपी हो गए हैं और केवल बीजेपी को हारने वालों को वोट दे रहे हैं, मुंबई में भी पटेलों का वोट शिवसेना की जीत के लिए तुरुफ का इक्का साबित हुआ। अगर शिवसेना ने ऐसा ना किया होता तो शायद शिवसेना को मुम्बई में विपक्ष में बैठना पड़ता। 

अगर ऐसा नहीं है तो आप खुद सोचिये, पाटीदार की राजनीति करने वाले हार्दिक पटेल को अचानक शिवसेना में क्यों लाया गया, उन्हें गुजरात में मुख्यमंत्री उम्मीदवार क्यों बनाया गया, जो शिवसेना महाराष्ट्र में कई जगह खाते भी नहीं खोल पाई वो गुजरात में चुनाव कैसे जीत सकती है और हार्दिक पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री कैसे बना सकती है। यह सब केवल मुंबई में पटेलों का वोट लेने के लिए किया गया था और इस फैक्टर ने काम भी किया। 

उद्धव ठाकरे ने कहा था, BJP की औकात नहीं है 40 सीटें जीतने की, बीजेपी ने जीत ली 82, यानी डबल

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मुंबई: आज BMC चुनाव के नतीजे आ गए और सबसे बड़ी खुशखबरी बीजेपी के लिए आयी क्योंकि मुंबई शिवसेना का गढ़ बाना जाता है और BMC में इससे पहले शिवसेना की ही सरकार थी, उसके पास इससे पहले 89 सीटें थीं जो अब घटकर केवल 84 रह गयी हैं, इससे पहले दोनों पार्टियाँ गठबंधन बनाकर चुनाव लडती थीं लेकिन इस बार बीजेपी शिवसेना के बराबर सीटें मांग रही थी तो शिवसेना ने बीजेपी से कहा कि तुम्हारी औकात 40 सीटें भी जीतने की नहीं है और तुम आधी सीटें मांग रहे हो। 

इसके बाद बीजेपी ने अपनी ताकत दिखाने के लिए अकेले दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया क्योंकि शिवसेन उसे केवल 60 सीटें देना चाह रही थी। बीजेपी ने शिवसेना का ऑफर ठुकरा दिया और अकेले चुनाव लड़ा। 

बीजेपी के लिए यह लड़ाई बहुत बड़ी थी क्योंकि इससे पहले उनके पास केवल 32 सीटें थी, BMC में कुल 227 सीटें हैं इसलिए बीजेपी को बाकी 196 सीटों पर उम्मीदवार ढूँढने पड़े, जमीन बिछानी पड़ी, प्रचार करना पड़ा। आज BMC चुनाव के नतीजे आ गए और बीजेपी ने 82 सीटों पर जीत दर्ज कर ली, शिवसेना जिस पार्टी की औकात 40 सीटों की औकात बता रही थी उस पार्टी ने 82 सीटें जीतकर अपनी ताकत दिखा दी। 

शिवसेना को एक और झटका, अंतिम सीट पर BJP ने लॉटरी में शिवसेना को पटका, बीजेपी पहुंची 82 पर

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मुंबई: मुंबई शहर के BMC चुनाव के फाइनल नतीजे आ गए हैं, अब तक एक सीट पर मामला अटक गया था क्योंकि शिवसेना और बीजेपी उम्मीदवार दोनों के बराबर वोट थे, वार्ड नंबर 220 की जब पहली बार काउंटिंग हुई तो बीजेपी उम्मीदवार अतुल शाह और शिवसेना उम्मीदवार सुरेन्द्र बगाल्कर के बराबर वोट थे इसके बाद शाम को फिर से काउंटिंग हुई, दोबारा काउंटिंग में भी दोनों के बराबर वोट निकले। 

इसके बाद नगर निगम कमिश्नर की उपस्थिति में लॉटरी निकाली गयी जिसमें बीजेपी उम्मीदवार अतुल शाह ने बाजी मार ली और इस तरह बीजेपी की कुल सीटें 82 पर पहुँच गयी। शिवसेना ने 84 वार्ड पर जीत दर्ज की है और बीजेपी से 2 सीट आगे है। बीजेपी ने दावा किया है कि उसे 4 निर्दलीय पार्षद भी समर्थन दे रहे हैं, अगर ऐसा होता है तो बीजेपी के पास 84 पार्षद हो जाएंगे और बीजेपी BMC में सरकार बनाने का दावा पेश करेगी।

मुंबई में कांग्रेस-एनसीपी सूपड़ा साफ़, BJP को 50 सीटों का फायदा, शिवसेना को 5 का नुकसान

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मुंबई: आज मुंबई महानगर पालिका (BMC) के चुनावी नतीजे आ गया हैं और सबसे बुरी खबर कांग्रेस और एनसीपी के लिए है, इस चुनाव में कांग्रेस की बुरी हार हुई है लेकिन एनसीपी का तो सूपड़ा ही साफ़ हो गया है, दोनों पार्टियों ने नोटबंदी को मुख्य मुद्दा बनाया हुआ था लेकिन जनता ने इन्हें ऐसा सबक सिखाया कि चुन चुन कर साफ़ कर दिया, दूसरी तरफ बीजेपी और शिवसेना ने भी अकेले चुनाव लड़ा और दोनों ने बड़ी जीत दर्ज की, 227 वार्ड में बीजेपी ने 81 वार्ड में जीत दर्ज की है जबकि शिवसेना ने 84 वार्ड में जीत दर्ज की है, दोनों ने मिलकर 227 में से 165 वार्ड पर जीत दर्ज की है।

अब तक प्राप्त नतीजों में -
BJP ने जीती - 81 सीटें
शिवसेना ने जीती - 84 सीटें
कांग्रेस ने जीतीं - 31 सीटें
एनसीपी ने जीतीं - 9 सीटें
MNS ने जीतीं - 7 सीटें
अन्य ने जीतीं - 14 सीटें
टोटल सीटें = 227 

सबसे बुरी खबर शरद पवार की पार्टी एनसीपी के लिए है क्योंकि 2012 के चुनाव में उनके पास 14 सीटें थीं लेकिन इस बार केवल 9 पर जीत दर्ज कर पाए, वहीँ कांग्रेस के पास 51 सीटें थीं लेकन इस बार केवल 31 सीटें जीत पाए, कांग्रेस को 20 सीटों का नुकसान हुआ है जबकि एनसीपी को 4 सीटों का नुकसान हुआ है।

इस चुनाव में सबसे अधिक फायदा बीजेपी को हुआ है लेकिन 2012 में उनके पास केवल 32 सीटें थीं लेकिन इस बार उन्हें 81 सीटों पर जीत मिली है मतलब उन्हें सीधा सीधा 49 सीटों पर फायदा हुआ है। वहीँ शिवसेना को पांच सीट का नुकसान हुआ है क्योंकि 2012 में उनके पास कुल 89 सीट थी लेकिन इस बार केवल 84 सीटों पर जीत मिली है।

बीजेपी मुम्बई अध्यक्ष आशीष सेलर का कहना है कि हमने 81 सीटें जीत ली हैं और हमें 4 निर्दलीय पार्षदों ने भी समर्थन दिया है, इस तरह से बीजेपी+ की टोटल सीटें 85 हो गयी हैं जो कि शिवसेना से भी अधिक है। 

BMC Result Live: अंतिम समय में BJP ने लगाईं तेज दौड़, पहुँच गयी शिवसेना के विल्कुल करीब

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मुंबई: आज मुंबई महानगर पालिका (BMC) के चुनावी नतीजे आ रहे हैं, सुबह शिवसेना सभी पार्टियों से आगे चल रही थी और ऐसा लग रहा था कि बहुमत का आंकड़ा अकेले पार कर लेगी लेकिन अंतिम समय में बीजेपी ने भाग मिल्खा भाग की तरह ऐसी दौड़ लगाई कि शिवसेना के पास पहुँच गयी है।

अब तक प्राप्त नतीजों में -
BJP ने जीती - 81 सीटें
शिवसेना ने जीती - 84 सीटें
कांग्रेस ने जीतीं - 31 सीटें
एनसीपी ने जीतीं - 9 सीटें
MNS ने जीतीं - 7 सीटें
अन्य ने जीतीं - 14 सीटें
टोटल सीटें = 227 

सुबह 12 बजे तक शिवसेना बीजेपी से लगभग दोगुनी सीटों पर आगे चल रही थी और ऐसा लग रहा था कि बीजेपी केवल 60 सीटों पर अटक जाएगी और शिवसेना अकेले बहुमत प्राप्त कर लेगी लेकिन जैसे जैसी वोटों की गिनती बढ़ी और अंत समय आया तो बीजेपी ने तेज दौड़ लगा दी और शिवसेना के करीब पहुँच गयी। अब बीजेपी शिवसेना से केवल तीन सीटें पीछे है।

बीजेपी मुम्बई अध्यक्ष आशीष सेलर का कहना है कि हमने 81 सीटें जीत ली हैं और हमें 4 निर्दलीय पार्षदों ने भी समर्थन दिया है, इस तरह से बीजेपी+ की टोटल सीटें 85 हो गयी हैं जो कि शिवसेना से भी अधिक है। 

मुंबई में बन सकती है शिवसेना-कांग्रेस गठबंधन की सरकार, BJP निभा सकती है विपक्ष का किरदार

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मुंबई: BMC चुनावों के नतीजे आने शुरू हो गए हैं, शिवसेना अब तक 94 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है लेकिन बहुमत से अभी भी 20 सीटें दूर है, भारतीय जनता पार्टी 62 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है लेकिन शिवसेना ने बीजेपी के साथ किसी भी तरह का रिश्ता रखने से इनकार कर दिया है ऐसे में शिवसेना और कांग्रेस के गठबंधन के संकेत मिल रहे हैं।

आज शिवसेना सांसद संजय राउत ने खुद कहा कि बीजेपी के साथ गठबंधन नही करेंगे और मुंबई में हर हाल में शिवसेना का मेयर बनेगा, उन्होने कहा कि अगर गठबंधन करना पड़ा तो बीजेपी के अलावा और भी पार्टियाँ हैं, उन्होंने ऐसा बोलकर कांग्रेस की तरफ इशारा किया था क्योंकि कांग्रेस ने 22 सीटें जीती हैं और शिवसेना-कांग्रेस ने मिलकर बहुमत का आंकड़ा (114) पार कर दिया है।

कांग्रेस के बाद MNS का नंबर आता है जिन्हें 10 सीटें मिली हैं, अगर शिवसेना MNS के साथ गठबंधन करती है तो उसे 105 सीटें जीतनी पड़ेंगी जो कि मुश्किल लग रहा है। शिवसेना के पास एकमात्र विकल्प कांग्रेस है, अब देखना है यह कि दोनों पार्टियाँ मिलकर सरकार बनाती हैं या शिवसेना फिर से बीजेपी के साथ गठबंधन करती है।

Pune Election Result: पुणे में बीजेपी बड़ी जीत की तरफ

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पुणे: आज पूने महानगर पालिका के भी चुनावी नतीजे आ रहे हैं, शुरुआती रुझानों के अनुसार यहाँ पर भारतीय जनता पार्टी बड़ी जीत की तरह जा रही है, अब तक 162 सीटों में से बीजेपी ने 46 पर बढ़त बना ली है जबकी शरद पवार की NCP ने 16 सीटों पर बढ़त बनायी है, कांग्रेस ने 2, MNS ने 1, शिवसेना ने 7 और और अन्य ने भी 1 सीटों पर बढ़त बनायी है। 

पुणे में अगर यही ट्रेंड रहा तो भारतीय जनता पार्टी को बहुमत मिलता दिख रहा है लेकिन फिलहाल अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। हाँ एनसीपी जरूर टक्कर देगी। यहाँ पर अगर बीजेपी जीतती है तो पहली बार बीजेपी को शहर पर राज करने का मौका मिलेगा।