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डोनाल्ड ट्रम्प ने फेक मीडिया चैनलों को वाइट हाउस प्रेस वार्ता में घुसने पर रोक लगाई

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वाशिंगटन: व्हाइट हाउस में शुक्रवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कई प्रमुख मीडिया संगठनों के संवाददाताओं को हिस्सा नहीं लेने दिया गया। कुछ चुनिंदा संवाददाताओं को छोड़ कर अन्य के व्हाइट हाउस में प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई इन्हें डोनाल्ड ट्रम्प कई बार फेक मीडिया चैनल बना चुके हैं।

व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव सीन स्पाइसर के कार्यालय में शुक्रवार को हुई प्रेस वार्ता में सीएनएन, द न्यूयॉर्क टाइम्स, लॉस एंजेलिस टाइम्स, पॉलीटिको, बजफीड, बीसीसी और द गार्डियन के संवाददाताओं को शामिल नहीं होने दिया गया।

यह वार्ता व्हाइट हाउस के ब्रीफिंग कक्ष में होने वाले दैनिक टेलीविजन सत्र 'क्वैशचन एंड आंसर' के बदले आयोजित की गई थी।

उक्त मीडिया संगठनों के संवाददाताओं ने जब स्पाइसर के कार्यालय में प्रवेश करने की कोशिश की तो उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई कि प्रेस वार्ता में जिन लोगों के शामिल होने की सूचना है, उस सूची में उनके नाम नहीं हैं।

इस वार्ता में कंजरवेटिव मीडिया संगठन 'ब्रेटबार्ट न्यूज', 'वाशिंगटन टाइम्स' और 'वन अमेरिका न्यूज नेटवर्क' को शामिल होने की मंजूरी दी गई।

सीएनएन ने जारी बयान में कहा, "ट्रंप प्रशासन का यह कदम अस्वीकार्य है। आम तौर पर ये इसी तरह से बर्ताव करते हैं जब आप उन तथ्यों को उजागर करते हैं जिन्हें ये पसंद नहीं करते। हम इसी तरह रिपोर्टिग करते रहेंगे।"

हम भारत से दोस्ती चाहते हैं, उसका नुकसान नहीं: नवाज शरीफ

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अंकारा, 24 फरवरी: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा है कि इस्लामाबाद तथा नई दिल्ली को मित्रवत तथा अच्छे संबंध बरकरार रखना चाहिए। डॉन न्यूज के मुताबिक शरीफ ने कहा, "हम (पाकिस्तान व भारत) अपने अच्छे संबंध बरकरार रखेंगे और एक दूसरे के खिलाफ साजिश करने से बचेंगे।"

तुर्की दौरे के दौरान, संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी की नीति 'भारत को नुकसान पहुंचाने' की नहीं है।

रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर मुद्दा तथा पाकिस्तान को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में शामिल करने पर समर्थन जताने के लिए उन्होंने तुर्की का आभार व्यक्त किया। 

पाकिस्तान में हालिया आतंकवादी हमलों का जिक्र करते हुए उन्होंने इसका अरोप उन तत्वों पर लगाया, जो पाकिस्तान की तरक्की से नाखुश हैं और उन्होंने किसी भी कीमत पर आतंकवाद का सफाया करने का सरकार का संकल्प दोहराया।

उन्होंने कहा, "हमारा दृढ़ संकल्प है कि हम उन्हें हराकर रहेंगे, जो विभिन्न मोर्चो पर पाकिस्तान की तरक्की को पचा नहीं पा रहे हैं।"

शरीफ ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान की सरजमीं का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ हो रहा है। उन्होंने कहा कि वह अफगानिस्तान की स्थिरता के पक्ष में हैं, जो पाकिस्तान के भी हित में है।

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को पाकिस्तानी बता रहे भारत का प्रवक्ता: पढ़ें क्यों

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लाहौर, 22 फ़रवरी: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को पाकिस्तान वाले ही भारत का प्रवक्ता बता रहे हैं और उनकी बहुत आलोचना की जा रही है, बात सिर्फ इतनी है कि उन्होंने आतंकी संगठन जमात-उद-दावा के मुखिया आतंकी हाफिज सईद को समाज के लिए खतरा बता दिया था यानी इशारों इशारों में उन्होंने हाफिज सईद को आतंकी मान लिया था। 

जैसे ही पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने यह बयान दिया भारत में लोग ढोल पीटने लगे लेकिन पाकिस्तान में बवाल मच गए, कई धार्मिक नेता और मौलवी लोग ख्वाजा आसिफ को भारत का प्रवक्ता बताने लगे। 

पाकिस्तान डिफेंस काउंसिल के चेयरमैन मौलाना समीउल हक, शाह जैन बुगती, सरदार अतीक अहमद खान, लियाकत बलोच, सेनेटर मुहम्मद अली दुर्रानी आदि नेताओं ने ख्वाजा आसिफ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इन लोगों ने कहा कि हाफिज सईद को नजरबन्द किये जाने से कश्मीर के हमारी लड़ाई कमजोर पड़ेगी और यह सब कुछ भारत को खुश करने के लिए किया जा रहा है। 

मैं वाइट हाउस ने कूड़ा साफ कर रहा हूँ, फेक न्यूज वालों की बातों पर यकीन ना करें: डोनाल्ड ट्रम्प

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वाशिंगटन, 19 फ़रवरी: आतंकियों, इस्लामिक कट्टरपंथियों और राजनीतिक पार्टियों के साथ साथ डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिकी मीडिया चैनलों से भी युद्ध कर रहे हैं और मीडिया के साथ उनका युद्ध सबसे बड़ा है क्योंकि उन्होंने कई बड़े मीडिया चैनलों को सीधा सीधा फेक यानी फर्जी बता दिया है। उन्होंने कई जर्नलिस्टों को उनके मुंह पर बोल दिया है कि वे फर्जी न्यूज देते हैं और उनके मीडिया चैनल में भी फर्जी ख़बरें छपती हैं।

उन्होंने आज ट्वीट करके कहा कि अमेरिका के मीडिया चैनलों पर भरोसा मत करो, वाइट हाउस बहुत बढ़िया चल रहा है, मुझे यहाँ पर कूड़ा ही कूड़ा मिला, मैं कूड़े को साफ़ करके सब कुछ सही करने की कोशिश कर रहा हूँ। 

उन्होंने कहा कि फेक न्यूज मीडिया जो स्टोरी बनाते रहते हैं ये बुझते जा रहे डेमोक्रेट से अधिक इफेक्टिव हैं लेकन ये भी अब तेजी से समाप्त हो रहे हैं। उन्होंने NyTimes, NBCNews, ABC, CBS, CNN और कई अन्य फेक मीडिया चैनल है। ये लोग अमेरिका के दुश्मन हैं।

सैमसंग के उत्तराधिकारी ली भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार

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सियोल, 17 फरवरी: दक्षिण कोरिया में सैमसंग के उत्तराधिकारी ली जे-योंग को राष्ट्रपति पार्क ग्युन-हे और उनकी मित्र की संलिप्तता वाले हाई प्रोफाइल भ्रष्टाचार मामले के संबंध में रिश्वतखोरी के आरोपों में शुक्रवार को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया। 

समाचार एजेंसी योनहप के अनुसार, सियोल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की तरफ से गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने के बाद ली को गिरफ्तार कर लिया गया। इस तरह से सैमसंग इलेक्ट्रानिक्स कंपनी के उपाध्यक्ष, ली देश के सबसे बड़े व्यापारिक समूह के पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें किसी आपराधिक मामले में हिरासत में लिया गया है।

स्वतंत्र वकील, पार्क यंग-सू के नेतृत्व वाले जांच दल ने मंगलवार को दूसरी बार ली के खिलाफ मामले का अनुरोध किया था। जबकि एक महीने से कम समय पहले ली पर रिश्वतखोरी, गबन और झूठी गवाही के आरोपों का मामला चलाने का अनुरोध खारिज कर दिया गया था।

अभियोजकों ने अपनी दूसरी कोशिश के दौरान ली के खिलाफ अतिरिक्त आरोप लगाए, जिसमें आपराधिक आय को छुपाना और राष्ट्रपति की मित्र चोई सून-सिल को रिश्वत देने की प्रक्रिया में विदेशों में संपत्ति के हस्तांतरण के दौरान कानून का उल्लंघन करने का आरोप शामिल है।

अदालत ने कहा, "नए आरोपों और जुटाए गए अतिरिक्त सबूत को देखते हुए ली की गिरफ्तारी उचित और आवश्यक लगती है।"

48 वर्षीय ली ने शुक्रवार सुबह आए अदालत के फैसले के इंतजार में गुरुवार रात सियोल बंदीगृह में बिताई।

बंदी केंद्र के एक अधिकारी के अनुसार, अदालत के इस निर्णय के बाद ली को सियोल स्थित अपने विशाल आवास को छोड़कर 6.65 वर्ग मीटर की कोठरी में जाना पड़ा है, जिसमें सोने के लिए एक बिस्तर, टीवी और एक शौचालय है। उन्हें एक कोठरी में रखा गया है और अन्य कैदियों से संपर्क की उन्हें इजाजत नहीं है।

फिलहाल, ली सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के उपाध्यक्ष हैं, लेकिन 2014 में उनके पिता ली कुन ही को दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें ही सैमसंग समूह का मालिक माना जा रहा है।

ली और सैमसंग समूह ने हालांकि किसी तरह की गलत गतिविधियों से इनकार किया है।

सैमसंग समूह ने ली की गिरफ्तारी के बाद जारी बयान में कहा, "हम यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश करेंगे कि अदालती कार्यवाही में सच सामने आए।"

सैमसंग प्रमुख के साथ पहले ही जनवरी में कंपनी के कई अन्य अधिकारियों के साथ पूछताछ हो चुकी है, लेकिन अदालत के फैसले में उनकी गिरफ्तारी के लिए इसे अपर्याप्त बताया था।

पाकिस्तान ने अपने ही पाले 44 आतंकियों को ठोंक दिया

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कराची, 18 फरवरी: कल पाकिस्तान को मजबूरी में अपने ही पाले 44 आतंकियों को मारना पड़ा, उन्होंने जो आतंकी भारत के लिए पाले थे अब वही आतंकी पाकिस्तान से ही बदला ले रहे हैं, परसों उन्होंने  पाकिस्तान के सिंध प्रांत में गुरुवार को लाल शहबाज कलंदर दरगाह में हमला करके 88 लोगों को उड़ा दिया था, इसके बाद पाकिस्तान सुरक्षा बल भी हरकत में आये और अपने ही पाले आतंकियों को मार डाला, अभियान अभी भी जारी है। 

जानकारी के अनुसार सुरक्षा बलों द्वारा आतंकवादियों के खिलाफ छेड़े गए राष्ट्रव्यापी अभियान में 44 आतंकवादी मारे गए हैं। वहीं, दरगाह के संरक्षक ने शुक्रवार को घोषणा की कि 'धमाल' अनुष्ठान पूर्ववत जारी रहेगा। श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में दरगाह पहुंचे लेकिन पुलिस ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। स्वास्थ्य अधिकारियों ने संवाददाताओं से कहा कि दरगाह पर हुए हमले में मरने वालों की संख्या शुक्रवार को 88 तक पहुंच गई।

पुलिस ने लाल शहबाज कलंदर दरगाह को शुक्रवार सुबह चारों तरफ से घेर लिया। घटनास्थल पर फॉरेंसिक जांचकर्ता पहुंचे हैं।

वहीं, दरगाह के संरक्षक इतनी बड़ी घटना के बाद भी अविचलित रहे और साप्ताहिक अनुष्ठान को जारी रखने का संकल्प लिया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग हिस्सा लेते हैं।

लोगों ने कहा है कि वे हमले से विचलित नहीं हुए हैं। यहां तक कि लोगों ने दरगाह में घुसने के लिए पुलिस की घेरेबंदी को तोड़ने का प्रयास भी किया।

प्रधानमंत्री नवाज शरीफ तथा सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा सेहवान कस्बे पहुंचे और अस्पताल में घायलों से मिले। वे दरगाह पर भी गए। सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह गुरुवार को हमले के तुरंत बाद से सेहवान में ही ठहरे हुए हैं, जो उनका निर्वाचन क्षेत्र भी है।

हमले की जिम्मेदारी आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने ली है। एक फिदायीन हमलावर ने दरगाह परिसर में धमाल अनुष्ठान के दौरान भीड़ के बीच खुद को उड़ा लिया था।

भगवान ने पाकिस्तान को दी कानपुर में ट्रेन पलटवाने की सजा, बम विस्फोट में 100 मरे, 200 घायल

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कराची, 16 फरवरी: कहते हैं जैसी करनी वैसी भरनी, जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदता है एक दिन खुद उसी में गिरता है और दूसरों का बुरा सोचने वालों के साथ भी बुरा होता है, आज पाकिस्तान के साथ भी बुरा हो गया है और भगवान ने उसे कानपुर में ट्रेन पलटवाकर डेढ़ सौ लोगों की जान लेने की सजा दे दी है। 

आपने भी सुना होगा कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ने साजिश के तहत कानपुर में ट्रेन पलटवाने की घटना को अंजाम दिया, कानपुर के अलावा इटावा और आंध्र प्रदेश में भी एक बार ट्रेन पलटी और पाकिस्तान ने ही इस घटना को अंजाम दिलवाया। ISI के चार आदमी भी पकडे गए और उन्होंने अपना जुर्म कबूलते हुए कहा कि ISI ने ही उन्हें ट्रैन पलटवाने के पैसे दिए थे। अब भगवान ने उसे भी बड़ी सजा दे दी है। 

आज पाकिस्तान के सिंध प्रांत के सेहवान कस्बे में स्थित लाल शहबाज कलंदर दरगाह परिसर में एक शक्तिशाली विस्फोट हुआ, जिसमें कम से कम 100 लोगों की मौत हो गई और 200 के करीब घायल हैं। मरने वालों में कई महिलाएं भी शामिल हैं। सेहवान के सहायक पुलिस अधीक्षक ने कहा कि एक आत्मघाती हमलावर गोल्डन गेट से होकर लाल शहबाज कलंदर दरगाह में दाखिल हो गया। एक हथगोला फेंकने के बाद हमलावर ने खुद को उड़ा लिया। ISIS ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। 

घटना में घायल लोगों की संख्या के अलग-अलग आंकड़े मिल रहे हैं। तालुका अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक मोईनुद्दीन सिद्दीकी ने 'डॉन' से अस्पताल में कम से कम 50 शव लाए जाने और कई लोगों के घायल होने की पुष्टि की।

विस्फोट दरगाह परिसर में उस जगह पर हुआ, जहां सूफी अनुष्ठान 'धमाल' चल रहा था।

विस्फोट के समय दरगार में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। इनमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल थे। धमाके के बाद दरगाह परिसर में भगदड़ मच गई।

बचावकर्मियों ने घायलों को एक निकटवर्ती अस्पताल में भर्ती कराया। अकेले तालुका अस्पताल में 200 से अधिक घायलों को भर्ती कराया गया है।

घटना के बाद पुलिस की टुकड़ी घटनास्थल पर पहुंच गई, जो सिंध के दादू जिले के सुपर हाईवे से कुछ दूरी पर स्थित है। सूफी संत की दरगाह में धार्मिक रस्मों के लिए हर गुरुवार को सैकड़ों की तादाद में लोग इकट्ठा होते हैं।

अमेरिका में हैदरी का वीजा रद्द होने से बौखलाया पाकिस्तान, संयुक्त राष्ट्र की बैठक का बहिष्कार

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इस्लामाबाद, 12 फरवरी: पाकिस्तानी सीनेट के अध्यक्ष रजा रब्बानी ने न्यूयॉर्क में आयोजित हो रहे संयुक्त राष्ट्र प्रायोजित अंतर्राष्ट्रीय संसदीय संघ (आईपीयू) के बहिष्कार की घोषणा की है। रब्बानी ने यह घोषणा तब की, जब अमेरिका ने पाकिस्तानी सीनेट के उपाध्यक्ष को वीजा जारी नहीं किया, जो इस बैठक में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व करने वाले थे। 'डॉन' के मुताबिक, सीनेट के अध्यक्ष ने यह भी निर्देश दिया कि संसद का कोई भी प्रतिनिधिमंडल अमेरिका का दौरा नहीं करेगा, जब तक कि उपाध्यक्ष मौलाना अब्दुल गफूर हैदरी को वीजा जारी करने में हुए विलंब पर अमेरिकी सरकार या पाकिस्तान स्थित दूतावास स्पष्टीकरण नहीं देता।

मौलाना हैदरी जमीयत उलेमा-ई-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) के सदस्य हैं। उन्हें पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के सांसद लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सलाहुद्दीन तिरमिजी के साथ रविवार को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में 13-14 फरवरी को आईपीयू में भाग लेने जाना था।

सीनेट सचिवालय द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, रब्बानी ने यह भी निर्देश दिया कि इस मुद्दे का समाधान होने तक किसी भी प्रतिनिधिमंडल, कांग्रेस सदस्य या अमेरिकी राजनयिक का पाकिस्तानी सीनेट, सीनेट की स्थायी समितियों द्वारा स्वागत नहीं किया जाएगा।

सीनेट सचिवालय के सूत्र ने 'डॉन' से कहा कि चूंकि यह एक आधिकारिक यात्रा थी, इसलिए मौलाना हैदरी अमेरिकी दूतावास से सीधे संपर्क में नहीं थे और सभी तरह के पत्राचार उनकी तरफ से सचिवालय द्वारा किया गया।

सचिवालय के स्टॉफ को शनिवार को बताया गया कि दूतावास उपाध्यक्ष के वीजा की स्थिति के बारे में 14 फरवरी को सूचित करेगा। जबकि 14 फरवरी को आईपीयू का आखिरी दिन होगा।

इस्लामाबाद में अमेरिकी दूतावास के एक प्रवक्ता से इस मामले पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने डॉन से कहा कि वह वीजा मामलों पर गोपनीयता कानून के कारण टिप्पणी नहीं कर सकते।

डोनाल्ड ट्रम्प के लिए बड़ा झटका, 7 मुस्लिम देशों के वीजा बैन के आदेश को कोर्ट ने किया रद्द

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वाशिंगटन, 10 फरवरी: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सात मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की कोशिशों को तगड़ा झटका लगा है। संघीय अपीलीय अदालत ने इन देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश से संबंधित ट्रंप के कार्यकारी आदेश को निरस्त करने वाले अदालती फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। संघीय अपीलीय अदालत ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया। तीन न्यायाधीशों की पीठ ने एकमत से यह फैसला दिया, जिसका अर्थ यह है कि इन सात देशों के नागरिक, जिनके अमेरिका में प्रवेश पर ट्रंप ने 27 जनवरी के अपने कार्यकारी आदेश के जरिये प्रतिबंध लगा दिया, अब अमेरिका की यात्रा कर सकेंगे। यह देश ईरान, इराक, सीरिया, यमन, लीबिया, सूडान व सोमालिया हैं।

ट्रंप ने अदालत के फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। फैसला आने के तुरंत बाद ट्रंप ने कहा कि वह इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "अदालत में मिलेंगे, देश की सुरक्षा खतरे में है!"

न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार ट्रंप ने अदालत के फैसले को 'राजनीतिक फैसला' करार दिया और कहा कि उनका प्रशासन सर्वोच्च न्यायालय में आसानी से इस मामले में जीत जाएगा।

ट्रंप ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद अपने शुरुआती कार्यकारी आदेशों में से एक के जरिये ईरान, इराक, सीरिया, यमन, लीबिया, सूडान व सोमालिया के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर 90 दिनों के लिए अस्थाई रोक लगा दी थी, ताकि संघीय सुरक्षा एजेंसियां इस प्रक्रिया की बारीकी से जांच कर सकें।

'न्यूयार्क टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, यूएस कोर्ट ऑफ अपील्स फॉर नाइंथ सर्किट, सैन फ्रांसिस्को ने अपने निर्णय में कहा कि प्रशासन ने ऐसा कोई सबूत नहीं दिया कि इन सातों देशों में से किसी के भी नागरिक ने अमेरिका में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया हो।

अदालत ने ट्रंप प्रशासन के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि अदालतों को राष्ट्रपति के राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित निर्णयों की समीक्षा का अधिकार नहीं है।

अदालत ने हालांकि यह भी कहा कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर ट्रंप के इरादों, इस संबंध में अपनी नीतियों को लागू करने की उनकी सोच का सम्मान करती है, लेकिन राष्ट्रपति इससे ज्यादा की मांग कर रहे हैं।

ट्रंप प्रशासन ने सिएटल में एक संघीय न्यायाधीश एल. रॉबर्ट के तीन फरवरी के आदेश को चुनौती दी थी, जिन्होंने राष्ट्रपति के आदेश के महत्वपूर्ण प्रावधानों पर रोक लगा दी थी।

अमेरिका ने ईरान को बताया, आतंकवाद का सबसे बड़ा सरकारी प्रायोजक: पढ़ें क्या है वजह

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टोक्यो, 4 फरवरी: ईरान द्वारा किए गए मिसाइल परीक्षण के बाद ट्रंप प्रशासन द्वारा उस पर लगाए गए ताजा प्रतिबंधों के कुछ ही घंटों बाद अमेरिकी रक्षामंत्री जेम्स मैटिस ने शनिवार को ईरान को दुनिया में आतंकवाद का सबसे बड़ा सरकारी प्रायोजक बताया। मैटिस ने अपनी जापान और दक्षिण कोरिया यात्रा के अंतिम चरण में टोक्यो में संवाददाताओं से कहा कि मध्य पूर्व में फिलहाल सेना की संख्या में इजाफे की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, "जहां तक ईरान का सवाल है, यह दुनिया में आतंकवाद को मदद मुहैया करानेवाला अकेला सबसे बड़ा प्रायोजक देश है।"

न्यूयॉर्क टाइम्स की रपट के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मिशेल टी. फ्लाइनन ने इस हफ्ते कहा था कि ईरान के 29 जनवरी के मिसाइल परीक्षण और यमन में हौती विद्रोहियों का समर्थन करने के कारण अमेरिका उसे चेतावनी दे रहा है, क्योंकि अमेरिका ने इन हौती विद्रोहियों पर आरोप लगाया है कि उन्होंने लाल सागर में अमेरिकी जहाजों को निशाना बनाया और सऊदी नौसेना के एक गश्ती नौका पर हमले किया।

ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को 25 ईरानी नागरिकों और कंपनियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने ईरान के मिसाइल कार्यक्रम और देश के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कार्प्स को मदद मुहैया कराया।

उबर के CEO ने ट्रंप की सलाहकार परिषद से दिया इस्तीफा

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वाशिंगटन, 3 फरवरी: अमेरिका की एप आधारित टैक्सी कंपनी उबर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ट्रैविस कलानिक ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सलाहकार परिषद से इस्तीफा दे दिया है। न्यूयॉर्क पोस्ट की खबर के मुताबिक, कलानिक ने गुरुवार को उबर कर्मचारियों को भेजे एक ईमेल में इसकी जानकारी दी।

कलानिक ने कर्मचारियों को संबोधित कर कहा, "आज सुबह (गुरुवार) मेरी राष्ट्रपति से आव्रजन संबंधी कार्यकारी आदेश और इससे हमारे समुदाय के समक्ष समस्याओं पर बात हुई।"

कलानिक ने कहा, "मैंने उन्हें यह भी बताया कि मैं इस आर्थिक परिषद का हिस्सा नहीं बन पाऊंगा। समूह का हिस्सा बनना राष्ट्रपति या उनके एजेंडे का समर्थन करना नहीं है लेकिन दुर्भाग्यवश इसे इसी संदर्भ में समझा जा रहा है।"

उबर के सीईओ को पिछले कुछ दिनों में ट्रंप प्रशासन के लिए काम करने की वजह से अत्यधिक आलोचना का सामना करना पड़ा है। उग्र ग्राहकों ने 'डिलीट उबर मूवमेंट' शुरू किया है।

आतंकी हाफिज सईद की गिरफ्तारी के विरोध में पाकिस्तानियों ने जलाए MODI और TRUMP के पुतले

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इस्लामाबाद, 1 फरवरी: पाकिस्तानी आतंकी, मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमांइड एवं जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद की गिरफ्तारी के बाद पाकिस्तानी में प्रदर्शन हो रहे हैं और इस गिरफ्तारी का जिम्मेदार मोदी और ट्रम्प को ठहरा रहे हैं। पाकिस्तानियों का कहना है कि मोदी ने जैसे ही ट्रम्प से फोन पर बात की उसके दूसरे दिन ही हाफिज सईद को गिरफ्तार कर लिया गया इसका मतलब है कि मोदी और ट्रम्प ने नवाज शरीफ पर दबाव डालकर हमारे प्यारे और पालतू आतंकी को गिरफ्तार करवाया है। आज बुधवार को हुए एक प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले भी जलाए।

हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन ने पाकिस्तान सरकार से सईद के हिरासत आदेश को वापस लेने की मांग की। सलाहुद्दीन ने हिरासत को कष्टदायक और कायतापूर्ण बताया है। गृह मंत्रालय से जारी एक अधिसूचना में कहा गया कि हाफिज सईद को सोमवार की रात आतंकवाद निरोधक कानून 1977 के तहत हिरासत में लिया गया है।

यह कदम पड़ोसी भारत, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के वर्षो के दबाव के बाद उठाया गया है। उसकी हिरासत से हाल में भारत से बढ़े तनावों में कभी आने की संभावना है। भारत सईद को 2008 में हुए मुंबई आंतकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता के तौर पर दोषी ठहराता है।

युनाइटेड जिहाद काउंसिल (यूजेसी) के अध्यक्ष सलाहुद्दीन ने एक बयान में कहा, "हाफिज मोहम्मद सईद ने न सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से कश्मीर में अपनी आपराधिक चुप्पी तोड़ने के लिए अनुरोध किया, बल्कि उन्होंने भारत के साम्राज्यवादी शासन के अत्याचार को भी उजागर किया है।"

प्रदर्शनकारी हाथों में जमात-उद-दावा के पक्ष में लिखी तख्तियां लिए हुए थे और नारे लगा रहे थे।

एक बड़े बैनर पर लिखा था, "हाफिज सईद की नजरबंदी भारत को खुश करने के लिए मंजूर नहीं।"

जमात-उद-दावा नेताओं ने सईद के जल्द रिहा नहीं किए जाने पर सरकार के खिलाफ विरोध आंदोलन की चेतावनी दी। उनका कहना है कि सईद की हिरासत से अगर कश्मीरी आंदोलन कमजोर पड़ा तो इसकी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की होगी।

प्रदर्शनकारियों ने सईद के निर्देश पर 5 फरवरी को देशव्यापी रैलियों का ऐलान किया है।

डोनाल्ड ट्रंप के रास्ते में अड़ाई टांग तो कार्यकारी अटॉर्नी जनरल सैली येट्स को किया बर्खास्त

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वाशिंगटन, 31 जनवरी: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कार्यकारी अटॉर्नी जनरल सैली येट्स 'Sally Yates' को बर्खास्त कर दिया है। Sally Yates ने सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों के अमेरिका आने पर प्रतिबंध लगाए जाने को 'गैर कानूनी' कहा था। व्हाइट हाउस के एक बयान में येट्स को हटाने की जानकारी दी गई।

ट्रंप प्रशासन द्वारा सोमवार को जारी किए गए एक बयान में कहा गया है, "Sally Yates ने अमेरिका के नागरिकों की रक्षा के लिए बनाए गए एक कानूनी आदेश को लागू करने से इनकार करके न्याय विभाग को धोखा दिया है।"

बयान में कहा गया है कि Sally Yates को 'उनके कर्तव्यों से मुक्त कर' दिया गया है और पूर्वी जिले वर्जिनया के अमेरिकी अटॉर्नी डाना बोएंट कार्यकारी अटॉर्नी जनरल के रूप में उस वक्त तक अपनी सेवाएं देंगे, जब तक की सीनेट के सदस्य जेफ सेसंस की नियुक्ति की पुष्टि सीनेट द्वारा नहीं कर दी जाती।

येट्स की नियुक्ति ट्रंप के पूर्ववर्ती ओबामा प्रशासन ने की थी। 

ट्रंप प्रशासन ने कहा, "यह अपने देश को सुरक्षित करने के लिए गंभीर होने का समय है। सात खतरनाक जगहों से आने वालों की कड़ी जांच की बात करना कोई अति नहीं है। यह हमारे देश की सुरक्षा के लिए जरूरी और उचित है।" 

ट्रंप ने 27 जनवरी को अपने शासकीय आदेश में चार महीने तक शरणार्थियों और ईरान, इराक, सूडान, लीबिया, यमन और सोमालिया के यात्रियों के अमेरिका आने पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी। उन्होंने कहा कि इस कदम से अमेरिकी लोगों को आतंकवादी हमलों से बचाने में मदद मिलेगी।

Sally Yates ने न्याय विभाग को यात्रा प्रतिबंध नहीं लागू करने का आदेश दिया था।

डोनाल्ड ट्रम्प ने पूरा किया अपना वादा, TPP ने अलग हुआ अमेरिका

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वाशिंगटन, 31 जनवरी: अमेरिकी सरकार ने मुक्त व्यापार समझौते ट्रांस पेसिफिक पार्टनरशिप (टीपीपी) से खुद को अलग करने की आधिकारिक घोषणा कर दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह इसका आदेश दिया था। 

व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव सीन स्पाइसर ने कहा कि अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय ने सोमवार सुबह टीपीपी हस्ताक्षरकर्ता देशों को आधिकारिक पत्र भेजकर सूचित किया कि अमेरिका ने खुद को समझौते से अलग कर लिया है। 

एफे न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, स्पाइसर ने इस बात पर बल दिया कि अगला कदम ट्रंप के चुनावी वादे को पूरा करते हुए अमेरिका को उन अस्वीकार्य व्यापार समझौतों से अलग करना होगा, जो अमेरिका के हित में नहीं हैं। 

स्पाइसर ने कहा कि ट्रंप नए और बेहतर व्यापार समझौतों पर बातचीत जारी रखेंगे, जिनसे अमेरिका में रोजगार सृजन और वेतन बढ़ेगा और देश का व्यापार घाटा कम होगा।

ठीक एक सप्ताह पहले, व्हाइट हाउस में अपने पहले पूर्ण कार्यदिवस पर ट्रंप ने टीपीपी से अलग होने के कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे।

टीपीपी समझौता ओबामा प्रशासन द्वारा किया गया था। ओबामा प्रशासन ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में रिश्ते मजबूत करने को अपनी व्यापार नीति और अपनी रणनीति में प्राथमिकता दी थी।

खुलेआम घूमता था आतंकी हाफिज सईद, ट्रम्प ने मुस्लिमों का किया वीजा बंद तो पाकिस्तान ने किया कैद

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इस्लामाबाद, 31 जनवरी: डोनाल्ड ट्रम्प का असर दिखने लगा है, उन्होंने राष्ट्रपति पद संभालते ही पाकिस्तान सहित आठ मुस्लिम देशों पर वीजा के लिए प्रतिबन्ध लगा दिया, हालाँकि पाकिस्तान पर नरमी बरतते हुए कहा कि पाकिस्तानियों को कड़ी जांच के बाद ही अमेरिका का वीजा दिया जाएगा। डोनाल्ड ट्रम्प के इस एक्शन से सभी मुस्लिम देशों का पाकिस्तान पर दबाव है क्योंकि आतंकी तो वहीँ पर पैदा होते हैं और दुनिया भर में भेजे जाते हैं। इसीलिए कल पाकिस्तान ने अपने सबसे बड़े आतंकवादी हाफिज सईद को नजरबन्द कर लिया है। 

जमात-उद-दावा (जेयूडी) प्रमुख और मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को लाहौर में नजरबंद किया गया है। डॉन न्यूज ने जमात-उद-दावा के सचिव नदीम अवान के हवाले से बताया, "बड़ी संख्या में पुलिस दल के मुख्यालय पहुंचा और उन्होंने हमें बताया कि हाफिज को नजरबंद रखा जाएगा।"

अवान ने कहा कि पुलिस ने उन्हें बताया कि उनके पास हाफिज सईद और पांच अन्य का गिरफ्तारी वारंट है।

सरकार ने जमात-उद-दावा के खिलाफ अभियान शुरू किया है। भारी संख्या में पुलिसदल की जमात उद-दावा के मुख्यालय के बाहर तैनाती की गई है।

पुलिस सूत्रों का कहना है कि सईद को बाद में जौहर टाउन में उसके घर पर रखा जाएगा और जिसे बाद में उपजेल घोषित किया जाएगा।

पाकिस्तान ने हाफिज सईद पर मुकदमा चलाने के कई वर्षो के दबाव के बाद यह फैसला किया है।

चार्ज संभालते ही एक्शन में आये डोनाल्ड ट्रम्प, एक ही झटके में मारे गए अलकायदा के 41 आतंकवादी

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Aden, 29 January: अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभालते ही डोनाल्ड ट्रम्प का एक्शन शुरू हो गया है, आज अमेरिकी सेना ने यमन में एक आतंकी ठिकाने पर पहला हमला करके एक ही झटके में 41 आतंकी मार डाले, हालाँकि इस हमले में 16 आम नागरिक भी मारे गए जिसमें आठ महिलाएं और आठ बच्चे भी शामिल हैं।

खबर के अनुसार यमन के बैदा राज्य के यकला जिले में सुबह सुबह अमेरिकी सेना से अपाचे हेलिकॉप्टर से हमला कर दिया, हेलीकॉप्टर ने आतंकी संगठन अलकायदा से सम्बंधित तीन कबायली सरकारों के घरों को निशाना बनाया था, इन घरों पर बम गिराए गए, इसके अलावा आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे एक स्कूल, मस्जिद और एक अस्पताल को भी निशाया बनाया गया।

मारे गए कबायली सरदारों के नाम अब्दुल रऊफ, सुलतान अल-जहाब और सैफ अलावाई अज जफी हैं। इन लोगों के अलकायदा के साथ गहरे रिश्ते थे लेकिन आज इनका सफाया हो गया।

ईरान ने लगाया अमेरिकी नागरिकों के प्रवेश पर प्रतिबन्ध

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तेहरान, 29 जनवरी: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सात मुसलमान बहुल्य देशों से आने वाले लोगों के अमेरिका में अस्थाई प्रतिबंध पर प्रतिक्रियास्वरूप ईरान ने अमेरिकी नागरिकों के देश में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने जा रहा है। समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, ईरान ने कहा कि ट्रंप के शुक्रवार को मंजूर किए गए कार्यकारी आदेश में लीबिया, सूडान, सोमालिया, सीरिया, ईरान, इराक और यमन से अमेरिका आने वाले देशों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है जो कि अपमानजनक है जिसका अपने तरीके से जवाब दिया जाएगा।

ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस कदम से हिंसा ही बढ़ेगी।

बयान के मुताबिक, "आतंकवाद से निपटने और अमेरिकी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के झूठे दावों के बावजूद इस कार्यकारी आदेश की इतिहास में कड़ी निंदा होगी क्योंकि इससे चरमपंथियों और इसके समर्थकों को सहयोग मिलेगा।"

ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने पहले भी अप्रत्यक्ष रूप से ट्रंप के एक अन्य कार्यकारी आदेश की आलोचना की थी जिसमें अमेरिका और मेक्सिको सीमा पर दीवार बनाने संबंधी आदेश पर हस्ताक्षर किए गए थे।

पाकिस्तानियों के लिए वीजा पर पाबंदी नहीं, बल्कि कड़ी जांच होगी: डोनाल्ड ट्रंप

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वाशिंगटन, 27 जनवरी: अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले टेलीविजन साक्षात्कार में कहा कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान तथा सऊदी अरब उन देशों में शामिल नहीं है, जिनके नागरिकों को अमेरिका आने के लिए वीजा प्रतिबंध का सामना करना पड़ेगा। ट्रंप ने कहा, "हालांकि, इन देशों के नागरिकों को कड़ी जांच का सामना करना पड़ेगा।"

एबीसी न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा, "हम (अमेरिका) लोगों (पाकिस्तान, सऊदी अरब तथा अफगानिस्तान निवासी) को इस देश में आने की मंजूरी क्यों देने जा रहे हैं..।"

इस सवाल का जवाब भी ट्रंप ने दिया और कहा, "हम कुछ देशों के लोगों को अमेरिका आने की मंजूरी नहीं दे रहे हैं। लेकिन अन्य देशों के लोगों की हम कड़ी जांच करेंगे। अमेरिका आना बेहद मुश्किल होगा। अभी तक यह बेहद आसान था। लेकिन अब यह बहुत, बहुत मुश्किल होने जा रहा है। हम इस देश में आतंकवाद नहीं चाहते हैं।"

ट्रंप का साक्षात्कार गुरुवार को प्रसारित हुआ। बीते 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद यह उनका पहला साक्षात्कार था, जिसमें उनसे ओबामाकेयर से लेकर आव्रजन और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जैसे व्यापक विषयों पर बातचीत की गई।

ट्रंप ने कहा कि उनकी योजना कई मुस्लिम देशों के लोगों का अमेरिका में प्रवेश बंद करना है, क्योंकि दुनिया 'पूरी तरह अव्यवस्थित' हो गई है। उन्होंने इस बात से इनकार किया कि यह मुसलमानों पर प्रतिबंध है। उन्होंने कहा, "नहीं, यह मुसलमानों पर प्रतिबंध नहीं, बल्कि उन देशों के लोगों पर प्रतिबंध है, जो आतंकवाद ग्रस्त हैं।"

उन्होंने कहा, "इन देशों के लोग अमेरिका आ रहे हैं और इससे समस्याएं गंभीर होती जा रही हैं। हमारे देश में पहले से ही पर्याप्त समस्याएं हैं। इन कई समस्याओं या कुछ समस्याओं के परिणाम तो घातक हो सकते हैं।"

ट्रंप ने उन देशों का नाम लेने से मना कर दिया, जिनके बारे में वह बात कर रहे थे, लेकिन कहा कि यूरोप ने उन लोगों को जर्मनी तथा अन्य देशों में आने की मंजूरी देकर भारी गलती की और आप सबको इसपर ध्यान देना है, क्योंकि जो भी वहां हो रहा है वह भयंकर मुसीबत है। 

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का धमाकेदार बयान ‘बहुत नीच हैं ISIS के आतंकवादी, गंदे चूहे जैसे हैं’

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वाशिंगटन, 27 जनवरी: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस्लामिक स्टेट (आईएस) के आतंकवादियों को 'नीच व गंदे चूहे' कहा है। ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिए साक्षात्कार में कहा, "कुछ दुष्ट हैं, जो वर्दी पहने बिना किसी कोने में छिपकर घात लगाए रहते हैं। हम जिनके खिलाफ हैं, वे वर्दी नहीं पहनते। वे नीच, गंदे चूहे हैं, जो लोगों को खरीदारी वाले स्थलों और चर्चो में निशाना बनाते हैं।"

सीबीएस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, "ये दुष्ट लोग हैं। जब आप जर्मनी से जंग करते हैं तो उनकी अपनी वर्दी होती है, जापान से युद्ध करते हैं तो भी उनकी अपनी वर्दी होती है और विमानों पर उनके झंडे होते हैं। लेकिन इस वक्त हम नीच, गंदे चूहों से लड़ रहे हैं, जो बीमार और विक्षिप्त है। निश्चित तौर पर हम जीतने जा रहे हैं।"

ट्रंप की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जबकि यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वह मुस्लिम बहुल कई देशों से यहां आने वालों पर रोक के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर सकते हैं और यह कदम शुक्रवार को उठाया जा सकता है।

हालांकि आईएस को लेकर ट्रंप की ऐसी तल्ख टिप्पणी पहली बार नहीं आई है। उन्होंने अपने चुनाव अभियान के दौरान भी इस आतंकवादी संगठन से कड़ाई से निपटने की बात कही थी।

अमेरिका मेक्सिको के बीच दीवार बनने पर मेक्सिको नहीं करेगा दीवार के खर्च का भुगतान

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वाशिंगटन, 27 जनवरी: मेक्सिको और अमेरिका की सीमा पर दीवार बनाने की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की योजना पर उत्तरी अमेरिकी देश ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि वह इसके लिए खर्च का भुगतान नहीं करेगा, अगर अमेरिका को दीवार बनाना है तो पूरा खर्चा खुद करना पड़ेगा। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चुनाव से पहले वादा किया था कि राष्ट्रपति बनने पर वे अमेरिका और मेक्सिको के बीच दीवार बना देंगे ताकि रिफ्यूजी का भेष बनाकर आतंकी अमेरिका में ना घुस पाएं। 

मेक्सिको के विदेश मंत्री लुईस विदेगैरे ने गुरुवार को कहा कि यह उनके देश के सम्मान से जुड़ा है और दीवार पर आने वाले खर्च का भुगतान सरकार को स्वीकार नहीं है।

समाचार एजेंसी एफे के अनुसार, विदेगैरे ने यहां मेक्सिको के दूतावास में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, "ये मुद्दे सीधे तौर पर सम्मान से जुड़े हैं और इन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसका निर्यात या अर्थव्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं है, बल्कि यह मेक्सिको के लोगों के दिलों व गौरव से जुड़ा मामला है।"

उन्होंने कहा, "हम दूसरों को सम्मान देते हैं और चाहते हैं कि हमें, हमारे इतिहास और राष्ट्रीय प्रतीक चिह्नें को भी सम्मान मिले।"