करणी सेना के इस नेता ने भंसाली की वजह से पहली बार किया देवी पद्मिनी के जौहर स्थल का दर्शन

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नई दिल्ली: महारानी पद्मिनी का इतिहास हर किसी ने पढ़ा है लेकिन हिन्दू लोग उनके इतिहास को भूलते जा रहे थे, उनके इतिहास से सीखने के लिए हिन्दुओं के पास बहुत कुछ है, अगर कोई हिन्दू युवती महारानी पद्मिनी का इतिहास पढ़ ले तो वह लव जिहाद में कभी ना फंसे, अगर हिन्दू पुरुष मेवाण के महाराजा रतन सिंह और खिलजी का इतिहास पढ़ लें तो वे धोखेबाज जिहादियों के चक्कर में कभी ना फंसे, संजय लीला भंसाली ने यह सभी बातें अपनी फिल्म पद्मावत में बहुत ही खूबसूरत तरीके से दिखाया है.

इतनी अच्छी फिल्म होने के बाद भी करणी सेना ने फिल्म का विरोध किया, बहुत सारे नेताओं ने सिर्फ बड़ा नेता बनने के लिए फिल्म का विरोध किया, उन्हें लगा कि फिल्म का विरोध करके सुर्ख़ियों में आयेंगे और बड़े नेता बन जाएंगे, सूरजपाल अमू भी ऐसे ही नेता हैं, वह बीजेपी में काम करते थे लेकिन उन्हें जानता कोई नहीं था, उन्होंने भी मौका देखा और दीपिका पादुकोण के सर पर 10 करोड़ का ईनाम रखकर बवाल बचा दिया, बीजेपी से जुड़ा होने के कारण मीडिया ने उनके बयान को हाथों हाथ लिया और उनके नाम की जबरदस्त चर्चा शुरू हो गयी.

सूरजपाल अमू ने फिल्म का विरोध तो शरू कर दिया लेकिन उन्होंने जिंदगी में कभी भी महारानी पद्मिनी के किले चित्तौड़ का दर्शन भी नहीं किया था, उन्होंने पद्मावत फिल्म की रिलीज के बाद चित्तौड़ किले का दर्शन किया और देवी पद्मिनी के जौहर स्थल पर गए और उन्हें शीश झुकाकर नमन किया.

अगर भंसाली ने यह फिल्म नहीं बनायी होती तो 50 साल के सूरजपाल शायद कभी भी चित्तौड़ किले का दर्शन करने ना जाते, भंसाली की वजह से उन्होंने ऐसा किया, अब आने वाले समय में लाखों करोड़ों लोग चित्तौड़ किले का दर्शन करेंगे, महारानी पद्मिनी के जौहर स्थल पर जाएंगे. उनके आगे शीश झुकाएंगे और उनके इतिहास से सीखेंगे.
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