नई दिल्ली: 2019 में सत्ता में वापसी करने के लिए कांग्रेस पार्टी बेचैन है. अगर ऐसा कहें कि सत्ता के बिना कांग्रेस पार्टी जल बिन मछली की तरह छटपटा रही है तो गलत नहीं होगा. चुनाव जीतने के लिए सिर्फ जातिवाद भड़काने और हिन्दुओं को जाति में तोड़ने के अलावा कांग्रेस के पास कोई चारा नहीं है. कांग्रेस ने तोड़ने की कोशिश शुरू भी कर दी है, 2019 में चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस ने महा फ़ॉर्मूला बनाया है - कांग्रेस हिन्दुओं को तोड़कर ही मोदी को हरा सकती है, दलित, राजपूत, ओबीसी, जाट, जनेऊ + मुस्लिम = मोदी की हार.
2019 में सिर्फ दो पार्टियों के बीच चुनाव होगा और जातिवादी पार्टियाँ कांग्रेस के साथ होंगी. मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस के साथ ही होगा क्योंकि वे किसी भी कीमत पर बीजेपी के साथ नहीं आ सकते, कुछ को छोड़कर.
इसके बाद दलित वोटबैंक का नंबर आता है, दलितों के वोटबैंक को इकठ्ठा करने के लिए कांग्रेस ने जिग्नेश मेवाणी को खड़ा कर दिया है, अब दलित लोग मेवाणी से अधिक प्रभावित हैं जबकि मायावती की चर्चा कम हो रही है. वैसे मायावती ने राज्य सभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा देकर अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाड़ी मार ली है.
इसके पाद पाटीदार और ओबीसी वोटबैंक का नंबर आता है, कांग्रेस ने पहले ही हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर को खड़ा करके पटेल और दलित वोटबैंक झटकने का फार्मूला बना रखा है.
इसके बाद जाट और गुर्जर वोटबैंक का नंबर आता है, कांग्रेस ने हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनने के बाद ही जाट आन्दोलन खड़ा करके जाटों को बीजेपी के खिलाफ खड़ा कर दिया था. वहीं गुर्जर भी बीजेपी के खिलाफ आन्दोलन खड़ा करने के लिए तैयार हो रहे हैं.
इसके बाद ब्राह्मण वोटबैंक का नंबर आता है तो कांग्रेस ने पहले ही राहुल गाँधी को जनेऊधारी ब्राह्मण बताकर ब्राह्मणों के वोटबैंक पर निशाना साध रखा है.
इसके बाद बच रहे थे राजपूत तो कांग्रेस ने बहुत ही चालाकी से राजपूत करणी सेना को पद्मावत फिल्म के विरोध में खड़ा करके राजपूतों को बीजेपी के खिलाफ भड़का दिया है, काफी राजपूत बीजेपी के खिलाफ खड़े भी हो चुके हैं, इसका सबूत आपने राजस्थान उपचुनावों में देख लिया जहाँ पर करणी सेना ने कांग्रेस को तीनों सीटों पर जितवाकर उसकी ख़ुशी भी मनाई.
इसके बाद मुस्लिमों की बात कर लेते हैं. कांग्रेस खुद को कितनी भी हिन्दू वादी या कट्टर हिन्दू समर्थक पार्टी घोषित कर दे लेकिन मुस्लिम हमेशा सिर्फ कांग्रेस पार्टी को वोट देंगे क्योंकि उन्हें पता है कि चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस पिछली बार की तरह हिंदुत्व के रास्ते से हट जाएगी और तुष्टिकरण शुरू कर देगी लेकिन बीजेपी कभी भी हिंदुत्व का रास्ता नहीं छोड़ सकती क्योंकि उनके साथ आरएसएस की ताकत है.
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