नई दिल्ली: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की मुसीबत और बढ़ गई है। हुड्डा पर सीबीआई लगातार शिकंजा कसती चली जा रही है। आने वाले 1-2 महीनें हुड्डा के लिए बहुत भारी पड़ सकते हैं। मानसेर जमीन प्रकरण की चार्जशीट दाखिल करने के बाद अब सी.बी.आई. टीम जल्द ही पंचकूला के औद्योगिक प्लाट आबंटन मामले की चार्जशीट भी दाखिल कर सकती है।
सूत्रों की मानें तो इस मामले में जांच प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अगले कुछ दिनों में इस प्रकरण की चार्जशीट भी पंचकूला की सी.बी.आई. कोर्ट में दायर की जाएगी। माना जा रहा है कि अगला एक माह हुड्डा के लिए बेहद कठिन होगा। वैसे तो हुड्डा सरकार में हुई अनियमितताओं के करीब 100 मामलों की जांच विजीलैंस ब्यूरो द्वारा की जा रही है लेकिन 3 केस ऐसे हैं जिनमें हुड्डा अपने नाम या पद के अनुसार कथित आरोपी के रूप में लिप्त हैं। इससे अलग ढींगरा आयोग की रिपोर्ट भी सार्वजनिक होने के बाद हुड्डा के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं।
पंचकूला के औद्योगिक प्लाट आबंटन मामले में सी.बी.आई. ने 21 मई 2016 को मुकद्दमा दर्ज करने के बाद देशभर में 16 स्थानों पर छापामारी की थी। इस दौरान सी.बी.आई. ने कई अहम दस्तावेज बरामद किए थे। खास बात यह थी कि इस मामले में सी.बी.आई. ने प्लाट लाभार्थियों के घरों पर भी छापामारी की थी और कई बार उन्हें पूछताछ के लिए भी मुख्यालय बुलाया था। सूत्रों की मानें तो इस प्रकरण की जांच प्रक्रिया पूरी हो चुकी है जहां अब सी.बी.आई. टीम की ओर से जल्द चार्जशीट दायर करने की तैयारी है।
पंचकूला औद्योगिक प्लाट आबंटन की जांच में सी.बी.आई. को कई अहम सुराग हाथ लगे हैं। सी.बी.आई. ने अपनी जांच में पाया है कि पूर्व की हुड्डा सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर अपने चहेतों को प्लाट आबंटित किया। प्लाट आबंटन में न तो औद्योगिक घरानों का पैमाना देखा गया और न ही आबंटियों का बैकग्राऊंड। सी.बी.आई. जांच में साफ है कि अधिकांश प्लाट धारकों की मंशा उद्योग लगाने की नहीं, बल्कि महंगे दामों पर प्लाट बेचकर कमाई करने की रही है। हालांकि इससे पूर्व विजीलैंस जांच में ही यह बात साफ हो गई थी कि पूर्व हुड्डा सरकार ने अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए रात को नियम बनाए और सुबह उन्हें लागू कर दिया, दोपहर में चहेतों को नए नियमों के तहत लाभ पहुंचा दिया।
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