नई दिल्ली: बॉबी कटारिया को पुलिस ने इसलिए गिरफ्तार किया था ताकि भविष्य में कोई युवक पुलिस वालों की लाइव वीडियो ना बने सके, ऐसा काम करने वाले युवक डर जाएं और बॉबी कटारिया का अंजाम याद रखें.
बॉबी कटारिया के जेल जाने और उसके ऊपर कई FIR दर्ज होने के बाद भी युवा एकता आन्दोलन के लोग नहीं डरे और उसकी मदद के लिए आगे आये. पूरे देश में बॉबी कटारिया पर हुए जुल्म की आवाज पहुंचाई गयी.
शुरुआत में अजय चौधरी बॉबी कटारिया के आन्दोलन की अगुवाई करने के लिए आगे आये, उसके बाद बीरेंद्र सिंह ने मोर्चा सम्भाला और उसके बाद लुधियाना के हरमीत सिंह टिंकू ने मोर्चा सम्भाला.
इन युवाओं ने अपनी जान को खतरे में डालकर बॉबी के लिए काम करना शुरू किया, गुरुग्राम पुलिस के खिलाफ आवाज उठाने वालों पर पुलिस हमेशा नजर रख रही है, हाल ही में एक RTI एक्टिविस्ट के दोस्त को उठा लिया गया और उसे तीन दिन तक टॉर्चर किया गया. RTI एक्टिविस्ट आकाश मौर्या ने RTI एक्ट के तहत गुरुग्राम पुलिस से बॉबी कटारिया की जानकारी मांगी थी लेकिन पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने आ पहुंची, उन्हें पकड़ने की भूल में उनके दोस्त को ही उठा लिया.
कहने का मतलब ये है कि तीनों युवाओं ने अपनी अपनी जान को जोखिम में डालकर बॉबी कटारिया की मदद के लिए आन्दोलन खड़ा किया लेकिन अब तीनों ने आन्दोलन छोड़ दिया है. बॉबी कटारिया का परिवार ही नहीं चाहता कि कोई उसके समार्थन में बोले, इसलिए एक एक करके सभी आन्दोलन से दूर होते गए और अजय चौधरी और हरमीत सिंह भी मजबूर होकर अपने घर चले गए.
अजय चौधरी ने तो यहाँ तक कह दिया है कि हम लोग बेवकूफ थे जो आन्दोलन के लिए आगे आये और उसकी मदद की. अब हमारा बॉबी कटारिया और उसके परिवार से कोई मतलब नही है. हरमीत सिंह टिंकू भी अपने घर लुधियाना जा चुके हैं.
इस तरह से युवाओं की एकता हार गयी जबकि गुरुग्राम का पुलिस प्रशासन जीत गया, अब शायद गुरुग्राम पुलिस की असलियत बाहर ना आने पाए क्योंकि बॉबी कटारिया के परिवार की वजह से कोई युवा आन्दोलन का नेतृत्व नहीं करेगा और पुलिस वालों के खिलाफ कोई आवाज नहीं उठा सकेगा, हो सकता है कि बॉबी कटारिया के रिहा होने के बाद वह भी डरकर चुप बैठ जाए क्योंकि अब आन्दोलन ही नहीं है तो बॉबी कटारिया अकेला क्या कर लेगा, कल को पुलिस के खिलाफ कुछ बोलेगा तो पुलिस उसे फिर से पकड़कर तीन चार दिन तोड़ेगी. उसकी मदद के लिए अब कोई युवा आएगा ही नहीं क्योंकि उसका परिवार ही यह सब नहीं चाहता और उसकी मदद करने वालों को बेइज्जती मिलती है.
Ghr vale Bik gye h aisa lgta h
ReplyDeleteIsiliye politicians ne paise diye hoge