सिर्फ मजबूत दिल वाले पढ़ें, 8 दिन तक पुलिस रिमांड में बॉबी कटारिया के साथ क्या क्या टॉर्चर हुआ

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हर कोई जानना चाहता है कि गुरुग्राम पुलिस की रिमांड में युवा एकता फाउंडेशन के चीफ बॉबी कटारिया के साथ क्या क्या हुआ, उनके साथ कैसा टॉर्चर किया गया, उन्हें 8 दिनों के दौरान क्या क्या जुल्म झेलने पड़े. यह पत्र बॉबी कटारिया ने कई दिनों पहले लिखा था लेकिन इसकी सॉफ्ट कॉपी किसी ने नहीं देखी है, इसलिए हम यहाँ पर बताने जा रहे हैं कि बॉबी कटारिया ने अपने 11 पेज के पत्र में क्या लिखा है -

मैं बॉबी कटारिया S/O नरेंद्र कटारिया गाँव बसई आप सभी को पूरा सत्य बताऊंगा, दिसम्बर 2017 में जब से मुझे अरेस्ट किया गया है. उसी के बारे में लिख रहा हूँ. जो सिर्फ मुझे या पुलिस प्रशासन को पता है. मैं अपने परिवार के साथ फिल्म टायगर जिन्दा हैं रात के शो को देखने के लिए निकला था. इंटरवल होने के बाद 10 से 5 पुलिस कर्मी वहां आते हैं. मैं सबसे पीछे वाली सीट पर अपने बेटे और पत्नी के साथ बैठा होता हूँ. तभी मुझे एक पुलिस वाला YOU ARE UNDER AREST बोल कर मुझे सिनेमाहाल MGF गुरुग्राम से उठा लिया जाता है.

कोर्ट के समक्ष मैं सब बातें नहीं बता सका और न ही मुझे बोलने दिया गया, इसकी वजह नीचे लिखे हुए पत्र में स्पष्ट हो जाएगी, मुझे MGF मॉल से पीछे के रास्ते से पुलिस प्रशासन के व्यक्तियों नें उठाकर मेरी कमीज पकड़कर और दूसरी तरफ से दो पुलिस कर्मियों ने पैरों में लाठी डालकर ऊपर उठाकर ले जाते हैं. फिर मुझे पुलिसवालों ने MG METRO STATION पर  खड़ी गाडी में डालकर और बीच रास्तें में ही मेरे साथ थप्पड़ घूंसे मारते हुए सेक्टर 9A थाना ले गए, 

रात करीब दो बजे का वक्त था. सेक्टर 9A के थाने के इंचार्ज वहीँ थे. और उनके साथ और भी पुलिस कर्मी मौजूद थे. मुझे करीब सात या आठ पुलिस कर्मी इंचार्ज के रूम में ले गए, वहां मुझे बुरी तरीके से लात घूंसे मारे उसके तुरंत आधे घंटे बाद मुझे सेक्टर 17 CIA में भेज दिया गया, वहां जाते ही मुझे CIA के LOCKUP में बंद किया गया, और वहां के इंचार्ज नरेंद्र चौहान ने अपने सभी प्रशासन के व्यक्तियों को बोला कि इस BOBBY KATARIA को सोने नहीं दिया जाये, 

उसी रात करीब 2:30 बजे रात LOCKUP से निकालकर मुझे CIA के कमरें में खड़ा कर दिया गया, वहां करीब 8 से 10 पुलिसकर्मियों की टीम थी. NARENDRA CHAUHAN इंचार्ज ने मुझे कपडे उतारने के लिए कहा और मैंने अपने सारे कपडे निकाल दिए थे, मैं सिर्फ अंडरवीयर में था.

लेकिन वहां के इंचार्ज ने मुझे अंडरवीयर भी उतारने को कहा, मुझे वो भी निलालना पड़ा. उसके बाद मेरे पीछे हाथ बांध दिए गए, और मुझे बैठने के लिए कहा. मैं बैठ गया, फिर टांग सीधी करवा दी गयी, बैठने के बाद उसके बाद वहां खड़े CIA टीम के एक व्यक्ति नें मेरे पीछे बैठ कर कुर्सी पर  मेरे पीछे बंधे हाथों के अन्दर अपने पैरों को उसमें फंसा लिया, जिससे मैं हिल न सकूँ मुझे काफी दर्द हो रहा था. बुरी तरीके से कसकर रस्सियों में हाथ बंधे हुए थे. 

उसके बाद जब मैं ज्यादा हिलने लगा तो मेरे सर के बाल खींचकर ऊपर गर्दन कर दी, उसके बाद 4 व्यक्तियों ने मिलकर मेरी टाँगें फाड़ी और मैं उस वक्त पसीने-पसीने होकर चिल्ला रहा था. मेरी ऐसी ही टाँगें उस वक्त भी फैला दी गयी जब मैं बैठा हुआ था जैसे एक टांग पूर्व में हैं और दूसरी टांग पश्चिम की की तरफ है. हमने अभी तक जो बताया है वो पहली रात कि बातें हैं. 

उसके बाद मुझे सोने के लिए मना ही था CIA के इंचार्ज की तरफ से. मैं पूरी रात खड़ा रहा. मेरे लिए इंचार्ज साहब नरेंद्र चौहान ने अपने दो प्रशासन के व्यक्तियों को मेरी निगरानी करने के लिए कहा और उनको साफ़ बोला कि बॉबी कटारिया अगर आँख झपकाए तो इसके पैरों पे लठ मारना. मुझे नींद तो नही थी, टाँगें फाड़ने की वजह से पूरे निचले हिस्सें में दर्द की वजह से नींद नहीं थी आँखों में. मैंने उसी रात पानी माँगा बहुत ज्यादा प्यास लगी थी. लेकिन वहां के इंचार्ज नरेंद्र चौहान ने सबको कहा था. अगर ये पानी मांगे तो आधा घूंट से भी कम देना. मैंने वही जरा सा पानी पीके अपनी प्यास बुझाई. जैसे ही सुबह हुयी. जहाँ जिस कमरें में मुझे रखा गया था. वहां फिर से भीड़ CIA के कर्मचारियों की लगनी शुरू हो गयी. वहां करीब 10 से 12 प्रशाशन के कर्मचारी घेर कर खड़ा हो गए, और मुझे कपडे पहनने के लिए बोला. 

लेकिन मुझे नहीं पता था मुझे कपडे क्यों पहनाये जा रहे थे. क्योंकि रात में ही इंचार्ज नें कपडे न पहनने के लिए कहा था उसके बाद वहां सब नें 10 से 12 CIA के व्यक्तियों नें मुझे घेरा और लात घूंसे थप्पड़ पता नहीं चल रहा था कौन किस जगह बिना देखे मारे जा रहे थे. करीब 8 से 10 मिनट तक बुरी तरह से पीटने के बाद मेरें नाक से खून आ गया, था और खून को मैंने वहीँ जमीन से पोंछ दिया था. शायद मेरी जीन्स पर भी पोंछा था. उसके तुरंत बाद मुझे फिर से NUDE कर दिया गया उस वक्त काफी घबराहट हो रही थी. और प्यास भी बार बार लग रही थी लेकिन मुझे पानी नहीं दिया गया. 

उसके बाद सेम रात वाला सिस्टम हाथों को पीछे बांधा. और एक व्यक्ति ने फिर से पैर फंसाए और बालों को कस कर पकड़ा उसके बाद CIA के दो व्यक्तियों नें मेरे पैरों के ऊपर 90 से 100 किलोग्राम की मुस्ली लोहे की थी. जो मेरे THIGS पर रखी गयी. और वह लोग वहां उस पर दो व्यक्ति 90 से 100 किलोग्राम के दोनों खड़े हो गये. और नीचे बैठे 3 से 4 व्यक्तियों नें उसको घुमाघुमाकर चलाया THIGS पर, मैं चीख रहा था चिल्ला रहा था. लेकिन क्या करूँ कोई सुनने वाला नहीं था. 

चार मिनट तक उस लोहे की मुसली को मेरे पैरों पर चलाया गया, मुझे ड्यूटी Majistrate के पास भी उनके घर ले जाया गया था. जहाँ उन्होंने मेरा रिमांड 4 दिन का बोला. बात sec17 CIA वालों नें रिमांड फोन की बरामदगी के तौर पर ली थी. जो की मेरा फोन MGF mall से ही बरामद किया जा चूका था. मुझे बिलकुल चुप रहने के लिए कहा गया था. मुझे सिविल हॉस्पिटल भी ले जाया गया था. जहाँ पर लेडीज डाक्टर नें मेरा मेडिकल किया था. मुझे फिर से sec17 CIA थाने में लाया गया मेरें पैरों से ठीक से चला नहीं जा रहा था. 

फिर मेरी गरम पानी और नीम डालकर सिकाई की गयी और मूव लगायी गयी. मुझे प्यास लगी थी. और ये लोग पानी नहीं दे रहे थे ठीक से. फिर मैं फ्रेश होने के बहाने बाथरूम में जाता हूँ और वहां पड़े डब्बे में नल से पानी भरता हूँ करीब मैंने आधा डब्बा जो बाथरूम में रखा था. तो मैंने वही पीकर गुजारा किया. उससे अगली रात भी मेरी चौकीदारी में इंचार्ज ने अपने काम करने वाले. पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगा दी थी कि बॉबी कटारिया को  पेट भरके खाना खिलाया जाये, और सोने नहीं दिया जाये, 8 से 11 दो पुलिस कर्मी, 11 से 2 दो पुलिस कर्मी 2 से 5 बजे अलग पुलिस कर्मी और 5 से 8 अला पुलिस कर्मी मौजूद थे. 

मुझे दो बार नींद की झपकी आई और मुझे घुमा घुमा के डंडे मारे दर्द के कारण नींद फिर से नहीं आई, अगले दिन फिर मेडिकल ले जाया गया लेकिन चार दिन की रिमांड में मेरे कपडे सिर्फ पहले दिन सिविल हास्पिटल के लेडीज डाक्टर ने उतरवाई थी. उसके बाद इन चार दिनों के रिमांड में जो हर 24 घंटे में होता हैं.और कपडे उतरवाकर देखना हर डाक्टर का काम होता है. लेकिन वहां किसी डाक्टर ने मेरे कपडे नहीं उतरवाए, और न ही मुझसे कोई दर्द है या चोट है उस चीज के बारें में नहीं पूछा. फिर दुबारा से मुझे, SEC-17 गुरुग्राम CIA थाने में लाया जाता है. 

वहां बादशाहपुर के विष्णु ASI हैं या SI मैंने उनकी नेमप्लेट देखी और तब पहचाना वो भी वहां आये हुए थे. और उनके साथ-साथ SEC-9A और SEC-10 थाने और फरीदाबाद के कुछ पुलिसकर्मी मौजूद थे. वहां दूर दूर के गुरुग्राम के इन्स्पेक्टर आते जाते और मुझे वहां हर कोई इन्स्पेक्टर हो या हवलदार सब मुझे मार मार कर जा रहे थे. फिर मुझे 3 इन्स्पेक्टर नें लाठियों से मारा जिसमें बाहर के इन्स्पेक्टर थे. वे CIA के लोग नहीं थे उस वक्त सब बाहर के इन्स्पेक्टर ने मारा था. फिर उसके बाद  टब में पानी भरवाया जाता था. और मुझे लेटाकर दो व्यक्ति टांगे पकड़ते पीछे से और और मेरे पीछे हाथ बांध दिए जाते हैं. और फिर मेरा पानी का रिमांड और उसमें डुबकिया लगवाई जाती हैं. मैंने उन सब से बोला मुझे मार लो लेकिन पानी में मत डालो, दमे की प्रोब्लम है और मैं करीब 25 साल से Inhaler लेता हूँ. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुयी. और मैं तड़पता रहा. और वहां सब पुलिस कर्मी हँसते रहे. 

मुझे वहां sec-17 CIA थाने के ग्राउंड में भी काफी देर तक मेरे ऊपर आदमी को बैठा दिया जाता था. और चलने के लिए कहा जाता था. मुसली रखने से मेरे पैरों में इतना दर्द था कि कुछ बता भी नहीं सकता जो वह सब लोग कह रहे थे. तो मुझे करना ही पड़ रहा था. मेरे सर के ऊपर डंडा रख दिया जाता था. करीब 3 फुट का और बोला जाता था. गिर गया तो बॉबी के पैर क्या आज हाथ भी नहीं बचेंगें. 

क्या करता वो तो सबको पता है डंडा गिरेगा ही, उसके बाद फिर मेरी उसी सिस्टम से टाँगें फाड़ी जाती हैं. और मुसली फिर लगाइ जाती है. रोने के लिखने चिल्लाने के आलावा मेरे पास कुछ नहीं था. सिर्फ और सिर्फ दर्द था. ऐसे ही फिर एक और रात होती है. और वहां रात में करीब 12 से 1 बजे SEC-9A थाने के ASI घनश्याम वहां अपने बच्चे को लेकर आते हैं. और अपने बच्चों के पैरों में गिरकर माफ़ी मांगने को बोलते हैं. उनका बच्चा करीब 10 वर्ष का था. 

मैंने बच्चे से माफ़ी मांगी, घनश्याम नें अपने बच्चे से पूछा छोड़ दें बॉबी कटारिया को या मार दें तो उनके बच्चे ने मुझे छोड़ने के लिए बोला लेकिन उसी रात मेरे साथ ऐसी घटना होती है जो शर्मसार है मेरे लिए बताने में. उस वक्त रात में वहीँ बंद कमरें में खड़ा था और वहां फिर से एक साथ CIA के पुलिस कर्मी एक जुट हो जाते हैं. दारू पीकर उसके बाद वो लोग फिर मेरे कपडे उतरवाते हैं. और वहां वो लोग मुझे लेडीज अंडरवीयर ब्रा पहनाते हैं. और साथ में दो मौसमी छोटे छोटे लाते हैं. और उसके साथ मुझे पेटीकोट पहनाया जाता है और मुझसे डांस करवाया जाता है. 

एक घंटे तक वो हँसते हैं गलियां देते हैं. और डंडे भी मारते हैं. लेकिन मुझे उस बीच नाचना ही पड़ा. 12 से 15 पुलिस कर्मियों के बीच फिर वो उतरवाकर NUDE करके मेरे Buts पर थूक-थूक कर वह निकल गए. मेरा मन यह कह रहा था बॉबी Suicide कर ले लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी इन लोगों की तरह, Suicide कायर लोग करते हैं. मैं अपने आप को स्टैंड किया, मुझे अंतिम दिन मेडिकल के लिए ले जाया गया, और जाते-जाते SEC-9A थाने से आये घनश्याम ने यह कहा कि बॉबी तेरा encounter घनश्याम करेगा चाहे जिस मुठभेड़ में दिखाऊ या कुछ भी करूँ जिन्दा नहीं रहने दूंगा. सिविल हास्पिटल गुरुग्राम ले जाते समय सिर्फ मुझे Signature करने के कहा जाता था और कहा जाता था मुंह से कुछ बोला तो तेरे परिवार तेरी बीवी तेरी बहन सबको यहीं nachaunga, मेरे पिछवाड़े से भी बालों को हाथों से उखाड़ा गया, दर्द सहन करने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था. 

बार-बार परिवार को धमकी दे रहे थे सब पुलिस कर्मी. कोर्ट में भी जज के सामने भी मुंह खोलने से मना किया गया, मुझे आखरी रात SEC-17 थाने के इंचार्ज नरेंद्र चौहान ने सोने के लिए कहा, लेकिन पैरों में भारी लक्कड़ बांध के उसमें ताला लगा दिया गया, वह लगाकर पैरों में इतना वजन लग रहा था. जैसे 100 किलोग्राम से बंधा हुआ है पैर. उस रात फिर वो बंधने से वैसे ही नींद नहीं आई, यहाँ sec-17 CIA के 4 दिन रिमांड कम्प्लीट होने के बाद कोर्ट ले जाया गया, और चुपचाप खड़े रहने को कहा. इतनी धमकियाँ दी हुयी थी परिवार की तो मैं भी कुछ नहीं कह पाया जज के सामने. उसके बाद Production Warrant को लेकर तुरंत SEC-10 CIA के पुलिस कर्मी गाडी में बैठाते ही मारने लगते हैं और LOCKUP में बंद कर देते हैं.

और फिर मुझे LOCKUP से बाहर निकलवाते हैं. फिर उसके बाद वहां भी प्रशाशन के काफी व्यक्ति होते हैं. वहां के इंचार्ज सबको लाइन में खड़ा करा के मुझे पीछे से जूता मारने के लिए बोलते हैं. कि एक-एक लात मारों पिछवाड़े पर इसकी पिछवाड़े पर थूकते चलो उसी वक्त फिर एक उनमें से लात मेरे पिछवाड़े के मिडपॉइंट पर हल्का ऊपर लगती हैं. जिससे मैं तड़प जाता हूँ और वहीँ गिर जाता हूँ. मैं दर्द दे कांप रहा था. सब पुलिस कर्मी मेरे दर्द को देखकर तितर बितर हो गए थे, मेरे से न उठा जा रहा था न बैठा जा रहा था. सिर्फ खड़ा होने के बाद ही तसल्ली मिल रही थी मुझे. 

जिससे मैं फिर वहां SEC-10 CIA में भी दो दिन बिना सोये गुजारे लेकिन वहां उल्टा लेटकर मुझे थोड़ी नींद मिली, जब मेरे BACK पर जूते लगने के कारण काफी दर्द हो जाता है तो उसके कुछ देर बाद SEC-10A गुरुग्राम पुलिस चौकी के इंचार्ज LOCKUP रूम की खिड़की पर कुछ गोली देने के लिए करीब बुलाते हैं. खिड़की के पास और मेरे मुंह के ऊपर बाहर से ही थूक देते हैं. उनका थूक मेरी मूंछों के ऊपर गिरता है. SEC-10 के इंचार्ज वह थूक मुझे चाटने के लिए बोलते हैं. 

एक बार फिर से मन में ख्याल आता है सुसाइड करने का कि ये थूक चाटने से पहले मैं मर क्यूँ नहीं जाता लेकिन मैं एक समाजसेवी पहले हूँ जिसके जिसके चलते मैं लोगों को खुद अच्छी दिशाएं देता हूँ और समाज के लिए सबको इकठ्ठा करने का कार्य करता हूँ. मैं आज यही स्पष्ट कर देता हूँ कि जीवन में कभी सुसाइड नहीं करूँगा चाहे प्रशासन की वजह से मुझे कितनी जिल्लत सहनी पड़े. यह बात इसलिए लिखी है क्योंकि प्रशाशन के कुछ व्यक्ति चाहते हैं मैं सुसाइड करूँ या फिर बॉबी कटारिया को किसी तरह पुलिस की हिरासत से भागने का मौका मिला और मुझे गोली मार दी जाय, 

उसके बाद मैं क्या करता आँखे बंद की और मैंने समर्थकों को याद किया और वह थूक को चाट लिया, शायद से SEC-10A वालों नें रिमांड 2 या 3 दिन का लिखा था अच्छे से याद नहीं है इतना क्योंकि मार थप्पड़ डंडे रोलर रस्सी इसके आगे कुछ ठीक से याद नहीं आ रहा था. जितना याद आता गया उतना लिख रहा हूँ SEC-10A CIA वालों ने दर्द के कारण मुझे LOCKUP में ही पैनकिलर खिलाई, और खाना दिया फिर सोने के लिए कहा लेकिन उस दर्द से पीछे से न तो मुझसे लेटा बैठा ठीक से खड़ा तक नहीं हुआ गया, अगले दिन सुबह मैंने चाय पी और मुझे फ्रेश होना था. जिसके चलते दो व्यक्ति मेरें साथ बाथरूम तक गए और वहां मेरी हालत और ख़राब हो गयी थी. क्योंकि मुझसे बैठा नहीं जा रहा था. मेरी चिल्लाहट निकली और फिर मैं खड़े-खड़े ही फ्रेश हुआ उसके बाद दर्द काफी था. SEC-10 CIA वालों नें डॉ को CIA थाने में ही बुलाया, और इंजेक्सन और पेनकिलर दिए लेकिन वो दर्द आम दर्द नहीं था. गोलियों से कोई फर्क नहीं पड़ा अगले दिन फिर से फ्रेश होनें में दिक्कत आई और फिर खड़े-खड़े ही फ्रेश होना पड़ा मेरे दर्द को देखकर SEC-10A CIA वालों ने फिर डॉ को बुलाया गया डॉ ने मुझे करीब दिन में आकर 7 से 8 इंजेक्शन दिए और मुझे CIA वालों ने हर 3 घंटें में पेनकिलर दे रहे थे. दो-दो- तीन-तीन जिसका सबूत वहां LOCKUP में पड़े एक गद्दे के अन्दर मैंने एक वक्त की दवाई उसके अन्दर दाल दी थी क्योंकि दवाइयों के ऊपर दवाइयां खिलाई जा रही थी. जिससे मुझे VOMIT भी हो गयी थी.

मुझे अगले दिन फिर कोर्ट लेकर जाया गया उससे पहले भी वहां डॉ नें आकर फिर से इंजेक्शन दिया, और मुझे धमकाया गया की  कुछ भी नहीं बोलना है. और कहा गया बिलकुल सीधा चलना है. क्योंकि मेरें पिछवाड़े पर लगने के बाद दर्द पूरा पैर के एक साइड के हिप्स में भी आ गया, था और SEC-17 CIA और SEC-10 CIA गुरुग्राम की दोनों ने मुझसे सादे कागज पर SIGNATURE करवाए, करीब मैंने 20 से 25 खाली पेपर पर SIGNATURE किया. यह सब काम मुझे डरा धमका कर हुए हैं. मैंने पूंछा भी यह गोरा कागज है लेकिन मेरा मुंह बंद करवा के सीधा धमकियाँ देकर SIGNATURE करवाए.

उसके बाद मुझे रिमांड पर फरीदाबाद लाया गया, वहां भी सेम सिस्टम लगा. जाते ही वहां भी SEC-65 CIA फरीदाबाद में घुसते ही खाकी पुलिस की टीम दिखी मुझे ठीक से याद नहीं कि SEC-65 की ही थी CIA की या किसी और SEC की वहां के इंचार्ज विजय व जितेन्द्र थे. जहाँ फिर से मेरा रिमांड लिया गया थप्पड़ लात घूंसे लग रहे थे. बस, लेकिन वहां के इंचार्ज ने मेरा पिछवाड़े का दर्द देखकर मेरे साथ कोआपरेट किया. मुझे सबसे नहीं मरने को कहा. लेकिन सोने के लिए यहाँ के भी इंचार्ज ने मना कर दी थी. कुछ कांस्टेबल की ड्यूटी जो लगी थी मेरी निगरानी में. उन्होंने ने भी मेरा दर्द देखते हुए मुझे उल्टा करके थोड़ी देर सोने दिया गया, मैं करीब 6 दिन से सोया नहीं था. और मुझे दीवार से टेक लगाने को भी मना था. उसके बाद फरीदाबाद CIA वालों ने मुझसे फोन के बारे में ही पूंछा जिसके जरिये वह मुझे रिमांड पर लाये मैंने उनको भी यही कहा सर मेरा फोन पहले दिन से ही SEC-9A के IO के पास ही है और फिर जब फोन फरीदाबाद से SEC-9A थाने में किया गया तो फोन को SEC-9A के IO से ही बरामद करवाया गया, फरीदाबाद CIA में DCP साहब भी अपने काफिले से के साथ आये थे लेकिन मेरी कुत्ते जैसी हालत मुझसे ठीक से नहीं खड़ा हुआ जा रहा था. उन्होंने मेरे हालत को देखते ही रियायत दे दी नहीं मारने की फरीदाबाद विजय सर CIA के इंचार्ज नें मुझे पेनकिलर भी दिलवाई.

उसके बाद मुझे फरीदाबाद कोर्ट में पेश करके नीमका जेल भेजा गया, यहाँ जेल में भी मेरा मेडिकल नहीं हुआ कुछ दिन बीतने के बाद. जनवरी 2018 को गुरुग्राम में तारिख लगी और वहां से मुझे एक केस में और लगा के महिला थाना वालों ने रिमांड पर ले लिया, मुझे महिला सेल की इंचार्ज mukesh पहले SEC-52 ही था शायद जो झडसा गाँव कि रेड लाइट से होते हुए.आगे T-POINT पर एक थाना हैं वहीँ मुझे थोड़ी देर के लिए अन्दर ही खड़ा रखा और फिर से पूछताछ हुयी फोन की अब मैं फोन भी कब का दे चूका था. लेकिन बार-बार यही बात की फोन दे दे बॉबी जहाँ भी हो. उसके पूछताछ के कुछ देर बाद ही फिर शाम को SEC-17 CIA के इंचार्ज नरेंद्र चौहान के पास ले गयी थी.

महिला थाने की इंचार्ज mukesh नें मुझे वहां LOCKUP में बंद कर दिया गया था. फिर कुछ घंटों बाद महिला थाने की इंचार्ज मुझे रात करीब 11 बजे SEC-17 CIA के वहां से गाडी में बैठाकर निकल लिए और फिर मुझे रात में ही SEC-29 गुरुग्राम थाने में ले जाया गया जिसके चलते फिर मुझे वाही LOCKUP में बंद रखा अंडरवीयर में ही था मैं उसके बाद मुझे रात में पुलिस कर्मी आकर बहार से ही बोलते हैं नाच कर दिखा क्या करता मजबूरी से बड़ी कोई चीज नहीं और वहां नाचना पड़ा, उसके बाद मुझे उल्टा ही लेटाया गया, करीब 20 दिन से वहां दर्द मेरा पिछवाड़े का गया नहीं था सुबह होने के बाद मुझे फिर नीमका जेल में दाल दिया गया 

आज भी बीते 25 दिन बाद मुझसे एक टांग से ठीक से चला नहीं जाता और पूरी तरह से फ्रेश होने के लिए बैठा भी नहीं जाता. मैं आज भी खड़े-खड़े फ्रेश होता हूँ. मेरा किसी भी चाहे वह गुरुग्राम के हॉस्पिटल हो या फरीदाबाद का मेरी डॉ को प्रोब्लम बोलने के बाद भी उन्होंने मेरे दर्द का कोई इलाज नहीं करवाया, यह सब काम प्रशासन पुलिस की ही देख रेख में था. मुझे पुलिस प्रशासन से काफी डर है कि ये मुझे कहीं न कहीं भगा कर मुझे मरवाने की साजिश में हैं. मेरे यह लिखित बयान किसी न्यायलय तक पहुँच जाते हैं तो मुझे बेड़ियाँ जंजीर में बांध कर और कोई रिमांड पर लेता हैं. तो मुझे ये जंजीर और बेडी दिलवाई जाय, और अगर हो सकता है. तो यह रिमांड मेरे वकील की निगरानी में हों. क्योंकि अब पता नहीं चल रहा है. एक केस के बाद एक केस झूठा बना-बना कर मुझे लाया जा रहा है. और मुझे फंसाया जा रहा है. उम्मीद करता हूँ. अपने न्यायालयों से जो भी करेंगें आप हमारे लिए सबसे ऊपर हैं. और आप ही इस देश का कानून जानते हैं, बस उम्मीद हैं. यह सब मैंने ( बॉबी कटारिया ) ने लिखी है जिसका सबूत मैं अपना वरिजनल SIGNATURE कर रहा हूँ. जय हिन्द 
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