देश में बढ़ रही है देशद्रोहियों की संख्या इसलिए राष्ट्रगान पर बदलना पडा सुप्रीम कोर्ट को फैसला

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नई दिल्ली: आज से छः महीनें पहले मोदी सरकार की सलाह पर सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी सिनेमाघरों में फिल्म की शुरुआत से पहले राष्ट्रगान बजाना और खड़े होना अनिवार्य कर दिया था लेकिन आज यह फैसला वापस ले लिया. आज एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब से सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना और राष्ट्रगान पर खड़े होना अनिवार्य नहीं है. मतलब खड़े हो तो भी अच्छा, ना खड़े हो तो भी अच्छा, बजाओ तो भी अच्छा, ना बजाओ तो भी कोई बात नहीं.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से देशभक्त लोग हैरान हैं लेकिन देशद्रोही खुश हैं. देशभक्तों के अन्दर राष्ट्रगान सुनकर देशभक्ति मजबूत होती थी लेकिन देशद्रोहियों को खड़े होने में शर्म लगती थी. देशद्रोहियों के नेता सुप्रीम के इस फैसले को जबरदस्ती बताते थे. कहते थे कि सिनेमाघर में लोग मौज मस्ती के लिए जाते हैं, राष्ट्रगान बजने में उनका मूंड बिगड़ जाता है. राष्ट्रगान को थोपा नहीं जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों बदला फैसला

लोग कुछ भी कहें लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सिर्फ इसलिए बदला है क्योंकि देश में देशद्रोहियों की संख्या बढ़ रही है भले ही कुछ राज्यों में इनकी संख्या अधिक हो लेकिन इनकी संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है. इन लोगों का और इनके नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट और सरकार पर बहुत प्रेशर कर रखा था, सिनेमाघरों में रोजाना राष्ट्रगान के अपमान के केस दर्ज हो रहे थे, पुलिस का अधिक समय ऐसे लोगों को पकड़ने और कार्यवाही करने में लगता था. देशद्रोही अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे थे, इसलिए कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट के पास गए और इस निर्णय के खिलाफ याचिका डाली, आज इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला वापस ले लिया. अब देशद्रोही बहुत खुश हो रहे होंगे.
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