जब भंसाली चाहता था दंगे-फसाद, विरोध-प्रदर्शन, पद्मावत फिल्म का प्रचार तो राजपूत नेता दोषी कैसे?

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नई दिल्ली: भंसाली की विवादित फिल्म पद्मावत आज ही दिल्ली सहित बड़े शहरों में रिलीज हो गयी लेकिन विरोध प्रदर्शन और दंगे-फसाद को देखकर अधिकतर मीडिया चैनल राजपूत नेताओं और राजपूत समाज को आतंकी, देशद्रोही, एंटी-नेशनल और पता नहीं क्या क्या बोल रहे हैं जो विल्कुल गलत है. राजपूत समाज ने जो कुछ किया वो अपनी नाक बचाने के लिए किया और उन्हें इसमें जीत भी मिली है क्योंकि भंसाली को फिल्म से विवादित दृश्य हटाना पडा है.

राजपूत नेताओं को आतंकी साबित करने वाले मीडिया चैनल ध्यान रखें, दंगे राजपूत और करणी सेना के लोग नहीं करा रहे हैं बल्कि संजय लीला भंसाली खुद चाहता था कि फिल्म के सीन को लेकर विरोध हो, दंगे-फसाद हों, विरोध प्रदर्शन, हिंसा-आगजनी हो ताकि उसकी फिल्म पद्मावत का फ्री में प्रचार हो जाए, ऐसा हुआ भी, उसकी फिल्म का विरोध हुआ और खूब प्रचार हुआ, अब आप खुद सोचिये, जब दंगे-फसाद की स्क्रिप्ट खुद भंसाली ने ही लिखी है, उसनें राजपूत समाज की भावनाएं भड़काकर फिल्म का प्रचार पाने के लिए खुद ही विरोध करने के लिए उकसाया है तो उसके लिए सिर्फ राजपूत नेता और करणी सेना दोषी क्यों.

बहुत ही चालाक हैं संजय लीला भंसाली

फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली जितने चालाक हैं उतना कोई सोच भी नहीं सकता और वो सारी चालाकी सिर्फ पैसे कमाने के लिए कर रहे हैं. अगर ऐसा कहें कि भंसाली अपने इशारे पर लोगों को नचा रहे हैं तो गलत नहीं होगा.

पहले भंसाली ने महारानी पद्मावती और अलाऊद्दीन खिलजी के बीच रोमांस सीन बनाकर विवाद खड़ा किया जिसकी वजह से राजपूत समाज ने फिल्म का विरोध शुरू किया. बाद में भंसाली ने यह सीन हटा दिया ताकि फिल्म देखने वाले दर्शकों को लगे कि राजपूत करणी सेना का विरोध ही फर्जी है.

अब भंसाली ने एक और चालाकी कर दी है, पहले फिल्म को 25 जनवरी को रिलीज करने की घोषणा की गयी थी लेकिन दिल्ली और एनसीआर में आज ही फिल्म को रिलीज किया जा रहा है.

इसके पीछे एक बहुत बड़ी चालाकी है, भंसाली ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि दिल्ली और एनसीआर में ही अधिकतर मीडिया वाले रहते हैं, आज 6 बजे शाम को पहला शो है.

जैसे ही पहला शो ख़त्म होगा, मीडिया वाले गेट के बाहर खड़े रहेंगे और दर्शकों की प्रतिक्रिया लेना शुरू कर देंगे और टीवी पर दिखाएंगे कि फिल्म बहुत अच्छी है, न्यूज़ वाले सिर्फ उन्हीं दर्शकों की प्रतिक्रिया दिखाएंगे जो फिल्म को बहुत अच्छा बताएंगे, मीडिया वाले यह भी पूछेंगे कि क्या महारानी पद्मावती और अलाऊद्दीन खिलजी के बीच में रोमांस सीन है तो लोग बताएंगे कि फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है क्योंकि भंसाली ने यह सीन हटा दिया है. 

मीडिया चैनल आज शाम से ही फिल्म का पॉजिटिव रिव्यु दिखाएंगे ताकि कल पूरे देश में माहौल बन जाए - कि फिल्म में कुछ भी गड़बड़ नहीं है, कोई गलत सीन नहीं है, राजपूतों के लिए कुछ भी गलत नहीं है, राजपूतों के लिए गौरव करने वाली फिल्म है. करणी सेना का विरोध-प्रदर्शन और आन्दोलन गलत है. 

कहने का मतलब ये है कि भंसाली शुरुआत से ही बहुत चालाकी से काम कर रहा है, पहले सीन डाला, फिर विरोध करवाया, फिर सीन हटा लिया, फिर 25 जनवरी को रिलीज की घोषणा की, अब 24 को ही रिलीज करवा रहा है, मीडिया को साथ लेकर चल रहा है, मीडिया वाले फिल्म की तारीफ कर रहे हैं, आज शाम से ही फिल्म की तारीफ शुरू हो जाएगी, कल फिल्म देखना का माहौल बन जाएगा. भंसाली जमकर पैसे कमाएगा.

मेरे कहने का मतलब ये है कि ना तो करणी सेना का विरोध गलत है और ना ही राजपूत गलत हैं, भंसाली ने अपनी शातिर चाल चलकर उन्हें विरोध के लिए उकसाया और सीन हटा लिया ताकि वो गलत साबित हो जाएं.
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