नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी के नेता सुप्रीम कोर्ट में जजों के विवाद पर जिस तरह से राजनीति कर रही है और जिस तरह से प्रधान न्यायाधीश से सफाई मांग रहे हैं वह बहुत ही शर्मनाक है और इससे यह भी साबित हो गया है कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर दबाव बनाकर उन्हें इस्तीफ़ा देने के लिए मजबूर करने का बहुत बड़ा क्षणयन्त्र रचा जा रहा है.
कांग्रेस पार्टी ने कल जिस तरह से प्रेस कांफ्रेंस की, जिस तरह से राहुल गाँधी ने CJI पर निशाना साधा वह अपने आपमें ही कई इशारे कर रहा है.
इसमें कोई शक नहीं कि कांग्रेस पार्टी के नेता प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा को पसंद नहीं करते, ऐसा इसलिए क्योंकि दीपक ठाकुर कांग्रेसियों की मन की इक्षा पूरी नहीं करते.
आपने देखा होगा कि 5 दिसम्बर को राम मंदिर मामले की सुनवाई के वक्त कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने इस मसले को 2019 लोकसभा चुनाव तक लटकाने की अपील की थी लेकिन प्रधान न्यायाधीश दीपक ठाकुर ने उनकी मांग को खारिज करके 8 फ़रवरी को केस की सुनवाई की तारीख रख दी थी.
यही नहीं प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने दूसरे दिन लिखित आदेश में कहा था कपिल सिब्बल जैसे कुछ वकील कोर्ट में ऊंची आवाज में बात करते हैं. ये खुद को सीनियर वकील कहते हैं लेकिन अगर इनकी ऐसी ही हरकत रही तो इन्हें सीनियर कहे जाने का कोई हक नहीं है.
अब आप खुद सोचिये, अगर दीपक मिश्रा ने कपिल सिब्बल की बात मानकर राम मंदिर का फैसला 2019 तक लटका देते और उन्हें इस तरह से फटकार ना लगाते तो वह सही होते लेकिन उन्होंने ना तो कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल की बात मानी और उन्हें फटकार भी लगा दी, शायद इसीलिए कांग्रेस को दीपक मिश्रा बुरे लग रहे हैं.
कांग्रेस पार्टी ने कल जिस तरह से प्रेस कांफ्रेंस की, जिस तरह से राहुल गाँधी ने CJI पर निशाना साधा वह अपने आपमें ही कई इशारे कर रहा है.
इसमें कोई शक नहीं कि कांग्रेस पार्टी के नेता प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा को पसंद नहीं करते, ऐसा इसलिए क्योंकि दीपक ठाकुर कांग्रेसियों की मन की इक्षा पूरी नहीं करते.
आपने देखा होगा कि 5 दिसम्बर को राम मंदिर मामले की सुनवाई के वक्त कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने इस मसले को 2019 लोकसभा चुनाव तक लटकाने की अपील की थी लेकिन प्रधान न्यायाधीश दीपक ठाकुर ने उनकी मांग को खारिज करके 8 फ़रवरी को केस की सुनवाई की तारीख रख दी थी.
यही नहीं प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने दूसरे दिन लिखित आदेश में कहा था कपिल सिब्बल जैसे कुछ वकील कोर्ट में ऊंची आवाज में बात करते हैं. ये खुद को सीनियर वकील कहते हैं लेकिन अगर इनकी ऐसी ही हरकत रही तो इन्हें सीनियर कहे जाने का कोई हक नहीं है.
अब आप खुद सोचिये, अगर दीपक मिश्रा ने कपिल सिब्बल की बात मानकर राम मंदिर का फैसला 2019 तक लटका देते और उन्हें इस तरह से फटकार ना लगाते तो वह सही होते लेकिन उन्होंने ना तो कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल की बात मानी और उन्हें फटकार भी लगा दी, शायद इसीलिए कांग्रेस को दीपक मिश्रा बुरे लग रहे हैं.
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