पढ़ें, कासगंज कांड का पूरा सच, मुसलमानों ने गोली चलाकर 2 हिन्दुओं को क्यों मार डाला, कई घायल

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कासगंज: कुछ मीडिया चैनल कासगंज कांड में मुस्लिम पक्ष को ही पीड़ित दिखा रहे हैं जबकि सच यह है कि मुस्लिमों ने हिन्दू पक्ष पर गोली चलाकर 2 लोगों को मार डाला जबकि कई अन्य घायल भी हैं, कुछ लोग मृतकों की संख्या तीन बता रहे हैं और 8-10 हिन्दुओं को गायब बता रहे हैं हालाँकि इसकी पुष्टि नहीं हुई है.

आज एक मीडिया चैनल मुस्लिमों की बस्ती में गया और वहां पर नयी कहानी गढ़ी गयी, वहां पर बताया गया कि मुस्लिम पक्ष तिरंगा फहराने की कोशिश कर रहा था, हिन्दू पक्ष के लोग उन्हें रास्ते से हटने और वन्दे मातरम् बोलने के लिए फ़ोर्स कर रहे थे इसलिए यह पंगा हुआ.

सच यह है कि अगर हिन्दू पक्ष के लोग लड़ाई करने जाते तो अपने साथ हथियार लेकर जाते, इस तरह तीन तीन लोग मारे ना जाते, ये लगो निहत्थे थे जबकि मुसलमान लोग हथियारों से लैश थे. उन्होने निहत्थों पर गोलियां बरसायीं थीं जिसमें दो लोग मारे गए और कई लोग घायल हुए.

यह भी खबर आ रही है कि इस हमले का बहुत पहले इंतजाम कर लिया गया था, सभी मुस्लिमों ने अपने घरों पर पत्थर इकठ्ठे करके रख लिए थे, जब ये लोग तिरंगा यात्रा लेकर वहां से निकले तो उनके ऊपर पत्थरबाजी होने लगी, ये लोग अपने बाइक छोड़कर जान बचाकर भागे, उसके बाद कुछ लोगों को घेर लिया गया, मृतक चन्दन गुप्ता को बहुत पीटा गया, उसके शरीर पर चोटों के निशान भी थे, उसके बाद उसे गोली मारी गयी. रवि उपाध्याय को भी गोली लगी लेकिन उसकी आज इलाज के दौरान मौत हुई.

क्या है घटना का सच

वहां से मिली जानकारी के मुताबिक़ कासगंज शहर के बिलराम गेट इलाके में मां चामुंडा पीठ है जहां चार दिन पहले जिला प्रशासन मुख्य प्रवेश द्वार पर गेट लगाने जा रहा था। मुसलमानों को पता चला तो उन्होंने विरोध शुरू कर दिया। उन्होंने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर ऐलान किया कि किसी भी हालत में गेट नहीं लगाने दिया जाएगा. उन्होंने सड़क जाम कर दी और धरना-प्रदर्शन किया। विरोध होता देख प्रशासन ने भी मंदिर पर गेट लगाने का विचार त्याग दिया। इस घटना को पुलिस-प्रशासन ने गंभीरता से नहीं लिया परन्तु मुस्लिम समुदाय किसी बड़ी घटना को अंजाम देने का मन बना चुका था।

26 जनवरी को ABVP और विश्व हिन्दू परिषद्के के कार्यकर्ता बाइक पर तिरंगा यात्रा निकाल रहे थे। वे बिलराम गेट के तहसील रोड से से गुजर रहे थे जहां पर शांतिप्रिय समुदाय के लोगों ने उनका रास्ता रोक दिया और वंदेमातरम के नारे न लगाने की धमकी दी, देखते ही देखते उपद्रव हो गया और रैली में शामिल युवकों पर पथराव, एसिड से भरी बोतलों से हमला शुरू कर दिया। प्रतिरोध करने पर शांतिप्रिय समुदाय के लोगों ने फायरिंग शुरू कर दी जिसमें कि चंदन गुप्ता की घटनास्थल पर ही मृत्यु हो गयी और बीसियों लोग बेहद गंभीर रूप से घायल हो गए। दो लोगों की उपचार के दौरान मृत्यु हुई है और कई लोग जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। अभी 7-8 युवक लापता हैं, जिनका कोई सुराग नहीं है। उसके बाद से शांति के पुजारियों ने पूरे कासगंज शहर को आग के हवाले कर दिया। पूरा शहर कर्फ्यू की जद में, जहां जिसे मौका लगता है वहां फायरिंग, आगजनी शुरू हो जाती है। 
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