नई दिल्ली: कासगंज की जंग में आज बरेली के डीएम आर विक्रम सिंह भी कूद पड़े हैं, उन्होंने कहा कि मुस्लिम मोहल्ले में जबरदस्ती जुलूस निकालना और वहां पर पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाना एक ट्रेंड सा बन गया है, यही बरेली में हुआ और यही कासगंज में हुआ. (कासगंज का नाम नहीं लिया लेकिन इशारा जरूर किया गया).
बरेली के डीएम को समझना चाहिए, अगर वे पाकिस्तानी नहीं हैं तो पाकिस्तान मुर्दाबाद बोलने पर गोलियां क्यों चलाते हैं, वह भी भारतीय बनें और पाकिस्तान मुर्दाबाद बोलें, आखिर पाकिस्तान हमारा दुश्मन देश है, हमें बर्बाद करना चाहता है, पूरे देश में बम लगाकर उडाना चाहता है, तो पाकिस्तान से इतना प्यार क्यों है कि पाकिस्तान मुर्दाबाद बोलने पर उनके मोहल्ले से गोलियां चलने लगती हैं, दूसरी बात, उन्हें पाकिस्तान से प्यार होगा तभी तो पाकिस्तान मुर्दाबाद बोलने पर पत्थर और गोलियां चलाते हैं.
बरेली के डीएम के मुताबिक, मुस्लिम मोहल्ले में जबरदस्ती जुलूस नहीं निकालना चाहिए और वहां पाकिस्तान मुर्दाबाद नहीं बोलना चाहिए. हम तो कहते हैं कि 15% लोगों को गद्दार मान लेना चाहिए और उनके मोहल्ले में तिरंगा यात्रा लेकर घुसना ही नहीं चाहिए, पहले से ही सरकार को मुनादी करवा देनी चाहिए कि इस उस मोहल्ले में गद्दार रहते हैं, यहाँ पर तिरंगा यात्रा लेकर ना घुसें, पाकिस्तान मुर्दाबाद ना बोलें क्योंकि उन्हें पाकिस्तान से प्यार है और पाकिस्तान मुर्दाबाद बोलने पर उन्हें बुरा लग जाएगा.
अगर फिर भी दिल ना मानें और कोई मोहल्ला गद्दारों की लिस्ट से निकलना चाहे तो पहले से तय कर लें कि हम यहाँ से तिरंगा यात्रा निकालेंगे, भाई आप लोग नाराज तो नहीं होगे, गोलियां तो नहीं मरोगे, अगर कन्फर्म हो जाए कि गोलियां नहीं चलेंगी तभी उनके मोहल्ले से तिरंगा यात्रा निकालें. इस तरह से ना लड़ाई होगी, ना झगडा होगा, ना गोलियां चलेंगी और ना दंगे होंगे.
हमें लगता है कि हिन्दू लोग जान बूझकर उनके मोहल्ले से तिरंगा लेकर निकलते हैं और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हैं, यह जानने के लिए कि कहीं यहाँ गद्दार तो नहीं रहते, अगर होंगे तो पाकिस्तान मुर्दाबाद बोलने पर जरूर बुरा मानेंगे, यही टेस्ट करने के लिए ये लोग मुस्लिम मोहल्ले में पाकिस्तान मुर्दाबाद बोलते हैं. (बुरा ना मानें, मेरी फ्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन की इज्जत करें)
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