कितना भी फड़फड़ा लें लालू, अब पिंजरे से नहीं हो पाएंगे आजाद, नहीं मिलेगी जमानत, पढ़ें क्यों

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चारा घोटाले के दूसरे मामले में भी लालू यादव जेल चले गए हैं, इससे पहले वह एक अन्य मामले में जेल गए थे लेकिन दो महीनें के बाद उन्हें जमानत मिल गयी थी, राजद नेता सोच रहे हैं कि इस बार भी लालू यादव को जमानत मिल जाएगी और वह कैद से आजाद हो जाएंगे. स्वयं लालू यादव भी पिंजरे से बाहर आने के लिए फड़फड़ा रहे हैं लेकिन इस बार उन्हें जमानत मिलनी मुश्किल है.

अब जनता जागरूक होने लगी है, जज भी इस बात को भली-भाँती समझते हैं, चारा घोटाले का फैसला आने से पहले लोगों का न्यायपालिका पर से भरोसा उठ गया था क्योंकि लगातार दो घोटालों में आरोपियों को बरी किया गया था, पहले 2G घोटाले में राजा को बरी किया गया, उसके बाद आदर्श सोसाइटी घोटाले में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण पर मुक़दमे को रद्द किया गया. अगर चारा घोटाले में लालू यादव को बरी किया जाता तो न्यायपालिका पर पूर्ण रूप से लोगों का भरोसा उठ जाता.

आपको बता दें अब कानून विशेषग्य कह रहे हैं कि इस बार लालू यादव का जेल से बाहर निकलना मुश्किल है, चारा घोटाले में लालू यादव के खिलाफ अभी तीन चार मामले और हैं, उन्हें दूसरे मामले में भी दोषी पाया गया है. पहली बार तो उन्हें जमानत मिल गयी क्योंकि वह पहला मामला था लेकिन इस मामले में उन्हें जमानत नहीं मिल पाएगी क्योंकि अब वे आदतन अपराधी माने जाएंगे. पहले वकील तर्क देते थे कि उन्होंने पहली बार गुनाह किया है इसलिए जमानत मिलनी चाहिए, राम जेठमलानी ने पिछली बार यही तर्क किया था और यह भी गारंटी दी गयी थी कि अब वह दोबारा अपराध नहीं करेंगे लेकिन एक तरह से उन्होंने दूसरा अपराध कर ही दिया, अब वकील यह तर्क नहीं दे पाएंगे कि वह दोबारा अपराध नहीं करेंगे.

आपको बता दें कि चारा घोटाले में लालू यादव के खिलाफ 6 मामले हैं, दो मामलों में उन्हें दोषी पाया गया है, अब ऐसा लग रहा है कि अगले चार मामलों में भी उन्हें दोषी पाया जाएगा, अब जज साहब भी यही सोचेंगे कि आखिर इनको कितनी बार जमानत देंगे. ऐसे तो कोर्ट पर से लोगों का भरोसा उठ जाएगा, जनता में यह सन्देश जाएगा कि नेता घोटाले करते हैं और अदालतें उन्हें जमानत पर आजाद कर देती हैं.

अब राजद नेता कह रहे हैं कि हम इस फैसले के खिलाफ अपर कोर्ट में अपील करेंगे लेकिन उनकी अपील का कोई फायदा होने वाला नहीं है. अब लालू यादव को कम से कम पांच साल जेल में गुजारना ही पड़ेगा क्योंकि जैसे जैसे उनके खिलाफ सभी मामलों में सुनवाई होती जाएगी, उनकी सजा भी बढती जाएगी, अगर सभी मामलों की सुनवाई एक साथ होती तो उन्हें अधिकतर 5 साल की सजा हो सकती थी लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
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