राहुल गाँधी को जनेऊधारी हिन्दू बताकर रणदीप सुरजेवाला ने उन्हें और बुरी तरह फंसा दिया, पढ़ें कैसे

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आज कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने अनजाने में राहुल गाँधी को बहुत बड़ी मुसीबत में फंसा दिया है और खुद भी फंस गए हैं. अब अगर राहुल गाँधी कभी बिना जनेऊ के पाए गए तो रणदीप सुरजेवाला को झूठा समझा जाएगा, इसके अलावा अब मीडिया के कैमरे की नजर हमेशा राहुल गाँधी के जनेऊ पर रहेगी. अगर रणदीप सुरजेवाला उन्हें जनेऊधारी ना बताते तो हो सकता है कि बात दब जाती लेकिन अब बात और बढ़ गयी है. अब रणदीप सुरजेवाला को सही साबित करने के लिए राहुल गाँधी को जिन्दगी भर के जनेऊ धारण करना पड़ेगा जो कि वो करने वाले नहीं हैं.

क्या सच में राहुल गाँधी जनेऊधारी हिन्दू हैं?

जनेऊधारी हिन्दू वह होता है जो जनेऊ धारण करे, एक बार जनेऊ धारण करने के बाद उसे जिंदगीभर उतार नहीं सकते, ऐसे लोग जब भी टॉयलेट जाते हैं तो जनेऊ को तीन बार कान में लपेट लेते हैं ताकि वह कमर से ऊपर ही रहे क्योंकि कमर से नीचे या जननांगों से जनेऊ के छूने पर बहुत बड़ा पाप लगता है. वैसे राहुल गाँधी अगर जनेऊ धारण करते तो किसी ना किसी को जरूर दिखता क्योंकि रैलियों में या अन्य सार्वजनिक स्थानों पर अगर राहुल गाँधी टॉयलेट जाते तो जनेऊ को कान में तीन बार जरूर लपेटते लेकिन ऐसा आज तक हुआ ही नहीं है. जिसका मतलब है कि राहुल गाँधी जनेऊधारी हिन्दू नहीं हैं, अगर हैं तो जनेऊ को कान में ना लपेटकर बहुत बड़ा पाप कर रहे हैं. अगर राहुल जनेऊधारी नहीं हैं तो रणदीप सुरजेवाला ने उनके बारे में झूठ बोला है.

तो इसका मतलब शादीशुदा हैं राहुल गाँधी

रणदीप सुरजेवाला ने एक तरह से राहुल गाँधी को बहुत बड़ी मुसीबत में फंसा दिया है क्योंकि उन्होंने राहुल गाँधी की जनेऊ में जो फोटो शेयर की है उसमें राहुल गाँधी ने छह धागों वाली जनेऊ पहनी है जिसका मतलब है कि वो शादीशुदा हैं. कुंवारे लोग सिर्फ तीन धागों वाली जनेऊ पहनते हैं और वह काफी पतली होती है लेकिन राहुल गाँधी ने बचपन में ही छह धागों वाली मोटी जनेऊ पहन रखी है जिसका मतलब है कि उनकी शादी बचपन में हे हो चुकी है.



क्या होता है जनेऊधारी हिन्दू

हर हिन्दू का कर्तव्य है कि वह जनेऊ पहने और उसके नियमों का पालन करे। हर हिन्दू जनेऊ पहन सकता है बशर्ते कि वह उसके नियमों का पालन करे लेकिन जरूरी नहीं है कि सभी लोग जनेऊ धारण करें लेकिन एक बार जनेऊ धारण करने के बार उसे उतारा नहीं जा सकता वरना बहुत बड़ा पाप माना जाता है.

हर जाति के लोग पहन सकते हैं जनेऊ

पहले कहा जाता था कि सिर्फ ब्राह्मण ही जनेऊ पहन सकते हैं लेकिन सच यह है कि ब्राह्मण ही नहीं समाज का हर वर्ग जनेऊ धारण कर सकता है। जनेऊ धारण करने के बाद ही द्विज बालक को यज्ञ तथा स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त होता है। द्विज का अर्थ होता है दूसरा जन्म. लड़कियां भी जनेऊ धारण कर सकती हैं लेकिन उन्हें आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है.

ब्रह्मचारी और विवाहित के लिए अलग अलग जनेऊ

ब्रह्मचारी तीन और विवाहित छह धागों की जनेऊ पहनता है। विवाह के बाद छह धागों में से तीन धागे स्वयं के और तीन धागे पत्नी के बतलाए गए हैं।

जनेऊ में मुख्‍यरूप से तीन धागे होते हैं

प्रथम: यह तीन सूत्र त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक होते हैं। 
द्वितीय: यह तीन सूत्र देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक होते हैं.
तृतीय: यह सत्व, रज और तम का प्रतीक है। 
चतुर्थ: यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है। 
पंचम: यह तीन आश्रमों का प्रतीक है। 
छह: संन्यास आश्रम में यज्ञोपवीत को उतार दिया जाता है।

नौ तार :यज्ञोपवीत के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं। इस तरह कुल तारों की संख्‍या नौ होती है। एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वार मिलाकर कुल नौ होते हैं। हम मुख से अच्छा बोले और खाएं, आंखों से अच्छा देंखे और कानों से अच्छा सुने।

पांच गांठ :यज्ञोपवीत में पांच गांठ लगाई जाती है जो ब्रह्म, धर्म, अर्ध, काम और मोक्ष का प्रतीक है। यह पांच यज्ञों, पांच ज्ञानेद्रियों और पंच कर्मों का भी प्रतीक भी 
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