मुस्लिम संगठनों ने जताया संघ प्रमुख के बयान का विरोध, बोले, SC से ऊपर नहीं हैं मोहन भागवत

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सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की सुनवाई 5 दिसम्बर से होने वाली है, इससे पहले ही माहौल गरम हो गया है, कुछ दिनों पहले अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने राम मंदिर बनाने के लिए अयोध्या का दौरा किया था साथ ही मुस्लिम पक्ष से राम मंदिर निर्माण में सहयोग माँगा था लेकिन बात नहीं बनी क्योंकि मुस्लिम पक्ष सिर्फ सुप्रीम कोर्ट का निर्णय मानने पर अडिग है.

कल आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान देकर माहौल को और गरमा दिया है, उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर सिर्फ राम मंदिर ही बनेगा और कुछ नहीं बनेगा, उन्होंने यह भी कहा कि राम मंदिर उसी स्थान पर बनेगा जहाँ भगवान राम पैदा हुए थे. मोहन भागवत ने यह भी कहा था कि राम मंदिर विश्व हिन्दू परिषद की अगुवाई में बनेगा.

मोहन भागवत के बयान पर मुस्लिम संगठनों ने कहा कि यह बयान सुप्रीम कोर्ट के नियमों का उल्लंघन है. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने ANI ने बातचीत में कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट पर यकीन करते हैं, जो भी फैसला होगा हम उसे मानेंगे, मोहन भागवत ने यह बयान देकर कानून अपने हाथों में लिखा है.

कट्टरपंथी मुस्लिम नेता असद्दुदीन ओवैसी ने भी मोहन भागवत पर हमला बोलते हुए कहा कि मोहन भागवत ने यह बयान देकर सुप्रीम कोर्ट पर प्रेशर डालने की कोशिश की है. क्या वह जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट क्या आदेश देगा, क्या वह खुद को सुप्रीम कोर्ट से ऊपर समझते हैं.

कांग्रेस ने भी मोहन भागवत के बयान का विरोध किया है, कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि 5 दिसम्बर से मामले की सुनवाई होनी है, मामला सुप्रीम कोर्ट में है इसलिए ऐसा बयान देना उचित नहीं हैं.
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