भारत में लोग मी-लार्डों पर उतना ही भरोसा करते हैं जितना भगवानों पर किया जाता है क्योंकि लोग मानते हैं कि मी-लार्ड जरूर उनके साथ न्याय करेंगे, जजों की नियुक्ति में डिग्रियों का बहुत ध्यान रखा जाता है, हर दस्तावेजों का बारीकी से निरीक्षण किया जाता है लेकिन कहते हैं कि भारत में सब कुछ मुमकिन है, यहाँ पर घूस देकर कुछ भी कराया जा सकता है.
अब ऐसी ही एक खबर एक पूर्व जज के बारे में आयी है, खबर के अनुसार एक जज 21 वर्षों तक फर्जी डिग्री के आधार पर नौकरी लेकर फैसले सुनाता रहा, वह नौकरी से रिटायर भी हो गया और अब सरकारी पेंशन भी ले रहा है लेकिन इसका खुलासा हाल ही में हुआ है.
ख़बरों के अनुसार मदुरै के पूर्व मजिस्ट्रेट पी. नटराजन ने बिना डिग्री के ही जज के तौर पर काम किया, नौकरी के दौरान कई फैसले भी सुनाये, अब पेंशन भी ले रहे हैं लेकिन जांच के दौरान उनकी डिग्री फर्जी पायी गयी है. मामले के तूल पकड़ते ही तमिलनाडु और पुडुचेरी के बार काउंसिल ने नटराजन को कारण बताओ नोटिस जारी करके पूछा है कि क्यों न वकील के तौर पर उनके रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाए।
नटराजन ने अपने जवाब में कहा कि उन्होंने कर्नाटक के एक प्राइवेट कॉलेज से लॉ की डिग्री ली थी। उन्होंने बार काउंसिल को बताया, मुझे कॉन्वोकेशन के दौरान यह नहीं बताया गया कि यह डिग्री सिर्फ अकादमिक उद्देश्यों के लिए ही इस्तेमाल की जा सकती है। इसे रोजगार के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।’
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